अलेप्पो का एक गिरजाघर अलेप्पो का एक गिरजाघर   (AFP or licensors)

फादर हन्ना जलौफ बने अलेप्पो के नये प्रेरितिक विकर

संत पापा फ्राँसिस ने फ्राँसिस्कन फादर हन्ना जल्लौफ को अलेप्पो का नया प्रेरितिक विकर नियुक्त है। नियुक्ति की घोषणा 1 जुलाई को हुई। उनकी नियुक्ति ने जिहादियों के प्रभुत्व वाले देश में गरीबों की उम्मीद बढ़ा दी है।

वाटिकन न्यूज

फिदेस न्यूज एजेंसी के अनुसार फादर हन्ना जल्लौफ, सीरिया में लातीनी रीति के काथलिकों के लिए अलेप्पो के प्रेरितिक विकर नियुक्त हुए हैं। उन्हें फादर जॉर्ज अबू खजेन के स्थान पर नियुक्त किया गया है जिन्होंने उम्र सीमा के कारण पिछले साल ही प्रेरितिक विकारियेट की प्रेरिताई छोड़ दी थी।   

फादर हन्ना उन पुरोहितों में से एक हैं, जिन्होंने युद्ध के वर्षों के दौरान जिहादी लड़ाकों के प्रभुत्व वाले इदलिब प्रांत के क्षेत्र में छोटे ख्रीस्तीय समुदायों को संस्कारों और ईश्वर के वचन के उपहार के साथ सेवा और सांत्वना देना जारी रखा। वे क्षेत्र आज तक कभी दमिश्क सरकार के नियंत्रण में नहीं आये।

फादर हन्ना जलौफ

71 वर्षीय फादर हन्ना ने असीसी में दर्शनशास्त्र और ईशशास्त्र का अध्ययन किया तथा बेरूत से मास्टर की डिग्री ली है और रोम में परमधर्मपीठीय सलेशियन विश्वविद्यालय से युवा प्रेरिताई और धर्मशिक्षा में लाइसेंशियेट की पढ़ाई की है।

संघर्ष की शुरुआत में, जब वह क्षेत्र असद विरोधी नागरिक सेना के नियंत्रण में आ गया, तो अन्य ख्रीस्तीय समुदायों के पुरोहित अन्यत्र भाग गए। फादर हन्ना और उनके साथी फादर लुई बिस्किरात अपने पल्लियों में रहे, और उनके पल्लीवासी अपने घरों में।

लोगों के लिए छोटे और बड़े दुर्व्यवहार शुरू हुए: करों के लिए अनुरोध, संपत्तियों और खाली घरों की जब्ती, जिन पर सेना का कब्जा हो गया। फादर हन्ना सशस्त्र समूहों के साथ संपर्क बनाए रखने में कामयाब रहे। जिन्होंने उन्हें घंटियाँ न बजाने का आदेश दिया। उन्होंने माता मरियम और संतों की मूर्तियों को ढँक दिया या छिपा दिया और घंटियाँ बंद कर दीं। स्कूल में ख्रीस्तीय सिद्धांत से पढ़ाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।

जिहादियों के बीच अपने विश्वासियों के साथ

जिहादी लड़ाकू सहित, जो अस्थायी कमांडर थे, उसके अधीन ख्रीस्तीय के रूप में रहना जारी रखने की कोशिश की, पहले इस्लामिक स्टेट के, फिर जबात अल नुसरा के। पल्ली और कॉन्वेंट खुले रहे। हर 5 या 6 माह में फादर हन्ना भी जिहादियों के नियंत्रण वाले क्षेत्र को छोड़ने में कामयाब रहे। एक बार वे एक छोटे ऑपरेशन के लिए लेबनान तक गये। उन अवसरों पर भी, हर त्वरित यात्रा के बाद, जोखिम भरी वापसी यात्राओं के साथ, वे हमेशा वापस आये। ओरोंटेस घाटी में उन्हें मदद और सांत्वना देने के लिए धर्मबहनें, लड़के, बच्चे मौजूद थे।

अक्टूबर 2014 में अल नुसरा के जिहादियों ने कुछ पल्लीवासियों के साथ संत जोसेफ पल्ली से फ्रांसिस्कन फादर हन्ना को भी ले लिया था। वहाँ से निष्कासन तब हुआ जब फादर जलौफ ने स्वयं, लड़ाकूओं द्वारा पल्ली में किए गए जब्ती और लूटपाट की निंदा करने के लिए, इस्लामी अदालत से अपील की थी, जो कि इस्लामवादियों के नियंत्रण वाले क्षेत्र में न्याय प्रदान करने हेतु स्थापित निकाय था। इस्लामी कानून के अनुसार फादर जलौफ और उसके बाद उनके पल्लीवासियों को कुछ ही दिनों में रिहा कर दिया गया था।

कोविड -19 के दौरान फादर हन्ना का प्रोत्साहन

अप्रैल 2020 में, जब सीरिया में कोविड-19 महामारी भी आ गई थी, और इदलिब प्रांत संघर्ष का अखाड़ा बना हुआ था, जिसमें रूस और तुर्की की परस्पर विरोधी सैन्य रणनीतियों से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष हस्तक्षेप भी था, फादर हन्ना जलौफ ने ठोस एकजुटता के लिए एक अनुरोध जारी किया था, जिसमें सभी से ओरोंटेस घाटी के निवासियों को यह समझने में मदद करने के लिए कहा गया था कि "येसु ख्रीस्त उनके लिए भी जी उठे हैं और उन्हें सार्वभौमिक कलीसिया द्वारा त्याग नहीं दिया गया है।"

संगठन "लेट्स हेल्प सीरिया" द्वारा जारी एक पत्र में, फादर हन्ना ने उस संदर्भ को संक्षेप में रेखांकित किया था कि वे और फादर लुई बिस्किरात अपनी प्रेरिताई जारी रखे हैं: "हम सीरिया के पीड़ित उत्तर में काम कर रहे हैं। (…) हम उस ईसाई समुदाय की सेवा करते हैं जो यहां, ओरोंटेस के गांवों में रह गया है; यहां लगभग 210 परिवार (लगभग 600 लोग) हैं जो काथलिक कलीसिया और अर्मेनियाई ऑर्थोडॉक्स एवं ग्रीक ऑर्थोडॉक्स कलीसिया दोनों से संबंधित हैं। सिर्फ हम धर्मसमाजी हैं जो युद्ध से पहले इदलिब प्रांत में मौजूद सभी पुरोहितों में से बचे हुए हैं।”

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04 July 2023, 17:33