मॉस्को के साथ सम्वाद का रास्ता खुला रहेगा, सन्त पापा फ्राँसिस
जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 16 सितम्बर 2022 (रेई,एपी): सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा है कि हालांकि यह कठिन है तथापि मॉस्को के साथ सम्वाद का रास्ता सदैव खुला रहेगा। गुरुवार को कज़ाकिस्तान में अपनी तीन दिवसीय प्रेरितिक यात्रा कर रोम की वापसी यात्रा के अवसर पर सन्त पापा फ्राँसिस ने पत्रकारों के साथ कई वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की।
युद्ध, संघर्ष रोके जायें
यूक्रेन में जारी रूसी युद्ध पर बोलते हुए सन्त पापा ने यूक्रेन द्वारा उसकी सुरक्षा के अधिकार की पुनर्पुष्टि की तथा शांति की आवश्यकता पर बल दिया। कज़ाकिस्तान में अपनी तीन दिवसीय यात्रा के अन्तिम दिन सन्त पापा फ्राँसिस ने एक अन्तरधार्मिक सम्मेलन की अध्यक्षता की जिसके अन्त में जारी एक विज्ञप्ति में विश्व के समस्त राजनीतिक नेताओं का आह्वान किया कि वे "विश्व के सभी कोनों में" संघर्ष और रक्तपात को रोकने का हर सम्भव प्रयास करें।
अपने परमाध्यक्षीय काल के प्रारम्भ से ही सन्त पापा फ्रांसिस वार्ताओं की आवश्यकता पर बल देते रहे हैं, यहां तक कि विरोधियों और उन देशों के साथ भी उन्होंने वार्ताओं का आग्रह किया है जो काथलिक कलीसिया के प्रति शत्रुतापूर्ण व्यवहार रखते हैं।
गुरुवार को पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए भी सन्त पापा ने कहा कि हालांकि रूस के साथ बातचीत असम्भव प्रतीत हो रही थी तथापि इसका भरसक प्रयास करना हमारा कर्त्तव्य है। रूस, चीन और यहाँ तक कि निकारागुआ के साथ भी बातचीत का उन्होंने अनुरोध किया जहाँ की सरकार कुछ समय से काथलिक कलीसिया को उत्पीड़ित कर रही है। सन्त पापा ने कहा, "मैं किसी भी ऐसी शक्ति के साथ बातचीत से इनकार नहीं करता, जो युद्ध में संलग्न है, भले ही वह हमलावर ही क्यों न हो।" उन्होंने कहा, "हालांकि इसमें अड़चन प्रतीत होती है, तथापि, आपको यह करना होगा। हमेशा हाथ बढ़ाकर एक कदम आगे जाना होगा, क्योंकि यदि ऐसा नहीं होगा तो विकल्प शांति का एकमात्र द्वार बंद करना होगा।"
नहीं मिले प्राधिधर्माध्यक्ष किरिल
सन्त पापा फ्रांसिस को उम्मीद थी कि कज़ाकिस्तान के नूर-सुल्तान में उनकी यात्रा रूसी ऑरथोडोक्स कलीसिया के प्रमुख धर्माधिपति प्राधिधर्माध्यक्ष किरिल से मिलने का मौका देगी, जिन्होंने यूक्रेन में रूस के युद्ध को आध्यात्मिक और वैचारिक आधार पर उचित ठहराया है, किन्तु ऐसा नहीं हो पाया।
विगत माह प्राधिधर्माध्यक्ष किरिल ने अन्तरधार्मिक सम्मेलन में अपनी अनुपस्थिति की सूचना दे दी थी, किन्तु सम्मेलन में भाग लेनेवाले उनके दूत ने कहा कि काथलिक कलीसिया एवं रूसी ऑरथोडोक्स कलीसिया के दोनों विश्व धर्मगुरुओं के बीच बैठक संभव है, लेकिन इसे पहले से और अच्छी तरह से तैयार किया जाना चाहिये।
सन्त पापा ने इस बात की पुनरावृत्ति की कि मॉस्को के आक्रमण के खिलाफ ख़ुद को बचाने के लिए यूक्रेन द्वारा हथियार प्राप्त करना "नैतिक रूप से स्वीकार्य" था। उन्होंने कहा कि इस तरह का बचाव न केवल सही है बल्कि "अपने देश के प्रति प्रेम की अभिव्यक्ति भी है" तथापि, उन्होंने इस तथ्य को स्पष्ट किया कि बचाव का लक्ष्य सही होना चाहिये। उन्होंने कहा, "यह अनैतिक हो सकता है यदि यह अधिक युद्ध को भड़काने या हथियार बेचने या उन हथियारों से छुटकारा पाने के इरादे से किया जाता है जिनकी आपको अब आवश्यकता नहीं है।"
शांति का मूल्य
विश्व के विभिन्न भागों में जारी युद्धों पर सन्त पापा ने गहन चिन्ता व्यक्त की और याद किया कि 1945 में जब वे केवल नौ वर्ष के थे तब बोएनस आयरस में यह शब्द फैलते ही कि द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त हो गया था, उन्होंने शांति का मूल्य सीखा।
उन्होंने कहा, “आज भी, मैं अपनी माँ और पड़ोसियों को खुशी से रोते हुए देखता हूँ क्योंकि युद्ध समाप्त हो चुका था। हम बहुत दूर, एक दक्षिण अमेरिकी देश में थे और वे महिलाएं जानती थीं कि शांति सभी युद्धों से बड़ी है, और जब युद्ध की समाप्ति और मेल मिलाप की बात हुई तो वे आनन्द से रोने लगीं। मैं इस बात को कभी भूल नहीं सकता।”
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