सिसली के पुरोहितों से पोप ˸ 'कड़वाहट को कोमलता से गले लगाएँ'
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 9 जून 2022 (रेई) ˸ उन्हें सम्बोधित कर संत पापा ने कहा, "युग परिवर्तन जिसमें हम जी रहे हैं साहसी चुनाव की मांग करता है... जो पवित्र आत्मा की प्रेरणा से आलोकित हो।"
यह बदलाव समाज में और खासकर भावनात्मक संबंधों में तनाव उत्पन्न कर रहा है, जिसको महामारी ने अधिक स्पष्ट किया है। इसे जिम्मेदारी की भावना के साथ जीना और जागरूकता के साथ स्वीकार करना है।
संत पापा ने कहा कि सिसली भी इस परिवर्तन से बाहर नहीं है जैसा कि अतीत में हो चुका है, यह ऐसिहासिक रास्तों के केंद्र में है जिसको महाद्वीप के लोगों ने बनाया है। इसने हर प्रकार के लोगों का स्वागत किया है और इसके निर्माण में उन्हें एकीकृत करते हुए अपनी संस्कृति का गठन किया है।
लोगों की हर लहर ने स्थानीय संस्कृति पर अपनी छाप छोड़ी है
संत पापा ने कहा किन्तु इसका अर्थ नहीं है कि यह एक खुशहाल द्वीप है क्योंकि संकीर्णता की स्थित जो लोगों के अंदर है, सिसली समाज को गहराई से प्रभावित करती है। यही कारण है कि सिसली में सदगुणों के साथ-साथ क्रूरता भी दिखाई देती है।
संत पापा ने खेद प्रकट करते हुए कहा कि बहुत सारे बच्चे स्कूल छोड़ते हैं और बेरोजगारी के कारण अपराध की ओर बढ़ते हैं। जो 50 फीसदी के करीब है।
उन्होंने कहा, "सिसली में मौजूदा स्थिति वर्षों से कहीं अधिक गिरावट में है, इसका एक संकेत कम जन्म दर है और युवाओं के बड़े पैमाने पर पलायन के कारण द्वीप का निर्वासन है" जो कहीं और काम खोजने के लिए निकल जाते हैं।
पुरोहित एक साहसी नैतिक मार्गदर्शक के रूप में
इस कठिन परिस्थिति के जवाब में, संत पापा फ्राँसिस ने सिसली के पुरोहितों और धर्माध्यक्षों से आग्रह किया कि वे एक युगांतरकारी परिवर्तन के बीच में ख्रीस्त के सुसमाचार की घोषणा करने के लिए खुद को "पूरी तरह से और विशेष रूप से" समर्पित करें।
उन्होंने धन्य पिनो पुलिएसी और धन्य रोसारियो लिवाटिनो के वीर उदाहरणों के साथ-साथ कलीसिया के अन्य सेवकों की ओर इशारा किया, जिन्होंने माफिया के खिलाफ लोगों का साथ दिया और सिसली के लिए ख्रीस्त का प्रेम प्रकट किया।
उन्होंने कहा, "यही कारण है कि सिसली के लोग पुरोहितों को एक आध्यात्मिक एवं नैतिक मार्गदर्शक के रूप में देखते हैं, उन लोगों के रूप में जो उन्हें नागरिक और सामाजिक जीवन में विकास करने हेतु मदद कर सकते हैं, परिवारों को समर्थन दे सकते हैं एवं युवाओं के लिए आदर्श बन सकते हैं। सिसली के लोगों को पुरोहितों से बड़ी अपेक्षा है।"
निराश लोगों को स्वीकार करना
संत पापा ने सिसली के पुरोहितों को प्रोत्साहन दिया कि वे द्वीप में अपनी प्रेरिताई की चुनौतियों को स्वीकार करें।
"सिसली के लोगों में कड़वाहट और निराशा की भावनाएँ व्याप्त हैं क्योंकि दूरी उन्हें इटली और यूरोप के समृद्ध एवं अधिक विकसित हिस्सों से अलग करती है। बहुत से लोग, विशेष रूप से युवा, जीवन के अधिक समृद्ध और अधिक आरामदायक मानकों को खोजने के लिए बाहर जाने की उम्मीद करते हैं, जबकि जो लोग नहीं जाते वे निराशा की भावना रखते हैं। अतः हम चरवाहे इन लोगों के जीवन को पूरी तरह स्वीकार करने के लिए बुलाये गये हैं।"
संत पापा फ्राँसिस ने प्राचीन इज़राइल के नबियों का उदाहरण दिया, जिन्होंने अपने समकालीन लोगों से साहसपूर्वक बातें कीं, और पुरोहितों से "न्याय, मेल-मिलाप, ईमानदारी और क्षमा" पूर्वक बोलने का आग्रह किया।
संत पापा ने कहा, "निकटता, करुणा और कोमलता - ये लक्षण ईश्वर और पुरोहित की शैली को दर्शाते हैं।"
अंत में, संत पापा फ्राँसिस ने सिसलीवासियों की माता मरियम के प्रति भक्ति की प्रशंसा की और दो मूल्यों की ओर इशारा किया जिन्हें पुरोहितों और धर्माध्यक्षों को अपनाना चाहिए।
पहला है, सिसली की कलीसिया में एकता, जो ऐसे पुरोहितों को इस तरह विकसित करना चाहता है कि वे विनम्रता एवं ईमानदारी से सुनें।
दूसरा है, माता मरियम पर भरोसा, जिसको रोजरी विन्ती और हृदय से निकलने वाली प्रार्थनाओं द्वारा की जा सकती है। संत पापा ने कहा कि पुरोहितों और माता मरियम को हरेक दिन वार्तालाप करना चाहिए जो सांत्वना प्रदान करता एवं हर घाव को मरहम लगाता।
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