गरीबों से अपना मुंह न मोड़ें, संत पापा फ्राँसिस
माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, मंगलवार 13 जून 2023 (वाटिकन न्यूज) : संत पापा फ्राँसिस ने गरीबों के वार्षिक विश्व दिवस के लिए अपना संदेश जारी किया है, जिसमें जोर देकर कहा है कि "गरीबी की एक बड़ी नदी हमारे शहरों को पार कर रही है" और प्रत्येक ख्रीस्तीय को इसके खिलाफ संघर्ष में "व्यक्तिगत रूप से शामिल" होने के लिए कहा जाता है।
गरीबों का वार्षिक विश्व दिवस जो इस वर्ष 19 नवंबर रविवार को मनाया जाएगा। संत पापा का संदेश, तोबित के ग्रंथ के पाठ पर एक विस्तारित चिंतन है।
समस्या का पैमाना
संत पापा फ्राँसिस ने अपने संदेश की शुरुआत इस बात पर जोर देते हुए की, "गरीबी की एक बड़ी नदी हमारे शहरों को पार कर रही है और उफान पर है, ऐसा लगता है कि यह हम पर भारी पड़ रहा है, हमारे भाइयों और बहनों की ज़रूरतें बहुत बड़ी हैं जो हमारी मदद, समर्थन और एकजुटता की याचना करते हैं।
"हम ऐसे समय में जी रहे हैं, जहाँ संपन्न जीवन शैली अपनाने का दबाव बढ़ता जा रहा है, लोग गरीबों की जरूरतों के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील नहीं हैं और गरीबी में रहने वालों की आवाज अनसुनी हो जाती है।"
विशेष रूप से, संत पापा ने "गरीबी के नए रूपों" पर जोर दिया, जैसे "युद्ध की स्थितियों में फंसे लोग", कई श्रमिकों पर किये गये "अमानवीय व्यवहार", और "विभिन्न क्षेत्रों में सट्टा" जो "नाटकीय रुप से वस्तुओं की कीमतों को बढ़ाता है फलतः कई परिवारों को और अधिक गरीब बनाता है।”
हमारी प्रतिक्रिया
इन समस्याओं का सामना करते हुए, संत पापा फ्राँसिस लिखते हैं, हमारी जिम्मेदारी स्पष्ट है। हमें तोबियास को दिये गये टोबीत के शब्दों पर ध्यान देना चाहिए: "किसी गरीब से अपना मुंह मत मोड़ना।"
संत पापा आगे कहते हैं, "एक शब्द में,जब भी हम किसी गरीब व्यक्ति से मिलते हैं, तो हम दूसरी ओर नहीं देख सकते, क्योंकि यह हमें प्रभु येसु के चेहरे का सामना करने से रोकेगा।"
इस प्रकार, “भले सामरी का दृष्टान्त (लूकस 10:25-37) केवल अतीत की कहानी नहीं है; यह हमारे दैनिक जीवन में यहां और अभी हम में से प्रत्येक को चुनौती देना जारी रखता है। दूसरों को दान सौप देना आसान है, फिर भी प्रत्येक ख्रीस्तीय का आह्वान व्यक्तिगत रूप से शामिल होना है।"
राजनीतिक प्रक्रिया
संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि इस वर्ष संत पापा जॉन तेईसवें के ऐतिहासिक विश्व पत्र ‘पाचेम इन तेरिस’ के प्रकाशन की 60वीं वर्षगांठ है, जिसमें उन्होंने आग्रह किया कि "प्रत्येक मनुष्य को जीवन, शारीरिक अखंडता और जीवन के समुचित विकास के लिए आवश्यक साधनों का अधिकार प्राप्त है, जिसमें भोजन, वस्त्र, आश्रय, चिकित्सा देखभाल, आराम और अंत में, आवश्यक सामाजिक सेवाएं शामिल हैं।
इन लक्ष्यों को पूरा करने में राजनीतिक प्रक्रिया की विफलता के सामने, संत पापा फ्राँसिस पूछते हैं कि कैसे कार्य किया जाए?
उनका कहना है कि जवाब दोहरा है। एक ओर, "सार्वजनिक संस्थानों को अपने कर्तव्यों को ठीक से करने के लिए आग्रह करने और यहां तक कि दबाव डालने की आवश्यकता है," लेकिन दूसरी ओर, "सब कुछ 'ऊपर से' प्राप्त करने की आशा में निष्क्रिय रूप से प्रतीक्षा करने का कोई फायदा नहीं है"।
संत पापा फ्राँसिस ने जोर देकर कहा कि जो लोग गरीबी में रह रहे हैं, उन्हें भी "परिवर्तन और जिम्मेदारी" की इस खोज में शामिल किया जाना चाहिए।
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