लौदातो सी लौदातो सी 

पोप फ्राँसिस “लौदातो सी” के दूसरे भाग को लिख रहे हैं

वाटिकन प्रेस कार्यालय के निदेशक ने कहा है कि प्रेरितिक विश्व पत्र लौदातो सी जिसका जिक्र संत पापा फ्राँसिस ने सोमवार को की, हालिया जलवायु संकट की ओर ध्यान आकृष्ट करेगा।

वाटिकन न्यूज

वाटिकन सिटी, मंगलवार, 22 अगस्त 2023 (रेई) : सोमवार को यूरोपीय संघ के सदस्य देशों के वकील प्रतिनिधियों को सम्बोधित करते हुए अपने तैयार भाषण से हटकर कहा कि वे प्रेरितिक विश्वपत्र लौदातो सी के दूसरे भाग को लिख रहे हैं ताकि वर्तमान मुद्दों पर इसे अपडेट कर सकें।

पोप पर्यावरण की रक्षा के उद्देश्य से एक कानूनी ढांचा विकसित करने के लिए वकीलों की प्रतिबद्धता की सराहना कर रहे थे।

संत पापा ने कहा, “हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि आनेवाली पीढ़ी को खुबसूरत एवं जीये लायक विश्व प्राप्त करने का पूरा अधिकार है” जिसका तात्पर्य यह है कि सृष्टि के प्रति हमारी गंभीर जिम्मेदारी है जो हमें ईश्वर के उदार हाथों से मिली है,'' आपके योगदान के लिए धन्यवाद।"

सोमवार को जारी बयान में वाटिकन प्रेस कार्यालय के निदेशक मत्तेओ ब्रूनी ने बतलाया कि लौदातो सी का नया संस्करण, खासकर, हाल के पांच महाद्वीपों में लोगों को प्रभावित करनेवाली, मौसम की घटनाओं और आपदाओं पर विशेष रूप से प्रकाश डालेगा।

लौदातो सी संत पापा फ्राँसिस का दूसरा प्ररितिक विश्व पत्र है। जिसको 18 जून 2015 को प्रकाशित किया गया था।

"आमघर की देखभाल" पर दस्तावेज का शीर्षक संत फ्राँसिस की सृष्टि की स्तुतिगीत की पहली पक्ति से लिया गया है, जो इन शब्दों के साथ शुरू होता है: धन्य हो प्रभु मेरे ईश्वर। इस खूबसूरत भजन के शब्दों में, असीसी के संत फ्रांसिस हमें याद दिलाते हैं कि हमारा आमघर एक बहन की तरह है जिसके साथ हम अपना जीवन साझा करते हैं और एक खूबसूरत माँ की तरह है जो हमें गले लगाने के लिए अपनी बाहें खोलती है। 'हे प्रभु, हमारी बहन, धरती माता के माध्यम से, आपकी स्तुति करते हैं, जो हमारा भरण-पोषण करती और हमें चलाती है, और जो रंगीन फूलों और जड़ी-बूटियों के साथ विभिन्न प्रकार के फल पैदा करती है।'

इसके प्रकाशन के कुछ ही समय बाद, पोप ने स्वयं 21 जुलाई 2015 को "आधुनिक दासता और जलवायु परिवर्तन शहरों की प्रतिबद्धता" नामक कार्यशाला में प्रतिभागियों के साथ आयोजित एक आमदर्शन समारोह के दौरान इस विश्वपत्र के अर्थ को स्पष्ट करने की मांग की, जिसमें उन्होंने कहा: "पर्यावरण की देखभाल की यह संस्कृति केवल 'हरित' दृष्टिकोण नहीं है - मैं इसे शब्द के सही अर्थ में कहता हूँ - मनोभाव, सिर्फ 'हरा' दृष्टिकोण नहीं है, यह उससे कहीं अधिक है। पर्यावरण की देखभाल करने का अर्थ है मानव पारिस्थितिकी का मनोभाव रखना। अर्थात्, हम यह नहीं कह सकते कि मानवजाति यहाँ है और सृष्टि, पर्यावरण, वहाँ है। पारिस्थितिकी समग्र है, यह मानवीय है।

यही बात है जिसे मैंने विश्वपत्र लौदातो सी में व्यक्त करना चाहा था: मनुष्य को अन्यों से अलग नहीं किया जा सकता; यह एक रिश्ता है जो पारस्परिक रूप से प्रभावशाली होता है, व्यक्ति पर पर्यावरण और व्यक्ति दोनों पर पर्यावरण को प्रभावित करता है; और जब पर्यावरण के साथ दुर्व्यवहार किया जाता है तो इसका प्रभाव मनुष्य पर वापस लौट आता है।

इस कारण, मुझसे पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में मैंने कहा: 'नहीं, यह 'हरित' विश्वपत्र नहीं है, यह एक सामाजिक विश्वपत्र है।' समाज में, मानव जाति के सामाजिक जीवन में, हम पर्यावरण की देखभाल करना नहीं भूल सकते। इसके अलावा, पर्यावरण की देखभाल एक सामाजिक दृष्टिकोण है, जो हमें एक या दूसरे अर्थ में सामाजिक बनाता है - प्रत्येक व्यक्ति इसे वह अर्थ दे सकता है जिसे वह चुनता है - दूसरी ओर, यह हमें स्वागत करने में सक्षम बनाता है - मुझे इताली अभिव्यक्ति पसंद है, जब वे पर्यावरण के बारे में बात करते हैं - सृष्टि, अर्थात् पर्यावरण जो हमें उपहार के रूप में मिला है।

अपने विश्वपत्र में, पोप याद करते हैं कि उन्होंने फ्राँसिस नाम को अपने परमधर्मपीठ के एक मार्गदर्शक और एक प्रेरणा के रूप में चुना है: "मेरा मानना ​​है कि संत फ्राँसिस कमजोर लोगों की देखभाल के उत्कृष्ट उदाहरण हैं और एक अभिन्न पारिस्थितिकी का आनंदपूर्वक और प्रामाणिक रूप से जीवन जीते हैं।" वे उन सभी के संरक्षक संत हैं जो पारिस्थितिकी के क्षेत्र में अध्ययन और काम करते हैं, और उन्हें गैर-ईसाइयों के द्वारा भी बहुत प्यार किया जाता है। वे विशेष रूप से ईश्वर की रचना और गरीबों तथा बहिष्कृत लोगों के लिए चिंतित थे। वे प्यार करते थे, और उनकी खुशी, उनके उदार आत्म-समर्पण, उनके खुले दिल के कारण उन्हें बहुत प्यार किया जाता था। वे एक रहस्यवादी और तीर्थयात्री थे जो ईश्वर, पड़ोसी, प्रकृति और स्वयं के साथ सादगी और अद्भुत सामंजस्य में रहते थे। वे हमें दिखाते हैं कि प्रकृति की देखभाल, गरीबों के लिए न्याय, समाज के प्रति प्रतिबद्धता और आंतरिक शांति के बीच कितना अविभाज्य बंधन है।''

उन्होंने बिना किसी अपवाद के, पूरी मानवता के लिए एक बेहतर भविष्य बनाने हेतु हमारे आमघर की रक्षा के लिए अपनी अपील शुरू की : “मैं इस बारे में एक नई बातचीत के लिए तत्काल अपील करता हूँ कि हम अपने ग्रह के भविष्य को कैसे आकार दे रहे हैं। हमें एक ऐसी बातचीत की जरूरत है जिसमें हर कोई शामिल हो, क्योंकि हम जिस पर्यावरणीय चुनौती से गुजर रहे हैं, और इसकी मानवीय जड़ें हम सभी को चिंतित और प्रभावित करती हैं। विश्वव्यापी पारिस्थितिक आंदोलन ने पहले ही काफी प्रगति की है और इन चुनौतियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध कई संगठनों की स्थापना हुई है।

अफसोस की बात है कि पर्यावरण संकट के ठोस समाधान खोजने के कई प्रयास अप्रभावी साबित हुए हैं, न केवल शक्तिशाली विरोध के कारण बल्कि आमतौर पर रुचि की कमी के कारण भी। यहां तक कि विश्वासियों की ओर से भी अवरोधक रवैया, समस्या को नकारने से लेकर उदासीनता, लापरवाही से इस्तीफा देने या तकनीकी समाधानों में अंधविश्वास तक हो सकता है। हमें एक नई और सार्वभौमिक एकजुटता की आवश्यकता है। जैसा कि दक्षिणी अफ्रीका के धर्माध्यक्षों ने कहा है: 'ईश्वर की रचना के मानवीय दुरुपयोग से होनेवाले नुकसान की भरपाई के लिए सभी की प्रतिभा और भागीदारी की आवश्यकता है।' हम सभी सृष्टि की देखभाल के लिए ईश्वर के उपकरण के रूप में प्रत्येक अपनी संस्कृति, अनुभव, भागीदारी और प्रतिभा के अनुसार सहयोग कर सकते हैं।"

 

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

22 August 2023, 17:18