बच्चों से पोप : ईश्वर की नजर हमारे लिए प्रेममय
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
पोप जॉन २३वें समुदाय के करीब ७०० बच्चों एवं स्टाफ से पोप ने वाटिकन के पौल षष्ठम सभागार में मुलाकात की तथा उन्हें प्रोत्साहन दिया कि वे एक-दूसरे को उसी स्नेह से प्यार करें जिससे ईश्वर ने उन्हें प्यार किया है।
अंतरराष्ट्रीय संघ के सदस्य २४ घंटे गरीबों और शोषितों की मदद करते हैं।
ईश्वर की प्रेमी नजर
मुलाकात में इस बात पर गौर करते हुए कि हर बच्चा का अपना नाम है संत पापा ने कहा कि हर व्यक्ति अनोखा है जिनमें से हरेक को ईश्वर नाम सहित जानते हैं।
“ईश्वर हम प्रत्येक को हमारे नाम और चेहरे से जानते हैं, हरेक व्यक्ति ईश्वर का अनोखा बेटा और बेटी एवं येसु का एक भाई या बहन है।”
उन्होंने कहा कि जो लोग बच्चों की मदद करते हैं वे हरेक बच्चे को ईश्वर की नजर से देखते हैं। “ईश्वर हमें किस तरह देखते हैं? प्रेम की नजर से देखते हैं। ईश्वर हमारी सीमाओं को देखते और उसे सहन करने हेतु मदद करते हैं। लेकिन सबसे बढ़कर ईश्वर हमारा हृदय देखते हैं और हरेक व्यक्ति को पूर्ण रूप में देखते हैं।”
संत पापा ने कहा, “हम जानते हैं, कि हम केवल स्वर्ग की परिपूर्णता में ख्रीस्त की प्रेमभरी निगाहों को पूर्णता से देख सकते हैं, लेकिन हम अभी भी इस जीवन में बुलाए गए हैं ताकि हम जितना संभव है ईश्वर के प्रेम को गले लगाने की कोशिश करें।”
प्यार के फूल की तरह मुस्कुराओ
संत पापा फ्राँसिस ने इस बात की कल्पना की कि जब एक समुदाय में खुले, प्यार भरे हाथों से एक बच्चे का स्वागत किया जाता है तो वह कैसे प्रतिक्रिया व्यक्त करता है।
उन्होंने कहा, “यह मुस्कुराहट स्वतः आती है जब वे प्रेम से स्वागत किये जाते। भले ही बच्चों की विकास संबंधी समस्याएँ हो सकती हैं, फिर भी वे मुस्कुराते हैं। “क्यों?” “क्योंकि वे उसी तरह प्यार एवं स्वागत किये जाते हैं जिस तरह वे हैं।”
कुछ ऐसा ही होता है जब एक नवजात शिशु को पहली बार अपनी माँ की गोद में रखा जाता है, क्योंकि वे पहले से ही उस मुस्कान को वापस लौटाना चाहते हैं जो उन्हें देख रही है। मुस्कान एक फूल है जो प्रेम की ऊष्मा से खिलता है।
ख्रीस्तीय प्रेम में स्थापित परिवार
पोप ने कहा कि मुलाकात करने आया हरेक बच्चा संत पापा जॉन २३वें समुदाय के द्वारा संचालित एक देखभाल गृह में होने का अनुभव करता है। जब बच्चों के साथ बुरा बर्ताव किया गया, तो फादर बेंजी ने बच्चों को प्यार किया, जैसा ई्श्वर करते हैं और एक समुदाय के प्यार के द्वारा माता-पिता के प्यार की कमी को पूरा करने की कोशिश की।
संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि इस तरह के एक स्वागत योग्य घर में, सभी प्रकार के बच्चों के लिए जगह है, जिनमें विकलांग, बुजुर्ग, विदेशी और "कोई भी व्यक्ति जिसे एक स्थिर जगह की आवश्यकता होती है, जहाँ से वह शुरुआत कर सके।"
प्यार बांटना और लगातार प्रार्थना करना
अंत में, संत पापा फ्राँसिस ने बच्चों को प्रोत्साहित किया कि वे प्रार्थना और उस प्रेम को दूसरों के साथ साझा करने की इच्छा से मिले प्यार का प्रत्युत्तर दें।
“ईश्वर शांति के लिए आपकी प्रार्थनाओं को सुनते हैं, भले ही ऐसा प्रतीत न हो। हम मानते हैं कि ईश्वर आज भी तुरंत शांति प्रदान करते हैं। वे हमें देते हैं, लेकिन यह हम पर निर्भर है कि हम अपने हृदय और जीवन में उसका स्वागत करें।”
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