हंगरी के युवाओं से पोप, लक्ष्य ऊंँचा रखें
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
हंगरी, शनिवार, 29 अप्रैल 2023 (रेई) : संत पापा फ्राँसिस ने हंगरी में अपनी प्रेरितिक यात्रा के दूसरे दिन 29 अप्रैल को बुडापेस्ट के लास्लो पाप स्पोर्ट स्टेडियन में हंगरी के युवाओं से मुलाकात की तथा कहा कि वे कलीसिया और दुनिया के लिए मूल्यवान हैं। उन्हें मौन और प्रार्थना के लिए समय निकालने की सलाह दी।
संत पापा ने कहा, “प्यारे भाइयो एवं बहनो, मैं आपके नृत्य, संगीत और साहसपूर्ण साक्ष्यों के लिए धन्यवाद कहना चाहता हूँ। आज यहाँ होने के लिए आप प्रत्येक को धन्यवाद। मैं आपके साथ खुश हूँ।”
येसु एक अच्छे मित्र
संत पापा ने कहा कि युवाओं के पास कई सवाल होते हैं और यह भी महत्वपूर्ण होता है कि कोई उनके सवालों को सुने, उत्तर दे एवं उन्हें प्रोत्साहित करे।
युवाओं का साक्ष्य सुनने के बाद संत पापा ने कहा कि “येसु एक मित्र हैं वे सबसे अच्छे दोस्त हैं। वे भाई हैं, सभी भाइयों में सबसे अच्छे और वे सवाल पूछते हैं। हम सुसमाचार में पढ़ते हैं कि वे गुरू हैं और अपना जवाब देने से पहले हरदम सवाल पूछते हैं।”
येसु दण्ड नहीं देते क्षमा करते हैं
जब पापीनी स्त्री को येसु के पास लाया गया और जब सभी लोग उसे छोड़कर चले गये तो येसु ने पापीनी स्त्री से पूछा, “नारी, वे कहाँ हैं? किसी ने तुम्हें दण्ड नहीं दिया?” (यो. 8.10) तब येसु के उत्तर से उसे महसूस हुआ कि ईश्वर उसे दण्ड देना नहीं बल्कि क्षमा करना चाहते हैं। संत पापा ने कहा, “ईश्वर हमेशा क्षमा करते हैं, जब कभी हम गिर जाते, वे हमेशा हमें उठाते हैं। हमारी बगल में उनके रहते हुए हमें जीवन में आगे बढ़ने से कभी नहीं डरना चाहिए। हम मरिया मगदलेना की याद करें, पास्का सुबह पुनर्जीवित प्रभु का दर्शन करनेवालों में वे प्रथम रहीं। जब वे खाली कब्र के पास खड़ी होकर रो रही थीं, येसु आये और उनसे पूछे : नारी तुम क्यों रो रही हो? किसे ढूँढ़ रही हो? (यो. 20.15) सवाल सुनकर मरिया मगदलेना ने अपना हृदय खोला, अपने शोक के भार को हल्का किया और अपने हृदय की गहरी चाह को व्यक्त किया।
येसु रास्ता खोलते हैं
हम येसु के शिष्यों के साथ उनकी पहली मुलाकात को भी देख सकते हैं। योहन बपतिस्ता ने अपने दो शिष्यों को येसु के पास भेजा। प्रभु उनकी ओर मुड़े और उनसे पूछा : क्या खोज रहे हो? तब शिष्यों ने येसु से पूछा कि वे कहाँ रहते हैं? इसपर येसु ने उन्हें अपने घर का पता नहीं बतलाया बल्कि उनके सामने एक रास्ता खोल दिया। उन्होंने कहा, “आओ और देखो।” (पद 39)
येसु उन्हें उपदेश नहीं देते बल्कि उनके साथ चलते हैं। वे उन्हें स्वतंत्र छोड़ते और अपने सहयात्री की तरह उनके साथ पेश आते हैं। वे उन्हें सुनते और उनके सपनों पर ध्यान देते हैं। कुछ समय बाद येसु के दो शिष्य एक गलत चीज की मांग करते हैं। वे चाहते हैं कि जब येसु राजा बनेंगे तो वे उसके बायें और दायें बैठ सकें। इसपर येसु उन्हें नहीं डांटते बल्कि उन्हें सुधारते हुए सही चीज की खोज करना सिखाते हैं। येसु उनके बड़े बनने की चाह को स्वीकार करते हैं लेकिन याद दिलाते हैं कि दूसरों पर शासन कर कोई बड़ा नहीं बनता बल्कि दूसरों की मदद कर वह बड़ा बनता है। हम दूसरों की कीमत पर नहीं बल्की दूसरों की सेवा कर महान बनते हैं। येसु हमसे चाहते हैं कि हम महान कार्यों को पूरा करें। वे नहीं चाहते कि हम आलसी बनें या शांत और शर्मिला बनें इसके विपरीत वे चाहते हैं कि हम जिम्मेदारी लेने के लिए सक्रिय, सजीव और तत्पर बनें। वे हमारी उम्मीद को कभी निराश नहीं होने देते बल्कि उन्हें ऊँचा उठाते हैं। संत पापा ने उनकी एक कहावत की याद दिलाते हुए कहा, “जो साहस करता है, वही पुरस्कार जीतता है।”
अपनी क्षमता का सदुपयोग करें
पर हम जीवन में किस तरह जीत सकते हैं? खेल की तरह ही इसमें दो चरण होते हैं: पहला, उद्देश्य ऊँचा रखना और दूसरा, अभ्यास करना। संत पापा ने युवाओं से कहा, “क्या आपमें क्षमता है, आप उसे दरकिनार न करें। उसका सही प्रयोग करें। क्या आप में अच्छे गुण हैं? इसका प्रयोग करने से न डरें। क्या आपको लगता है कि आप दूसरों की मदद कर सकते हैं? क्या आप प्रभु को प्यार करना, वृहद परिवार का हिस्सा होना और जरूरमंदों की सेवा करना चाहते हैं, मत सोचिए कि ऐसा नहीं किया जा सकता। जीवन के महान उद्देश्यों के लिए पूंजी लगायें।
हम किस तरह अपने आपको प्रशिक्षित कर सकते हैं। संत पापा ने कहा कि येसु से बातचीत के द्वारा हम खुद को प्रशिक्षित कर सकते हैं जो एक उत्तम प्रशिक्षक हैं। वे आपको सुनते, प्रोत्साहन देते, आप पर विश्वास करते एवं आपके द्वारा उत्तम चीज ला सकते हैं। वे अकेला नहीं बल्कि हमेशा टीम के खिलाड़ी बनने के लिए बुलाते हैं। कलीसिया और समुदाय में दूसरों के साथ अनुभव साझा करने के लिए आमंत्रित करते हैं। संत पापा ने उन्हें पुर्तगाल के लिस्बन में होनेवाले विश्व युवा दिवस में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया।
प्रार्थना और मौन के लिए समय निकालें
संत पापा ने संदेशों की बाढ़ के सामने युवाओं को मौन प्रार्थना के लिए समय निकालने एवं धारा के विपरीत तैरने का साहस करने की सलाह दी, क्योंकि इसके बिना व्यक्ति थकान महसूस करता और नहीं जानता है कि क्या किया जाए। उन्होंने उन्हें व्यर्थ की चीजों को सोचने में समय बर्बाद नहीं करने की भी सलाह दी।
उन्होंने कहा, “मौन एक भूमि के समान है जिसमें हम अच्छे संबंध के फल उत्पन्न कर सकते हैं। यह हमें ईश्वर पर भरोसा रखने, उनके सामने लोगों के नाम और चेहरों को लाने, अपनी कठिनाइयों को साझा करने, हमारे मित्रों को याद करने और उनके लिए प्रार्थना करने का अवसर प्रदान करता है। मौन हमें सुसमाचार पढ़ने, ईश्वर की उपासना करने और शांति प्राप्त करने का अवसर देता है। मौन हमें मानव हृदय को पढ़ना सिखाता है। प्रकृति को निहारने का अवसर देता है ताकि हम प्राकृतिक सुंदरता को खोज सकें।
संत पापा ने कहा कि मौन प्रार्थना का द्वार है और प्रार्थना प्रेम का। विश्वास प्रेम कहानी है जहाँ व्यक्ति समस्याओं के बावजूद हमेशा अपनी बगल में किसी के होने का एहसास करता है। और वे कोई दूसरे नहीं बल्कि येसु हैं। वे हमारे रास्ते पर आनेवाली बाधाओं को दूर करने से कभी नहीं हिचकते।
वास्तविकता को स्वीकार करें
संत पापा ने युवाओं को वास्तविकता को स्वीकार करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि वे निडर होने का नाटक करने या मास्क लगाने के बदले प्रभु के सामने अपनी कमजोरियों को रखें। क्योंकि सुसमाचार हमें बतलाता है कि प्रभु महान कार्य विशेष लोगों से नहीं बल्कि सामान्य लोगों से कराते हैं। जो लोग अपने को काबिल समझते और दूसरों के सामने अच्छा दिखने के लिए उत्सुक रहते हैं वे ईश्वर को अपने हृदय से दूर रखते हैं जबकि येसु अपने सवाल और अपने प्रेम से, पवित्र आत्मा के साथ मिलकर हमारे अंदर कार्य करते हैं और हमें वास्तविक व्यक्ति बनाते हैं। आज हमें ऐसे ही लोगों की जरूरत है।
संत पापा ने युवाओं को दूसरों की मदद करने की सलाह दी। उन्होंने कहा, हम सभी को अपने आप से पूछना चाहिए, “मैं दूसरों के लिए, कलीसिया और समाज के लिए क्या कर रहा हूँ? क्या मैं सिर्फ अपने बारे सोचता हूँ? अथवा क्या मैं अपनी रूचि पर ध्यान दिये बिना दूसरों की चिंता करता हूँ?” संत पापा ने उदार बनने, येसु के समान प्यार करने अर्थात् दूसरों की सेवा पर चिंतन करने हेतु प्रेरित किया।
प्रभु पर भरोसा रखें और उदार बनें
संत पापा ने युवाओं को खुला होने और प्रभु पर विश्वास करने का प्रोत्साहन दिया। सुसमाचार के उस युवक का उदाहरण देते हुए जिसने रोटी और मछली के चमत्कार में भीड़ को देखते हुए भी अपने पास जो भोजन था उसे येसु को दिया, संत पापा ने कहा कि वह युवक शिष्यों की तरह कह सकता था कि “यह पर्याप्त नहीं है, आप मुझसे क्यों मांग रहे हैं? लेकिन इस घटना में युवक ने एक असाधारण कार्य किया : उसने भरोसा रखा और अपने पास जो कुछ था उसे येसु को दिया। वह येसु से पाने आया था लेकिन स्वयं येसु को अपना सब कुछ दे दिया। इसके द्वारा चमत्कार होता है। यह बांटने से शुरू होता है। रोटी और मछली का चमत्कार, दूसरों के लिए युवक के बांटने से शुरू होता है। येसु के हाथों में उसका थोड़ा भी बहुत अधिक हो गया। विश्वास ऐसा ही है यह मुफ्त, उत्साह और उदारता से देने, भय से मुक्त होने एवं आगे कदम रखने से शुरू होता है।
संत पापा ने अंत में युवाओं से कहा, “प्यारे मित्रो, आप हरेक ईश्वर के लिए बहुमूल्य हैं और मेरे लिए भी। याद रखें कि कलीसिया और दुनिया के इतिहास में कोई दूसरा आपका स्थान नहीं ले सकता। आप जो कर सकते हैं उसे कोई दूसरा नहीं कर सकता। आइये, हम एक-दूसरे की मदद करें, यह विश्वास करें कि हम प्यार किये गये हैं और मूल्यवान हैं और हम महान चाजों के लिए बनाये गये हैं। आइये, हम इसके लिए प्रार्थना करें और एक-दूसरे को प्रोत्साहित करें।” अंत में, संत पापा ने युवाओं से अपने लिए प्रार्थना का आग्रह किया।
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