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संत पापा फ्रांसिस ,अराबिया माता मरियम महागिरजाघर, एकतावर्धक सम्मेलन में संत पापा फ्रांसिस ,अराबिया माता मरियम महागिरजाघर, एकतावर्धक सम्मेलन में 

संत पापाः एकता और साक्ष्य दोनों महत्वपूर्ण

संत पापा फ्रांसिस ने बहरीन की अपनी प्रेरितिक यात्रा के दूसरे दिन अवाली में माता मरियम को समर्पित महागिरजाघर में आयोजित एकतावर्धक सम्मेलन और धार्मिक प्रार्थना सभा में भाग लिया।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शानिवार, 05 नवम्बर 2022 (रेई) संत पापा फ्रांसिस ने बहरीन की अपनी प्रेरितिक यात्रा के दूसरे दिन अवाली के अराबिया माता मरियम को समर्पित महागिरजाघर में एकतावर्धक सम्मेलन और धार्मिक प्रार्थना सभा में सहभागी होते हुए शांति के लिए प्रार्थना की।

संत पापा फ्रांसिस ने एकतावर्धक धार्मिक प्रार्थना सभा के लिए चुने गये पेंतेकोस्त की घटना का जिक्र करने वाले पाठ पर चिंतन करते हुए कहा कि यह हमारी एकता की यात्रा में दो बातें- अनेकता में एकता और जीवन का साक्ष्य पर चिंतन हेतु प्रेरित करता है।

एक साथ आना

उऩ्होंने अनेकता में एकता की चर्चा करते हुए कहा कि पेन्तेकोस्त के समय, जैसे कि प्रेरित चरित हमें बतलाता है “शिष्य एक जगह जमा हुए थे”, वहाँ हम बंद दरवाजों के बावजूद पवित्र आत्मा के कार्य को देखते हैं। यह हम ख्रीस्तियों के लिए एक साथ रहने का निमंत्रण है जिससे ईश्वर हमारे बीच अपने आश्चर्यजनक कार्य को पूरा कर सकें। बहरीन में हम ख्रीस्तियों का एक छोटा बिखरा हुआ समुदाय, एकता में रहने की आवश्यकता का अनुभव करता है जिससे हम अपने विश्वास को एक दूसरे के संग साझा कर सकें।

प्रशंसा की प्रार्थना

संत पापा ने कहा कि कैसे हम अपनी एकता को विकसित कर सकते हैंॽ हमारा मिलन स्थल, आध्यात्मिक अंतिम-व्यारी कहाँ हैॽ उन्होंने कहा, “यह ईश्वर की महिमा करने में है जिसे पवित्र आत्मा हमारे हृदय में प्रेरित करते हैं।” महिमामय प्रार्थना हमें अलग या अपनी जरुरत की चीजों में बंद नहीं करती है बल्कि हमारे हृदय को पिता की ओर उन्मुख करती और इस भांति हम अपने को भाई-बहनों से संयुक्त करते हैं। यह हमें स्वतंत्र और शर्तहीन तरीके से पवित्र आत्मा से मिलने वाली खुशी की ओऱ खींच लाती है, जो हमारे हृदयों को परिशुद्ध करते और हमें एकता औऱ शांति से भर देते हैं। यह हमारे लिए वह औषधि बनती है जो हमारी उदासी, आंतरिक अयोग्यता की शिकायतों और हमारे अल्पसंख्यक होने की भावना को हमसे दूर करती है। संत पापा ने कहा कि जो पिता की महिमा करते हैं वे अपने छोटे होने के कारण निराश नहीं होते बल्कि ईश्वरीय संतान होने की समृद्धि में आनंदित होते हैं। प्रशंसा की प्रार्थना हमें पवित्र आत्मा के सांत्वना से भर देती है जो हमारे अकेलेपन और अपने जमीर से दूर रहने वाली खटकती, एक बीमारी से हमें चंगाई प्रदान करती है। यह हमें ईश्वरीय निकटता का एहसास दिलाती है उस परिस्थिति में भी जब हम अपने लिए चरवाहों का अभाव पाते हैं जैसे कि बहुधा इन द्वीपों में होता है। हमारे व्यक्तिगत जीवन की मरूभूमि में ईश्वर हमारे लिए नये अज्ञात मार्गों को खोलना चाहते हैं जहाँ हमारे लिए जीवन का जल प्रवाहित होता है। हमारी प्रंशसा और आराधना की प्रार्थनाएं हमें वहाँ ले चलती हैं जहाँ पवित्र आत्मा का स्रोत है जहाँ हम एकता का अनुभव करते हैं।

ईश्वर की महिमा

संत पापा ने कहा कि ईश्वर की महिमा में बने रहना हमारे लिए अच्छा है क्योंकि इसके द्वारा हम और अधिक ख्रीस्तीय एकता का साक्ष्य प्रस्तुस करते हैं। उन्होंने कलीसियाई समुदायों को दूसरों के लिए भी प्रार्थना का स्थल बनने हेतु प्रोत्साहित किया क्योंकि महिमा गान हमें न केवल इस धरती पर वरन स्वर्ग में एक साथ संयुक्त करती है, जिसे बहुत से शहीदों ने अपने जीवन में गाया है। मध्यपूर्वी प्रांत और सारी दुनिया में हम उनकी संख्या को बहुतायत में पाते हैं। वे अब हमारे लिए तारों की भांति दिशा-निर्देशित करते हैं जिससे हम इतिहास रूपी मरूभूमि में अपनी यात्रा कर सकें। हमारा उद्देश्य भी वही है, हम भी ईश्वर के संग उसी मिलन हेतु बनाये गये हैं।

अनेकता में एकता

संत पापा ने यह कहते हुए विश्वासियों को याद दिलाया कि हम जो यात्रा कर रहते हैं वह अनेकता में एकता की यात्रा है। पेन्तेकोस्त की घटना हमें यह बतलाती है कि सभों ने शिष्यों को अपनी भाषा में बोलते सुना। पवित्र आत्मा हम सभी के लिए कोई नई भाषा की खोज नहीं करते बल्कि हमें दूसरों की भाषा बोलने में मदद करते हैं। वे हमें एकरूपता में कैदकर नहीं रखते हैं बल्कि एक-दूसरे की विविधता को स्वीकारने के योग्य बनाते हैं। यह तब होता है जब हम पवित्र आत्मा के द्वारा संचालित होते हैं। विश्वास के कारण हम भाई-बहनों को उस शरीर के रुप में स्वीकारते  हैं जिसका अंग हम स्वयं होते हैं। यह हमारे लिए पवित्र आत्मा की एकतावर्धक यात्रा है।

संत पापा ने कहा कि हम स्वयं से पूछें कि हम कैसे इस यात्रा में आगे बढ़ रहे हैं। क्या मैं पवित्र आत्मा के कार्यो हेतु खुला हूँॽ क्या मैं एकतावर्धक इस यात्रा को एक बोझ स्वरुप देखता हूँॽ क्या मैं इसे एक प्रेरिताई की तरह लेता हूँॽ मैं उनके लिए क्या करता हूँ जो ख्रीस्त में विश्वास करते हैं लेकिन “मेरे” अपने नहीं हैंॽ क्या मैं उन्हें जानता हूँ, उनकी चिंता करता हूँ उन्हें खोजता हूँॽ क्या मैं औपचारिकता में दूर खड़ा रहता हूँ या क्या मैं उनके इतिहास को समझते हुए उनकी प्रंशसा करता और उन्हें रोड़े की तरह नहीं देखता हूँॽ

जीवन का साक्ष्य

संत पापा ने “जीवन का साक्ष्य” के बारे में कहा कि पेंतेकोस्त के दिन शिष्य अपने में “खुले”, परिवर्तित हो गये और अंतिम व्यारी से बाहर निकले। उन्होंने अपने अद्वितीय कार्यों को येरुसलेम से करना शुरू किया जो उनके लिए एक गन्तव्य स्थल था। उन में घर किया भय अब उनके लिए एक यादगारी बन कर रह गई थी अतः वे चारों ओर निकल पड़े जिससे वे ख्रीस्त के प्रेम की सुन्दर को हर जगह प्रसारित कर सकें। संत पापा ने ख्रीस्तीय समुदाय को अपने कार्यो के माध्यम साक्ष्य देने का आह्वान करते हुए कहा, “विश्वास अपने में कोई लाभप्रद चीज नहीं जिसकी हम मांग करते हों बल्कि यह एक उपहार है जिसे बांटा जाना है।”

साक्ष्य का स्वरूप

संत पापा ने वहीं सभों को साक्ष्य देने के स्वरूपों पर चिंतन करने का आहृवान किया क्योंकि येसु के धन्यवचन अनुरूप जीवन जीने का उत्साह समय के साथ कम होता जाता है। उन्होंने कहा कि हम शांति के लिए मिलकर प्रार्थना कर रहे हैं हम अपने आप से पूछें क्या हम सचमुच शांति के व्यक्ति हैंॽ क्या हम येसु की दीनता को सभी जगह बिना किसी चीज की चाह किये प्रस्तुत करने की आशा करते हैंॽ क्या हम उसे अपने हृदय में धारण करते हुए अपने जीवन का अंग बनाते हैं, अपने संघर्ष, दुःख और कठिन परिस्थितियों में जिसे हम अपने रोज दिन के जीवन में अऩुभव करते हैंॽ

संत पापा ने कहा कि एकता और साक्ष्य दोनों महत्वपूर्ण हैं। यदि हम उनकी इच्छा के अनुरूप एकता में अपने जीवन को संचालित नहीं करते तो हम ईश्वरीय प्रेम का सच्चा साक्ष्य नहीं दे सकते हैं। हम अकेलेपन में, साक्ष्य हेतु खुला रहने के बिना, पवित्र आत्मा की योजनानुसार अपने दायरों को विस्तृत किये बिना जो सभी भाषाओं को आलिंगन करते और सभों के पास जाते हैं, एकता में नहीं हो सकते हैं। वे हमें एकता में बनाये रखते और अपनी प्रेरिताई हेतु भेजते हैं। उन्होंने कहा कि हम अपनी यात्रा को उन्हें सौंप दें और निवेदन करें कि वे हमें अपनी कृपा से भरे दें जो हमारे लिए नयी क्षितिज खोलेगा और तेजी से एकता और शांति की यात्रा को पूरा करने में मदद करेगा। 

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05 November 2022, 11:32