संत पापा फ्राँसिस संत पापा फ्राँसिस 

देवदूत प्रार्थना में पोप : स्पष्ट देखने एवं हित की बात बोलने का प्रयास करें

रविवार को देवदूत प्रार्थना के पूर्व संत पापा फ्राँसिस ने विश्वासियों को निमंत्रण दिया कि वे किस तरह देखते और अपने को व्यक्त करते हैं, उसपर गौर करें ताकि हमारी नजर एवं बातचीत शुद्ध हो सके।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, रविवार, 27 फरवरी 2022 (रेई)- वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 27 फरवरी को संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया, जिसके पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

आज की धर्मविधि के सुसमाचार पाठ में येसु हमें हमारे देखने एवं बातचीत करने पर चिंतन करने के लिए प्रेरित करते हैं।

हमारी नजर

प्रभु कहते हैं, हम जिस खतरे में पड़ते हैं, वह यह है कि हम अपने भाई की आँखों में तिनका देखने पर ध्यान केंद्रित करते हैं और हमें अपनी आँख के धरन का पता नहीं रहता। (लूक.6,41) दूसरे शब्दों में, दूसरों की गलतियों पर बहुत अधिक ध्यान देते हैं, चाहे वह तिनके के समान ही क्यों न हों, और अपनी गलती को नजरअंदाज करते, उसे कम समझते हैं। येसु सच कहते हैं, "हम हमेशा दूसरों को दोष देने का कारण ढूँढ़ते हैं और अपने को न्यायसंगत ठहराते हैं। हम बहुत बार समाज में, कलीसिया में और विश्व में गलत चीजों की शिकायत करते हैं, अपने आपसे पूछे बिना और अपने आपमें परिवर्तन लाने की कोशिश किये बिना। हर फलप्रद, सकारात्मक परिवर्तन को अपने आपसे शुरू होना है अन्यथा कोई परिवर्तन नहीं होगा।" येसु कहते हैं कि ऐसा करते हुए हम अंधे के समान हैं। और यदि हम अंधे हैं तब हम दूसरों को मार्गदर्शन और शिक्षा नहीं दे सकते। निश्चय ही एक अंधा दूसरे अंधे को रास्ता नहीं दिखा सकता।      

"प्यारे भाइयो एवं बहनो, प्रभु हमें अपनी नजरों को साफ करने हेतु निमंत्रण देते हैं। अपनी नजर को साफ करने के लिए, सबसे पहले वे हमें अपने आपको देखने के लिए कहते हैं ताकि हम अपनी कमजोरियों को देख सकें। क्योंकि यदि हम अपनी कमजोरियों को नहीं देख पायेंगे तो हम दूसरों की ही गलती देखेंगे। दूसरी ओर, यदि हम अपने आपको देखेंगे अपनी कमजोरियों पर गौर करेंगे, तब करुणा का द्वार हमारे लिये खुला होगा। अपने आपको देखने के बाद ही दूसरों को देखना चाहिए। येसु हमें अपने समान देखने के लिए निमंत्रित करते हैं जो गलतियों को ही नहीं बल्कि अच्छाई को भी देखते हैं। येसु हममें सुधार नहीं होने योग्य गलती नहीं देखते बल्कि हमें उन बच्चों के समान देखते हैं जो गलतियाँ करते हैं। इस तरह दृष्टिकोण में परिवर्तन हो जाता है। गलतियों पर ध्यान केंद्रित नहीं होता बल्कि गलती करनेवाले बच्चों पर ध्यान होता। ईश्वर हमेशा व्यक्ति को उसकी गलती से अलग करते हैं। वे हमेशा व्यक्ति को बचाते हैं। हमेशा व्यक्ति पर विश्वास करते एवं उनकी गलतियों को क्षमा देने के लिए तैयार रहते हैं। हम जानते हैं कि ईश्वर हमेशा क्षमा करते हैं। वे हमें भी ऐसा ही करने का निमंत्रण देते हैं : दूसरों में गलती नहीं ढूँढ़ना बल्कि अच्छाई खोजना।

हमारी बातचीत

देखने के बाद आज येसु हमें हमारी बातचीत पर चिंतन करने के लिए प्रेरित करते हैं। प्रभु कहते हैं कि मूँह वही व्यक्त करता है जो हमारे हृदय में होता। (45) यह सच है कि व्यक्ति जैसा बोलता है उसे हम तुरन्त महसूस करते हैं कि उसके हृदय में क्या है। हम जो बोलते हैं वह बतलाता है कि हम कौन हैं। फिर भी, कभी कभी हम अपनी बातों पर कम ध्यान देते और उन्हें सतही तौर पर प्रयोग करते हैं।

किन्तु संत पापा ने कहा, "शब्दों में शक्ति होती है: वे हमें अपने विचारों एवं भावनाओं को व्यक्त करने में मदद देते हैं, हम अपने डर एवं अपनी योजनाओं को प्रकट करते हैं ईश्वर की स्तुति करते एवं दूसरों की सराहना करते हैं। दुर्भाग्य से, हम अपनी जीभ से पूर्वाग्रह को बढ़ाते, दीवार खड़े करते, हमला करते और नष्ट भी कर सकते हैं। जीभ के द्वारा हम अपने भाई को समाप्त कर सकते हैं : उपहास दुःख देता है और झूठी निंदा चाकू से भी तेज होता है। आज कल, खासकर, डिजिटल दुनिया में, शब्द बहुत तेजी से चलते हैं किन्तु कई शब्द गुस्सा एवं क्रोध बढ़ाते हैं, गलत समाचारों को बढ़ावा देते और विकृत विचारों का प्रचार करने के लिए सामूहिक भय का लाभ उठाते हैं। एक राजनयिक जो संयुक्त राष्ट्र के महासचिव थे और जिन्हें नोवेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, कहा करते थे, "शब्द का दुरुपयोग करना इंसान का तिरस्कार करना है।"

अतः हम अपने आप से पूछें, हम किस तरह के शब्दों का प्रयोग करते हैं : शब्द जो ध्यान, सम्मान, समझदारी, सामीप्य, दयालुता व्यक्त करते या उनका उद्देश्य हमें दूसरों के सामने सुन्दर दिखाना होता है? क्या हम कोमलता से बोलते हैं या शिकायत, आलोचना और आक्रमकता भड़काकर, जहर फैलाते एवं दुनिया को दूषित करते हैं?

कुँवारी मरियम जिनकी दीनता को ईश्वर ने देखा, मौन की कुँवारी, हम उनसे प्रार्थना करें कि वे हमारी दृष्टि एवं बोली को शुद्ध करने में मदद दे। इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय से साथ देवदूत प्रार्थन का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

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27 February 2022, 16:29