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संत पापा, कनाडा के केबेक में मूलवासियों के प्रतिनिधियों संग संत पापा, कनाडा के केबेक में मूलवासियों के प्रतिनिधियों संग  

संत पापाः मूलवासियों का जीवन हृदयस्पर्शी

संत पापा फ्रांसिस ने कनाडा की अपनी प्रेरितिक यात्रा के छटवें दिन मूलवासियों के प्रतिनिधियों से केबेक के धर्माध्यक्षीय आवास में मुलाकात की।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

कनाडा, शुक्रवार, 29 जुलाई 2022(रेई) संत पापा ने फ्रांसिस ने कनाडा के मूलवासी प्रतिनिधियों से मुलाकात करते हुए अपनी प्रेरितिक यात्रा के सार “एक साथ चलने” की हृदयस्पर्शी मनोभावनाओं को व्यक्त किया।

उन्होंने कहा, “मैं एक मित्र की भांति कनाडा, आपसे मिलने आप को देखने, सुनने और आपके जनजीवन से सीखते हुए आपकी प्रशंसा करने हेतु आया कि कैसे मूलवासियों के समुदाय इस देश में निवास करते हैं”। मैं एक भाई की भांति व्यक्तिगत रुप में, सदियों पहले स्थानीय काथलिक परिवारों के द्वारा उत्पन्न किये गये अच्छे और बुरे फलों का अवलोकन करने आया। संत पापा ने कहा कि मैं आपके प्रति किये गये उन गलतियों के लिए, पश्चताप के मनोभावना लिये, खेद और दुःख के भाव प्रकट करने आया जिसे न केवल कुछ काथलिकों ने आपके संबंध में दमनकारी और अन्यायपूर्ण नीतियों का समर्थन करते हुए आप को दुःख पहुँचाया। अपनी शारीरिक अयोग्यताओं के बावजूद, मैं एक तीर्थयात्री की भांति आपके संग और आपके लिए कुछ कदम लेने हेतु आया। “मैंने ऐसा किया जिससे सच्चाई छानबीन की प्रक्रिया आगे बढ़े और इसके द्वारा चंगाई और मेल-मिलाप स्थापित की सके जो आने वाली पीढ़ियों में आशा के बीज बोयेगा। हम मूलवासियों  और अन्य दूसरों के साथ एकता में, भाई-बहनों की तरह रहने की चाह रखते हैं“।

हृदयस्पर्शी अनुभव

संत पापा ने कहा कि अब जब मैं अपनी इस गहन तीर्थयात्रा के अंतिम पड़ाव पर हूँ, मैं आप से यह कहना चाहता हूँ कि मैं अपनी इन चाहतों के साथ आया और अब मैं एक बृहृद अनुभूति के साथ घर लौट रहा हूँ। “मैं अपने हृदय में अतुलनीय निधि को वहन करता हूँ जो व्यक्तिगत और सामुदायिक रुप में मुझे स्पर्श किया है“। आप के चेहरे, मुस्कान और आप के संदेश मेरे साथ हैं, प्रकृति सुन्दरता की अविस्मरणीय कहानियाँ, संगीत, रंग और आपके मनोभावों ने गहरे रुप में मेरा स्पर्श किया है। मैं सचमुच में कह सकता हूँ आप के बीच आना, आपके जीवन और अनुभवों से रूबरू होना, मूलवासियों की जमींनी हकीकतों ने मुझे प्रभावित किया है, जिन्हें मैं अपने में संजोकर रखता हूँ, सदैव मेरे जीवन के अंग रहेंगे। उन्होंने कहा कि यदि आप मुझे इसकी अनुमति दें, तो मैं यह कहने का साहस करूंगा कि मैंने अपने को आपके परिवार का एक अंग स्वरुप पाया, और इसके लिए मैं अपने में सम्मानित अनुभव करता हूँ। संत अन्ना के त्योहार को विभिन्न पीढ़ियों और मूलवासी परिवारों के संग मनाना मेरे हृदय में एक गहरे छाप की तरह अंकित रहेगा। दुनिया जिसे हम दुर्भाग्यवश व्यक्तिवाद से ग्रस्ति पाते, वहीं परिवार और समुदाय के रुप में आपकी  विशुद्धता अपने में मूल्यवान है। युवाओं और बुजुर्गों के संग संबंध स्थापित करना और इसे पूरी सष्टि के संग स्वास्थ्य और एकतात्मक तरीक से बनाये रखना अपने में कितना महत्वपूर्ण है।

तीन नारियाँ

संत पापा ने कहा कि इन दिनों के सारे अनुभवों को और आने वाले दिनों की सारी बातों को मैं आप सभों के हाथों में सुपुर्द करना चाहूँगा जिन्हें आप समझते और जीवन के महत्वपूर्ण चीजों की भांति देख-रेख करते हुए सुरक्षित रखते हैं। मैं विशेष कर तीन नारियों के बारे में सोचता हूँ। पहला संत अन्ना जिनका अदार करते हुए मैंने उनकी कोमलता और सुरक्षा का अनुभव करता हूँ जिनका सम्मान सभी दादी के रुप में करते हैं। दूसरा मैं ईश्वर की माता के बारे में सोचता हूँ, मरियम के सिवाय और कोई भी व्यक्तित्व तीर्थयात्री के रुप में महान नहीं कहा जा सकता है क्योंकि वह सैदव, यहाँ तक की आज भी, अभी भी, एक तीर्थ के रुप में स्वर्ग और पृथ्वी के मध्य हमारे साथ चलती हैं, जिससे वे हमें ईश्वरीय करूणा को दिखलाते हुए हमारे हाथों को पकड़ कर अपने बेटे के पास चलें। अंततः मेरे विचारों और प्रार्थना में इन दिनों एक तीसरी नारी जो हमारे साथ रही जिसकी अस्थियाँ हम से दूर नहीं रखी गई है। मैं संत कातेरी तेकाकविता के बारे में सोचता हूँ। मैं उनके पवित्र जीवन के लिए उनका आधर करता हूँ। हम उनकी पवित्रता को उनकी प्रार्थना और कार्य में व्यक्त पाते हैं जिसके फलस्वरुप उन्होंने अपने जीवन की मुसीबतों को धैर्य और नम्रता में सहन किया, उनके इन नेक गुणों को हम उनके समुदाय और मूलवासियों की परिस्थिति के कारण उनमें उतरता पाते हैं जहाँ उनका लालन-पालन हुआ।

संत पापा ने कहा कि ये नारियाँ हमें एक साथ आने में मदद कर सकती हैं जिसके द्वारा हम एक नये मेल-मिलाप के बुनकर हो सकते हैं जिसके फलस्वरुप हम अपने बीच रहने वाले अतिसंवेदनशीलों के अधिकारों की रक्षा करते हुए इतिहास को क्रोध या भूलने की दृष्टि से नहीं देखते हैं। मरियम और संत कातेरी दोनों के लिए ईश्वर की एक योजना थी। ये दो नारियाँ उस योजना का विरोध करने वाले किसी भी व्यक्ति के प्रति उग्र प्रतिक्रिया दे सकती थीं, या उस समय के पितृसत्तात्मक नियमों के प्रति समर्पण दिखलाते हुए संघर्ष किए बिना उन सपनों को छोड़ सकती थीं, जिन्हें स्वयं ईश्वर ने उनमें प्रेरित किया था। उन्होंने ऐसा नहीं किया लेकिन नम्रता और दृढ़ता में, प्रेरितिक वचन और निर्णयात्मक कार्यों के द्वारा उन्होंने कठिनाइयों का सामना करते हुए उन बातों को पूरा किया जिसके लिए उनका बुलावा हुआ था। वे हमारी यात्रा को आशीष दें, हमारे लिए तथा चंगाई और मेल-मिलाप हेतु निवेदन करें जो ईश्वर को प्रिय हैं।

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29 July 2022, 17:27