संत पापाः सदैव ईश्वरीय खुशी के वाहक बनें
दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, रविवार, 6 नवम्बर 2022 (रेई) संत पापा फ्रांसिस ने बहरीन की प्रेरितिक यात्रा के चौथे और अंतिम दिन बहरीन, मानामा के पवित्र हृदय गिरजाघर में धर्माध्यक्षों पुरोहितों, समर्पित लोगों, गुरूकुल के विद्यार्थियों और प्रेरिताई में संलग्न जनों से मुलाकात की।
संत पापा ने अपने संबोधन में कहा कि आप ख्रीस्तीय खुशी को प्रसारित करें और इस बात को याद रखें कि ईश्वर के संग आप सभी चीजों पर विजयी हो सकते हैं।
येसु का चेहरा
बहरीन के ख्रीस्तीय समुदाय से मुलाकात करते हुए संत पापा ने अपने हृदय के मनोभावों को व्यक्त करते हुए कहा,“इस ख्रीस्तीय समुदाय में हम “कलीसिया के चेहरे” को स्पष्ट रुप से देख सकते हैं जो एक वैश्विक कलीसियाई को प्रतिबिंबित करती है। यह एक वह कलीसिया है जो दुनिया के विभिन्न प्रांतों के लोगों से बनी है जो मसीह में विश्वास का साक्ष्य देने हेतु एक साथ आते हैं। उन्होंने लेबनान और मध्य पूर्व से उपस्थित कुछ लोगों को रेखांकित किया और उन्हें अपनी प्रार्थना का आश्वासन दिया।
खुशी की प्यास
संत पापा ने येसु ख्रीस्त में पवित्र आत्मा से प्रवाहित होने वाले जीवन जल का जिक्र करते हुए कहा कि इस देश में रेगिस्तान का एक विस्तृत भू-भाग है इसके बावजूद यहाँ मीठे पानी के भूमिगत झरने बहते हैं जो पूरे देश को सींचता है। “यह एक सुंदर छवि को व्यक्त करता है कि आप कौन हैं और उससे भी बढ़कर, कैसे विश्वास हमारे जीवन को प्रोषित करता है।”
उन्होंने कहा,“यहां मानवीय धरातल यद्यपि भय, समस्याओं और कमजोरियों से “भरी हुई” हैं लेकिन आत्मा, दिल और हृदय के अंतःस्थल को, “हमारी मरूभूमि को हरा भरा बनाता, और जीवन में हरियाली लाता है। यह हमसे दूषित करने वाली चीजों को दूर करता और हमारी खुशी की प्यास को बुझाता है।”
कलीसिया का जन्म
संत पापा ने बहरीन के कलीसियाई समुदाय के नायकों को दिये गये अपने संदेश में कहा कि कलीसिया का जन्म येसु की छेदित बगल से हुआ है जिसे हम पवित्र आत्मा में पुनर्जन्म स्वरूप पाते हैं। हम ख्रीस्तीय इसलिए नहीं हैं क्योंकि हम धर्मसार को घोषित करते हैं बल्कि पवित्र आत्मा के संजीवन जल में बपतिस्मा के फलस्वरुप हमारा नया जन्म हुआ है, जहाँ हम ईश्वर की प्रिय संतान, एक-दूसरे के लिए भाई-बहन और नई सृष्टि बनते हैं। हमारे लिए सभी चीजें कृपा के रुप में प्रवाहित होती हैं, जो हमारे लिए पवित्र आत्मा से आती हैं। संत पापा ने पवित्र आत्मा के तीन महान उपहारों खुशी, एकता और भविष्यवाणी के बारे में जिक्र किया।
पवित्र आत्माः खुशी के स्रोत
उन्होंने पवित्र आत्मा से आनी वाली खुशी के बारे में कहा, “आत्मा हमारे लिए खुशी के स्रोत हैं”। शीलत जल जिसे येसु मानवता की “मरूभूमि”, इस पृथ्वी और हमारी कमजोरियों में प्रवाहित करना चाहते हैं हमें अपने जीवन यात्रा में निश्चित रुप से अकेला नहीं छोड़ता है। यह पवित्र आत्मा हैं जो हमें अकेला नहीं छोड़ते हैं। वे सांत्वनादाता हैं जो हमें अपनी गुप्त उपस्थिति से सांत्वना प्रदान करते हैं। वे हमें प्रेम में आगे ले चलते हैं, हमारे जीवन की कठिनाइयों और मुसीबतों में सहायता करते हैं, हमारे सुन्दर सपनों और हमारी चाहतों को पूरा करने में हमें प्रोत्साहित करते हुए जीवन की सुन्दरता और आश्चर्य को खोलते हैं। पवित्र आत्मा में मिलने वाली खुशी हमारे लिए क्षणिक नहीं होती या हम इसे केवल अवसरों में अनुभव नहीं करते हैं। संत पापा ने कहा, “हमारे लिए इस खुशी की उत्पत्ति ईश्वर के संग हमारे संबंध में होती है, जहाँ हम इस बात को जानते हैं कि हमारे जीवन की तकलीफों और अंधेरे के क्षणों में भी, हम अपने को अकेले नहीं पाते हैं।” इस भांति हम अपने जीवन में नहीं खोते, हार नहीं मानते क्योंकि वे हमारे साथ रहते हैं। ईश्वर के संग हम सारी चीजों में विजयी प्राप्त कर सकते हैं यहाँ तक कि मृत्यु और दुःख के गर्त से भी।
खुशी को और बढ़ायें
संत पापा ने कहा कि आप सभों ने, जो इस खुशी को अपने समुदाय में पाया और अऩुभव किया है, आप इस खुशी को अपने में और अधिक बढ़ने दें। क्या आप जानते हैं कि इसकी वृद्धि कैसी की जाती हैॽ हम इसे दूसरों को बांटते हुए ऐसा करते हैं। ख्रीस्तीय खुशी अपने स्वभाव में प्रसारित होती है क्योंकि सुसमाचार हमें अपने आप से परे जाते हुए ईश्वर के प्रेमपूर्ण सुन्दरता को साझा करने हेतु उत्प्रेरित करता है। अतः यह जरूरी है कि हमारी खुशी केवल हमारे जीवन, हमारे ख्रीस्तीय समुदायों तक ही सीमित हो कर न रहे। यह हमारे समारोहों में विशेष रुप से यूखारीस्तीय बलिदान में जो ख्रीस्तीय जीवन की चरमसीमा है अभिव्यक्त होती है। संत पापा ने कहा कि यह हमारे लिए जरूरी है कि हम सुसमाचार की खुशी को अपने प्रेरितिक जीवन के द्वारा दूसरों तक पहुंचाने में मदद करें, खास कर युवाजनों और परिवारों में इस भांति हम पुरोहिताई और धर्मसंघी बुलाहटीय जीवन की ओर लोगों को आकर्षित करेंगे। हम ख्रीस्तीय खुशी को अपने में सीमित नहीं रख सकते हैं। यह अपने में दुगुनी होती जाती है जब हम एक बार इसे दूसरों के संग साझा करते हैं।
पवित्र आत्माः एकता के जनक
संत पापा ने कहा,“पवित्र आत्मा हमारे लिए एकता के स्रोत हैं।” जिन्होंने उन्हें ग्रहण किया है उन्होंने पिता के प्रेम को ग्रहण किया है और इस भांति वे उनके पुत्र और पुत्रियाँ बन गये हैं। इस भांति यदि वे ईश्वर की संतान हैं तो वे एक-दूसरे के लिए भाई-बहनें हैं। अतः हमारे जीवन में भौतिक चीजों के लिए, स्वार्थ, भेदभाव, लड़ाई-झगड़े, ईर्ष्या-द्वेष हेतु कोई स्थान नहीं है। दुनिया के विभाजन, जात-पात, संस्कृति और पूजा-पाठ में अंतर हमें कोई हानि नहीं पहुंचा सकती, यह पवित्र आत्मा की एकता को विकृत नहीं कर सकती है। इसके विपरीत पवित्र आत्मा की आग दुनियावी इच्छाओं को जला डालती और हमारे जीवन में उत्साह और प्रेम की अग्नि प्रज्वल्लित करती है जिससे येसु हमें प्रेम करते हैं, ताकि बदले में हम दूसरों को प्रेम कर सकें। यही कारण है कि जब पुनर्जीवित प्रभु येसु की आत्मा शिष्यों के ऊपर उतरी तो वह स्वार्थपन के विपरीत, एकता और भ्रातृत्व का स्रोत बन जाती है। वे प्रेम की एक भाषा को शुरू करते हैं जिससे मानव की दूसरी भाषाएँ दूर और अलग हो जाती हैं। वे अविश्वास की रूकवटों और घृणा को तोड़ देते हैं जिससे हम दूसरों को स्वीकारने और वार्ता करने हेतु स्थान तैयार करते हैं। वे हमें भय से मुक्त करते और हमें साहस भरते हैं जिससे हम बाहर निकलते हुए दूसरों से बिना झिझक और संकोच के मिल सकें।
संत पापा ने कहा कि पवित्र हमारे लिए ऐसा करते हैं और इस भांति वे कलीसिया की स्थापना शुरू के दिनों, पेंतेकोस्त से ही की है। यदि हमने पवित्र आत्मा को ग्रहण किया है तो हमारी कलीसियाई बुलाहट हमें एकता को बनाये रखने और इसके लिए मिलकर कार्य करने हेतु प्रेरित करती है। जैसे कि संत पौलुस कहते हैं, “शांति में पवित्र आत्मा की एकता को बनाये रखें, एक शरीर है और एक आत्मा जैसे आप एक आशा में बुलाये गये है” (एफे.4.3-4)।
साक्ष्य की ताकत
संत पापा ने कहा कि यह ख्रीस्तीय समुदाय की ताकत है यह पहला साक्ष्य है जिसे हम दुनिया को देते हैं। उन्होंने ने कलीसिया के अगुवों को एकता के रक्षक और एकता के निर्माता बनने का आहृवान किया। दूसरों के संग वार्ता करने हेतु विश्वासी प्रात्र बनने हेतु हम अपने समुदाय में भ्रातृत्वमय जीवनयापन करें। हम इसे अपने समुदायों में, बिना किसी का अपमान किये, हर व्यक्ति की विशेषता को महत्व देते हुए करें। हम इसे अपने धर्मसमाज के समुदायों में करें जो दूसरों के लिए शांति और एकता की जीवित निशानी बनें। हम इसे अपने परिवारों में करें जिससे संस्कारीय प्रेम का बंधन हमारे दैनिक जीवन की सेवा और क्षमा में झलके। हम इसे अपने बहु-सांस्कृतिक और बहु-धार्मिक परिवेश में करें जिससे हम दूसरे धर्मों के अनुयायियों के लिए वार्ता के प्रर्वतक और भ्रातृ भावना के निर्माता बन सकें। संत पापा ने इस संदर्भ में बहरीन के ख्रीस्तीय समुदाय के कार्यों की प्रशंसा करते हुए कहा कि भ्रातृत्व और एकता हमारे लिए उपहार की भांति हैं, हम पवित्र आत्मा से उनकी मांग करने हेतु न थकें। इस भांति हम शत्रु को अपने से दूर कर सकते हैं जो हमारे बीच जंगली बीज को सदैव बोता है।
आत्मा भविष्यवाणी का स्रोत
संत पापा ने कहा कि पवित्र आत्मा हमारे लिए भविष्यवाणी के स्रोत हैं। मुक्ति इतिहास में जैसे की हम जानते हैं ईश्वर ने बहुत सारे नबियों को बुलाया, उन्हें अभिषिक्त किया और अपने लोगों के बीच भेजा जिससे वे उनके नाम में भविष्यवाणी करें। नबियों को पवित्र आत्मा से आतंरिक ज्योति प्राप्त होती है जो उन्हें सच्चाई को घोषित करने के योग्य बनाती है। वे जीवन की घटनाओं में ईश्वरीय की उपस्थिति को प्रकट करते हैं। नबियों की बातें तीखी होती हैं जहाँ वे लोगों के हृदय में व्याप्त बुराइयों को घोषित करते हुए झूठे लोगों को चुनौती देते और हर एक का परिवर्तन हेतु आहृवान करते हैं।
नबूवत की बुलाहट
संत पापा ने कहा कि नबूवत होने की बुलाहट हमें भी मिली है। हम सबको जिन्होंने पवित्र आत्मा में बपतिस्मा प्राप्त किया है, हम सब नबी बनते हैं। इस भांति हम बुरे कार्यों को अनदेखा करने का बहाना नहीं कर सकते हैं जिससे हम अपने हाथों को गंदा न करें, और “शांतिमय” जीवन बीता सकें। एक ख्रीस्तीय को अपने जीवन के द्वारा साक्ष्य देते हेतु सर्वप्रथम अपने हाथों को गंदा करने की जरुरत है। वहीं दूसरी ओर हमने पवित्र आत्मा को पाया है अतः हम अपने जीवन के साक्ष्य द्वारा सुसमाचार की घोषणा करें। इस संदर्भ में संत पौलुस हमें कहते हैं, “आप आध्यात्मिक वरदानों की, विशेषकर भविष्यवाणी के वरदान की अभिलाषा करें” (1 कुरि.14.1)। भविष्यवाणी हमें येसु के धन्यवचनों को अपने दैनिक जीवन में जीने को मदद करता है जहाँ हम ईश्वरीय राज्य की स्थापना हेतु प्रेम, न्याय और शांति के लिए कार्य करते जो हर तरह के स्वार्थ, हिंसा और पतन के विपरीत है। हमारी भविष्यवाणी कैदियों के लिए सांत्वना का कारण बनती है जब हम उन्हें ईश्वर का वचन सुनाते और उनके संग प्रार्थना करते हैं। बहुत से लोग हैं जिन्हें हमारी जरुरत है जैसे कि बंदीगृह में हमारे भाई-बहनें, वहाँ भी येसु हैं जो उनके दुःख में दुःखित हैं। बंदियों की सेवा करना, मानव परिवार के रुप में सभों के लिए अच्छा है क्योंकि जिस तरह का व्यवाहर हम उन “सबसे नगण्य” लोगों के साथ करते वह उनके सम्मान और समाज के लिए आशा की निशानी बनती है।
संत पापा फ्रांसिस ने अपने संबोधन के अंत में पुनः युद्धग्रस्त यूक्रेन और इथियोपिया की याद करते हुए युद्ध समाप्ति के लिए प्रार्थना का निवेदन किया। उन्होंने अपनी इस प्रेरितिक यात्रा के लिए सभों के प्रति कृतज्ञता के भाव प्रकट करते हुए कहा कि आप अपने आध्यात्मिक, कलीसियाई यात्रा में खुशी पूर्वक निष्ठावान बनें रहें।
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