संत पापाः मैंने फातिमा में मौन शांति हेतु प्रार्थना की
वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, सोमवार, 07 अगस्त 2023 (रेई) संत पापा फ्रांसिस ने पुर्तगाल की प्रेरितिक यात्रा समाप्त कर रविवार शाम को रोम वापसी के लिए अपनी उड़ान भरी और हवाई यात्रा के दौरान विधिवत पत्रकारों द्वारा पूछे गये के कई सावलों का जवाब दिया।
वाटिकन प्रेस प्रवक्ता मत्तेयो ब्रुनी ने संत पापा की ओर माईक्रोफोन बढ़ते हुए सभी पत्रकारों का स्वागत किया और उन्हें समीक्षापूर्ण सवालों के लिए निमंत्रण दिया। पत्रकारों के सवालों को लेने के पूर्व संत पापा फ्रांसिस ने, विश्व युवा दिवस के सभी कार्यक्रमों को विशेष प्रथामिकता देने और उन्हें विभिन्न संचार माध्यमों में प्रकाशित करने हेतु सभी पत्रकारों के प्रति शिष्टचार के भाव व्यक्त करते सभों के प्रति अपनी कृतज्ञता के भाव अर्पित किये। उन्होंने रीटा क्रूज को उनके जन्म दिन के अवसर पर शुभकामनाएं दीं।
ऑरा मारिया विस्टास मिगुएल – (रेडियो रेनास्केना) संत पापा पुर्तगाल की प्रेरित यात्रा के लिए शुक्रिया। सभी इसे एक बड़ी सफलता के रुप में देखते हैं। हर कोई खुश है, आप के आगमन हेतु धन्यवाद। मैंने एक उच्च पुलिस अधिकारी से भेंट की जिन्होंने मुझे से कहा कि उन्होंने कभी ऐसी अनुशासित और शांतिमय लोगों की भीड़ पहले नहीं देखी थी। यह अपने में अति सुन्दर था। मेरा सवाल फातिमा से संबंधित है- हम सभी जानते हैं कि वहाँ आप प्रार्थना के लिए गये थे और वहाँ की छोटे प्रार्थनालय में आपने शांतिमय प्रार्थना की। लेकिन लोगों की एक वृहृद आशा थी कि उस स्थान पर जहाँ माता मरियम ने युद्ध समाप्ति के लिए प्रार्थना करने का आग्रह किया था वहाँ संत पापा जनसामान्यों के साथ शांति हेतु प्रार्थना करेंगे, कल सुबह फातिमा में विश्व के सभी लोगों की निगाहें आप पर टिकी हुई थीं, आप ने ऐसा क्यों नहीं कियाॽ
संत पापाः मैंने प्रार्थना की, मैंने प्रार्थना की। मैंने माता मरियम से शांति हेतु प्रार्थना की, मैंने शांति के लिए प्रार्थना की। इसके मैं विज्ञापन के रुप में प्रस्तुत नहीं करना चाहता था लेकिन मैंने प्रार्थना की। और हमें चाहिए कि हम निरंतर शांति के लिए प्रार्थना करें। माता मरियम ने प्रथम विश्व युद्ध के समय यह निवेदन किया था। और इस समय मैंने माता मरियम से अर्जी करते हुए प्रार्थना की। मैं इसके बारे में विज्ञापन नहीं किया।
जोआओ फ्रांसिस्को गोम्स – (पर्यवेक्षक) धन्यवाद, संत पापा। मैं स्पानी भाषा में बोलूँगा, मैं सोचता हूँ यह मेरे लिए सहज है। और यदि आप भी स्पानी भाषा में ही उत्तर देंगे तो पुर्तगाल भाषियों और पाठकों को समझने में सहज होगा। मैं पुर्तगाल की कलीसिया में नाबलिकों के संग हुए दूराचार के संबंध में सवाल पूछना चाहूँगा। पिछले साल फरवरी महीना में, एक रिपोर्ट प्रकाशित किया गया जिसमें पिछले दशक में करीबन 5,000 बच्चों के संग दुराचार की बातें आयीं। मेरा सावल है- क्या धर्माध्यक्षों को सौंपे गये रिपोर्ट के बारे में आप को जानकारी हैॽ आप क्या सोचते हैं उन धर्माध्यक्षों के संग क्या होना चाहिए जो दुराचार की घटनाओं को जानते हुए भी उनके बारे में अधिकारियों को सूचित नहीं किया। धन्यवाद।
संत पापाः जैसे आप व्यक्तिगत दायरे के आधार पर जानते हैं, मैंने लोगों के एक दल से मुलाकात की जो दुराचार का शिकार हुए हैं। जैसे कि मैं ऐसी घटनाओं के संबंध में सदैव करता हूँ, हमने इस महामारी के बारे में बातें कीं, यह एक भयावह घटना है। कलीसिया में, हमने उसकी तरह से व्यवहार किये हैं जैसे हम इसे वर्तमान परिस्थिति में परिवारों और पड़ोसों में पाते हैं। हमने इस ढ़ंक दिया है... हमे लगता हैं कि 42 प्रतिशत दुराचार परिवारों में या पड़ोसों में होते हैं। हमें इसके संबंध में प्रौढ़ता को प्राप्त करने की जरुरत है और इन चीजों को खोज निकालने में मदद करना है। बोस्टन की घटना से, कलीसिया इस बात से सतर्क हुई है कि वह कोई दिशाहीन मार्गों में नहीं चल सकती है, बल्कि सांड को हमें उसके सिंघों से नियत्रंण में लाना है।
ढ़ाई साल पहले धर्माध्यक्षीय धर्मसभों के धर्माध्यक्षों की एक संगोष्ठी थी जिसमें दुरचार के अधिकारिक आकंड़े भी प्रस्तुत किये गये। और यह बहुत गंभीर है, स्थित बहुत ही गंभीर है। कलीसिया में एक वाक्यांश है जिसे हम हर समय उपयोग कर रहे हैं,“शून्य सहनशीलता, शून्य सहनशीलता”। और पुरोहितगण जिन्होंने किसी भी रूप में, इसके संबंध में उत्तदायित्व नहीं लिया है उन्हें इस गैरजिम्मेदारी की जिम्मेदारी लेने की जरूरत है... दुराचार का विश्व अपने में बहुत कटु है, और मैं हर किसी से आग्रह करता हूँ कि आप इसके लिए पूर्णरूपेण खुला रहें। पुर्तगाल की कलीसिया में, इससे संबंधित प्रक्रिया के बारे में- यह उचित रुप में आगे बढ़ रही है। यह अच्छी तरह और शांतिमय ढ़ंग से आगे बढ़ रही है, दुराचार की घटनाओं की खोजबीन गम्भीरता से की जा रही है। संख्या के संबंध में इसे कभी-कभी बढ़ा-चढ़ा कर प्रस्तुत किया जाता है, थोड़ी बहुत जिसके बारे में हम भी अपनी टीका-टिप्पणी सदैव करना चाहते हैं, लेकिन सच्चाई यही है कि यह सही दिशा में आगे बढ़ रही है जो मुझे एक निश्चित शांति प्रदान करती है।
मैं और एक विन्दु पर प्रकाश डालना चाहूँगा और मैं आप पत्रकारों से चाहूँगा की आप इसमें सहयोग करें। क्या आप के पास आज एक फोन हैॽ एक फोन। अच्छा, किसी भी फोनों में, एक फीस और एक पासवर्ड के द्वारा आप उन बच्चों के साथ हुए यौनशोषण को देख सकते हैं। यह हमारे घरों के अंदर आता और बाल शोषण दुराचार की फिल्म हमारे घरों में निवास करता है। यह कहाँ बनाॽ किसने इसे बनायाॽ यह हमारे समय की, अपने में एक बहुत बड़ी गम्भीर महामारी है, लेकिन मैं इस पर जोर देना चाहूँगा क्योंकि कभी-कभी आप यह अनुभव नहीं करते कि वे कितने गंभीर हैं। जब आप दुराचार का शिकार हुए एक बच्चे को मनोरंजन के लिए उपयोग करते हैं, तो यह ध्यान खींचता है। दुराचार अपने में शिकार का भक्षण करना है, हैं नॽ या उससे भी बुरा, उन्हें चोट पहुंचाना और उन्हें जीवित छोड़ देना है।
दुराचार का शिकार हुए लोगों से वार्ता करने अपने में एक बहुत ही दुःखदायी अनुभव है, जो मेरे लिए अच्छा है, इसलिए नहीं कि मैं उन्हें सुनना चाहता हूँ, बल्कि इसलिए यह मुझे उस वेदना का सामना करने में मदद करता है। आपके सवालों के उत्तर में मैं इतना ही कह सकता हूँ, प्रक्रिया जारी है, मुझे सूचित किया गया है कि चीजें कैसी चल रही हैं। समाचार में स्थितियों को बढ़ा-चढ़ा कर प्रस्तुत किया गया है लेकिन जहाँ तक इसके बारे में कहा जाये चीजें सही दिशा में बढ़ रहीं हैं। इसके साथ ही, मैं कहना चाहूँगा, किसी तरह बन पड़े आप सहायता करें। सहायता करें जिससे सभी तरह के दुराचारों का समाधान निकाला जा सके, केवल यौन शोषण का नहीं बल्कि अन्य दूसरे शोषणों का भी।
हम अपने मध्य और भी दूसरे शोषणों को पाते जो हमें पुकार रही हैं- बाल श्रम शोषण, बल शोषण, महिलाओं का शोषणा, हैं नॽ आज भी, बहुत सारे देशों में, छोटी लड़कियों का आपरेशन किया जाता है, जहाँ उनका खतना किया जाता, अंग को ब्लेड से काटकर निकाल दिया जाता है... अलविदा... यह निर्दयता है..., शारीरिक शोषण जिसे हम श्रम शोषण के क्षेत्र में पाते हैं, जो अपने में गम्भीर है, ये सारी चीजें- हमारे लिए शोषण की संस्कृति है जिसे मानवता को मंथन करने और अपने में परिवर्तन लाने की जरुरत है।
जीन-मैरी गुएनोइस – (ले फिगारो) संत पापा, आप कैसे हैंॽ आप का स्वास्थ्य कैसा है, आप के स्वास्थ्य में सुधार कैसे हो रहा हैॽ आप ने अपने संबोधन को नहीं पढ़ा या एक छोटे अंशों को ही केवल पढ़ा। हमने प्रेरितिक यात्रा में इसे अभूतपूर्व रुप में अनुभव किया, क्योंॽ क्या आप की आंखों में तकलीफ थी, थकान थाॽ क्या प्रवचन बहुत लम्बे थेॽ आप कैसा अनुभव करते हैंॽ और मुझे फांस के बारे में एक छोटा सवाल पूछने की इजाजत दीजिए। क्या आप मार्सिले जा रहे हैं, लेकिन आप ने कभी फांस की यात्रा नहीं की है। लोग नहीं समझते हैं, शायद यह बहुत छोटा है या क्या आप फांस के खिलाफ हैंॽ
संत पापाः मेरा स्वास्थ्य अच्छा है। टंकें हटा दिये गये हैं, मैं सामान्य जीवन जी रहा हूँ, मैं एक पट्टी लगाता हूँ जिसे मुझे दो या तीन महीने तक पहनने की जरूरत है जब तक कि मेरी मांसपेशियाँ मजबूत न हो जायें। मेरी नजरें। उस पल्ली में मैंने अपने संबोधन को छोटा किया क्योंकि मेरे सामने एक लाईट थी और मैं नहीं पढ़ सका, वह सीधे मेरी आँखों में पड़ रही थी जिसके कारण मुझे उसे छोटा करना पड़ा। कुछ लोगों ने, मत्तेओ, से पूछा कि मैंने क्यों प्रवचन को छोटा कर दिया। जब मैं उपदेश देता हूँ मैं शैक्षणिक प्रवचन नहीं देता, मैं जहाँ तब बन पड़े उसे स्पष्ट बनाने की कोशिश करता हूँ। जब कभी मैं बोलता हूँ मैं वार्ता करने की चाह रखता हूँ। आप ने इस बात को गौर किया होगा, यहां तक कि शैक्षणिक संबोधनों में भी मैं कुछ मजाक करता हूँ, कुछ हंसी से क्षण जिससे वार्ता किया जा सके। युवा लोगों के संग लम्बे प्रवचन में महत्वपूर्ण संदेश थे, मैंने वार्ता के अनुरूप उन्हें उनके लिए चुना। आपने इस बात को देखा कि मैं कुछ सवाल पूछा और उसका उत्तर तुरंत इस बात को इंगित किया कि चीजें किस दिशा में जा रही थीं, यह सही थीं या गलत। युवाओं में ध्यान क्रेन्द्रित करने की समय सीमा लम्बी नहीं होती है। आप विचार करें कि यदि आप उन्हें एक विषय पर, एक विचार, एक चिन्ह, एक प्रेम पर स्पष्ट संबोधन दे रहे हैं, वे आप के साथ आठ मिनट तक बने रहेंगे। ऐभनजेली गाऊदियुम, अपने पहले प्रेरितिक प्रबोधन में संयोग से मैंने प्रवचन पर एक लम्बा अध्याय लिखा। यहाँ हम एक पल्ली पुरोहित को पाते हैं, (टर्मोली के पल्ली पुरोहित डॉन बेनिटो जियोर्जेटा) वे जानते हैं कि प्रवचन अपने में कभी-कभी एक प्रताड़ना, सतावट होती है जहाँ वे बकबक, बकबक करते, और लोग...।
कुछ छोटे शहरों में, मैं टर्मोली के बारे नहीं जानता, पुरूष बाहर सिगरेट पीने को जाते और वापस आ जाते हैं। कलीसिया को चाहिए कि वह प्रवचन के इस स्वरुप में परिवर्तन लायें- इसे छोटा, स्पष्ट, एक स्पष्ट संदेश के साथ और स्नेहिल बनाये। यही कारण है मैं इसकी परख करता हूँ कि यह युवाओं के लिए रूचिकर है औऱ मैं उन्हें बातें करने देता हूँ। मैंने इसे छोटा रखा क्योंकि.. मैं विचार को युवाओं के लिए खुला रखना चाहता हूँ।
हम फ्रांस की ओर चलें। मैं स्ट्रासबर्ग गया, मैं मार्सिले जाऊंगा, लेकिन फ्रांस नहीं। वहाँ भूमध्यसागरीय प्रांत में एक समस्या है जिसकी मुझे चिंता है। यही कारण है कि मैं फ्रांस जा रहा हूँ। प्रवासियों का शोषण अपने में अपराध है। यहाँ यूरोप में यह नहीं है क्योंकि यह बेहतर है, हम अपने में शिष्ट हैं, लेकिन उत्तरी अफ्रीका के यातना शिविर...मैं एक पुस्तक का सुझाव देता हूँ। एक छोटी पुस्तिका है, छोटी-सी, जो प्रवासी के द्वारा लिखी गई है जिसे मैं सोचता हूँ, गुयेना से स्पेन आने में तीन वर्ष लगे क्योंकि वह गिरफ्तार किया गया, प्रताड़ना और गुलामी का शिकार हुआ। उत्तरी (अफ्रीका) के उन यातना शिविरों में प्रवासियों की स्थिति दयनीय है। वर्तमान समय में, पिछले सप्ताह- “भूमध्यसागरीय मानव सुरक्षा” संघ प्रवासियों को बचाने के लिए एक कार्य कर रही थी जो तुनिशिय़ा और लिबिना की मरूभूमियों में थे, क्योंकि उन्हें मरने के लिए छोड़ दिया गया था। उस पुस्तिका का नाम “एरमानितो” है इतालवी में इसका उपशीर्षक “फ्त्तेलीनो है- लेकिन इसे दो घंटे में पढ़ा जा सकता है, यह पढ़ने लायक है। आप इसे पढ़ें और आप को पता चलेगा कि उतरने के पहले प्रवासियों के संग क्या त्रासदी होती है।
भूमध्यसागरीय प्रांत के धर्माध्यक्षगण इस मिलन का आयोजन करेंगे, यहां तक कुछ राजनीतिज्ञों के संग जिससे प्रवासियों की त्रासदी पर गंभीरता से विचार-मंथन किया जा सके। भूमध्यसागर एक कब्रिस्तान है, लेकिन यह सबसे बड़ा कब्रिस्तान नहीं है। सबसे बड़ा कब्रिस्तान उत्तरी अफ़्रीका है। यह भयानक है, इसे पढ़ें। इसीलिए मैं मार्सिले जाऊंगा। पिछले सप्ताह, राष्ट्रपति मैक्रॉन ने मुझसे कहा कि उनकी इच्छा मार्सिले आने की है और मैं वहाँ डेढ़ दिन रहूँगा- मैं दोपहर में पहुंचुंगा और अगले दूसरे दिन तक ठहरूंगा।
((मात्तेओ ब्रूनी ने सवाल दोहराया: फ्रांस के खिलाफ आपका कुछ भी नहीं हैॽ)
नहीं, नहीं, यह एक नीति है। मैं छोटे-छोटे यूरोपीय देशों का दौरा कर रहा हूँ। बड़े देश, स्पेन, फ्रांस, इंग्लैंड, मैं उन्हें बाद के लिए, छोड़ रहा हूँ। लेकिन एक विकल्प के रूप में मैंने अल्बानिया से शुरुआत की और इसी तरह मैंने छोटे देशों से शुरू की। फ्रांस के दो शहर: स्ट्रासबर्ग और मार्सिले, के खिलाफ कुछ भी नहीं है।
सवालः अनीता हिर्शबेक- (केएनए) संत पापा, लिस्बन में आपने कहा कि कलीसिया में हर किसी के लिए, हर एक के लिए, सब के लिए जगह है। कलीसिया सभी के लिए खुली है, लेकिन साथ ही सभी के पास समान अधिकार, अवसर नहीं हैं, उदाहरण के लिए, महिलाएं, समलैंगिक सभी संस्कार प्राप्त नहीं कर सकते हैं। संत पापा, आप एक खुले कलीसिया और सभी के लिए समान न होने वाले कलीसिया के बीच इस असंगतता की व्याख्या कैसे करते हैंॽ धन्यवाद।
संत पापाः आप मुझ एक प्रश्न पूछते हैं जो दो अलग-अलग दृष्टिकोणों से संबंधित है: कलीसिया सभी के लिए खुली है, फिर एक कानून है जो कलीसिया के अंदर जीवन को संचालित करता है। जो अंदर है वह नीति-नियमों का पालन करता है। जब आप सरलीकरण की बात कहते हैं, “वे संस्कारों में भाग नहीं ले सकते।” इसका मतलब ये नहीं कि कलीसिया बंद है। हर कोई कलीसिया के अंदर अपने रास्ते पर ईश्वर से मिलता है, और कलीसिया माता है और हर किसी को अपने रास्ते पर मार्गदर्शन करती है। इसीलिए मैं यह कहना पसंद नहीं करता, हर कोई आता है, लेकिन वह, यह, लेकिन वह दूसरा...हर कोई, हर कोई प्रार्थना में, आंतरिक संवाद में, प्रेरितिक संवाद में, आगे बढ़ने का मार्ग खोजता है।
इसीलिए मैं सवाल पूछता हूँ- समलैंगिक क्यों नहींॽ हर कोई। और ईश्वर सब की प्रतीक्षा करते हैं- बीमार, स्वस्थ, बूढ़े और जवान, कुरूप और सुंदर... अच्छे और बुरे।
एक प्रकार की धारण है जो कलीसिया के इस सम्मिलन को माता के रूप में नहीं समझती है और इसे एक प्रकार के “संघ” के रूप में सोचती है कि आपको यह करना है, या इसे इस तरह से करना है और किसी अन्य तरीके से नहीं, जिससे आप आगे जा सकें।
कलीसिया की याजकीयता दूसरी बात है। (यह) विश्वासी प्रजा को आगे ले जाने का तरीका है। और याजकीयता में, हम महत्वपूर्ण चीज़ों में से एक धैर्य को पाते हैं- यह लोगों को परिपक्वता की राह पर कदम दर कदम साथ देना है। हममें से प्रत्येक को यह अनुभव है- कि माता कलीसिया हमारे साथ रही है और परिपक्वता के हमारे पथ में हमारा साथ देती है।
मुझे कटौती पसंद नहीं है। यह कलीसियाई नहीं है; यह ज्ञानात्मक है। यह एक गूढ़ज्ञानवादी विधर्म की तरह है जो आज कुछ हद तक फैशन बन गया है। एक निश्चित ज्ञानवाद जो कलीसियाई वास्तविकता को कम करती है, और वह मददगार नहीं है। कलीसिया हर किसी को ग्रहण करने वाली “माता” है, और हर कोई प्रचार किया बिना, कलीसिया के भीतर अपना रास्ता बनाता है, और यह बहुत महत्वपूर्ण है। धन्यवाद, आपने साहस के साथ यह प्रश्न पूछा। धन्यवाद।
मात्तेओ ब्रूनी: संत पापा विश्व युवा दिवस के बारे में एक विचार साझा करना चाहेंगे।
संत पापाः मैं विश्व युवा दिवस में अपना एक अनुभव साझा करना चाहूंगा, कि मैंने कैसा अनुभव किया। यह चौथा अवसर है जिसका मैंने अनुभव किया। पहला रियो डी जनेरियो में था जो स्मरणीय, ब्राजीलियाई शैली में सुंदर था। दूसरा क्राकोव में था, तीसरा पनामा में, यह चौथा है। यह संख्या की दृष्टिकोण से विशाल रहा। ठोस आंकड़ों के अनुसार युवाओं की संख्या दस लाख से अधिक थी। इसके भी अधिक। दरअसल, कल रात के जागरण प्रार्थना में अनुमानत- दस लाख चार सौ या दस लाख छह सौ हजार युवा थे। ये सरकारी आंकड़ें हैं। संख्या प्रभावशाली है। इसकी तैयारी बहुत अच्छी रही। मैंने जो देखा है, उनमें यह सबसे बेहतर रुप में तैयार किया गया था।
युवा अपने में आश्चर्यजनक हैं। युवाजन युवा होते हैं, वे युवा व्यवहार करते हैं, यह जीवन ऐसा ही है। लेकिन वे आगे देखना चाहते हैं। और वे भविष्य हैं। हमें उनका साथ देना है। समस्या यह है कि उनका साथ कैसे दिया जाए। वे अपने को अपनी जड़ों से अलग न करें। इसीलिए मैं बुजुर्गों और युवाओं के बीच, दादा-दादी और पोते-पोतियों के बीच संवाद पर इतना जोर देता हूँ। यह वार्ता महत्वपूर्ण है, माता-पिता-बच्चे के संवाद से भी अधिक महत्वपूर्ण है। दादा-दादी के संग, क्योंकि यहीं आपको जड़ें मिलती हैं। फिर युवाजन, वे धार्मिक हैं, वे एक गैर-शत्रुतापूर्ण, गैर-कृत्रिम, गैर-कानूनी विश्वास, येसु मसीह के साथ साक्षात्कार की तलाश में हैं। और ये आसान नहीं हैं।
वे कहते हैं, “लेकिन युवा लोग हमेशा नैतिकता के अनुसार जीवन नहीं जीते हैं...” हममें से किसने अपने जीवन में नैतिक गलती नहीं की हैॽ सभी ने की है। आज्ञाओं के साथ या किसी के साथ, हममें से प्रत्येक का अपने इतिहास में स्वयं का पतन है। जिंदगी ऐसी ही है। लेकिन प्रभु हमेशा हमारी प्रतीक्षा करते हैं क्योंकि वे दयालु हैं और (वे) पिता हैं, और दया हर चीज़ से परे है।
मेरे लिए विश्व युवा दिवस बहुत खूबसूरत था। विमान पकड़ने से पहले, मैं स्वयंसेवकों के साथ था जो 25,000 की संख्या में थे। यह एक रहस्यमय अनुभव था, एक मिलन जो वास्तव में सुंदर, अति सुंदर था। युवा दिवस के बारे में मैं यही कहना चाहता था।
सावलः जस्टिन मैकलेलन– काथलिक समाचार सेवा (सीएनएस) आपने विश्व युवा दिवस के बारे में बातें की। हमने इन दिनों उन युवाओं की गवाही सुनी है जो मानसिक स्वास्थ्य, अवसाद से जूझ रहे हैं। क्या आपने कभी इसका समाना किया हैॽ और अगर कोई आत्महत्या करने का फैसला करता है, तो आप उस व्यक्ति के परिवार के सदस्यों को क्या कहेंगे, जो आत्महत्या पर काथलिक शिक्षा दिए जाने पर यह सोचकर पीड़ित होते हैं कि यह व्यक्ति नरक में चला गया हैॽ
संत पापाः युवाओं में आत्महत्या आज एक बड़ा मुद्दा है, इसकी संख्या बड़ी है। मीडिया अक्सर (मुद्दे के बारे में) इतना कुछ नहीं कहता या सूचित नहीं करता। मैं–पापस्वीकार के संदर्भ में नहीं, युवा लोगों के साथ संवाद, संवाद के अवसर के बारे कह रहा हूं।
एक भले युवक ने मुझसे कहा- क्या मैं आपसे एक प्रश्न पूछ सकता हूँॽ आप आत्महत्या के बारे में क्या सोचते हैंॽ वह हमारी भाषा नहीं बोलता था, लेकिन मैं अच्छी तरह समझ गया और हम आत्महत्या के बारे में बात करने लगे। और अंत में उन्होंने मुझसे कहा: धन्यवाद, क्योंकि पिछले साल मैं अनिश्चित था कि मैं आत्महत्या करूँ या न करूँ ।
बहुत से युवा चिंतित और उदास हैं, लेकिन केवल मनोवैज्ञानिक रूप से नहीं। फिर कुछ देशों में जहां विश्वविद्यालय में बहुत अधिक मांग है, युवा लोग जो डिग्री प्राप्त करने या नौकरी ढूंढने में सफल नहीं होते हैं, और आत्महत्या कर लेते हैं क्योंकि उन्हें बहुत शर्म महसूस होती है। मैं यह नहीं कह रहा कि यह रोजमर्रा का मुद्दा है लेकिन यह एक समस्या है। हमारे दिन की एक समस्या। यह कुछ ऐसा है जो घटित होता है।
प्रेस विज्ञप्ति के उपरांत वाटिकन प्रवक्ता ने संत पापा फ्रांसिस और सभों का धन्यवाद अदा किया।
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