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रोमन कूरिया को  संत पापा का क्रिसमस संदेश रोमन कूरिया को संत पापा का क्रिसमस संदेश  

संत पापा : विनम्रता का आलिंगन करें

संत पापा फ्रांसिस ने रोमन कूरिया के सदस्यों को ख्रीस्त जंयती का संदेश देते हुए बालक येसु की नम्रता का आलिंगन करने का आहृवान किया जो रचनात्मकता को जगह देती, सामुदायिकता का निर्माण करती और कलीसियाई प्रेरितिक कार्य पर ध्यान क्रेन्दित करती है।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, गुरूवार, 23 दिसम्बर 2021 (रेई) संत पापा फ्रांसिस ने रोमन कूरिया के सदस्यों को अपने ख्रीस्त जयंती संदेश में बालक येसु की नम्रता का आलिंगन करने का संदेश दिया।

संत पापा ने कहा कि यह मिलन “हमारे भ्रातृत्व को सशक्त रुप में प्रकट करता” और कलीसिया को केंद्रीय शासी निकाय की पहचान और उसके प्रेरितिक कार्य पर विचार करने का अवसर प्रदान करता है। इस संदर्भ में संत पापा ने विनम्रता को अपने संदेश का क्रेन्द-विन्दु बनाया जिसके द्वार से प्रवेश होकर राजाओं के राजा येसु ख्रीस्त दुनिया में प्रवेश करते हैं।

चंगाई की आवश्यकता

संत पापा फ्राँसिस ने धर्मग्रंथ बाईबल में वर्णित सीरियाई नामान, एक सैन्य अधिकार जो कोढ़ी से ग्रस्ति था, जिन्होंने भविष्यवक्ता एलीशा से उपचार की मांग की थी (2 राजा 5) के उदाहरण को लेते हुए कार्य करने और जीवन के मनोभावनाओं में परिवर्तन लाने पर बल दिया। “हम अक्सर अपने जीवन में इस विरोधाभास को पाते हैं: कभी-कभी महान उपहार कवच बन जाते हैं जो महान कमजोरियों को ढ़ंक देते हैं।”

संत पापा ने कहा कि हर व्यक्ति के जीवन में एक ऐसा मोड़ आता है जब हमें “दुनिया की महिमा को सच्चे जीवन की पूर्णत हेतु अलग रखना पड़ता है”। जब एलीशा ने नामान की समस्या हेतु एक सरल समाधान की पेशकश की – उसे अपने कवच उतारकर यर्दन नदी में स्नान करना था- पहले तो वह झिझकता है, लेकिन उपचार की चाह में वह नम्रता के भाव धारण करता और नदी में उतरता है।

“एक बार जब हम अपनी भूमिकाओं, विशेषाधिकार, पद और उपाधियों को अपने से हटा लेते हैं, तो हम कोढ़ग्रस्त व्यक्ति बन जाते जिन्हें उपचार की जरुरत है। क्रिसमस हमारे इस एहसास को जीवंत बनाता है।”

नम्रता का आलिंगन

संत पापा ने तब “आध्यात्मिक सांसारिकता” के प्रलोभन के खिलाफ चेतावनी दी, जो “हमारी भूमिका, पूजा, सिद्धांत और धार्मिक भक्ति" के पक्ष में विनम्रता को अलग कर देती है। यह व्यर्थता की ओर ले जाती है जहां हम शानदार उपक्रमों के सपने देखते हैं,  यद्यपि हम सेवा या अपने सच्चे प्रेरिताई हेतु अपना समय नहीं देते हैं।

नम्रता का दूसरा अर्थात मानवता में “निवास” करना है जहाँ हम सच्चाई, खुशी और आशा में जीवनयापन करते और अपनी दरिद्रता को येसु के प्रेम और करूणा में निहारते हैं। संत पापा ने कहा कि घमंड नम्रता के विपरीत वर्तमान और भविष्य की कड़ी को जला देता है जिसके फलस्वरूप हम सूखी ठूंठ की भांति हो जाते हैं जिसमें न यादें रहती और न ही जीवन रह जाता है।

“नम्र लोग वे हैं जो न केवल अतीत की याद करते बल्कि भविष्य की भी सोचते हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि आगे कैसे देखना है, जिससे वे अपनी टहनियों के विकसित कर सकें, जो अतीत हेतु कृतज्ञता में होता है। नम्र जन जीवन देते, दूसरों को आकर्षित करते और अदृश्य की ओर बढ़ते हैं”।

सिनोडलिटी की शैली

संत पापा ने इस बात पर जोर दिया कि हम सभी का बुलावा नम्रता में बने रहने, येसु के कदमों में चलने हेतु हुआ है जिससे हमारा मिलन ईश्वर से हो सकें और हम अपने भाई-बहनों का आलिंगन करते हुए मुक्ति को प्राप्त करें।

उन्होंने अक्टूबर महीने में शुभांराभ हुई धर्मसभा की ओर रोमन कूरिया का ध्यान आकर्षित करते हुए परिवर्तन के आलिंगन की बात कही जिससे कलीसिया एक साक्ष्य प्रस्तुत कर सके। दरिद्रता और साधारण जीवन शैली, उन्होंने कहा, कूरिया की एक ठोस निशानी है जो हमें नम्रता के मार्ग में अग्रसर करती है। उन्होंने इसके संदर्भ में तीन ठोस बातें को प्रस्तुत किया। 

“प्रतिभागिता” हमारे लिए सह-उत्तरदायित्व में अभिव्यक्त होती है उन्होंने कहा, यह वाटिकन के कार्यलयों में हमारी रचनात्मकता को व्यक्त करती है। “अधिकार तब सेवा बन जाता है जब यह लोगों को साझा करता, उन्हें शामिल करता है और लोगों को बढ़ने में मदद करता है”।

“सामुदायिकता” के बारे में संत पापा ने कहा कि यह येसु ख्रीस्त को केन्द्र में रखता है जो हमारे कार्य करने के वातावरण को सहज बनाती है जिसके फलस्वरुप हम मतभेद में विजय प्राप्त करते हुए ऊपर चढ़ने की ललक पर काबू पाते हैं। सेवा के भाव हेतु एक उचित और उदार हृदय की जरुरत है जो हमें ईश्वरीय प्रजा में मौजूद समृद्धि को पहचानने और आनंद के साथ उसका अनुभव करने में मदद करता है।

“प्रेरिताई” हमारे हृदय को खोलती जिससे हम येसु का आलिंगन करते हैं। “गरीबों के लिए सोचना”, कलीसिया को उनकी ओर अभिमुख करती है जिन्हें हमारी जरुरत है। हमें उनकी आवाजों को सुनना है, उनकी उपस्थिति, उनके सवालों और उनकी आलोचनाओं को लेने की जरुरत है।

नम्रताः विश्वास का स्थल

संत पापा ने अपने संदेश का अंत इस आशा में किया कि रोमन कुरिया “ख्रीसमस और चरनी की नम्रता” का आलिंगन करेगा, जहाँ हम गरीबी और साधारणतः में ईश्वर के पुत्र को दुनिया में आते हुए देखते हैं। येसु ख्रीस्त जैसे आये- अपने जन्म में और अंतिम व्यारी में अपने शिष्यों के पैर धोते- वैसे ही रोमन कुरिया के सदस्य अपने को कोढ़ग्रस्त व्यक्ति की भांति देखते हुए नम्रता में चंगाई की चाह रखें।

“क्रिसमस की शिक्षा यह है: विश्वास, आध्यात्मिक जीवन और पवित्रता के लिए विनम्रता महान शर्त है। प्रभु यह हम सभों को एक उपहार स्वरूप प्रदान करें, जो हमारे भीतर आत्मा की उपस्थिति के मूल संकेत-चाह से शुरू होती है। हमारी कमी हेतु, हम अपने लिए उस चाह से शुरू कर सकते हैं”।

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23 दिसंबर 2021, 16:05
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