संत पापा फ्राँसिस संत पापा फ्राँसिस  

देवदूत प्रार्थना में पोप ˸ हम ईमानदार बनने के लिए बुलाये गये हैं

रविवार को देवदूत प्रार्थना के पूर्व सुसमाचार पाठ पर चिंतन करते हुए संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि हमें उन लोगों से सावधान रहना है जो अपने विश्वास को दोहरेपन के साथ जीते हैं ताकि हम उनके समान न बन जाएँ, इसके विपरीत हमें आज के सुसमाचार पाठ की विधवा की ईमानदारी पर ध्यान देना है जिसका ईश्वर के प्रति दीन प्रेम हम सभी के लिए एक उदाहरण है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटकिन सिटी

वाटिकन सिटी, रविवार, 7 नवम्बर 2021 (रेई)- वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में उपस्थित हजारों विश्वासियों के साथ संत पापा फ्राँसिस ने देवदूत प्रार्थना का पाठ किया, जिसके पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

आज की धर्मविधि के सुसमाचार पाठ द्वारा प्रस्तुत दृश्य येरूसालेम मंदिर में घटित होता है। येसु देखते हैं कि इस पवित्रतम स्थान पर क्या हो रहा है और गौर करते हैं कि शास्त्री किस तरह लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचना चाहते हैं उनसे प्रणाम-प्रणाम सुनना, आदर किया जाना और सम्मानित स्थान प्राप्त करना चाहते हैं। येसु ने कहा है कि वे विधवाओं की सम्पति चट कर जाते और दिखावे के लिए लम्बी-लम्बी प्रार्थनाएँ करते हैं। (मार. 12:40) साथ ही येसु की आँखें एक दूसरे दृश्य को भी देखती हैं ˸ एक कंगाल विधवा, शक्तिशाली व्यक्तियों द्वारा शोषित लोगों में से एक, मंदिर के खजाने में अपने जीने के लिए जो था उसमें से पूरा डालती है। (44) सुसमाचार कहता है कि उसने तंगी में रहते हुए भी जीविका के लिए अपने पास जो कुछ था, वह सब दे डाला।

दिखावा से बचे ईमानदारी की खोज करें

संत पापा ने कहा कि सुसमाचार इस प्रकार के मर्मभेदी विरोधाभास को प्रस्तुत करता है। धनी जो अपनी समृद्धि में से कुछ डालते और एक कंगाल विधवा जो अपने लिए बिना कुछ बचाये सब कुछ को दान कर देती है। ये मानव के दो मनोभावों के प्रतीक हैं।

येसु दो दृश्यों को देखते हैं। संत पापा ने कहा कि "देखने" की क्रिया में उनकी शिक्षा का सरांश है कि जो लोग फरीसियों के समान अपने विश्वास को दोहरेपन के साथ जीते हैं उनसे सावधान रहना है। हमें उनसे सावधान इसलिए रहना है ताकि हम उनके समान न बन जाएँ, जबकि हमें कंगाल विधवा को एक आदर्श के रूप में देखना है। हम थोड़ी देर रूकें और कंगाल विधवा पर गौर करें।  

सर्वप्रथम, शास्त्रियों से सावधान रहना है अर्थात् उनके दिखावा, बाहरीपन, अपनी छवि को बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत करने के कार्यों में अपने जीवन को आधारित नहीं करने के लिए सावधान रहें। और सबसे बढ़कर, विश्वास को हमारी रूचियों के अनुसार नहीं झुकाना है। वे शास्त्री अपनी महत्वकांक्षा को ईश्वर के नाम के द्वारा ढंकते थे और उससे भी बुरा कि वे अपने व्यवसाय को चलाने के लिए धर्म का प्रयोग करते थे। वे अपने अधिकार का प्रयोग गरीबों का शोषण करने के लिए करते थे। यहाँ हम एक बहुत खराब मनोभाव को देखते हैं जिसको हम कई आस्थानों में याजकवाद के रूप में देख सकते हैं। यह दीन लोगों पर हावी होकर उनका शोषण करता है और अपने आपमें पूर्ण महसूस करता है। संत पापा ने कहा कि यह याजकवाद की बुराई है। यह सभी समय और सभी कलीसिया एवं समाज के लिए चेतावनी है कि कभी भी अपनी भूमिका का फायदा दूसरों को कुचलने के लिए नहीं उठाया जाना चाहिए, कमजोर लोगों के द्वारा अपने लिए मुनाफा नहीं कमाना चाहिए। सावधान रहना है ताकि हम घमंड में न पड़ें, दिखावे के शिकार न हों, धरातल को खोकर सतही रूप में न जीयें। हम अपने आपसे पूछें, जो मैं कहता और करता हूँ क्या वह मददगार है, क्या मैं प्रशंसा किया जाना और संतोष पाना चाहता हूँ अथवा ईश्वर और पड़ोसी की सेवा करना चाहता हूँ? खासकर अधिक कमजोर लोगों की? आइये हम हृदय के झूठेपन पर, दिखावेपन पर ध्यान दें जो आत्मा की एक खतरनाक बीमारी है। यह एक दोहरा विचार, दोहरा न्याय है जैसा कि वचन कहता है ˸ निर्णय कुछ लेना, प्रकट एक तरह से होना और दूसरे तरह से विचार रखना। दोहरेपन के लोग दोहरी आत्मा के साथ होते हैं।

ईश्वर के असीम प्रेम पर भरोसा रखें

इस बीमारी से चंगाई हेतु येसु हमें निमंत्रण देते हैं कि हम कंगाल विधवा को देखें। प्रभु उसके शोषण का विरोध करते हैं जिसको अपने आपको अर्पित करने के लिए अपने पास जो कुछ था सब कुछ को दान कर घर वापस लौटना पड़ा। पवित्रता को धन के बंधन से मुक्त करना कितना महत्वपूर्ण है। येसु ने कहा है कि हम दो स्वामियों की सेवा नहीं कर सकते। या तो हम ईश्वर की सेवा कर सकते हैं या धन की सेवा कर सकते हैं। येसु कहते हैं कि हमें धन की सेवा नहीं करनी चाहिए, साथ ही वे उस विधवा की सराहना करते हैं जिसने अपना सब कुछ खजाने में डाल दिया। उसके पास कुछ नहीं बचा था किन्तु उसने अपना सब कुछ ईश्वर में पाया। वह अपने पास जो कुछ था उसे खोने से नहीं डरी क्योंकि वह ईश्वर पर अधिक भरोसा रखती थी। और ईश्वर उसे आनन्द में बदल देते हैं। यह हमें एक दूसरे विधवा की भी याद दिलाती है जो नबी एलियस के समय में, अपने पास बचे अंतिम आंटे और तेल से केक बनाने जा रही थी। एलियस उससे खाने के लिए मांगते हैं और वह उन्हें दे देती है किन्तु यह कभी समाप्त नहीं होता है। (1राजा 17,9-16) यह एक चमत्कार हैं। लोगों की उदारता के सामने प्रभु अधिक उदारता दिखाते हैं। येसु उस विधवा को विश्वास की शिक्षिका बतलाते हैं। वह अपने अंतःकरण को साफ करने मंदिर नहीं गई थी, वह दूसरों को दिखाने के लिए प्रार्थना नहीं करती थी, वह अपने विश्वास के लिए नहीं इठलाती थी बल्कि अपने हृदय से, अपनी उदारता एवं स्वेच्छा से दान दी। उसके सिक्के धनियों के अत्याधिक उपहारों से अधिक सुन्दर हैं क्योंकि ये ईमानदारी के साथ ईश्वर के लिए समर्पित जीवन को दर्शाते हैं, एक ऐसे विश्वास को दर्शाते हैं जिसको दिखावा के लिए नहीं बल्कि बेशर्त भरोसा के लिए जिया जाता है। हम उससे बिना बाहरी आवरण के आंतरिक रूप से ईमानदार; ईश्वर और अपने भाइयों के लिए विनम्र प्रेम से बने विश्वास को जीना सीखते हैं।

तब संत पापा ने माता मरियम से प्रार्थना की। उन्होंने कहा, अब हम कुँवारी मरियम की ओर मुड़ें, जिन्होंने विनम्र और पारदर्शी हृदय से अपने सम्पूर्ण जीवन को ईश्वर एवं उनके लोगों के लिए उपहार बनाया।  

इतना कहने के बाद संत पापा फ्रांसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

देवदूत प्रार्थना में संत पापा का संदेश

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07 November 2021, 16:13