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अंतरराष्ट्रीय  धार्मिक और सामाजिक संघों के सदस्य  संग संत पापा अंतरराष्ट्रीय धार्मिक और सामाजिक संघों के सदस्य संग संत पापा   (Vatican Media)

संत पापाः आफ्रीका के प्रति हमारा विश्वास वृहद है

संत पापा फ्राँसिस ने अफ्रीका के सघन शिक्षण प्रवर्तकों के प्रतिनिधियों से भेंट की और युवाओं को शिक्षित करने के उनके लक्ष्य की प्रशंसा की जहाँ वे उन्हें ख्रीस्तीय मूल्यों और अफ्रीकी परंपराओं पर बने रहने को प्रोत्साहित करते हैं।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, गुरूवार, 01 जून 2023 (रेई) संत पापा फ्रांसिस ने अफ्रीका के सघन शिक्षण प्रवर्तकों के एक अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधि मंडल से भेंट करते हुए उनके कार्यों की प्रशंसा की।

संत पापा ने प्रतिनिधि मंडल का स्वागत करते हुए कहा, “हम अफ्रीका को बड़े विश्वास के साथ देखते हैं”। यह सघन अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का प्रतिफल है जो नवम्बर 2019 में किंनचाशा, कांगों धर्माध्यक्षीय सम्मेलन की देख-रेख में, अंतरराष्ट्रीय धर्मों और सामाजिक संघ तथा कांगो के काथलिक विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित किया गया था।

सितंबर 2019 में संत पापा के वैश्विक सघन शिक्षण से प्रेरिति इस सम्मेलन में  विभिन्न अफ्रीकी देशों के धर्माध्यक्षों, पुरोहितों वैज्ञानियकों और बुद्धिजीवियों ने उस कार्यक्रम में भाग लिया। संत पापा ने कहा, “मैं आपको बधाई देता हूँ, क्योंकि आप ने सबसे पहले एक महादेशीय शिक्षण सघन की आवश्यकता का अनुभव किया। आपने अपनी समझ में इस व्यक्त किया है कि मेरी इस पहल का उद्देश्य क्या लक्ष्य कर रहा,  अर्थात् वैश्विक शिक्षण सघन को चाहिए कि वह एक स्थानीय वास्तविकता बनें।

अफ्रीकी ज्ञान

संत पापा ने अफ्रीका के कहावत को उद्धत करते हुए कहा,“एक बच्चे को शिक्षित करना, पूरे कस्बे का दायित्व है।” यह शिक्षा के उस सामुदायिक आयाम को व्यक्त करता है जो हमेशा आपकी सहस्राब्दियों की शैक्षिक परंपरा का हिस्सा रहा है। उन्होंने कहा कि यह गाँव के सभी सदस्यों द्वारा एक शैक्षिक गठबंधन को दिखलाता है, जिसके तहत एक बच्चे की शिक्षा-दीक्षा का उत्तरदायित्व उसके पिता-माता की अनन्य जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह समुदाय के सभी सदस्यों की है। “हर किसी का, इसलिए कर्तव्य है कि वे शिक्षा का समर्थन करें, जो हमेशा एक संयुक्त प्रयास है।”

शिक्षा का सहयोग, उत्तरदायित्व है

संत पापा ने कहा, “शिक्षा में हमें अधिक जोखिम उठाना होगा और एक दल के रूप में कार्य करना होगा।” अफ्रीकी शिक्षा सघन  न केवल “रिश्तों के साम्यवादी और क्षैतिज आयाम” को मजबूत करना है बल्कि यह “ईश्वर के साथ संबंध” को भी अपने में सशक्त बनाना है।

अफ्रीका महादेश ने उत्साह के साथ ख्रीस्तीयता के लिए अपने को खोला है और वर्तमान में यह, वह महाद्वीप है जिसमें हम ख्रीस्तियों और काथलिकों की संख्या में सबसे बड़ी वृद्धि को पाते हैं। संत पापा ने फ्रांसिस ने कहा कि अफ्रीकी शिक्षा सघन स्थापना गर्व के साथ उस आदर्श वाक्य पर की गई है: “मैं हूँ क्योंकि हम हैं। आस्था वहां मौजूद है।”

युवाओं में निवेश

संत पापा ने प्रतिनिधि मंडल से आग्रह कि वे युवा लोगों की शिक्षा में निवेश जारी रखे। “सामूहिक शिक्षा की नीतियों के बाद, जो उपनिवेशवाद के बाद पहले दशकों की विशेषता थी,” अब समय आ गया है कि शिक्षा की बढ़ती योग्यता के लिए स्थानीय सरकारों के साथ मिलकर काम किया जाए, विशेष रूप से शिक्षकों को अच्छी तरह से प्रशिक्षित किया जाये, उनके कार्यों को महत्व दिया जाए जिससे उनके पेशे की गरिमा स्थापित की जा सके। “हम अफ्रीका को बड़े विश्वास के साथ देखते हैं, क्योंकि इसमें वह सब कुछ है जो भविष्य में महाद्वीप बनने हेतु नक़्शा तैयार करने में सक्षम है।”

संत पापा ने कहा कि मैं न केवल महान खनिज संसाधनों और आर्थिक प्रगति और शांति प्रक्रियाओं की ओर ध्यान आकर्षित करा रहा हूँ बल्कि मैं सभी शैक्षिक संसाधनों से परे सोच रहा हूँ, पारंपरिक अफ्रीकी शिक्षा के मूल्य, विशेष रूप से आतिथ्य, स्वागत, एकजुटता के मूल्य, जो शैक्षिक सघन में पूरी तरह फिट होती है। ख्रीस्तीयता, उन्होंने कहा, “हर संस्कृति के सबसे अच्छे हिस्से से मेल खाती है और  उसे परिशुद्ध करती तो सच्ची मानवता नहीं है।”

महाद्वीपों के लिए आदर्श

संत पापा ने अफ्रीकी शिक्षा समझौते के बारे में कहा, “प्लिनी द एल्डर क्या कहा करते थे: 'एक्स अफ्रीका सेम्पर एलिक्विड नोवी' 'कुछ नया हमेशा अफ्रीका से उत्पन्न होता है, आप इस बात की याद करें।” उन्होंने कहा कि मुझे आशा है कि शिक्षा पर अफ्रीकी सघन का अन्य महाद्वीपों द्वारा पालन किया जाएगा।

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01 June 2023, 16:39