संत पापा- तृत्वमय ईश्वर प्रेम की निशानी

संत पापा फ्रांसिस ने पवित्रतम तृत्वमय महोत्सव के अवसर पर देवदूत प्रार्थना के पूर्व तृत्वमय ईश्वर के रहस्य पर प्रकाश डाला और विश्वासियों को उनके प्रेम का साक्ष्य बनने का आग्रह किया।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

संत पापा फ्रांसिस पवित्रतम तृत्वमय महोत्सव के अवसर पर संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में देवदूत प्रार्थना हेतु एकत्रित हुए सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को संबोधित को करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

आज, तृत्वमय ईश्वर के महोत्वस का सुसमाचार हमारे लिए येसु और निकोदिमुस के बीच हुई वार्ता को प्रस्तुत करता है (यो.3.16-18)। निकोदिमुस शास्त्रियों के उस दल का सदस्य था जो ईश्वरीय  रहस्य को लेकर अपने में उत्साहित रहता था। वे येसु में दिव्य ईश्वर की शिक्षा को पहचानते और गुप्त रुप में, रात को उनसे वार्ता करने जाते हैं। येसु ने उनकी बातें सुनी, वे उनमें इस बात को समझते हैं कि वे ज्ञान की खोज में हैं, अतः वे पहले उन्हें आश्चर्यचकित करते हैं, यह कहते हुए कि ईश्वर के राज्य में प्रवेश करने हेतु किसी को पुनः जन्म लेने की आवश्यकता है, और तब वे इसके गूढ़ रहस्य को उनके लिए यह कहते हुए प्रकट करते हैं कि ईश्वर ने मानव जाति को इतना प्रेम किया कि उन्होंने उनके लिए अपने एकलौटे पुत्र को दुनिया में भेजा। येसु, अतः बेटे के रुप में अपने पिता और उनके अतुल्य प्रेम के बारे में कहते हैं।

पिता और पुत्र निकटता की निशानी

पिता और पुत्रः यह हमारे लिए एक परिचित निशानी है और यदि हम इसके बारे में चिंतन करें तो यह हमारे ईश्वर की निशानी को बिगाड़ती है। वास्तव में, “ईश्वर” शब्द हमारे लिए एक मात्र, राज्यकीय और सुदूर सच्चाई को व्यक्त करती है, वहीं एक पिता और एक पुत्र का जिक्र करना हमें वापस घर लेकर आता है। हाँ, हम इस तरह ईश्वर के बारे में विचार कर सकते हैं, एक परिवार के संदर्भ में जो मेज के चारों ओर एक साथ जमा होता है, जहाँ जीवन को साझा किया जाता है। इसके आलावे, मेज जो हमारे लिए एक बलिवेदी है, एक वह निशानी जिसके द्वारा कुछ निश्चित चिन्ह हमें पवित्र आत्मा की ओर इंगित कराते हैं। यह वह निशानी है जो हमारे लिए ईश्वर के संग एकता की बात व्यक्त करती है, जहाँ हम पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा को एकता में पाते हैं।

एक सच्ची निशानी

लेकिन यह केवल एक निशानी मात्र नहीं है, यह एक सच्चाई है। यह सच्चाई है क्योंकि पवित्र आत्मा, जिसे पिता आत्मा के रुप में, येसु ख्रीस्त के माध्यम हमारे हृदयों में उड़ेलते हैं, जो हम में ईश्वीय उपस्थिति का स्वाद लाते हैं, हमें यह अनुभव दिलाते है- कि मुक्तिदाता ईश्वर सदैव हमारे निकट रहते हैं, वे हमारे लिए करूणावान और कोमल है। पवित्र आत्मा हमारे संग वही करते हैं जिसे येसु निकोदेमुस के संग करते हैं- वे हमारे लिए नये जन्म के रहस्य को लाते हैं, वे हमारे विश्वास के रहस्य, ख्रीस्तीय जीवन को व्यक्त करते हैं, वे हमारे लिए पिता के हृदय को प्रकट करते और वे हमें ईश्वरीय जीवन के भागीदार बनाते हैं।

संत पापा ने कहा कि वे हमें जो निमंत्रण देते उसके बारे में हम कह सकते हैं कि वे हमें पिता के संग भोज में शामिल करते और उनके प्रेम के भागीदार बनाते हैं। उन्होंने कहा कि यह हर पवित्र यूखारिस्तीय बलिदान में होता है, परमप्रसाद की बलिवेदी में, जहाँ येसु ख्रीस्त अपने को पिता के लिए औऱ हमारे लिए बलि अर्पित करते हैं।

क्रूस का चिन्ह

हाँ प्रिय भाइयो एवं बहनों, संत पापा ने कहा कि ईश्वर हमारे लिए एक प्रेममयी एकता हैं- येसु हमें अपने को इसी रूप में व्यक्त करते हैं। और क्या आप जानते हैं कि हम कैसे इसे याद कर सके हैंॽ एक सबसे सरल निशानी, क्रूस का चिन्ह अंकित करने के रुप में जिसे हमने बच्चों की भांति अपने जीवन में सीखा। अपने शरीर में क्रूस का चिन्ह अंकित करते हुए, हम अपने को इस बात की याद दिलाते हैं कि ईश्वर हमें कितना अधिक प्रेम किया है, यहाँ तक कि वे हमारे लिए अपने जीवन को अर्पित कर देते हैं, हम इसे अपने में दुहराते हैं कि उनका प्रेम हमें पूरी तरह से ढ़क लेता है, ऊपर से नीचे तक, दायें-बाये चारों ओर से एक आलिंगन की भांति जहाँ हम अपने को कभी छोड़े नहीं जाने का अनुभव करते हैं। इसके साथ ही, हम अपने को ईश्वर के प्रेम का साक्ष्य देने हेतु समर्पित करते हैं, उनके नाम में एकता स्थापित करते हैं। संत पापा ने सभों से आग्रह किया कि वे अपने को क्रूस के चिन्ह से अंकित करें।

प्रेम का साक्ष्य दें

आज, तब, संत पापा ने कहा कि हम अपने में पूछ सकते हैं-क्या हम ईश्वर का साक्ष्य प्रेम के रुप में देते हैंॽ या प्रेम के रुप में ईश्वर हमारे लिए एक विषय बन जाते हैं, एक ऐसी चीज जिसके बारे में हमने सुना है, जो हमारे जीवन को उत्तेजित नहीं करता हैॽ यदि ईश्वर प्रेम हैं, तो क्या हमारे समुदाय प्रेम करना जानते हैंॽ और हमारे परिवार...क्या हम अपने परिवार में प्रेम करना जानते हैंॽ क्या हम अपने दरवाजों को सदैव खुला रखते हैंॽ क्या हम भाई-बहनों के रुप में सभों का स्वगत करना जानते हैंॽ क्या आप सभों को ईश्वरीय क्षमा का भोज और सुसमाचार की खुशी प्रदान करते हैंॽ क्या हम परिवार में रहने का अनुभव करते हैं या कार्यालय के रहने का अनुभव करते हैं या एक अरक्षित स्थान जहाँ सिर्फ चुने हुए प्रवेश कर सकते हैंॽ ईश्वर प्रेम हैं, ईश्वर पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा के रुप में हैं जो हमारे लिए अपना जीवन अर्पित करते हैं।  

माता मरियम हमें एक कलीसिया के रुप में परिवार की तरह जीवन व्यतीत करने में मदद करें जहाँ हम प्रेम का अनुभव करते हैं, जिसके द्वार पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा ईश्वर महिमा होती है।

अपने देवदूत प्रार्थना के उपरांत संत  पापा फ्रासिंस ने भारतीय रेल दुर्घटना में हताहत हुए लोगों की याद करते हुए मृतकों की आत्माओं हेतु शांति की कामना की और घायलों हुए लोगों के परिजनों को अपनी सांत्वना प्रदान की। इसके उपरांत उन्होंने सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों का अभिवादन किया और अंत में सबों को रविवारीय मंगलकामनाएँ अर्पित कर, अपने लिए प्रार्थना का निवेदन करते हुए विदा ली।

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05 June 2023, 11:36