कजाकिस्तान में तीन दिवसीय यात्रा समाप्त कर पोप ने विदा ली
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
प्रेरितिक यात्रा के अंतिम दिन 15 सितम्बर को रोम वापस लौटने से पहले संत पापा फ्राँसिस ने कजाकिस्तान में ईश्वर की माता सदा सहायिका महागिरजाघर में धर्माध्यक्षों, पुरोहितों उपयाजकों, धर्मसमाजियों, सेमिनरी छात्रों एवं प्रचारकों से मुलाकात की; साथ ही, विश्व और पारंपरिक धर्मों के नेताओं के सातवें कांग्रेस की अंतिम घोषणा कार्यक्रम में भाग लिया।
संत पापा फ्राँसिस अपनी 38वीं प्रेरितिक यात्रा हेतु 13 सितम्बर को कजाकिस्तान पहुँचे थे। जहाँ उनका मुख्य कार्यक्रम था विश्व और पारंपरिक धर्मों के नेताओं के सातवें कांग्रेस में भाग लेना। इस कार्यक्रम के साथ-साथ उन्होंने कजाकिस्तान के सरकारी अधिकारियों और कलीसिया के सदस्यों से भी मुलाकातें कीं। उन्होंने वहाँ के छोटे किन्तु सक्रिय ख्रीस्तीय समुदाय के साथ एक्सपो ग्राऊंड में पवित्र विजय महापर्व के दिन ख्रीस्तयाग अर्पित किया। ख्रीस्तयाग में न केवल कजाकिस्तान के ख्रीस्तीयों ने भाग लिया बल्कि रूस और केरगेजस्तान जैसे पड़ोसी देशों के तीर्थयात्री भी शामिल हुए।
सद्भाव एवं भाईचारा के निर्माण में धर्मों की भूमिका
"विश्व शांति की प्यास", और लोगों के बीच सद्भाव एवं भाईचारे के निर्माण में धर्मों की महत्वपूर्ण भूमिका, नूर-सुल्तान में पोप फ्राँसिस के पहले दो सार्वजनिक भाषणों का केंद्रबिन्दु रहा है जिसमें उन्होंने विभिन्न धर्मों, संस्कृतियों और राष्ट्रीयताओं के लोगों के बीच शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के उदाहरण के रूप में कजाकिस्तान की सराहना की। एक्सपो ग्राऊंड में अपने ख्रीस्तयाग के दौरान उपदेश में संत पापा ने इस बात को रेखांकित किया कि शांति एक ही बार सभी के लिए प्राप्त नहीं की जा सकती, अतः उन्होंने जोर दिया कि इसे प्राप्त करने के लिए सभी को अपनी ओर से भाईचारा, संवाद और समझदारी में बढ़ने की प्रतिबद्धता को जारी रखना चाहिए। यूक्रेन एवं अन्य देशों में जारी युद्ध को ध्यान में रखते हुए संत पापा ने प्रार्थना की कि हम युद्ध के आदी न बनें अथवा इसकी कथित अनिवार्यता के सामने हार न मानें।
कजाकिस्तान का काथलिक समुदाय
बृहस्पतिवार को संत पापा फ्राँसिस ने कजाकिस्तान की स्थानीय काथलिक कलीसिया के प्रतिनिधियों से मुलाकात की। कजाकिस्तान का छोटा काथलिक समुदाय जो पूरे देश की कुल आबादी का 1 प्रतिशत है विभिन्न जातीय समुदायों से बना है। सोवियत शासन के समय वहाँ यूक्रेन, बेलारूस और बुलगारिया से लोग आकर बस गये थे, जिनमें से कुछ ख्रीस्तीय आजादी के बाद वापस अपने देश लौट गये।
नूर सुल्तान स्थित असताना के अति निष्कलंक मरिया महाधर्मप्रांत में काथलिक विश्वासी 4 धर्मप्रांतों में बंटे हैं। पूरे महाधर्मप्रांत में कुल 70 पल्लियाँ हैं जहाँ करीब सौ पुरोहित, ख्रीस्तीय समुदाय की प्रेरितिक देखभाल करते हैं।
ख्रीस्त की आशा का साक्ष्य दें
नूर सुलतान में संत पापा ने ईश माता सदा सहायिका महागिरजाघर में, असताना के अति निष्कलंक माता मरियम महाधर्मप्रांत के धर्माध्यक्षों, पुरोहितों, उपयाजकों, धर्मसमाजियों एवं प्रचारकों को सम्बोधत किया। उन्होंने उन्हें प्रोत्साहन दिया कि वे कजाकिस्तान में कलीसिया की प्रेरिताई हेतु आनन्द के साथ अपने आध्यात्मिक विरासत को स्वीकार करें एवं ख्रीस्त की आशा की प्रतिज्ञा का साक्ष्य देने के लिए उदारतापूर्वक गवाही दें।
कजाकिस्तान की प्रेरितिक यात्रा में संत पापा फ्राँसिस का अंतिम कार्यक्रम था, विश्व और पारंपरिक धर्मों के नेताओं के सातवें कांग्रेस की अंतिम घोषणा, जो नूर सुल्तान के आजादी भवन में सम्पन्न हुआ। कांग्रेस में अपने समापन भाषण में, संत पापा फ्राँसिस ने सभी धर्मों और समाजों से विश्व शांति की खोज में महिलाओं और युवाओं को शामिल करने का आग्रह किया।
शांति और एकता के अग्रदूत बनकर एक साथ आगे बढ़ें
उन्होंने सभी नेताओं को भविष्य के लिए खुला होने किन्तु अतीत की पीड़ा को भी नहीं भूलने की सलाह दी, जिससे कि हम स्वर्ग के बच्चों के रूप में, आशा के बुनकर, एकता के कारीगर और शांति तथा एकता के अग्रदूत बनकर, इस पृथ्वी पर एक साथ आगे बढ़ सकें।
वाटिकन वापसी
इस तरह, 15 सितम्बर को शांति और आशा का संदेश देने के बाद, कजाकिस्तान में अपनी 38वीं प्रेरितिक यात्रा समाप्त कर, संत पापा फ्राँसिस नूर सुल्तान से विदा हुए। वे इता एयरवेस से 7.30 घंटे की यात्रा कर, शाम 8.30 बजे फ्यूमिचिनो हवाई अड्डा पहुँचेंगे। उसके बाद कार द्वारा वाटिकन लौटेंगे।
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