संत पापाः येसु हमें नाम लेकर बुलाते और भेजते हैं
दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी
बुडापेस्ट, रविवार, 30 अप्रैल 2023 (रेई) संत पापा फ्रांसिस ने बुडापेस्ट के कोसूथ लाहोस प्रांगण में यूखारिस्तीय बलिदान अर्पित करते हुए भले चरवाहे के प्रेम पर चिंतन करते हुए अपने हृदय द्वार को खोलने का आहृवान किया।
संत पापा ने अपने प्रवचन में कहा, “मैं इसलिए आया की उन्हें सम्पूर्ण जीवन प्राप्त हो और सम्पूर्ण जीवन प्राप्त हो”। सुसमाचार के ये वचन हमें येसु की प्रेरिताई के सार को व्यक्त करते हैं। इसे हम चरवाहे, येसु के जीवन में पाते हैं जो अपनी भेड़ों के लिए जीवन अर्पित करते हैं। वे एक भले चरवाहे की भांति अपनी भेड़ों के पीछे जाते और हमें मृत्यु के मुँह से खींच लाते हैं। वे अपनी भेड़ों को अच्छी तरह जानते और उन्हें अपनी करूणा में अनंत प्रेम करते हैं। उन्होंने हमें अपने पिता की भेड़शाला में लाया और हमें उनकी संतान बनाया है।
संत पापा ने भले चरवाहे के दृष्टांत पर चिंतन करते हुए दो मुख्य बातों में ध्यान क्रेन्दित किया, वे “हमें नाम से बुलाते” और वे “हमें आगे ले चलते” हैं।
हम नाम लेकर बुलाये गये हैं
वे हमें नाम से बुलाते हैं, इस तथ्य पर चिंतन प्रस्तुत करते हुए संत पापा ने कहा कि मुक्ति इतिहास की शुरूआत हमारे गुणों, योग्यताओं और आकारों से नहीं होती है। यह ईश्वर के बुलावे से शुरू होती जहाँ वे अपनी अतुल्य करूणा में हमारी ओर आने की चाह रखते हैं। ईश्वर हमें पाप और मृत्यु से बचाना चाहते और अनंत जीवन तथा खुशी प्रदान करने की चाह रखते हैं। येसु मानवता में एक चरवाहे की भांति आये जिससे वे हमें स्वर्गीय निवास की ओर ले चलें। हम कृतज्ञतापूर्ण हृदय से उनके प्रेम पर चिंतन कर सकते हैं, जब हम उनसे दूर भटक गये थे। उन्होंने हमारे पापों का भार अपने ऊपर लिया जिससे वे हमें पिता की ओर ला सकें। आज भी ईश्वर हमें अपनी हर परिस्थिति में बुलाते हैं जब हम अपने को भ्रमित, भयभीत, बोझिल और दुःख तकलीफों से भरा अपने को तुच्छ स्थिति में पाते हैं। वे भले चरवाहे की भांति हमारे पास आते, नाम लेकर हमें बुलाते और हमें यह बतलाते हैं कि हम उनकी निगाहों में कितने मूल्यवान हैं। वे हमारे घावों को चंगाई प्रदान करते, हमारी कमजोरियों को अपने ऊपर लेते और हमें अपनी झुंड़ में शामिल करते हैं, जिससे हम पिता की संतान और एक दूसरे से लिए भाई-बहनें बने रहें।
संत पापा ने कहा कि आज हम ईश्वर के द्वारा बुलाये जाने की खुशी का अनुभव करते हैं। हमारा जन्म उनके बुलावे में हुआ है। उन्होंने हमें बुलाया है अतः हम उनकी संतान, उनकी झुंड, उनकी कलीसिया हैं। हमारी विभिन्नताएं हैं और हम अलग-अलग समुदाय के हैं लेकिन ईश्वर ने हमें एक साथ लाया है जिससे वे हमें अपने प्रेम में आलिंगन कर सकें। धर्माध्यक्षों, पुरोहितों, धर्मबंधुओं और लोकधर्मियों के रुप में हमारा एक साथ आना कितना अच्छा है। इसे दूसरे अंतरधार्मिक वार्ता के समुदायों संग साक्षा करना कितनी खुशी की बात है। ख्रीस्तीय होने का अर्थ यही है जहाँ हम चरवाहे के द्वारा नाम लेकर बुलाये जाते हैं जिससे हम उनके प्रेम को ग्रहण करें, उसे प्रसारित कर सकें जो किसी का परित्याग किये बिना सभी को अपने में सम्माहित करता है। हम सभी अपने बीच से विभाजन, व्यक्तिगतवाद, संकुचित समुदाय की भावना को अपने से दूर करें, अपने हृदय को प्रेम में खोलें क्योंकि हम भ्रातृत्व तथा सहयोगिता की भावना को विकसित करने हेतु बुलाये गये हैं।
चरवाहा हमें आगे लेते
संत पापा ने चरवाहे द्वारा आगे ले जाने पर अपना चिंतन जारी रखते हुए कहा कि वे पहले हमें नाम लेकर अपनी चारागाह में बुलाते और अब वे हमें बाहर भेजते हैं। वे हमें दुनिया में भेजते हैं जिससे हम साहस और निडर होकर उनके सुसमाचार की घोषणा करें, उनके प्रेम का साक्ष्य दें जो हमें नया जीवन प्रदान करता है। प्रवेश करना औऱ बाहर निकले को येसु एक दूसरी निशानी द्वारा हमारे लिए प्रस्तुत करते हैं। वे कहते हैं, “मैं द्वार हूँ जो मुझ से होकर प्रवेश करता उसे मुक्ति मिलेगी, वह अंदर बाहर होकर चरागाह को प्राप्त करेगा।” येसु ख्रीस्त वे खुले द्वार हैं जो हमें पिता की करूणामय अनुभूति में प्रवेश करने हेतु मदद करते हैं। वहीं हम यह जानते हैं कि द्वार केवल प्रवेश करने हेतु नहीं लेकिन बाहर निकलने के लिए भी है। पिता के प्रेममय आलिंगन कलीसिया में लाने के उपरांत येसु हमें दुनिया में भेजते हैं। वे हमें अपने भाई-बहनों से मिलने हेतु भेजते हैं हम इस बात को कभी न भूलें। हम अपनी आराम स्थल से बाहर निकलने और उन लोगों से साहसपूर्वक मिलने जाने को कहे जाते हैं जो हाशिये में हैं जिन्हें सुसमाचार की ज्योति की जरुरत है।
द्वार को खोलना
संत पापा ने कहा कि आगे जाने का अर्थ हमें येसु की भांति अपने द्वार को खोलना है। द्वार को बंद देखना अपने में कितना दुःखदायी होता है। हम स्वार्थ में अपने को दूसरों के लिए बंद कर देते हैं, अकेलेपन के बढ़ते समाज में व्यक्तिगतवाद, पददलितों और दुःख के शिकार लोगों के प्रति उदासीनता में अपने द्वार बंद करते, परदेशियों जैसे कि प्रवासियों और या गरीबों के लिए अपने दरवाजों को बंद करते हैं। कलीसिया के अंदर भी आज हम दरवाजों को बंद पाते हैं, दूसरों के लिए, विश्व के लिए, “अनियमित” व्यक्ति के लिए, ईश्वर से क्षमा की चाह रखने वालों के लिए हम द्वार बंद कर देते हैं। संत पापा ने निवेदन किया,“कृपा हम अपने द्वारों को खोलें”। हम अपने कार्य और शब्दों के माध्यम दूसरों से लिए अपने द्वार को खोलें। येसु की तरह खुला द्वार हर व्यक्ति को ईश्वर के प्रेम की सुन्दरता और क्षमाशीलता को अनुभव करने के योग्य बनाता है।
येसु प्रवेश द्वार
संत पापा विशेष रुप से याजकों से निवेदन करते हुए कहा, “येसु हमें कहते हैं कि भला चरवाहा न तो एक लुटेरा है न ही चोर”। दूसरे शब्दों में वह अपने पदों का लाभ नहीं उठाता, वह अपनी भेड़ों में बोझ नहीं डालता, वह उन स्थानों पर कब्जा नहीं करता जो लोकधर्मियों के लिए हैं। वह अपने में कठोरता से पेश नहीं आता। उन्होंने कहा कि हम एक दूसरे को द्वार खोलने के लिए प्रोत्साहित करें, हम ईश्वर की कृपा को दूसरों तक ले जायें, हम येसु की भांति अपना जीवन दूसरों के लिए अर्पित करें। वे हमें क्रूस से अपनी बाहों को खोलने की शिक्षा देते और बेदी में हमारे लिए रोटी तोड़ते हैं। हम जीवन के स्वामी की सांत्वना और चंगाई को अपने हृदय में प्रवेश करने दें जिससे हम समाज के लिए खुला द्वार बन सकें। आप का खुला रहना हंगरी को भ्रातृत्व में विकसित करेगा जो शांति का एक मार्ग है।
संत पापा ने पुनः इस बात को दुहराते हुए कहा कि येसु हमें नाम लेकर अपने करूणामय अनंत प्रेम में बुलाते हैं। वे द्वार हैं जिससे हम अनंत जीवन में प्रवेश करते हैं। वे हमारे भविष्य हैं जिनमें हमें जीवन की प्रचुरता प्राप्त होती है। हम निराश न हों। हम अपने जीवन की खुशी और शांति को जिसे उन्होंने हमें दिया है न खोयें। हम अपने में सीमित होकर दूसरे से दूर न हों। भला चरवाहा हमारे साथ, हमारे जीवन, परिवार और ख्रीस्तीय समुदायों में रहें जिससे हंगरी का जीवन अपनी समृधि में विकसित होता जाये।
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