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संत पापा बहरीन के राजा संग संत पापा बहरीन के राजा संग 

संत पापाः मानवता में भ्रातृत्व का जल लायें

संत पापा फ्रांसिस ने बहरीन की अपनी प्रेरितिक यात्रा के प्रथम चरण में देश के सरकारी अधिकारियों, राजनायिकों, प्रतिष्ठित धर्म गुरूओं और नागर अधिकारियों से भेंट की।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, गुरूवार, 03 नवम्बर 2022 (रेई) संत पापा फ्रांसिस ने सखीर के राजदरबार में बहरीन के राजा, सरकारी अधिकारियों, राजनायिकों, प्रतिष्ठित धर्म गुरूओं और नागर अधिकारियों से भेंट की और उनका शुक्रिया अदा करते हुए देश से सभी लोगों के प्रति मित्रतापूर्ण प्रेम का इजहार किया। 

उन्होंने कहा कि समुद्र का जल जिस भांति मरूभूमि की रेतों को घेरता है उसी भांति भिन्न पृष्ठभूमि से संबंध रखने वाले लोगों का समुदाय इस देश में एक विशिष्ट पच्चीकारी जीवन का निर्माण करती है जिसे मैंने “जीवन के वृक्ष” स्वरूप इस देश की प्रेरितिक यात्रा की तैयारी के दौरान जाना। “बबूल का वृक्ष अपने में शाही है जो कम वर्षा के बावजूद भी सदियों तक मरूभूमि में जीवित रहता है क्योंकि इसके जड़ें दर्जनों मीटर जमींन की गहरी में फैली होती जो अपने लिए भूमिगत जल को संचित करती है। जीवनदायी जल से बरहीन की जड़ें आज भी पोषित होती हैं।”

मानवता की आवश्यकता

संत पापा ने बरहीन के अतीत की सुन्दरता को रेखांकित करते हुए कहा कि इस देश का इतिहास विभिन्न समुदाय के लोगों के आपसी मिलन हेतु सदैव प्रसिद्ध रहा है। विविधता सही अर्थ में किसी भी विकसित देश की संपत्ति है। असंख्य राष्ट्रों, जाति औऱ धार्मिक समुदायों का बहरीन में सह-अस्तित्व इस बात का साक्ष्य देता है कि हमें इस दुनिया में एक साथ मिलकर रहना और रहने की आवश्यकता है जो इस सदी में हमें वैश्विक गाँव का रुप प्रदान करता है। यद्यपि वैश्विकता की जड़ों के बावजूद हम अपने बीच में उदासीनता, अविश्वास और अतीत के संघर्षों के कारण अपने मध्य कई तरह के तकरार को पाते हैं।

भ्रातृत्व का जल

संत पापा ने अपने संबोधन में जीवन वृक्ष की ओर ध्यान आकर्षित कराते हुए कहा कि हमें मानवता की सूखी मरूभूमि में भ्रातृत्व का जल लाने की आवश्यकता है। “हम अपने बीच से विकास की संस्कृति और धर्मों को वाष्पित या मानवता की जड़ों को निर्जीव होने न दें। इसके लिए हम मिलकर एक साथ कार्य करें।”  उन्होंने कहा कि मैं जीवन वृक्ष के इस देश में शांति बोने वाले के समान आया हूँ जिससे हम वार्ता के मंच में सहभागी होते हुए पूर्व औऱ पश्चिम, अपने बीच शांतिपूर्ण मानवीय सह-अस्तित्व का अनुभव कर सकें।

संत पापा ने अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों और मिलन की संभावनाओं के संबंध में बरहीन के संयोजकों और संगठनों के  प्रशंसा की जिन्होंने सम्मान, सहिष्णुता और धार्मिक स्वतंत्रता जैसे विषयों पर खास जोर दिया है। “ये देशों के संविधानों में मूलभूत विषयवस्तुओं के रूप में अंकित हैं” जिन्हें हमें निरंतर निष्ठामय ढ़ंग से सुरक्षित रखने की जरुरत है, जिससे धार्मिक स्वंतत्रता, मानवीय समानता और अवसर हर समुदाय तथा व्यक्ति विशेष को प्राप्त हो सके।

बरहीन प्रवासियों का निवास

बरहीन को जीवन के वृक्ष निरूपति करते हुए संत पापा ने कहा कि इस देश को विभिन्न देशों के लोगों ने अपना योगदान दिया है जिससे कारण देश की उत्पादकता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। यह प्रवासन के कारण संभव हो सका। बहरीन का साम्राज्य दुनिया में आप्रवास के उच्चतम स्तरों में से एक है: यहाँ की लगभग आधी आबादी विदेशी हैं, जो देश के विकास हेतु स्पष्ट तरीके से काम कर रही है, अपने मूल्क को छोड़ने के बावजूद, वे यहाँ अपने लिए एक घर का अनुभव करते हैं। इस संदर्भ मे संत पापा ने बेरोजगारी के मुद्दे को संबोधित करते हुए कहा कि यह जीविकार्पाजन मात्र नहीं बल्कि एक अधिकार है जहाँ व्यक्ति स्वयं का विकास करते हुए एक सच्ची मानवीय सामाज का निर्माण करने में अपनी भूमिका अदा करता है।

कार्य स्थल का स्वरूप

संत पापा ने वैश्विक बेरोजगारी के संकट को संबोधित करते हुए कहा कि रोजगार रोटी की तरह कीमती है जिसकी कमी हम महसूस करते हैं, वहीं कई बार यह एक रोटी की भांति जहरीली हो जाती है क्योंकि यह हमें गुलाम बना देती है।“इन दोनों ही परिस्थितियों में नर और नारी अपने में धन उत्पादन के साधन बनकर रह जाते हैं।” उन्होंने कहा कि हम इस बात का ख्याल रखें कि कार्य का स्थल अपने में सुरक्षित और सम्मानजनक हो जिससे जनसामान्य स्थानीय संस्कृति औऱ आध्यात्मिकता के अनुरूप अपने को ढ़ाल सकें, जो सभों की भलाई और देश के विकास में मददगार सिद्ध होगा।

मानवता का बुलावा

संत पापा ने आगे अपने संबोधन में पर्यावरण की सुरक्षा हेतु एक साथ मिलकर कार्य करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा,“नर और नारियों के रुप में हमारा बुलावा जीवन को बढ़ावा देने के लिए हुआ है”। लेकिन विचारहीन युद्धों की बढ़ती स्थिति ने विनाश को बोते हुए हमारी आशा को कुचल दिया है। युद्ध मानव में बुरी चीजों- स्वार्थ, हिंसा और बेईमानी को उत्पन्न करता है। उन्होंने हथियारों और सैन्य व्यय में निवेश को खारिज करने तथा भूख, स्वास्थ्य और शिक्षा की कमी से निपटने पर बल दिया। संत पापा ने अरब प्रायद्वीप में विशेष कर यमन में युद्ध से प्रभावित नागरिकों, बच्चों, बुजुर्गों औऱ बीमारों के प्रति अपनी सहानुभूति प्रकट करते हुए शांति स्थापित करने की बात कही।

शांति हमारी प्रतिबद्धता

अपने संबोधन के अंत में संत पापा फ्रांसिस ने कहा,“धार्मिक विश्वास पूरी मानवता के लिए एक आशीष और विश्व में शांति का मूलभूत आधार है”। आज मैं एक ख्रीस्तीय विश्वासी, एक मानव और एक तीर्थयात्री की भांति यहाँ आया हूँ जिससे हम मिलकर शांति के संस्थापक बन सकें। संत पापा ने शांति की अपनी चाह को व्यक्त करते हुए कहा, “हम एक ऐसी दुनिया के लिए प्रतिबद्ध हैं जहां निष्ठामय विश्वास से लोग एक साथ मिलकर उस चीज को अस्वीकार करते हैं जो हमें विभाजित करती है इसके बदले वे खुशी मनाने हुए उस विषय पर ध्यान केंद्रित करते हैं जो हमें एकजुट करती है।” 

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संत पापा बहरीन की प्रेरितिक यात्रा में
03 November 2022, 17:05