मानव बंधुत्व के दस्तावेज पर हस्ताक्षर का एक साल
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
अबू धाबी, मंगलवार, 4 फरवरी 2020 (रेई)˸ संत पापा फ्राँसिस एवं अल अजहर के ग्रैंड ईमाम द्वारा "मानव बंधुत्व के दस्तावेज" पर हस्ताक्षर के एक साल पूरा होने पर, दस्तावेज को लागू करने के लिए गठित उच्च समिति के सदस्य अबू धाबी में एकत्रित हैं।
अल अजहर के ग्रैंड इमाम के पूर्व सलाहकार एवं उच्च समिति के सचिव, न्यायाधीश मोहम्मद अबदेल सलाम ने प्रेस सम्मेलन को सम्बोधित कर इस बात को रेखांकित किया कि "मानव बंधुत्व पर दस्तावेज, पूरे विश्व के मनुष्यों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।" उच्च समिति अपने आप में आत्मनिर्भर है तथापि समिति के गठन को संत पापा फ्राँसिस, ग्रैंड ईमाम एवं अबू धाबी के शेख मोहमद बिन जायेद का समर्थन प्राप्त है।
उन्होंने कहा कि मानव बंधुत्व पर उपलब्धि हासिल करने के लिए निर्णयकर्ताओं एवं धर्मगुरूओं और साथ ही साथ, मीडिया के समर्थन की जरूरत है। उन्होंने दस्तावेज को किस तरह लागू किया जाए, इसके बारे बतलाते हुए, संत पापा फ्राँसिस का उदाहरण दिया जिन्होंने हाल ही में कई शरणार्थी परिवारों का स्वागत किया और इसके लिए धर्म के आधार पर किसी तरह का भेदभाव नहीं किया।
मानव बंधुत्व ईश्वर की इच्छा
मोनसिन्योर योवन्निस गाइड ने कहा कि मानव बंधुत्व के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए युवाओं की विशेष भूमिका है। उन्होंने कहा कि दस्तावेज का आधार ईश्वर की इच्छा है क्योंकि सभी विश्वासी अपना उदगम ईश्वर में पाते हैं। ईश्वर ने ही सभी मनुष्यों को एक मानव परिवार में एकत्रित किया है। अतः सभी धर्मों के सदस्य एक दूसरे के भाई-बहन हैं और विशेषकर, युवा ही हैं जो दस्तावेज में निहित विचारों को साकार रूप देने में पूरी तरह प्रवृत्त हो सकते हैं।
विश्व एक छोटा गाँव
अल अजहर विश्वविद्यालय के अध्यक्ष प्रोफेसर मोहमद हुस्सैन एल महरास्वे ने याद किया कि किस तरह दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने वाले यूरोप एवं अफ्रीका से आये तथा इसे एशिया में हस्ताक्षर किया गया। उन्होंने कहा, "अब विश्व एक छोटा गाँव है। मानव बंधुत्व पर दस्तावेज समयानुकूल है क्योंकि यह एक संश्लेषण प्रदान करता है कि दुनिया शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व में एक साथ कैसे रह सकती है।" उन्होंने बतलाया कि अल अजहर विश्वविद्यालय ने मानव बंधुत्व पर दस्तावेज की शिक्षा देना आरम्भ कर दिया है और इसमें निहित मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए अन्य पहल भी करेगा।
मूलभूत नैतिक दस्तावेज
यूनेस्को के पूर्व महानिदेशक इरीना बोकोवा जो उच्च समिति में सबसे बाद में शामिल हुई हैं वे भी एक साल पहले दस्तावेज पर हस्ताक्षर करते समय उपस्थित थी। उन्होंने कहा, "दस्तावेज़ को हमारे समय के मूलभूत नैतिक दस्तावेज़ के रूप में देखना महत्वपूर्ण है।" उन्होंने कहा कि इस दस्तावेज से युवा उत्तर पा सकते हैं और यह संयुक्त राष्ट्र के सतत् विकास लक्ष्यों के चौथे बिंदु के अनुरूप है जो शिक्षा को लक्षित करता है।
"मैं" से "हम" की ओर
वॉशिंगटन इब्रानी धर्मसमाज के वरिष्ठ रब्बी ब्रूचे लुस्तिग ने कहा कि दस्तावेज में सबसे कठिन चीज है जिसकी जरूरत दुनिया को है। उन्होंने जोर दिया कि दस्तावेज विश्व के सभी धर्मों के साथ सामंजस्यपूर्ण है। "हम एक परिवार के हैं और एक ही घर में रहते हैं।" अतः हरेक व्यक्ति एक-दूसरे के सम्मान एवं प्रतिष्ठा का ख्याल रखता है और एक-दूसरे के लिए जिम्मेदार है। यह प्रत्येक व्यक्ति को "मैं" से "हम" की ओर बढ़ने हेतु प्रेरित करता है। दुनिया में 70 मिलियन शरणार्थियों के साथ, यह याद रखना अच्छा है कि अब हम "एक-दूसरे के साथ जुड़े हुए हैं"।
दस्तावेज हमें आप्रवास की वास्तविकता का सामना, नागरिकता को अलग तरह से समझने एवं जो लोग विस्थापित हैं उन्हें शिक्षित करने में मददगार सिद्ध होता है।
अबू धाबी के क्राऊम प्रीन्स से मुलाकात
उच्च समिति ने सोमवार को अबू धाबी के क्राऊम प्रीन्स शेख मोहमद बिन जायेद अल नहयान से मुलाकात की तथा उन्हें उन पहुलों के बारे में सूचित किया, जिनमें वे आगे बढ़नेवाले हैं। शेख ने उच्च समिति को प्रोत्साहन दिया तथा अपने समर्थन का आश्वासन दिया, ताकि दस्तावेज एक ठोस रूप ले सके। उन्होंने सदस्यों को बतलाया कि वे इस बात का अंदाजा नहीं लगा सकते कि वे भावी पीढ़ी के लिए कितना महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं।
समिति के एक सदस्य ने कहा कि शेख के साथ समिति के सदस्यों की मुलाकात अत्यन्त सौहार्दपूर्ण रही। उन्होंने कहा कि उनका यह भाव, बहुत उच्च व्यक्तियों के लिए और उन समूहों के लिए आरक्षित है जिनके पास शेख का पूरा समर्थन है।
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