खोज

संत पापाः येसु का अनुसरण सुसमाचार घोषणा में करें

संत पेत्रुस और संत पौलुस का महोत्सव मनाते हुए संत पापा फ्रांसिस ने उनके जीवन में सुसमाचार प्रचार की शैली पर प्रकाश डाला और सुसमाचार की घोषणा करने का आहृवान किया।

संत पापा फ्रांसिस ने कलीसिया के दो स्तम्भ संत पेत्रुस और संत पौलुस का महोत्सव मनाते हुए संत पेत्रुस के महागिरजाघर में पवित्र यूखारिस्तीय बलिदान अर्पित किया।

संत पापा ने अपने मिस्सा बलिदान के दौरान प्रवचन में कहा कि हम कलीसिया में विश्वास के दो स्तम्भ संत पौलुस और पेत्रुस जिन्होंने येसु ख्रीस्त को प्रेम किया, की यादगारी मना रहे हैं। हम उनके जीवन पर चिंतन कर रहे हैं, आज का सुसमाचार हमारे लिए येसु के सावल को प्रस्तुत करता है जिसे वे अपने शिष्यों से पूछते हैं- “तुम क्या कहते हो कि मैं कौन हूँॽ” (मत्ती.16.16)। यह एक अति जरूरी और महत्वपूर्ण सवाल है- येसु मेरे लिए कौन हैंॽ येसु मेरे जीवन में कौन हैंॽ हम इस सवाल पर चिंतन करें कैसे उन दो शिष्यों ने इसका उत्तर दिया।

पेत्रुस-अनुसरण

संत पापा ने कहा कि संत पेत्रुस के उत्तर को हम एक शब्द- अनुसरण में संक्षिप्त कर सकते हैं। पेत्रुस येसु के अनुसरण का अर्थ जानते हैं। उस दिन कैसिरिया फिलिप्पी प्रदेश में, पेत्रुस ने येसु के सवाल का उत्तर अपने विश्वास को व्यक्त करते हुए दिया,“आप मसीह हैं जीवंत ईश्वर के पुत्र” (मत्ती.16.16)। यह एक त्रुटीहीन, निश्चित, ठोस और हम कह सकते हैं कि अपने में एक श्रेष्ट “धर्मशिक्षा” उत्तर है। यह उत्तर यात्रा का एक परिणाम था। क्योंकि येसु का केवल एक रोमांचकारी अनुसरण करने के बाद ही पेत्रुस अपनी आध्यात्मिक प्रौढ़ता तक पहुंचते हैं, यह उनके लिए कृपा है जो विश्वास को स्पष्ट रुप में व्यक्त करने हेतु मदद करता है।

तुरंत

वही सुसमाचार लेखक संत मत्ती हमें इस बात को बतलाते हैं कि इन सारी चीजों की शुरूआत एक दिन गलीलिया समुद्र तट के किनारे होती है जहाँ येसु टहलते हुए पेत्रुस और उसके भाई अन्द्रेयस को अपना अनुसरण करने का निमंत्रण देते हैं, “और वे तुरंत अपने जालों को छोड़कर उनके पीछे हो लिये” (मत्ती.4.20)। पेत्रुस सब कुछ छोड़कर येसु का अनुसरण करते हैं। सुसमाचार हमें इसे “तुरंत” के रुप में प्रस्तुत करता है, उन्होंने इसके लाभ-हानि पर विचार नहीं किया, वह कोई बहाना नहीं करते हैं। बल्कि वे सब कुछ छोड़कर, किसी गंरटी की मांग किये बिना उनके पीछे हो लेते हैं। वह रोज दिन एक शिष्य की भांति, येसु का अनुसरण करने वाले की तरह, उनके कदमों के पीछे चलते हैं। येसु के शब्द जहाँ वे पेत्रुस को अपने पीछे आने को कहते, “मेरा अनुसरण करो” संयोगवश नहीं होता है (यो.21.22)।

येसु को जानना, उनका शिष्य बनकर पीछे चलना

संत पापा ने कहा कि संत पेत्रुस हमें- “येसु मेरे लिए कौन हैं” को अपने सैद्धांतिक सूत्र के अनुरूप नहीं बतलाते हैं। केवल प्रति दिन येसु का अनुसरण करते हुए हम उनके बारे में जानते हैं, केवल उनका शिष्य होने के द्वारा और उनके वचनों को सुनने में, उनका मित्र बनने और उनके परिवर्तित करने वाले प्रेम का अनुभव करने के द्वारा हम उन्हें जानते हैं। यहाँ शब्द तुरंत भी हमारे लिए अर्थपूर्ण है। जीवन में हम बहुत सारी चीजों को स्थागित कर सकते हैं लेकिन येसु के अनुसरण को नहीं, हम संदेह नहीं कर सकते या बहाना नहीं बना सकते हैं। हमें अपने में सजग रहने की भी जरूरत है क्योंकि कुछ बहने हमारे लिए आध्यात्मिक रुप में भी हो सकते हैं जैसे कि “मैं इसके योग्य नहीं हूँ”, “यह मुझ में नहीं है”, “मैं क्या कर सकता हूँॽ” यह हमारे लिए शैतान की ओर से आता है जहाँ हम ईश्वर से आने वाली कृपा को यह सोचते हुए खो देते हैं कि सारी चीजें हमारी योग्यताओं पर निर्भर करती हैं।

कलीसिया की चुनौती

संत पापा ने कहा कि संत पेत्रुस हमारे लिए दुनियावी चीजों को अपने से अलग रखते हुए “तुरंत” येसु का अनुसरण करने की चुनौती रखते हैं। वे हमें अनुसरण करने वाली कलीसिया बनने का निमंत्रण देते हैं। एक कलीसिया जो येसु का शिष्य होने की चाह करती हो, सुसमाचार के एक दीन-हीन सेवक की भांति। केवल ऐसा करने के द्वारा कलीसिया सभों से वार्ता करने को सक्षम हो सकती, दूसरों के साथ चलती और आशा तथा निकटता में वर्तमान नर-नारियों के लिए सहचर्य प्रदान करती है। ऐसा करने के द्वारा ही वे लोग जो हमसे दूर हैं, उदास या अविश्वासी हैं इस बात का अनुभव करते हैं कि कलीसिया अन्यों के संग और सजीव ईश्वर के पुत्र से मिलन का एक स्थल है।

संत पौलुस- घोषणा

संत पौलुस के जीवन पर चिंतन करते हुए संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि यदि पेत्रुस के लिए शब्द अनुसरण है तो पौलुस के लिए हम इसे घोषणा, सुसमाचार की घोषणा कह सकते हैं। पौसुल के लिए भी सारी चीजें कृपा से शुरू होती हैं जिसकी पहल स्वयं येसु करते हैं। दमिश्क की राह में वे उनसे मिलते और उन्हें अंधा कर देते हैं। उस ज्योति के लिए धन्यवाद, जहाँ पौलुस इस बात का अनुभव करते हैं कि वे कितने दृष्टिहीन हैं, अपने घंमड में नियमों के कठोर पालक, वे येसु ख्रीस्त में अपनी मुक्ति के रहस्य की परिपूर्णतः को पाते हैं। येसु के ज्ञान और उनके अनुसरण में वे दुनिया की सारी चीजों के “कूड़ाकरकट” समझते हैं (फिलि.3.7-8)। फिर संत पौलुस येसु मसीह को प्रचार करने के लिए, अभावों और उत्पीड़नों की परवाह किए बिना, भूमि और समुद्र, शहरों और कस्बों को लांघते हुए उनके लिए अपना जीवन समर्पित करते हैं। संत पापा ने कहा कि यदि हम संत पौलुस के जीवन को देखें तो हम पायेंगे कि जितना वे उनके सुसमाचार को घोषित करते उतना ही वे उनके ज्ञान वे बढ़ते जाते हैं। दूसरों को ईशवचन सुनने के क्रम में वे ईश्वरीय रहस्य की गरहाई में उतरते हैं। वे लिखते हैं, “धिक्कार मुझे यदि मैं सुसमाचार का प्रचार न करूँ” (1 कुरू.9.16)। वे इस बात को स्वीकार करते हैं कि “मेरे लिए, जीवन ख्रीस्त हैं” (फिलि.1.21)।

जीवन साझा करें

संत पौलुस हमें, “येसु हमारे लिए कौन हैं” का उत्तर देते हुए कहते हैं कि यह व्यक्तिगत भक्ति नहीं हैं जो हमें दूसरों को सुसमाचार सुनाने के संबंध में शांतिमय और चिंतामुक्त रखती हो। वे हमें बतलाते हैं कि हम येसु ख्रीस्त के रहस्य और ज्ञान में, उन्हें दूसरों को घोषित करते हुए और उनका साक्ष्य देते हुए बढ़ते हैं। यह हमारे लिए इस वाक्य में परिलक्षित होता है, जब कभी हम सुसमाचार सुनाते तो हम इसे अपने लिए घोषित होता पाते हैं। हम जिन बातों को दूसरों के लिए घोषित करते हैं वे हमारे लिए वापस आती हैं, जितना हम दूसरों को देते उतना ही अधिक हमें प्राप्त होता है (लूका.6.38)। आज कलीसिया में यह जरूरी है जहाँ सुसमाचार घोषणा को हम इसके क्रेन्द में पाते और कलीसिया इसका दुहरावा करने में कभी नहीं थकती है,“मेरे लिए जीवन येसु हैं” और “धिक्कार मुझे यदि मैं सुसमाचार का प्रचार न करूं”। कलीसिया में सुसमाचार की घोषणा उसी भांति जरुरी है जैसे हमें सांस के लिए आॉक्सीजन की आवश्यकता है। कलीसिया अपने में ईश्वर के प्रेम और सुसमाचार की खुशी को घोषित किये बिना जीवित नहीं रह सकती है।

सुसमाचार घोषित करें

संत पापा ने कहा कि आज के दोनों संतों ने येसु का शिष्य बनकर उनके वचनों को घोषित किया और उनका अनुसरण करते हुए हमें इस सवाल का जवाब देते हैं कि येसु मेरे लिए कौन हैं। कलीसिया के रूप में हम उनका अनुसरण करने, उन्हें निरंतर नम्रता में खोजते हुए, अपना विकास करने को बुलाये गये हैं। कलीसिया के रूप हम अपने में बाहर जाने, दुनिया की चीजों में खुशी की खोज करने को नहीं बल्कि दुनिया के सामने य़ेसु को घोषित करते हुए लोगों के हृदय में उनकी उपस्थिति को देखने हेतु बुलाये जाते हैं। संत पापा ने कहा कि हम नम्रता और खुशी में येसु ख्रीस्त को रोम के शहर, अपने परिवारों, अपने संबंधों में और पड़ोसियों तथा समाज में, कलीसिया और राजनैतिक जीवन में, पूरी दुनिया में घोषित करें विशेष कर उनके बीच जो गरीब, परित्यक्त स्थिति में हैं।

संत पापा ने उन धर्माध्यक्षों को संबोधित किया जिन्हें पालियुम दिया जायेगा जो रोम की कलीसिया के संग उनकी एकता को व्यक्त करती है। उन्होंने उनसे कहा, “आप संत पेत्रुस और पौलुस की तरह बनें”। शिष्यों के रूप में उनका अनुसरण करते हुए उन्हें घोषित करें। आप सुसमाचार की सुन्दरता को लोकधर्मियों के संग चारों और प्रसारित करें। अंत में संत पापा ने प्राधिधर्माध्यक्ष बर्थोलोमी की उपस्थिति हेतु उनके प्रति कृतज्ञता के भाव प्रकट किये। उन्होंने कहा कि हम एक साथ मिलकर सुसमाचार प्रचार, भातृत्व में बढ़ते हुए करें। संत पौलुस और संत पेत्रुस इस कार्य में हमारी सहायता करें। 

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

29 June 2023, 14:16