ग्रीस के देवनीसियुस स्कूल में धर्मबहनों और अन्यों से मिलते हुए संत पापा फ्राँसिस ग्रीस के देवनीसियुस स्कूल में धर्मबहनों और अन्यों से मिलते हुए संत पापा फ्राँसिस 

संत पापा: समर्पित जीवन आज की दुनिया के लिए सुसमाचार है

संत पापा फ्राँसिस ने शनिवार को वाटिकन में समर्पित जीवन की संस्थाओं के लिए बने संघ और प्रेरिताई जीवन संबंधी परमधर्मपीठीय संघ की महासभा के प्रतिभागियों से मुलाकात की और उनकी सेवा के लिए उन्हें धन्यवाद दिया।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शनिवार 11 दिसम्बर 2021 (वाटिकन न्यूज) : "हम जो कुछ भी करते हैं वह सुसमाचार की सेवा में होता है और आप, विशेष रूप से, उस "सुसमाचार" की सेवा करते हैं जो समर्पित जीवन है, ताकि यह आज दुनिया के लिए सुसमाचार हो सके।" समर्पित जीवन की संस्थाओं के लिए बने संघ और प्रेरिताई जीवन संबंधी परमधर्मपीठीय संघ की महासभा के समापन पर संत पापा फ्राँसिस ने लगभग 60 सदस्यों के लिए उक्त टिप्पणी की। उन्होंने समरपित जीवन के भविष्य में विश्वास करने वाले सभी लोगों के प्रति अपनी निकटता व्यक्त की।

ईश्वर का कृतज्ञ उपहार

संत पापा फ्राँसिस ने याद किया कि जब संत पापा जॉन पॉल द्वितीय ने समर्पित जीवन पर 1994 के धर्मसभा को बुलाया, तो यह कलीसिया के लिए एक कठिन समय था, नए अनुभवों के साथ जिनके हमेशा सकारात्मक परिणाम नहीं होते थे और कुछ क्षेत्रों में बुलाहटों की संख्या में गिरावट आई थी, जो आज भी जारी है। उन्होंने कहा, फिर भी, आशा की जीत हुई और यह बनी हुई है, जो समर्पित जीवन के उपहार की सुंदरता पर आधारित है।

संत पापा ने जोर देकर कहा, "ईश्वर के बुलाहटीय उपहार, उनके वचन और उनकी आत्मा की परिवर्तनकारी शक्ति पर ध्यान केंद्रित करना जरुरी है।" उन्होंने धर्मसमाजों, विभिन्न संस्थानों और विशेष रूप से कलीसियाओं को प्रोत्साहित किया जो समर्पित पुरुषों और महिलाओं की मदद करते हैं और अपने मुफ्त उपहार की स्मृति को जीवित रखते हैं और भविष्य को आत्मविश्वास के साथ देखते हैं।

संत पापा ने कहा कि जब कोई अपने इतिहास, अपनी संस्था, उन चमत्कारों की याद खो देता है जिसे ईश्वर ने कलीसिया में, हमारे संस्थान में और हमारे जीवन में किए हैं, तो, हम ताकत खो देते हैं और हम जीवन नहीं दे पाएंगे।

आत्मचिंतन और संगत

संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि इस सेवा को आत्मचंतन और संगत में अभिव्यक्त किया जा सकता है और अक्सर कई जटिल परिस्थितियों से निपटना आत्मचिंतन का गंभीर और धैर्यवान कार्य है, जिसे केवल विश्वास और प्रार्थना के क्षितिज के भीतर ही किया जा सकता है।

उन्हें विशेष रूप से हाल में शुरु किये गये समुदायों के साथ जाना पड़ता है, जहाँ आत्म-संदर्भ के जोखिम भी उजागर होते हैं। सभी की भलाई के लिए समर्पित लोगों के जीवन में खुद को एक समुदाय में एकीकृत करने के लिए आत्मचिंतन एक आवश्यक मानदंड है। संत पापा ने कहा, "समर्पित जीवन कलीसिया में पैदा हुआ है और केवल कलीसिया में विश्वासियों के सामुदायिक जीवन में सुसमाचार का फल पैदा कर सकता है।"

संस्थापकों, नेताओं पर नजर

उन्हें उन संस्थापकों से सावधान रहना चाहिए जो कभी-कभी आत्म-संदर्भित होते हैं, खुद को करिश्मा के एकमात्र संरक्षक या व्याख्याकार मानते हैं, जैसे कि वे कलीसिया से ऊपर थे। उन्हें बुलाहटों की प्रेरितिक देखभाल और उम्मीदवारों को दिए गए प्रशिक्षण के प्रति चौकस होना चाहिए। उन्हें यह पता लगाना चाहिए कि प्राधिकरण की सेवा कैसे की जाती है, जनादेश की अवधि, एक समुदाय में कैसे शक्ति और अधिकार का संचय और दुरुपयोग होता है।

नए संस्थानों, समर्पित जीवन या समुदायों के रूपों को मंजूरी देने की प्रक्रिया में, संत पापा फ्राँसिस ने धर्मसमाजों को धर्मप्रांतीय धर्माध्यक्षों के साथ सहयोग देने के लिए प्रोत्साहित किया। यह पर्याप्त प्रेरणा या पर्याप्त शक्ति के बिना संस्थानों के अनुचित निर्माण से बचने में मदद करेगा।

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11 December 2021, 15:19