देवदूत प्रार्थना : जीवन के तूफानों में प्रभु को पुकारें और स्वागत करें
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, शनिवार, 12 अगस्त 2023 (रेई) : वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 13 अगस्त को संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया जिसके पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित किया।
आज का सुसमचार पाठ येसु के एक खास चमत्कार का वर्णन करता है: वे रात के समय गलिलिया झील के पानी पर चलते हुए अपने शिष्यों की ओर आते हैं जो नाव से झील पार कर रहे थे। (मती.14:22-33)
संत पापा ने कहा, “येसु क्यों ऐसा करते हैं? हो सकता है किसी अत्यावश्यक अप्रत्याशित जरूरत के लिए, अपने शिष्यों को मदद करने के लिए, जो एक विपरीत दिशा से आनेवाले तूफान में फंस गये थे? और यह पूरी योजना येसु की थी जिन्होंने उस संध्या उन्हें चलने को कहा था। पाठ बतलाता है कि उन्होंने शिष्यों को “बाध्य किया”। (22) शायद वे उन्हें अपना सामर्थ्य और शक्ति दिखाना चाहते थे? उन्होंने क्यों ऐसा किया?
ढाढ़स रखो, डरो मत
पानी में चलने के पीछे एक संदेश है जिसको हम तुरन्त नहीं समझ सकते। वास्तव में, उस समय, पानी के विशाल जलाशय को बुरी शक्तियों का अड्डा माना जाता था, जिन पर मनुष्य काबू पाने में असमर्थ था, खासकर, जब तूफान उसे अशांत कर देता था। यह रसातल की अराजकता का प्रतीक था और अधोलोक के अंधेरे को याद दिलाता था।
सुसमाचार बतलाता है कि अब अंधकार हो चला था और शिष्य झील के बीच में ही थे। तब वे डूबने का डर महसूस करते हैं, बुराई द्वारा चूसे जाने का एहसास करते हैं। और देखो, येसु पानी पर चलते हुए आते हैं और अपने शिष्यों से कहते हैं: “ढाढ़स रखो, मैं ही हूँ, डरो मत।” (27) संत पापा ने कहा, “यही चमत्कार का अर्थ है, शैतान की शक्ति जो हमें भयभीत करती, जिसपर हमारा नियंत्रण नहीं होता, येसु के सामने बहुत छोटी है। पानी पर चलने के द्वारा येसु कहना चाहते हैं, “डरो मत। मैंने तुम्हारे शत्रुओं को अपने पैरों के नीचे डाल दिया है।” संत पापा ने स्पष्ट करते हुए कहा कि येसु ने किसी व्यक्ति को नहीं बल्कि मौत, पाप और शैतान जैसे हमारे शत्रुओं को रौंद डाला है।
आज ख्रीस्त हम प्रत्येक से कहते हैं, “ढाढ़स रखो, मैं ही हूँ, डरो मत।” ढाढ़स रखो क्योंकि मैं यहाँ हूँ, क्योंकि जीवन के अशांत जल में तुम अब अकेले नहीं हो। अतः जब हम अपने आपको खुले समुद्र में पाते हैं, तूफान से घिर जाते हैं तो क्या करते हैं? जब हम डर जाते हैं, जब हम केवल अंधकार देखते और महसूस करते हैं कि हम डूब रहे हैं तब हमें क्या करना चाहिए?
येसु को पुकारना और बुलाना
सुसमाचार में शिष्य दो चीजें करते हैं : वे येसु को बुलाते और उनका स्वागत करते हैं। वे बुलाते हैं : पेत्रुस पानी पर चलकर येसु की ओर आने की कोशिश करता है लेकिन कुछ ही दूर चलता और डर जाता है। वह डूबने लगता और चिल्लाता है: "प्रभु मुझे बचाइये।"(30)
संत पापा ने कहा कि “यह एक सुन्दर प्रार्थना है। यह निश्चितता को दिखाता है कि प्रभु हमें बचा सकते हैं, कि उन्होंने बुराई और भय पर विजय पायी है। आइये, हम भी दोहरायें, विशेषकर, तूफान की घड़ी में और कहें, “प्रभु मुझे बचाईये।”
शिष्य नाव में येसु का स्वागत करते हैं। सुसमाचार पाठ बतलाता हैं कि जैसे ही वे नाव पर सवार हुए तूफान थम गया।
येसु को बुलाना और उन्हें जगह देना
संत पापा ने कहा, “तब हमें क्या करना चाहिए” (32) प्रभु जानते हैं कि हमारे जीवन की नाव, साथ ही कलीसिया की नाव तूफान से डरी हुई है। और समुद्र जिसपर हम खे रहे हैं वह अशांत है। वे हमें नाव खेने के कठिन काम से नहीं बचाते, बल्कि – सुसमाचार कहता है कि वे अपने शिष्यों को चलने के लिए बाध्य करते हैं। वे हमें कठिनाईयों का सामना करने के लिए आमंत्रित करते हैं ताकि वे भी मुक्ति के स्थान बन सकें, उनसे मुलाकात करने का स्थान। वास्तव में, वे हमारे अंधेरे पल में हमसे मिलने आते हैं, हमसे स्वागत करने के लिए आग्रह करते हैं जैसा कि उस रात को झील में हुआ था।
येसु का प्रकाश खोजें
संत पापा ने चिंतन हेतु प्रेरित करते हुए कहा, “आइये, हम अपने आप से पूछें : जब में डरता हूँ तो कैसी प्रतिक्रिया व्यक्त करता हूँ? क्या मैं अकेले आगे बढ़ता हूँ सिर्फ अपनी शक्ति से अथवा क्या मैं प्रभु को पुकारता हूँ? मेरा विश्वास कैसा है? क्या मैं विश्वास करता हूँ कि ख्रीस्त प्रतिकूल लहरों और हवाओं से अधिक शक्तिशाली हैं? लेकिन सबसे बढ़कर, क्या मैं उनके साथ अपनी नाव खे रहा हूँ? क्या मैं उनका स्वागत करता, अपने जीवन के नाव पर उनके लिए स्थान बनाता, अपना पतवार उन्हें सौंपता हूँ?”
संत पापा ने माता मरियम से प्रार्थना करते हुए कहा, “अंधेरी राहों पर, सागर की रानी मरियम, हमें येसु के प्रकाश को खोजने में मदद करें।” इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।
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