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देवदूत प्रार्थना : मायने रखनेवाली चीजों में विश्वस्त बने रहें

रविवार को देवदूत प्रार्थना के दौरान संत पापा फ्राँसिस ने विश्वासियों को निर्देश दिया कि वे जीवन में सचमुच मायने रखनेवाली चीजों पर ध्यान दें, नश्वर चीजों पर नहीं।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शनिवार, 24 जून 2023 (रेई) : वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 25 जून को संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

आज के सुसमाचार पाठ में येसु अपने शिष्यों से तीन बार दुहराते हैं, “नहीं डरो।” (मती.10,26.28.31) कुछ ही समय पहले उन्होंने उनसे अत्याचार के बारे बात की थी जिससे होकर उन्हें सुसमाचार के कारण पार होना पड़ेगा।” संत पापा ने कहा कि यह एक सच्चाई है जो आज भी जारी है। वास्तव में, कलीसिया शुरू से ही, आनन्द के साथ-साथ अत्याचारों से भी परिचित है। यह विरोधाभास के समान लगता है: ईश्वर के राज्य की घोषणा एक शांति एवं न्याय का संदेश है, जिसके लिए भाईचारा पूर्ण प्रेम एवं क्षमाशीलता पर आधारित होने पर भी, उसे विरोध, हिंसा और अत्याचार का सामना करना पड़ता है। फिर भी येसु कहते हैं, नहीं डरो। इसलिए नहीं कि दुनिया में सब कुछ ठीक हो जाएगा बल्कि इसलिए कि हम पिता के लिए मूल्यवान हैं और कोई भी अच्छी चीज खो नहीं सकती। इस तरह वे हमें बतलाते हैं कि हम भय से बंद न हो जाएँ बल्कि सिर्फ एक दूसरी चीज के लिए डरें, वह कौन सी एक चीज है जिससे हमें डरना चाहिए?

अपना जीवन खोने का डर

संत पापा ने कहा, “हम इसे एक छवि के द्वारा समझ सकते हैं जिसका प्रयोग येसु आज करते हैं, वह छवि है “जेना” (नरक) (पद 28)। जेना की घाटी एक ऐसा स्थान है जिसके बारे येरूसालेम के निवासी ठीक से जानते हैं। यह शहर का सबसे बड़ा कचरा गड्ढ़ा है। येसु इसका जिक्र करते हुए कहना चाहते हैं कि उसमें डाले जाने से डरना चाहिए। मानो वे कहना चाहते हों कि हमें नसमझी और शिकायतों से उतना नहीं डरना चाहिए जितना मायने रखनेवाले और मू्ल्य की चीजों को खोने से डरना चाहिए ताकि हम सुसमाचार के प्रति निष्ठावान बने रह सकें। इस तरह तुच्छ चीजों के पीछे अपना जीवन बर्बाद करने के बजाय, हम जीवन को अर्थ देनेवाली चीजों को अपना सकें।”

आज भी प्रासंगिक

संत पापा ने कहा, और यह हमारे लिए भी लागू होता है। आज भी, व्यक्ति हँसी का पात्र बनता या भेदभाव का शिकार होता है यदि वह फैशल के अनुसार नहीं चलता। वास्तव में, गौण चीजों को केंद्र में रखा जाता है। इस तरह, व्यक्ति के बदले चीज वस्तुओं, रिश्तों के बदले प्रदर्शन को महत्व दी जाती है। आइये हम कुछ उदाहरण लें। माता-पिता जिन्हें अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए मजदूरी करनी पड़ती है लेकिन वे सिर्फ काम के लिए नहीं जी सकते, उन्हें अपने बच्चों के लिए समय देना जरूरी है। उसी तरह एक पुरोहित या धर्मबहन सिर्फ अपनी जिम्मेदारी तक सीमित नहीं रह सकते, उन्हें येसु के लिए समय निकालने नहीं भूलना चाहिए, अन्यथा वे आध्यात्मिक दुनियादारी में पड़ जायेंगे और अपनी पहचान को बनाये रखने की भावना खो देंगे। संत पापा ने एक ऐसे युवक या युवती का उदाहरण दिया जो हजारों प्रकार के कामों एवं जुनून में व्यस्त है, जैसे खेल, रूचियाँ, मोबाईल फोन और सोशल मीडिया आदि जबकि उसे लोगों से मिलना-जुलना और अपने सपनों को साकार करना होगा, उन चीजों पर समय गवाँये बिना जो कमाप्त हो जाते एवं कोई चिन्ह नहीं छोड़ते। 

संत पापा ने याद दिलाया कि इन सभी चीजों में दक्षता और उपभोक्तावाद की देवमूर्तियों के सामने कुछ छोड़ना होगा। यह जरूरी है ताकि हम उन चीजों में न खो जाएँ जिन्हें बाद में फेंकना पड़ेगा जैसा कि जेना में किया जाता था।

धारा विपरीत जाने के लिए त्याग की आवश्यकता

और आज के जेना या नरक में लोग अक्सर समाप्त हो जाते हैं। आइये, हम हाल की कुछ चीजों की याद करें, जिन्हें कचरे और के रूप में देखा जाता है अवांछित वस्तुओं के रूप में देखा जाता है। जो महत्वपूर्ण है उसकी कीमत चुकानी पड़ती है, इसके लिए धारा के विपरीत चलना पड़ता है, अपने आप को एक आम सोच की स्थिति से बाहर करना पड़ता है, उन लोगों से अलग होना पड़ता है जो “लहर के साथ चलते” हैं। पर यह कोई बड़ी बात नहीं है, येसु कहते हैं, महत्वपूर्ण बात है बड़ी चीज : जीवन का नहीं फेंका जाना। इसी के लिए हमें डरना चाहिए।

अतः आइये हम अपने आप से पूछें, मैं किससे डरता हूँ? क्या मैं अपनी रूचि की चीज को न पाने से भय खाता हूँ? समाज को लक्ष्य निर्धारित करता है वहाँ तक नहीं पाने के लिए डरता हूँ? दूसरों के न्याय से डरता हूँ? अथवा प्रभु को खुश नहीं कर पाने और उनके सुसमाचार को पहले स्थान पर नहीं रख पाने से डरता हूँ?

संत पापा ने माता मरियम से प्रार्थना करने का आह्वान करते हुए कहा, “मरियम, बुद्धिमान कुँवारी, हमें चीजों के चुनाव में चतुर और सहसी होने में मदद करें।

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

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25 June 2023, 13:27