करिश्मा की रक्षा और प्रचार को बढ़ावा देने के लिए ओपुस देई पर मोतु प्रोपियो
माग्रेट सनीता मिंज-वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, शनिवार 23 जुलाई 2022 (वाटिकन न्यूज) : संत पापा फ्राँसिस ने 4 अगस्त से जारी दस्तावेज "अद करिश्मा तुएन्दुम" में धर्माध्यक्षों के विभाग से ओपुस देई की शक्तियों के हस्तांतरण का आदेश दिया और यह स्थापित किया कि याजक अब ओपुसस देई के सर्वोच अधिकारी बनेंगे। मोनसिग्नोर फर्नांडो ओकारिज़ का कहना है कि संत पापा के अनुसार नया याजक एक मार्गदर्शक हो, सबसे ऊपर एक पिता बने।
प्रेरितिक संविधान ‘उत्त सिट’ के अनुसार संत पापा जॉन पॉल द्वितीय ने ओपुस देई को एक व्यक्तिगत धर्माध्यक्ष के अधीन में खड़ा किया, चालीस साल बाद संत पापा फ्राँसिस ने "करिश्मे की रक्षा" के उद्देश्य से, ‘प्रेदिकाते एवांजेलुम’ के आधार पर इसकी कुछ संरचनाओं को संशोधित किया। कार्य और परिवार और सामाजिक प्रतिबद्धताओं के पवित्रीकरण के माध्यम से, "दुनिया में पवित्रता के आह्वान को फैलाकर" दुनिया में इसके सदस्यों द्वारा किए जाने वाले सुसमाचार प्रचार कार्य को बढ़ावा देना।
मोतु प्रोप्रियो ‘अद करिश्मा तुएन्दुम’, नया अभिविन्यास स्थापित करता है जो यूट सिट के कुछ लेखों का संशोधन करता है, जिसे हाल ही में प्रेरितिक संविधान द्वारा स्थापित किया गया है।
पदानुक्रमित अधिकार के बजाय करिश्मा
सबसे पहले, ‘प्रेदिकाते एवांजेलुम’ के अनुच्छेद 117 के आधार पर, ओपुस देई अब धर्माध्यक्षों के लिए नहीं होगा यह पुरोहितों के लिए होगा। यह वाटिकन धर्माध्यक्षों के विभाग के अधीन नहीं बल्कि पुरोहित इसका उच्च अधिकारी होगा। उच्च अधिकारी ओपुस देई का एक वार्षिक प्राधिकरण प्रस्तुत करेगा। मोटू प्रोप्रियो अनुच्छेद 4 में कहा गया है, "आत्मा के विशेष उपहार की सुरक्षा के लिए पदानुक्रमित अधिकार की तुलना में करिश्मे पर अधिक आधारित महासमति की आवश्यकता है।" अतः ओपुस देई का उच्च अधिकारी रेवरेंड मोनसिन्योर से जाने जायेंगे।
संस्थापक के साथ
संत पापा जॉन पॉल द्वितीय के विवरण के अनुसार, "बहुत बड़ी आशा" को याद करते हुए, कलीसिया ने "ओपुस देई की ओर अपनी मातृ देखभाल और ध्यान" का निर्देश दिया था, उस अवसर पर संत पापा जॉन पॉल द्वितीय के विवरण के अनुसार, "इसका उद्देश्य कलीसिया के प्रामाणिक रूप से करिश्माई क्षेत्र में ओपस देई के प्रीलेचर की पुष्टि करना है। वर्तमान मोतु प्रोप्रियो के अनुसार इस संगठन के संस्थापक, संत जोसेमारिया एस्क्रिवा डी बालगुएर की गवाही को ध्यान में रखते हुए और व्यक्तिगत प्रीलेचर के संबंध में सुलझे हुए कलीसियाई शिक्षाओं को निर्दिष्ट करना है। ये प्रावधान अगले 4 अगस्त से प्रभावी होंगे।
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