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संत पापाः राजा ख्रीस्त की बाहें सबों के लिए खुली हैं

संत पापा फ्रांसिस ने इटली के उत्तर में, अस्ती प्रांत की यात्रा करते हुए अपने परिवार के सगे-संबंधियों से भेंट की और अस्ती धर्मप्रांत में ख्रीस्त राजा का त्योहार मनाया।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, रोमवार, 21 नवम्बर 2022 (रेई) संत पापा फ्रांसिस ने उत्तरी इटली के अस्ती, अपने पैतृक भूमि की भेंट करते हुए अपने निकटवर्ती संबंधियों से मुलाकात की और अस्ती क धर्मप्रांत के गिरजाघर में ख्रीस्त राजा महोत्वस का यूख्रारिस्तीय बलिदान अर्पित किया।

संत पापा फ्रांसिस ने अपने वचन में कहा कि आज का सुसमाचार हमें पुनः हमें विश्वास की जड़ों के करीब लाता है। वे जड़ें कलवारी की ऊजाड़ भूमि में विकसित होते हैं मानों वे येसु ख्रीस्त के रुप में जमीन पर गिरे गये बीज हों जो मरकर जन्मते हुए, आशा को बनाये रखता है। उन्होंने कहा, “वे पृथ्वी के हृदय में रोपे जाते और क्रूस के काठ पर अपनी मृत्यु द्वारा हमारे लिए स्वर्ग के मार्ग को खोलते और मुक्ति का फल लाते हैं।”

क्रूस और राजा येसु

क्रूस पर अपने चिंतन करने हेतु आहृवान करते हुए संत पापा ने कहा कि इसके ऊपर एक वाक्य लिखा गया था, “यह यहूदियों का राजा है” (लूका.23.38)। यह येसु ख्रीस्त की उपाद्धि है, वे राजा हैं। लेकिन अपनी निगाहें येसु की और उठाते हुए यदि हम राजा के बारे में चिंतन करें तो यह विचारों को उलट देता है। उन्होंने कहा कि जब हम राजा के बारे में विचार करते तो हमारे जेहन में शक्तिशाली व्यक्ति की छवि उभर कर आती है जो सिंहासन पर, हाथों में कीमती अंगूठी पहने वैभव में विराजते और अपने लोगों से बुलंद आवाज में बातें करते हैं। वहीं येसु ठीक इसके विपरीत हैं। वे राजसिंहासन में नहीं बल्कि सूली पर टंगे होते हैं। ईश्वर जो शक्तिशालियों को उनके सिंहासन से गिरा देते हैं, ऐसे प्रतीत होता है कि वे एक गुलाम की भांति शक्तिशालियों के द्वारा सजा दिये जाते हैं। कीलों से ठोंके और कांटों का मुकुट पहने, सारी चीजों से वंचित वे प्रेम से भरे हैं, वे क्रूस के सिंहासन से अपनी बाहों को सभों के लिए फैलाते हैं। अपनी खुली बाहें से, वे सभों का आलिंगन करने को तैयार हैं, जो हमारे लिए उनके राजा होने के भाव को व्यक्त करता है।

राजा ख्रीस्त के व्यवहार

संत पापा ने कहा कि हम केवल उनके आलिंगन को स्वीकारते हुए उन्हें समझते हैं। हम उनसे चाहे कितने भी दूर क्यों न चले गये हों वे हममें से हर किसी को गले लगाते हैं, वे हमारी मृत्यु, दुःख-दर्द, गरीबी और कमजोरियों को गले लगाते हैं। वे हमारे लिए गरीब बनते हैं जिससे हम सभी उनकी संतान बन सकें। वे अपने को अपमान और उपहास का शिकार होने देते हैं जिससे जब कभी हम अपने में निराश होते हम अकेले होने का एहसास न करें। वे अपने वस्त्रों को लूट लिये जाने देते हैं जिससे हम अपने मानवीय सम्मान को खोने का एहसास कभी न करें। वे क्रूस में आरोहित होते हैं जिससे ईश्वर इतिहास के हर नर या नारी में अपने को उपस्थित कर सकें। वे हमारे राजा, दुनिया के राजा हैं क्योंकि वे हमारे संग यात्रा करते हुए हमारे जीवन की अनुभूति से अपने को रूबरू होते हैं, वे घृणा की काली खाई और परित्याग के शिकार होते जिससे वे हमारे लिए ज्योति लाते हुए हमारे जीवन की सारी हकीकतों को गले लगा सकें। संत पापा ने कहा कि यही वे राजा हैं जिनके बारे में हम घोषणा करते हैं, आज हमें अपने से यह पूछने की जरुरत है, “क्या दुनिया के राजा येसु ख्रीस्त मेरे जीवन के भी राजा हैं”ॽ क्या मैं उनमें विश्वास करता हूँॽ यदि वे मेरे जीवन के राजा नहीं होते तो मैं कैसे उन्हें सारी सृष्टि का राजा घोषित कर सकता हूँॽ

प्रेम करने देने में मानव मुक्ति

संत पापा ने सभी विश्वासी भक्तों को क्रूसित येसु की ओर देखने का आहृवान करते हुए कहा कि वे हमारे जीवन को केवल थोड़े समय के लिए या क्षणिक निगाहों से नहीं देखते जैसा कि बहुधा हम करते हैं। वे ऐसा नहीं करते लेकिन वे वहाँ रूकते और हम जैसे भी हैं, हमारे अतीत के इतिहास, हमारी असफलताओं और पापों में भी हमें गले लगाना चाहते हैं। वे हमें इस जीवन में राज करने का एक अवसर देते हैं, यह केवल तब होता है जब हम उनके नम्र प्रेम को स्वीकारते जिसे वे हमारे लिए सुझाव के रुप में रखते हैं। वे अपने प्रेम को, जो हमें क्षमा करता, अपने पैरों में खड़ा होने को मदद करता, हमारे शाही सम्मान को स्थापित करता, स्वीकारने हेतु जोर जबदस्ती नहीं करते हैं। उन्होंने कहा, “हमारे लिए मुक्ति उनके प्रेम में आती है जब हमें अपने को उन्हें प्रेम करने देते हैं, केवल ऐसा करने के द्वारा हम अपनी गुलामी से मुक्त होते हैं, अकेले होने के भय से, असफल होने के विचार से।” हम निरंतर क्रूसित येसु के सामने खड़े होकर, अपने को प्रेम करने दें क्योंकि उनकी बांहें हमारे लिए स्वर्गराज को खोलती है जैसे कि भले डाकू के लिए हुआ। हम उन वचनों को सुनें जिसे येसु क्रूस से कहते हैं, “आज ही तुम मेरे साथ स्वर्ग में होगे” (लूका. 23.43)। जब कभी हम उनकी ओर निगाहें उठा कर देखते ईश्वर हम सभों से यही कहते हैं। यह हमें इस बात की अनुभूति दिलाती है कि हमारे लिए “ईश्वर अज्ञात” नहीं हैं, जो दूर स्वर्ग में शक्तिशाली हैं बल्कि वे हमारे निकट रहते हैं जो कोमल और करूणामय है जिनकी बाहें हमें सांत्वना और दुलार करती है। वे हमारे राजा हैं।

हमारे लिए दो मार्ग

संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि ईश्वर की ओर निगाहें फेरने के बाद हमें क्या करने की जरुरत है। आज का सुसमाचार हमें इसके लिए दो मार्ग को प्रस्तुत करता है- एक मूकदर्शक रहते और दूसरा अपने को कार्यों में संलग्न करते हैं। उन्होंने कहा कि हमारे बीच मूकदर्शकों की संख्या अधिक है। सुसमाचार हमें कहता है, “लोग खड़े होकर देख रहे थे” (35)। वे अपने में बुरे लोग नहीं थे-बहुत से लोग विश्वास करने वाले थे, लेकिन वे क्रूसित येसु को सिर्फ देखते रहे, वे येसु की ओर अपने कदमों को नहीं बढ़ते हैं, बल्कि दूर से देखते हैं, जिज्ञासा भरे हैं यद्यपि उदासीनता में बने रहते जो अपने में यह नहीं पूछते कि वे क्या कर सकते हैं। वे कुछ कहें होते, अपने विचार और न्याय की बातों को व्यक्त किया होता, दुःख व्यक्त करते लेकिन वे हाथों में हाथ, बाहों को मोड़े खड़े होकर चुपचाप देखते रहे। वहीं दूसरी ओर क्रूस के निकट दूसरे देखने वाले थे, जनता के नेता, सिपाही और डाकू जो उनकी खिल्ली उड़ा रहे थे।

उदासीनता एक बीमारी

संत पापा ने कहा कि ये सभी देखने वाले एक बात को दुहराते हैं,“यदि तू राजा है तो अपने को बचा”। लेकिन येसु ठीक इसके विपरीत कार्य करते वे अपने को नहीं बल्कि दूसरों के बचाते हैं। वे अपने को नहीं बल्कि उन सभों को बचाने की सोचते हैं। “अपने को बचा” ये शब्द वहाँ खड़े लोगों के बीच प्रसारित होता है, बुराई वहाँ खड़े सभी लोगों के बीच में फैलती है। वे येसु के बारे में बातें करते लेकिन कोई उनके साथ सहानुभूति व्यक्त नहीं करता है। संत पापा ने उदासीनता को एक बड़ी बीमारी कहा जहाँ हम अपने को दूसरों से अप्रभावित पाते हैं। बुराई इस रूप में फैलती है जहाँ हम अपने को चिंतावहीन चुप कर लेते, सिर्फ देखते रहते हैं, इस भांति हम विमुख होने के आदी हो जाते औऱ केवल अपने बारे में सोचते हैं।  उन्होंने कहा, “यह हमारे विश्वास के लिए भी हानिकारक होता है यदि हम इसे कार्यरूप नहीं देते हैं तो यह अपने में सूख जाता है।” हम “गुलाब जल” ख्रीस्तीय बनकर रह जाते हैं, जो कहते हैं कि हम ईश्वर पर विश्वास करते, शांति की चाह रखते लेकिन न तो वे विन्ती करते और न ही पड़ोसियों की चिंता करते हैं, वे ईश्वर की भी कुछ परवाह नहीं करते हैं, वे वचनों के खोखले ख्रीस्तीय मात्र होते हैं।

विश्वासी विनय करता है

संत पापा ने कहा कि लेकिन एक दूसरा मार्ग भी है जो अच्छाई का है। भला डाकू उस मार्ग का चुनाव करता है। जहाँ दूसरे येसु की खिल्ली उड़ाते वह उनकी ओर मुढ़ता, येसु को पुकारता और अपनी गलतियों को स्वीकार करता है। वह अपने को याद करने हेतु विनय करता है। “प्रभु, मुझे याद कीजिगा”। इस तरह वह पहला संत बनता है। वह येसु की ओर एक क्षण देखता और येसु हमेशा के लिए उसे अपने पास रखते हैं। सुसमाचार भले डाकू का जिक्र करते हुए हमें बुराई से बाहर आने, मूकदर्शक बने रहने को नहीं कहता है। हम इसे येसु का नाम लेते हुए विश्वास में करते हैं जैसे कि भले डाकू ने किया। वह आत्मविश्वास और भरोसे में अपनी गलतियों को स्वीकारता है वह येसु की उपस्थिति में आंसू बहाता है। संत पापा ने कहा, “हम क्या करते हैं”ॽ क्या हमारा विश्वास वैसा है”ॽ क्या हम अपने जीवन में व्याप्त बातों को येसु के पास लाते हैं या ईश्वर के सामने मुखौटा पहने रहते हैंॽ वे जो अपने विश्वास को जीते वे विनय करना जानते हैं वे अपने जीवन की सारी चीजों को ईश्वर के सामने लाते हैं, दुनिया के दुःख-दर्द को, उन्हें जिनसे वे मिलते हैं, इस तरह वे येसु से कहते हैं, “प्रभु, हमें याद कीजिगा”। उन्होंने कहा, “हम इस दुनिया में सिर्फ अपने को बचने हेतु नहीं हैं लेकिन हमें अपने भाई-बहनों के राजा के आलिंगन में लाना है।” ईश्वर से निवेदन हमारी लिए स्वर्ग का द्वार खोलता है। अपनी प्रार्थना में क्या हम निवेदन करते हैंॽ

हम क्या करते हैंॽ

संत पापा ने कहा कि येसु क्रूस से अपनी बाहों को फैलाये हमें देखते हैं। यह हमारे ऊपर निर्भर करता है कि हम मूकदर्शक या संलग्न होने की चाह रखते हैं। हम आज की मुसीबतों को देखते हैं, विश्वास की कमी, सहभागिता की कमी... हमें क्या करने की जरुरत हैॽ क्या हम अपने को टीका-टिप्पणी और सिद्धांत तक ही सीमित कर लेते या अपने हाथों को आगे बढ़ाते और अपने को प्रार्थना और सेवा में देते हैंॽ हम सभी सोचते और जानते हैं कि हमारे समाज में, दुनिया में और कलीसिया में बहुत सारी चीजें ठीक नहीं हैं, लेकिन हम क्या करते हैंॽ क्या हम अपने हाथों को ईश्वर की तरह गंदा करते हैं जो क्रूस में ठोंके जाते हैंॽ या हम अपनी हाथों को अपने पैंटस की थैली में डाले, मूकदर्शक बने रहते हैंॽ आज जब हम येसु को क्रूस पर नंगा देखते, जो सारी झूठी बातों को नष्ट करते हुए हमारे लिए ईश्वर के प्रेम को व्यक्त करते हैं, हम अपनी निगाहें उनकी ओर उठायें और अपनी ओर देखने का साहस करें, जिससे हम विश्वास, भरोसे के साथ निवेदन करते हुए अपने को उनके सेवक बन सकें जो हमें उनके संग राज करने के योग्य बनायेगा। 

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21 November 2022, 15:51