"भाईचारे का अकाल" मौजूद है, युद्ध का करें बहिष्कार
जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी
न्यूयॉर्क, गुरुवार, 15 जून 2023 (रेई, वाटिकन रेडियो): न्यूयॉर्क में इस समय जारी संयुक्त राष्ट्र संघीय सुरक्षा परिषद की बैठक में प्रेषित एक सन्देश में सन्त पापा फ्राँसिस ने इस तथ्य को रेखांकित किया है कि "यदि शांति की इच्छा वास्तव में की जाये तो शांति सम्भव है" और यह कि "मानवजाति के लिए शांति ईश्वर का सपना है।"
वाटिकन प्रेस द्वारा बुधवार 14 जून को प्रकाशित सन्त पापा फ्राँसिस के उक्त सन्देश को संयुक्त राष्ट्र संघीय सुरक्षा परिषद की बैठक में वाटिकन राज्य के विदेश सचिव महाधर्माध्यक्ष पौल रिचर्ड गालाघार ने पढ़ा। सन्देश में सन्त पापा फ्राँसिस ने "क्रुद्ध एवं आक्रामक राष्ट्रवाद" के खिलाफ चेतावनी दी है तथा "पारदर्शिता और ईमानदारी" के साथ संयुक्त राष्ट्र संघीय चार्टर के अनुप्रयोग को प्रोत्साहन दिया है।
ग़ौरतलब है कि सन्त पापा फ्राँसिस 07 जून को हुई सर्जरी के बाद से अभी भी रोम के जेमेल्ली अस्पताल में भर्ती हैं।
सन्त पापा ने एक बार फिर हिंसा, संघर्षों और हथियारों के निर्माण को समाप्त करने के अपने आह्वान को दोहराया और कहा कि ये सब आज की दुनिया को चिन्हित करने वाले "भाईचारे के अकाल" को दर्शाते हैं। उन्होंने कहा, "युद्ध के लिए दृढ़तापूर्वक "ना" कहने का समय आ गया है ताकि यह दर्शाया जा सके युद्ध न्यायपूर्ण नहीं हैं, बल्कि केवल शांति ही न्यायपूर्ण है" तथा यह कि "यदि शांति की वास्तव में इच्छा की जाये तो शांति संभव है।"
टुकड़ों में तीसरा विश्व युद्ध
सन्देश में सन्त पापा ने कहा कि वर्तमान में मानवता एक "निर्णायक क्षण" से गुज़र रही है "जिसमें शांति के बदले युद्ध को रास्ता मिल रहा है" और ऐसा लगता है कि अदूरदर्शी, उग्रवादी, क्रोधी और आक्रामक राष्ट्रवाद के उदय के साथ "हम इतिहास में पीछे की ओर जा रहे हैं, जो इससे भी अधिक हिंसक रहा है।" सन्त पापा ने कहा कि संघर्ष बढ़ रहे हैं और स्थिरता दिन प्रति दिन खतरे में पड़ रही है, हम तीसरा विश्व युद्ध टुकड़ों में लड़ रहे हैं।
पक्षपातपूर्ण हितों का बहिष्कार करें
सन्त पापा ने इस बात पर खेद व्यक्ति किया इस समय संयुक्त राष्ट्र संघीय सुरक्षा परिषद भी, जिसका उद्देश्य विश्व में सुरक्षा और शांति कायम करना है, लोगों की दृष्टि में शक्तिहीन प्रतीत हो रही है। तथापि, उन्होंने कहा कि सुरक्षा परिषद का कार्य शांति के प्रोत्साहन हेतु अमूल्य है, और इसीलिये वह परमधर्मपीठ की प्रशंसा का पात्र है।
शांति मिशन में पूर्ण प्रतिबद्धता के साथ आगे बढ़ते रहने के लिये सुरक्षा परिषद के प्रतिभागियों को आमंत्रित कर सन्त पापा ने कहा कि सभी के कल्याण के लिये यह नितान्त आवश्यक है कि पूर्वधारणाएँ, संकीर्ण दृष्टिकोण तथा पक्षपातपूर्ण विचारों एवं हितों का बहिष्कार किया जाये।
सन्त पापा ने लिखा, "सुरक्षा परिषद से अपेक्षा की जाती है कि वह पारदर्शिता और ईमानदारी के साथ, बिना किसी गुप्त उद्देश्य के, न्याय के एक अनिवार्य संदर्भ बिंदु के रूप में न कि नकली इरादों को छिपाने के साधन के रूप में संयुक्त राष्ट्र के चार्टर का सम्मान करे तथा उसे लागू करे।"
उन्होंने कहा कि आज की वैश्वीकृत दुनिया में, हालांकि, हम सभी एक दूसरे के बहुत करीब हो गये हैं, लेकिन अब हमारे बीच भाईचारा नहीं रहा है। इसके विपरीत, "हम भाईचारे के अकाल से पीड़ित हैं, जो अन्याय, ग़रीबी और असमानता की कई स्थितियों और एकजुटता की संस्कृति की कमी से उत्पन्न होता है।"
हथियारों के विरुद्ध चेतावनी
सन्त पापा ने कहा कि असत्रों एवं विनाशक हथियारों की बिक्री से होनेवाले सरल लाभ के प्रलोभन से बचना ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि समस्या की जड़ आर्थिक भी है, संत पापा ने स्वीकार किया कि "युद्ध अक्सर शांति की तुलना में अधिक आकर्षक होता है, क्योंकि यह लाभ को बढ़ावा देता है, तथापि यह नहीं भुलाया जाना चाहिये कि, पूरी आबादी की भलाई की कीमत पर, लाभ केवल कुछ लोगों का होता है जो हथियारों की बिक्री से धन अर्जित करते हैं।"
उन्होंने कहा, "अधिक परिष्कृत और शक्तिशाली हथियारों को बेचकर आसान मुनाफा कमाने की तुलना में शांति बनाये रखने में मदद करना कहीं अधिक कठिन है, इसके लिये "साहस" की आवश्यकता होती है। युद्ध छेड़ने की तुलना में शांति की तलाश करने हेतु अधिक साहस की आवश्यकता होती है। टकराव के बजाय, शत्रुता जारी रखने के बजाय बातचीत की मेज़ पर बैठने के लिए अधिक साहस की आवश्यकता होती है।"
सन्त पापा ने इस बात पर बल दिया कि शांति के निर्माण हेतु यह अनिवार्य है कि हम हर स्थिति में युद्ध का बहिष्कार करें तथा उन अनगिनत निर्दोष बच्चों एवं लोगों का विलाप सुनें जो शांति, सहअस्तित्व एवं भाईचारे के वातावरण में जीना चाहते हैं।
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