विश्व और पारंपरिक धर्मों के नेताओं की 7वीं कांग्रेस की एक झलक
माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन न्यूज
नूर-सुल्तान, मंगलवार, 13 सितम्बर 2022 (वाटिकन न्यूज) : संत पापा फ्राँसिस 14-15 सितंबर को कजाकिस्तान की राजधानी नूर-सुल्तान में आयोजित होने वाले विश्व और पारंपरिक धर्मों के नेताओं की 7वीं कांग्रेस के लिए आज मंगलवार को कजाकिस्तान की यात्रा पर हैं। इस कार्यक्रम में दुनिया भर के धार्मिक नेताओं की ओर से विश्व शांति और ठोस प्रतिबद्धताओं को बढ़ावा देने के लिए चर्चा होगी, जिसमें अल अजहर के ग्रैंड इमाम, अहमद अल तैयब और रूसी ऑर्थोडोक्स कलीसिया के प्रतिनिधि शामिल हैं।
कांग्रेस का इतिहास
संयुक्त राज्य अमेरिका पर 11 सितंबर 2001 के दुखद हमलों के मद्देनजर और 2002 में संत पापा जॉन पॉल द्वितीय की ‘असीसी की भावना' नामक दूसरी बैठक के बाद विश्व और पारंपरिक धर्मों के नेताओं की कांग्रेस 2003 में अस्तित्व में आई। विश्व और पारंपरिक धर्मों के नेताओं की कांग्रेस की शुरुआत कजाकिस्तान गणराज्य के राष्ट्रपति नूरसुल्तान नज़रबायेव ने की थी। तब से कांग्रेस तीन साल में एक बार नूर-सुल्तान, कजाकिस्तान में आयोजित की जाती है ।
विश्व और पारंपरिक धर्मों के नेताओं की पहली कांग्रेस
23 और 24 सितंबर, 2003 को, नूर-सुल्तान ने विश्व और पारंपरिक धर्मों के नेताओं की पहली कांग्रेस की मेजबानी की। कांग्रेस में 23 देशों के 17 प्रतिनिधिमंडलों ने भाग लिया। मंच मुख्य रूप से आतंकवाद और उग्रवाद के मुद्दों का मुकाबला करने पर केंद्रित था।
वाटिकन न्यूज के साथ एक साक्षात्कार में, कजाकिस्तान के विदेश मामलों के मंत्रालय के बहुपक्षीय सहयोग विभाग के निदेशक, दीदार टेमेनोव, इस घटना के महत्व की एक झलक पेश की, जो इस वर्ष कोविद महामारी के बाद की दुनिया में धार्मिक नेताओं की भूमिका पर केंद्रित है।
कांग्रेस का मिशन
निदेशक दीदार ने कहा, "कांग्रेस का मिशन दुनिया भर में अंतर-धार्मिक और अंतर-जातीय सद्भाव को और मजबूत करना है, खासकर इन चुनौतीपूर्ण समय में।"
"दुनिया इस समय महान परीक्षणों से गुजर रही है और इस समय धार्मिक नेताओं के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि वे हमारे कठिन समय में राष्ट्रों के बीच, धर्मों के बीच संवाद को बढ़ावा देने में अपना महान योगदान दें।"
श्री टेमेनोव ने प्रकाश डाला कि धर्म लाखों करोड़ों लोगों के जीवन में एक बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है," हालांकि कभी-कभी "राजनीतिक असहमति में धार्मिक तत्व शामिल होते हैं।"
वे कहते हैं, "दुनिया में संघर्षों को हल करने में मदद करने के लिए धार्मिक नेताओं का बहुत प्रभाव और अधिकार है, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात विभिन्न धर्मों के साथ-साथ देशों के बीच संवाद को बढ़ावा देना है और इस संबंध में, इस कांग्रेस की भूमिका का उद्देश्य दुनिया भर में अंतर-धार्मिक, अंतर-जातीय सद्भाव को मजबूत करना है।"
श्री टेमेनोव ने आशा व्यक्त की कि कांग्रेस "दुनिया को अधिक समझ और संवाद के करीब आने में मदद करेगी।"
"हम मानते हैं कि लोगों, समुदायों और राष्ट्रों को विभाजित करने के लिए धर्म का इस्तेमाल होने से रोकने के लिए धार्मिक नेताओं के लिए एक साथ काम करने का अवसर पैदा करना एक महत्वपूर्ण क्षण था।"
श्री टेमेनोव कहते हैं कि दुनिया के धार्मिक और पारंपरिक धर्मों की छह कांग्रेस आयोजित की गई हैं और उनका देश 7वीं कांग्रेस की मेजबानी करने के लिए उत्सुक है। 'यह पिछली कांग्रेसों की तुलना में सबसे बड़ी कांग्रेसों में से एक होगी।'
श्री टेमेनोव कहते हैं, कि न केवल इस वर्ष की कांग्रेस में 50 देशों के लगभग 100 प्रतिभागियों का स्वागत करने की उम्मीद है, बल्कि यह प्रतिभागियों की संख्या के साथ-साथ अपने विशिष्ट प्रतिनिधिमंडलों की गुणवत्ता में भी सबसे बड़ी संख्या को चिह्नित करेगा। बेशक, इसमें संत पापा फ्रांसिस भी शामिल हैं, जिनकी मेजबानी के लिए हम बहुत उत्सुक हैं।
कांग्रेस में कई धर्मों का प्रतिनिधित्व किया जाएगा, अन्य प्रतिभागियों में अल अजहर के ग्रैंड इमाम, अहमद अल तैयब; मास्को ऑर्थोडोक्स धर्मप्रांत के बाहरी संबंधों के विभाग के प्रमुख एवं वोल्कोलामस्क के प्राधिधर्माध्यक्ष अंतोनी; इज़राइल के अशकेनाज़ी प्रमुख रब्बी डेविड लाउ; इज़राइल के सेफ़र्डिक चीफ रब्बी यित्ज़ाक योसेफ और येरूसालेम के प्राधिधर्माध्यक्ष थियोफिलोस तृतीय, साथ ही हिंदू धर्म, शिंटोवाद, बौद्ध धर्म, पारसी धर्म और अन्य धर्मों के प्रतिनिधिमंडल भी कांग्रेस में उपस्थित होंगे।
तीव्र प्रश्नों के समाधान में धर्म की भूमिका
श्री टेमेनोव कहते हैं कि कांग्रेस ऐसी दुनिया में शांति का एक अनूठा संदेश देना चाहती है जहां धार्मिक कट्टरवाद बढ़ रहा है। उन्होंने नोट किया कि हाल के वर्षों में दुनिया ने "संघर्ष, महामारी और प्राकृतिक आपदाओं सहित कई संकटों का अनुभव किया है।"
"हम मानते हैं कि इस बहुत कठिन समय के दौरान, धर्म समाज के लिए एक आधारशिला होना चाहिए और यह हमारी मदद कर सकता है। यह हमें कठिन समय में मार्गदर्शन करने में मदद कर सकता है।"
इसलिए, "यह बहुत महत्वपूर्ण है कि धार्मिक नेता आध्यात्मिक और सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, लेकिन उन सवालों को भी संबोधित करते हैं जो इस समय बहुत गंभीर हैं।"
सामूहिक संकल्प के लिए प्रतिबद्धता
श्री टेमेनोव का कहना है कि कजाकिस्तान पूरे ग्रह के लोगों के लिए शांतिपूर्ण और सभ्य जीवन को बढ़ावा देने की उम्मीद कर रहा है।
"हम मानते हैं कि कांग्रेस शांति और स्थिरता के नाम पर वैश्विक अंतरधार्मिक संवाद के विकास में योगदान देगी और अंतरराष्ट्रीय विवादों के सामूहिक समाधान के लिए इस प्रतिबद्धता के माध्यम से, कांग्रेस पूर्वी और पश्चिमी सभ्यताओं के बीच आपसी समझ के विकास में योगदान देगी।"
कांग्रेस से प्रतिभागियों द्वारा हस्ताक्षरित एक अंतिम दस्तावेज तैयार करने की उम्मीद है।
"हम कांग्रेस की घोषणा को अपनाने की योजना बना रहे हैं, और हम आशा करते हैं कि नेता दुनिया के लोगों को जो महत्वपूर्ण संदेश भेजना चाहते हैं, वे सभी शामिल होंगे।"
उन्होंने नोट किया कि वर्तमान में घोषणा का पाठ प्रतिनिधिमंडलों द्वारा विचार के अंतिम चरण में है।
15 सितम्बर को नूर सुल्तान के "स्वतंत्रता भवन" में "विश्व और पारंपरिक धर्मों के नेताओं की सातवीं कांग्रेस" का घोषणा पत्र पढ़ा जायेगा और संत पापा फ्राँसिस कांग्रेस के लिए समापन भाषण देंगे।
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