डेन्यूब एकता में बाँधती है, एस्तरगॉम-बुडापेस्ट के महाधर्माध्यक्ष
जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी
बुडापेस्ट, रविवार, 30 अप्रैल 2023 (रेई, वाटिकन रेडियो): हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट के कोसूथ लाहोस प्राँगण में, रविवार को सन्त पापा फ्राँसिस ने हंगरी तथा पड़ोसी देशों के काथलिक विश्वासियों के लिये ख्रीस्तयाग अर्पित किया।
अभिवादन और धन्यवाद ज्ञापन
बुडापेस्ट के कोसूथ लाहोस चौक में ख्रीस्तयाग समारोह के लिये उपस्थित हज़ारों श्रद्धालुओं के बीच एस्तरगॉम-बुडापेस्ट के महाधर्माध्यक्ष पीटर एर्दो नें काथलिक कलीसिया के शीर्ष सन्त पापा फ्राँसिस का अभिवादन किया तथा हंगरी की यात्रा करने के लिये उनके प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।
महाधर्माध्यक्ष एर्दो ने सन्त पापा फ्राँसिस के परमाध्यक्षीय काल के प्रथम शब्दों को याद कर कहा, "आपने अपने परमाध्यक्षीय काल के आरम्भ में कहा था कि कलीसिया को परिधियों में जाने का साहस रखना चाहिये, तब वास्तव में आपने हमारे हृदय का स्पर्श किया और इसके बाद से हंगरी के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन ने इसे अपना आदर्श मानकर हंगरी की काथलिक कलीसिया को परिधि में निवास करनेवाली कलीसिया के रूप में माना है।"
सन्त पापा को उन्होंने निर्धनों, हशिये पर जीवन यापन करनेवालों एवं शरणार्थियों की भेंट करने तथा दया और कोमलता का शुभ समाचार देने के लिए हार्दिक धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि उनकी इन अमूल्य भेंटों ने हंगरी की काथलिक कलीसिया के उदारता कार्यों को जोश और मज़बूती प्रदान की है।
डेन्यूब की क्षमता
डेन्यूब नदी के महत्व को प्रकाशित करते हुए महाधर्माध्यक्ष एर्दो ने स्मरण दिलाया कि डेन्यूब नदी जो बुडापेस्ट से गुज़रती है, कई शताब्दियों के लिए रोमन साम्राज्य की सीमा थी और हम एक हज़ार साल से पश्चिमी ईसाई जगत के पूर्वी किनारे पर रहते हैं। उन्होंने कहा कि डेन्यूब के किनारे रहने वाले लोगों ने सीखा है कि यह महान नदी न केवल एक सीमा है, बल्कि यदि हम बुद्धिमानी से पुलों का निर्माण करें तो यह उत्तर से दक्षिण तक, तथा पूर्व से पश्चिम तक लोगों को एकता के सूत्र में बाँधने की क्षमता रखती है।
महाधर्माध्यक्ष ने कहा कि हंगरी के प्रथम सम्राट सन्त स्टीफन ने हमारे समक्ष एकता और एकात्मता का जो आदर्श रखा है, उसका अनुपालन करने के लिये हंगरी की कलीसिया वचनबद्ध है।
अपना अभिवादन समाप्त करते हुए महाधर्माध्यक्ष एर्दो ने कहा, "महामहिम सन्त पापा! हमारे लिए संवाद और शांति का संदेश लाने हेतु धन्यवाद, जो आज विशेष रूप से समसामयिक है।"
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