स्वीडिश ख्रीस्तीयों ने कुराने जलाये जाने की निंदा की है
वाटिकन न्यूज
28 जून को जब विश्वभर के मुस्लिम ईद- एल- आधा मना रहे थे, जिसको अब्राहम के बलिदान की यादगारी में मनाया जाता है, एक 37 साल के युवक ने पवित्र कुरान की एक प्रति को स्टॉकहोम के महान मस्जिद के बाहर कुचल दिया और इसके कई पन्नों को फाड़ा एवं जलाया।
स्वीडिश राजधानी में हुए अपमान की दुनिया भर में हिंसक प्रतिक्रियाएँ हो रही है और इराक की राजधानी बगदाद में स्वीडिश दूतावास पर हमला किया गया है।
सलवान सबहमेट्टी मोमिका नामक एक इराकी मूल का स्वीडिश नागरिक, जो अपना देश छोड़कर स्वीडेन भाग गया था, उसमें जातीय और नस्लीय घृणा की भावना होने का संदेह किया जा रहा है।
उसने स्वीडेन के संध्या समाचार पत्र “एक्सप्रेशन” को बतलाया कि यह किसी एक दल के लोगों के प्रति घृणा हेतु अपराध या उत्तेजना नहीं थी लेकिन एक किताब के ख़िलाफ़ थी, जो हिंसा और हत्या को उकसाती है।
मुस्लिम विश्वास का जानबूझकर किया गया उल्लंघन
घटना के तुरन्त बाद स्वीडेन के ख्रीस्तीय परिषद के अध्यक्ष मंडल ने एक बयान जारी कर इस कृत्य की निंदा की।
बयान में कहा गया है कि “ख्रीस्तीय कलीसियाओं के रूप में हम हरेक व्यक्ति के धर्म मानने के अधिकार की रक्षा करते हैं। “कुरान को जलाना मुस्लिम आस्था और पहचान का जानबूझकर किया गया उल्लंघन है, लेकिन हम इसे सभी आस्थावान लोगों पर हमले के रूप में देखते हैं। इसलिए, हम अपने देश में मुस्लिम विश्वासियों के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त करना चाहते हैं।"
ख्रीस्तीय परिषद के अध्यक्ष मंडल में स्टॉकहॉम के काथलिक धर्मप्रांत के धर्माध्यक्ष कार्डिनल अंदर्स अरबोरेलियुस; स्वीडेन की लुथेरन कलीसिया के महाधर्माध्यक्ष माननीय मार्डिन मोदेयुस; सीरियाई ऑर्थोडॉक्स कलीसिया के महाधर्माध्यक्ष बेनजामिन दियोस्कोरेस अतास; और सुश्री सोफिया कामनेरिन जो एस के टी के महासचिव हैं।
स्वीडेन के प्रधानमंत्री : हमें होश में आना चाहिए
स्वीडिश प्रधानमंत्री उल्फ क्रिस्टरसन ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपमान की निंदा की, उन्होंने कहा: "मुझे लगता है कि हमें स्वीडन में होश में आना चाहिए।" उन्होंने कहा, "हम एक गंभीर राजनीतिक सुरक्षा स्थिति में हैं और अन्य लोगों को नाराज करने का कोई कारण नहीं है।"
कुरान जलाने की घटना के खिलाफ प्रदर्शन
इस साल जनवरी में तुर्की दूतावास के सामने इस्लाम के पवित्र ग्रंथ को जलाने की घटना पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आक्रोश फैल गया था और इसके बाद तुर्की ने नाटो में स्वीडन के प्रवेश पर वीटो लगा दिया था। नवीनतम प्रदर्शन के लिए अनुमति अपील न्यायालय के एक फैसले के बाद दी गई थी जिसमें कहा गया था कि पुलिस हमलों के जोखिम के कारण रैलियों से इनकार नहीं कर सकती है।
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