प्रभु जिन्हें बुलाते हैं उन्हें काबिल बनाते हैं, संत पापा फ्राँसिस
वाटिकन समाचार
लिस्बन, गुरुवार 3 अगस्त 2023 (रेई) : 3 अगस्त की शाम को एडवाडो सप्तम पार्क में विश्व युवा सम्मेलन के युवाओं ने संत पापा फ्राँसिस का स्वागत किया। इस स्वागत समारोह में संत पापा फ्राँसिस ने यवाओं को संबोधित किया।
संत पापा ने कहा....प्रिय युवाओ, शुभ संध्या!
“आपका स्वागत है और यहां आने के लिए धन्यवाद। मैं आप सभी को देखकर और आपके द्वारा किए जा रहे आनंदमय शोर को सुनकर प्रसन्न हूँ! इससे मुझे आपकी संक्रामक खुशी साझा करने का अवसर मिलता है। लिस्बन में एक साथ रहना अच्छा है। आपको यहां मेरे द्वारा और लिस्बन के प्राधिधर्माध्यक्ष द्वारा आमंत्रित किया गया था, जिनके अभिवादन के शब्दों के लिए मैं उन्हें धन्यवाद देता हूँ। आपको आपके धर्माध्यक्षों, पुरोहितों, प्रचारकों और युवा नेताओं द्वारा भी आमंत्रित किया गया था। वे सभी जिन्होंने आपको बुलाया है और वे सभी जिन्होंने इस बैठक को संभव बनाने के लिए काम किया है, आइए हम इसके लिए उन सभी को धन्यवाद दें और तालियाँ बजाएँ! और फिर, सबसे बढ़कर, येसु ही है जिन्होंने आपको यहाँ बुलाया है: आइए हम उसे धन्यवाद दें!”
प्रभु ने हमें नाम लेकर बुलाया है
संत पापा ने कहा कि वे यहाँ संयोग से नहीं हैं,बल्कि प्रभु ने उन्हें बुलाया है। प्रभु ने उन्हें नाम लेकर आरंभ से ही बुलाया है। नाम लेकर बुलाया जाना। नाम किसी को पहचान देती है। हममें से प्रत्येक को नाम से बुलाया जाता है। हमारे जीवन की कहानी की शुरुआत में, हमारे पास मौजूद किसी भी प्रतिभा से पहले, हमारे भीतर मौजूद किसी भी छाया या घाव से पहले, हमें बुलाया जाता है। हम बुलाये गये हैं क्योंकि ईश्वर हमें प्यार करते हैं। ईश्वर की नज़र में हम अनमोल बच्चे हैं, और वह हमें गले लगाने और प्रोत्साहित करने के लिए हर दिन हमें बुलाते हैं। हमें एक अद्वितीय और मौलिक कृति बनाने के लिए जिसकी सुंदरता की हम केवल झलक देखना शुरू करते हैं।
संत पापा ने इस विश्व युवा सम्मेलन में इस मौलिक सत्य को पहचानने में एक दूसरे को मदद करने हेतु प्रेरित किया। संत पापा ने कहा कि ये दिन ईश्वर के प्रेम के आह्वान की जीवंत प्रतिध्वनि हैं, क्योंकि हम उनकी नजरों में अनमोल हैं, इसके बावजूद कि हमारी अपनी आंखें, नकारात्मकता से घिरी हुई और कई विकर्षणों से चकाचौंध हैं। इन दिनों वे अपने दिलों में महसूस कर पायें कि वे जैसे हैं वैसे ही उन्हें प्यार किया जाता है। हालाँकि यह विश्व युवा दिवस का शुरुआती बिंदु है, लेकिन सबसे बढ़कर यह उनके जीवन का शुरुआती बिंदु है।
आप एक संख्या नहीं, बल्कि एक चेहरा हैं
संत पापा ने कहा कि नाम लेकर बुलाया जाना, यह ईश्वर का वचन है। (इसायह, 43:1, 2 तिम 1:9), ईश्वर हरएक को नाम लेकर बुलाते हैं। इसका मतलब है कि उसके लिए आप एक संख्या नहीं, बल्कि एक चेहरा हैं। बहुत से लोग आपका नाम जानते हैं, फिर भी वे आपको नाम से नहीं बुलाते हैं। निश्चित रूप से आपका नाम ज्ञात है, यह सामाजिक नेटवर्क पर दिखाई देता है और एल्गोरिदम द्वारा संसाधित किया जाता है जो इसे पसंद और प्राथमिकताओं के साथ जोड़ता है, जो सभी बाजार अनुसंधान के लिए उपयोगी है, फिर भी यह आपकी विशिष्टता में आपसे संपर्क करना शुरू नहीं करता है। आगे संत पापा ने कहा कि कितने लोग हैं जो कहते हैं कि वे उन्हें जानते हैं, हालाँकि वे उनसे प्यार नहीं करते। वे इस बात पर जोर देते हैं कि वे आप पर विश्वास करते हैं और वादा करते हैं कि आप तरक्की करें, परंतु जब उनका काम खत्म हो जाता है तो वे आपको छोड़ देते हैं। ये आभासी दुनिया के भ्रम हैं और हमें सावधान रहना चाहिए। हम खुद को धोखा न दें, क्योंकि कई वास्तविकताएं जो हमें आकर्षित करती हैं और खुशी का वादा करती हैं, परंतु बाद में वे अपनी वास्तविक स्थिति दिखाई देती हैं: व्यर्थ, अनावश्यक और सरोगेट चीजें जो हमें अंदर से खाली छोड़ देती हैं। संत पापा कहते हैं कि येसु ऐसे नहीं हैं, वे आप पर भरोसा करते हैं, उसके लिए आप वास्तव में मायने रखते हैं।
एक दूसरे को नाम से पुकारें
संत पापा ने कहा, कलीसिया के रुप में हम उनके द्वारा बुलाये गये हैं। हम येसु के भाइयों और बहनों और एक ही पिता के बेटे और बेटियों का समुदाय हैं। संत पापा ने कहा कि कलीसिया में सभी के लिए स्थान है, सभी के लिए! – कोई भी बेकार नहीं है, किसा को भी ज़रूरत से ज़्यादा नहीं है, हर किसी के लिए जगह है। और यह येसु स्पष्ट रूप से कहते हैं जब उन्होंने प्रेरितों को भोज में आमंत्रित करने के लिए भेजा जिसने इसे तैयार किया था, उन्होंने कहा: "जाओ और सभी को, युवा और बूढ़े, स्वस्थ और बीमार, धर्मी और पापी: सभी को लाओ।" संत पापा ने कहा कि कलीसिया में हर किसी के लिए जगह है। कोई यह कहे, “फादर जी, मैं दुर्भाग्यशाली हूँ, क्या मेरे लिए जगह है?" “कलीसिया में सभी के लिए जगह है”। संत पापा ने वहाँ उपस्थित युवाओं को अपनी अपनी भाषा में दोहराने को कहा। संत पापा ने कहा कि कलीसिया सबकी माता है और यहाँ सभी के लिए जगह है। प्रभु अपनी उंगली से इशारा नहीं करते, बल्कि अपनी भुजाएं फैलाते हैं। ईश्वर सबका आलिंगन करते हैं वे हम सभी को गले लगाते हैं।
संत पापा ने कहा कि इन दिनों आइए, हम उनके प्यार के संदेश को प्रसारित करें जो हमारे दिलों को मुक्त करता है और एक ऐसी खुशी छोड़ता है जो कभी कम नहीं होती। इन दिनों वे एक दूसरे को नाम से पुकारें। एक दूसरे को भाई या बहन कहने से ना डरें। एक दूसरे को याद दिलायें कि आप वास्तव में मूल्यवान हैं।
संत पापा ने कहा, “आज शाम आपने मुझसे कई सवाल भी पूछे हैं। प्रश्न पूछना सही है, वास्तव में यह अक्सर उत्तर देने से बेहतर होता है, क्योंकि जो कोई पूछता है वह "बेचैन" रहता है और बेचैनी दिनचर्या जीवन का सबसे अच्छा उपाय है जो आत्मा को सुस्त बना देती है। हममें से प्रत्येक के भीतर अपनी-अपनी चिंताएँ हैं। हम इन चिंताओं को अपने साथ रखते हैं और हम उन्हें अपने संवाद में ले जाते हैं, हम उन्हें अपने साथ ले जाते हैं जब हम ईश्वर के सामने प्रार्थना करते हैं, ये प्रश्न जो जीवन के साथ उत्तर बन जाते हैं, जिनका हमें केवल इंतजार करना होता है। यह बहुत ही दिलचस्प है: ईश्वर आश्चर्य जनक रुप से प्रेम करते हैं, यह कोई कार्यक्रम नहीं है और ईश्वर का प्रेम आश्चर्य है। यह हमेशा आश्चर्यचकित करता है, यह हमें हमेशा जागृत रखता है और हमें आश्चर्यचकित करता है।”
हम ईश्वर के प्यार में सुरक्षित हैं
संत पापा ने कहा, “प्रिय लड़कों और लड़कियों, मैं आपको इस बेहद खूबसूरत चीज़ के बारे में सोचने के लिए आमंत्रित करता हूँ: कि ईश्वर हमसे प्यार करते हैं, ईश्वर हमसे वैसे ही प्यार करते हैं जैसे हम हैं, न कि उस तरह से जैसा हम बनना चाहते हैं या जैसा समाज चाहता है कि हम बनें: जैसे हम हैं। ईश्वर हमसे हमारी कमियों, हमारी सीमाओं और जीवन में आगे बढ़ने की इच्छा के कारण प्यार करते है। प्रभु हमें कहते हैं: विश्वास करो क्योंकि ईश्वर एक पिता है और वे एक पिता है जो हमसे प्यार करते हैं। एक पिता जो बेइंतहां हमसे प्यार करते हैं। यह बहुत आसान नहीं है, और इसके लिए हमें प्रभु की माँ की मदद की जरुरत है: वे हमारी भी माँ है। वे हमारी माँ है। मैं आपको बताना चाहता था - डरो मत, साहस रखो, यह जानकर आगे बढ़ो कि हम ईश्वर के प्यार में सुरक्षित हैं। ईश्वर हमसे प्यार करते हैं: आइए हम सब एक साथ कहें: ईश्वर हमसे प्यार करते हैं। जोर से, मैं सुन नहीं सकता! [दोहराएँ]
और इस तरह संत पापा ने उन्हें धन्यवाद देते हुए अपना संदेश समाप्त किया।
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