दक्षिणी कोरिया में संत पापा फ्राँसिस दक्षिणी कोरिया में संत पापा फ्राँसिस  (ANSA)

कोरियाई लोगों को पोप का संदेश : शांति के पैगम्बर बनें

पोप फ्राँसिस ने कोरियाई लोगों को प्रोत्साहन दिया है कि वे हमेशा शांति को बढ़ावा दें। उन्होंने 27 जुलाई को कोरियाई युद्धविराम समझौते पर हस्ताक्षर की 70वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में एक संदेश भेजा है।

वाटिकन न्यूज

वाटिकन सिटी, शनिवार, 28 जुलाई 23 (रेई) : 70 साल पहले, 27 जुलाई 1953 को कोरियाई युद्ध की शत्रुता को पूरी तरह समाप्त करने के लिए एक युद्धविराम हुआ था, हालांकि प्रायद्वीप में अब भी तनाव जारी है।

संत पापा के संदेश को सियोल के मेयोंग डोंग महागिरजाघर में पढ़कर सुनाया गया, "अनेक युद्ध और सशस्त्र संघर्ष जो आज मानव परिवार और विशेष रूप से हमारे सबसे कमजोर भाइयों और बहनों को परेशान कर रहे हैं, दुखद रूप से समुदायों के भीतर और लोगों के बीच न्याय और मैत्रीपूर्ण सहयोग की रक्षा और बढ़ावा देने के लिए निरंतर सतर्कता की आवश्यकता है।"

शांति एक-दूसरे के सम्मान पर आधारित है

दक्षिणी कोरिया के लाजरूस यू हेयुंगसिक महागिरजाघर में शांति के लिए अर्पित ख्रीस्तयाग में याजकों के लिए परमधर्मपीठीय विभाग के अध्यक्ष ने पोप फ्राँसिस के संदेश को प्रस्तुत किया। संदेश कोरिया के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अध्यक्ष धर्माध्यक्ष मत्तियस री लोंग – हून के नाम पर लिखा गया था।

संत पापा ने संदेश में सभी कोरियाई लोगों को निमंत्रण दिया है कि वे “शांति के पैगम्बर बनें, और याद दिलाया है कि यह हरेक व्यक्ति के सम्मान पर, नियम की कद्र और सार्वजनिक भलाई पर आधारित है, चाहे उनका इतिहास जैसा भी हो, क्योंकि सृष्टि हमें सौंपी गई है और नैतिक रूप से अतीत की पीढ़ी द्वारा हस्तांतरित की गई है।” 

कोरियाई प्रायद्वीप और पूरी दुनिया के लिए मेल-मिलाप

संत पापा कोरिया के लोगों से कहते हैं, "मैं आध्यात्मिक रूप से आपके नजदीक हूँ। आपकी धरती के धर्माध्यक्ष, पुरोहित, धर्मसमाजी और लोकधर्मी के लिए यह वर्षगाँठ, सर्वशक्तिमान ईश्वर के राज्य निर्माण हेतु उनकी प्रतिबद्धता को नवीकृत करने का अवसर बने, जो पवित्र आत्मा में न्याय, शांति और आनन्द से पूर्ण है।" (रोम.14:17)

अपने संदेश के अंत में संत पापा ने आशा व्यक्त की है कि युद्धविराम समझौते का स्मरणोत्सव न केवल "शत्रुता की समाप्ति का संकेत हो, बल्कि कोरियाई प्रायद्वीप के लिए और विश्व के अन्य जगहों के लिए भी मेल-मिलाप, भाईचारे और स्थायी सद्भाव के उज्ज्वल भविष्य का संकेत देगा।"

2014 में पोप फ्राँसिस की कोरिया यात्रा

18 अगस्त 2014 को, पोप फ्राँसिस ने स्वयं अपनी कोरिया यात्रा के दौरान इस महागिरजाघर में शांति और मेल-मिलाप के लिए एक सामूहिक प्रार्थना सभा की अध्यक्षता की थी और अपने उपदेश में एक संदेश दिया था।

"मैं आपसे अपने घरों में, अपने समुदायों में और राष्ट्रीय जीवन के हर क्षेत्र में ईसा मसीह के मेल-मिलाप के संदेश की ठोस गवाही देने का आह्वान करता हूँ (...) इसलिए आइए हम प्रार्थना करें कि बातचीत, मुलाकात और मतभेदों पर काबू पाया जा सके, नए अवसर उत्पन्न हो सकें, जरूरतमंद लोगों को मानवीय सहायता प्रदान करने में निरंतर उदारता बनी रहे और इस वास्तविकता की व्यापक मान्यता के लिए कि सभी कोरियाई भाई-बहन, एक परिवार और एक ही प्रजा के सदस्य हैं।"

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29 July 2023, 14:36