संत पापाः सेवा और स्तुति गान मरियम की दो विशेषताएं

धन्य कुंवारी मरियम के स्वर्गारोहण महापर्व के दिन संत पापा फ्रांसिस ने मरियम के उस “रहस्य” पर चिंतन किया जो उनके जीवन को विशेष बनाता है- सेवा और स्तुति गान।

वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, मंगलवार,15 अगस्त 2023 (रेई) संत पापा फ्रांसिस ने माता मरियम के स्वर्गारोहण महापर्व के अवसर पर संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में एकत्रित सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों के संग देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। उन्होंने सभों का अभिवादन करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो सुप्रभात।

मरियम की यात्रा

आज कुंवारी मरियम के स्वर्गारोहण महापर्व के अवसर पर हम उनके शरीर और आत्मा का स्वर्ग  में महिमामय उठा लिये जाने पर चिंतन करते हैं। आज का सुसमाचार भी हमारे लिए पर्वत पर चढ़ने की बात कहता है, मरियम पहाड़ी प्रदेश में अपनी कुटुबिंनी एलिजबेद की सेवा हेतु जाती हैं, और वहाँ हम उन्हें खुशी में ईश्वर का महिमा गान करते हुए सुनते हैं। मरियम पहाड़ी प्रदेश में चढ़ती हैं और ईशवचन हमारे लिए उनके गुणों को प्रकट करता है। यहाँ हम मरियम को पड़ोसी की सेवा और ईश्वर का महिमा गान करते हुए सुनते हैं। सुसमाचार लेखक लूकस इसके साथ येसु के जीवन की भी चर्चा करते हैं जो स्वयं येरूसालेम जाते हुए स्वर्ग चढ़ते हैं, उस स्थान पर जहाँ उन्होंने अपने को क्रूस पर बलिदान कर दिया। वे मरियम की यात्रा का वर्णन भी इसी रुप में करते हैं। संक्षेप में, येसु और मरियम, एक ही मार्ग में चलते हैं- दो जीवन जो स्वर्ग की उठा लिया गया, जिन्होंने ईश्वर की महिमा और अपने अपने भाई-बहनों की सेवा की। येसु मुक्तिदाता के रुप में अपने जीवन के देते वहीं मरियम सेविका स्वरुप सेवा करती हैं। दो जीवन जिन्होंने मृत्यु पर विजय पाई और ऊपर उठाये गये, दो जीवन जिनका सार सेवा और ईश्वर का गुण गान करना था। हम इन दो बातों को निकटता से देखेंगे।

सेवा हमें ऊपर उठाता है

संत पापा फ्रांसिस ने सेवा की चर्चा करते हुए कहा कि यह अपने भाई-बहनों की सेवा में हमारा झुकना है जो हमें ऊपर उठाता है, यह प्रेम है जो हमारे जीवन को ऊपर उठाता है। लेकिन सेवा करना आसान नहीं है, हमारी माता, जो अपनी गर्भावास्था में थी, 150 कि.मी की दूरी तय करती और नाजरेत एलिजबेद के घर पहुँचती है। सहायता करना हमारे जीवन से कीमत चुकाने की मांग करता है। हम इसे अपनी थकान, धैर्य और चिंताओं में भी अनुभव करते हैं जो दूसरों की सेवा करने में हमें चुकाना पड़ता है। संत पापा ने कहा कि हम उदाहरण स्वरुप सोच सकते हैं, कितने ही लोग हैं जो रोज दिन मीलों यात्रा करते हुए दूसरों के लिए कई तरह के कार्य करते हैं। हम समय और नींद के बारे में विचार कर सकते हैं जिन्हें लोगों को अपने नवजात या बुजुर्गों की देख-रेख में बलिदान करना होता है। कलीसिया और स्वयंसेवी कार्यों में लोगों का प्रयास जहाँ वे उन लोगों की सेवा करते हैं जिनसे उन्हें बदले में कुछ मिलने की संभावना नहीं है। यह अपने में थकान भरा है, लेकिन यह हमें ऊपर की ओर उठाता है, यह स्वर्ग की ओर अग्रसर होना है।

ईश्वर की महिमा करना

संत पापा ने ईश्वरीय महिमा दूसरे बिन्दु के बारे में कहा कि सेवा ईश्वरीय महिमा के बिना अपने में सूखा हो जाती है। वास्तव में, जब मरियम अपनी चेचेरी बहन के घर में प्रवेश करती तो वह ईश्वर की स्तुति करती है। वह अपनी थकान औऱ चिंता भरी यात्रा का जिक्र नहीं करती है, इसके विपरीत उनके हृदय से आनंद भरे ईश्वरीय महिमा के गान प्रस्फुटित होते हैं। क्योंकि वे जो ईश्वर से प्रेम करते हैं उनकी स्तुति करना जानते हैं। और आज का सुसमाचार हमें “स्तुति गान के झरने” को दिखलाता है, जहाँ हम खुशी के मारे एलिजबेद के गर्भ में बच्चे को उछलता सुनते हैं (लूका. 1.44)। एलिजबेद के मुख से आर्शीवचन घोषित होता और जो हमारे लिए प्रथम धन्य वचन की घोषणा है, “धन्य हैं तू जिसने विश्वास किया” (लूका.1.45)। ये सारी चीजें मरियम में अपनी चरमसीमा को पहुंचती हैं जो ईश्वर का स्तुति गान करती हैं (लूका. 1.46-55)। संत पापा ने कहा कि स्तुति करना हमारी खुशी को दोगुणा करती है। स्तुति गान एक सीढ़ी की भांति है, यह हमारे हृदय को ऊपर की ओर ले जाती है। स्तुति गान आत्मा को ऊपर उठाती और परित्याग करने की परीक्षा में विजय होती है। रोज दिन ईश्वर की प्रंशसा करने के साथ दूसरों की प्रंशसा करना कितनी अच्छी बात है। हमें ईश्वर से मिले आशीषों और कृपाओं के लिए कृतज्ञता के भाव व्यक्त करने की जरुरत है न कि हमें शोक और शिकायत में जीवन यापना करना है। क्या मैं ऐसा करता हूँॽ अपनी निगाहों को ऊपर की ओर उठाना न की चेहरे में उदासी धारण किये रहना। कितने ही लोग हैं जो केवल शिकायत करते हैं, हमें इसके बदले ईश्वर से मिले हुए वरदानों के लिए धन्यवाद देना है, संत पापा ने कहा।

संत पापा ने सेवा और महिमा गान पर बल देते हुए कहा कि आइए हम अपने में पूछें- क्या मैं अपने कार्य और रोज दिन की चिताओं को सेवा भाव से ग्रहण करता हूँ या स्वार्थ मेंॽ क्या मैं किसी व्यक्ति के लिए अपने को स्वेच्छा से देता हूँ, बिना किसी फायदे की आशा कियेॽ संक्षेप में, क्या मैं सेवा को “छलाँग मारने के तख्ते” स्वरुप देखता हूँॽ और प्रशंसा के बारे में सोचते हुए क्या मैं मरियम की तरह, ईश्वर का गुणगान करता हूँॽ क्या मैं ईश्वर को धन्य कहता हूँॽ और उनकी प्रशंसा करने के बाद, क्या मैं उसे दूसरों के संग मिलते हुए साझा करता हूँॽ

हमारी माता मरियम जो स्वर्ग आरोहित कर ली गयीं, हमें प्रतिदिन सेवा और ईश्वर की महिमा गाते हुए ऊपर चलने में मदद करें। इतना कहने के बाद संत पापा फ्रांसिस ने देवदूत प्रार्थना का पाठ किया और सभों को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।

देवदूत प्रार्थना के उपरांत संत पापा ने पुनः सभों का अभिवादन किया और यूक्रेन तथा अन्य युद्धग्रस्त देशों में शांति स्थापना हेतु प्रार्थना करने का निवेदन किया। उन्होंने कहा कि हम हताशा हुए बिना निरंतर शांति हेतु प्रार्थना करें। अंत में संत पापा ने सभों को पर्व दिवस की शुभकामनाएं प्रदान कीं और अपने लिए प्रार्थना का निवेदन करते हुए विदा लीं। 

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15 August 2023, 15:02