परमधर्मपीठीय प्रेरितिक अदालत  द्वारा आयोजित आन्तरिक प्रेरितिक मंच के सदस्यों को सम्बोधन, 25.03.2022 परमधर्मपीठीय प्रेरितिक अदालत द्वारा आयोजित आन्तरिक प्रेरितिक मंच के सदस्यों को सम्बोधन, 25.03.2022 

"क्षमा करना एक मानव अधिकार है", सन्त पापा फ्राँसिस

परमधर्मपीठीय प्रेरितिक अदालत द्वारा आयोजित 32 वें आन्तरिक प्रेरितिक मंच के प्रतिभागियों को सम्बोधित कर शुक्रवार को सन्त पापा फ्राँसिस ने इस बात पर बल दिया कि क्षमादान एक मानवाधिकार है।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 25 मार्च 2022 (रेई, वाटिकन रेडियो): परमधर्मपीठीय प्रेरितिक अदालत द्वारा आयोजित 32 वें आन्तरिक प्रेरितिक मंच के प्रतिभागियों को सम्बोधित कर शुक्रवार को सन्त पापा फ्राँसिस ने इस बात पर बल दिया कि क्षमादान एक मानवाधिकार है।

सन्त पापा फ्राँसिस ने इस अवसर पर समस्त पुरोहितों तथा कलीसियाई धर्माधिकारियों से आग्रह किया कि वे चालीसाकाल के दौरान सन् 2019 में प्रकाशित नोटा सुल फोरो इन्तेरनो ए इनवियोलाबिलिता देल सिजिल्लो साक्रामेन्ताले दस्तावेज़ का पाठ कर इस पर चिन्तन करें, जो अत्यधिक सामयिक पहलुओं का स्पर्श करता, और सबसे बढ़कर यह पता लगाने में हमारी मदद करता है कि हमारे युग में भी, पापस्वीकार एवं पुनर्मिलन संस्कार कितना मूल्यवान और कितना आवश्यक है।

"क्षमा करना एक मानव अधिकार है"

सन्त पापा ने बताया कि हाल ही में उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा था कि "क्षमा करना एक मानव अधिकार है"। उन्होंने कहा कि वास्तव में, यह वही है जिसके लिए प्रत्येक मनुष्य का हृदय सर्वाधिक गहराई से तरसता है, क्योंकि, अन्ततः, क्षमा किए जाने का अर्थ है अपनी सीमाओं और अपने पापों के बावजूद, हम जो हैं, उससे प्रेम किया जाना।

सन्त पापा ने कहा कि क्षमा वह अधिकार है जिसे ईश्वर ने ख्रीस्त के पास्काई रहस्य में हमें प्रदान किया है। येसु ख्रीस्त ने पूरी तरह और अपरिवर्तनीय रूप से उस हर व्यक्ति को क्षमा का दान दिया है जो एक विनम्र और पश्चातापी हृदय के साथ उसका स्वागत करने को तैयार है।  

ख्रीस्तीय पुरोहितों से सन्त पापा ने कहा, "उदारतापूर्वक ईश्वर की क्षमा का वितरण कर, हम अपने पाप स्वीकार करनेवाले मनुष्यों और संसार की चंगाई में सहयोग करते हैं; आइए हम उस प्रेम और उस शांति की प्राप्ति में सहयोग करें जिसके लिए हर मानव हृदय इतनी तीव्रता से तरसता है; आइए हम दुनिया की आध्यात्मिक "पारिस्थितिकी" में योगदान दें।"

स्वागत, श्रवण, संगत

पुनर्मिलन संस्कार प्रदान करनेवाले पुरोहितों से सन्त पापा ने निवेदन किया कि वे अपने जीवन में तीन शब्दों का वरण करें, जो हैं: स्वागत, श्रवण और संगत। उन्होंने कहा कि पुनर्मिलन संस्कार प्रेरिताई के ये तीन आवश्यक आयाम हैं; प्रेम के ये तीन चेहरे हैं, जिसमें आनन्द समाहित रहा करता तथा जो हमेशा हमारे साथ रहा करता है।

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25 March 2022, 11:34