संत पापाः मानवीय प्यास की तृप्ति ईश्वरीय प्रेम में निहित

संत पापा फ्रांसिस ने मंगोलिया के छोटे ख्रीस्तीय समुदाय के साथ प्रभु भोज में सहभागी होते हुए मानवीय प्यास और उस प्यास की तृप्ति, प्रेम पर अपना चिंतन प्रस्तुत किया।

वाटकिन सिटी

संत पापा फ्रांसिस ने मंगोलिया की अपनी प्रेरितिक यात्रा के तीसरे दिन ऊलानबतार के स्तेपे अरीना में मंगोलिया की छोटी कलीसिया के संग यूखारिस्तीय बलिदान अर्पित किया।

संत पापा ने अपने प्रवचन की शुरूआत स्तोत्र ग्रंथ से करते हुए कहा, “हे प्रभु...मेरी आत्मा तेरी प्यासी है। जल के लिए सूखी संतप्त भूमि की तरह, मैं तेरे दर्शन के लिए तरसता हूँ” (स्तो. 63.3)। यह पुकार हमारे जीवन के सूखेपन में आती है जहाँ हम अपने मरूभूमि रूपी जीवन के पार जाने को बुलाये जाते हैं। अपने जीवन की मरूभूमि में हम ईश्वर के सुसमाचार को सुनते, जहाँ वे हमें कहते हैं कि तुम अकेले नहीं हो। जीवन के वैसे सूखेपन हमारे जीवन में सदैव व्याप्त नहीं रहते हैं, क्योंकि हमारी प्यास भरी पुकार व्यर्थ नहीं जाती है। स्वर्गीय पिता ने हमारे लिए पवित्र आत्मा जो भेजा है जो हमें संजीवन जल प्रदान करते जो हमारी आत्माओं की प्यास बुझाती है। सुसमाचार में जैसे हमने सुना, येसु प्यास बुझाने का मार्ग हमें दिखलाते हैं। यह प्रेम का मार्ग है, जिसे उन्होंने क्रूस ढ़ोने तक अनुसरण किया जिसका अनुकरण करने हेतु वे हमें बुलाते हैं, जहाँ जीवन पाने हेतु हम अपने जीवन को खोते हैं (यो. 16.24-25)।

संत पापा ने कहा कि हम अपने अंदर व्याप्त प्यास और उस प्रेम पर चिंतन करें जो हमारी प्यास को बुझाती है।

मानव में व्याप्त प्यास

संत पापा ने कहा कि हमें सर्वप्रथम अपने अंदर व्याप्त प्यास को स्वीकारने की जरुरत है। स्तोत्र लेखक अपने जीवन के सूखेपन में ईश्वर को पुकारते हैं। उनके शब्दों को हम मंगोलिया की धरती में ध्वनित होता पाते जो अपने में बृहृद, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रुप में समृद्ध है, फिर भी, वह अपने में मरूभूमि की सूखाड़ से ग्रस्ति है। हममें से बहुत कोई जीवन यात्रा में संतोष और थकान को जानते हैं जो हमें धर्मग्रंथ की आध्यत्मिकता के संग संयुक्त करता है जिसका प्रतिनिधित्व आब्रहम करते हैं, एक विस्तृत अर्थ में हम अपने को इस्रराएली प्रजा, येसु ख्रीस्त के शिष्य स्वरुप पाते हैं। संत पाप ने कहा हम सभी ईश्वर के लिए यायावर की भांति हैं, यात्रियों की भांति जो खुशी की खोज करते हैं, प्रेम के प्यासे हैं। इस भांति जिस मरूभूमि की चर्चा स्तोत्र लेखक करते वह हमारा जीवन है। हमारा जीवन सूखी भूमि की भांति प्यासा है, जो जीवनदायी जल की खोज करता है, जो हमारी गहरी प्यास को बुझाता है। हमारा हृदय सच्ची खुशी के रहस्य की खोज करता है, वह खुशी जो सूखेपन में भी हमें जीवन में आगे ले चलती है। हमारे हृदय की गहराई में हम अतृत्प खुशी की चाह को पाते हैं, हम अपने जीवन के अर्थ और लक्ष्य की चाह रखते हैं, जिसके लिए प्रतिदिन हम कार्य करते हैं। किसी भी चीज से अधिक हम प्रेम की चाह रखते हैं क्योंकि केवल प्रेम ही हमें सच्ची संतुष्टि प्रदान करती है, हममें पूर्ण लाती, हमारी अंतर आत्मा को सुदृढ़ करती और जीवन की सुन्दरता का रसास्वादन करने में हमारी मदद करती है।

प्रिय भाइयो एवं बहनों, संत पापा ने कहा कि ख्रीस्तीय विश्वास इस प्यास का उत्तर है, यह इसे अपने से दूर किये बिना या किन्हीं बातों में स्थानांतरित किया बिना या किसी पर आश्रय लिये इसे गंभीरता से लेता है। क्योंकि इस प्यास में मानवता का बृहृद रहस्य छिपा हुआ है, यह हमारे हृदयों को ईश्वर के लिए, उनके प्रेम हेतु खोलता है जो हमसे मिलने आते हैं और हमें अपनी संतान, एक दूसरे के लिए भाई-बहन बनाते हैं।

प्रेम हमारी प्यास बुझाती है

यह हमें दूसरे बिन्दु- प्रेम, जो हमारी प्यास बुझाती है, की ओर लाता है। यह ख्रीस्त विश्वास का हृदय है, ईश्वर, जो प्रेम हैं हमारे बीच अपने पुत्र के द्वारा आते और अपने को हमारे संग, हमें कार्य, सपनों और हमारी खुशी की चाह में साझा करना चाहते हैं। यह सत्य है कि “हम सदैव अपने जीवन में सूखी भूमि होने का एहसास करते हैं” फिर भी, यह उतना ही सत्य है कि ईश्वर हमारी चिंता करते औऱ हमें स्वच्छ, शुद्ध पानी, पवित्र आत्मा के माध्यम संजीवन जल प्रदान करते हैं, जो हमारे अंदर फूट कर निकलता है जिससे हम नवीन होते और सूखने की जोखिम से बचे रहते हैं। येसु हमें वह जल प्रदान करते हैं। जैसे कि संत अगुस्टीन हमें कहते हैं, “...यदि हम अपने को उन लोगों में पहचानते हैं जो प्यासे हैं, तो हम अपने को उन लोगों में भी पहचान सकते हैं जो उस प्यास बुझाते हैं।” वास्तव में, इस जीवन में हम सदैव अकेलेपन की मरूभूमि, थकान और खालीपन का अनुभव करते हैं, तो हम संत अगुस्टीन के संग सदैव इसकी भी याद करें, “इसके पहले की हम मरूभूमि में बेहोश हो जायें, ईश्वर हमें अपने वचन रूपी ओस से तरल-ताजा करते हैं...। यह सच है, वे हमें प्यासा बनाते, लेकिन हमारी प्यास बुझाने आते हैं। ईश्वर हमारे प्रति करूणावान हैं, वे हमारे लिए मरूभूमि में एक मुख्य मार्ग खोलते हैं जो येसु ख्रीस्त हैं। उन्होंने हमारी मरूभूमि रूपी जीवन में सांत्वना प्रदान किया है- जो उनके वचन के उद्घोषक हैं। मरूभूमि में उन्होंने उपदेशकों को पवित्र आत्मा से पोषित करते हुए हमें जल प्रदान किया है, जिससे हम अपने में अनंत जीवन का स्रोत बन सकें। संत पापा ने कहा कि ये शब्द, प्रिय मित्रों आपके समुदायों के बारे में कहता है, ईश्वर यह सुनिश्चित करते हैं कि आप को वचन रुपी जल की कमी न हो। इसके लिए हम सभी उपदेशकों और प्रेरितिक कार्य में संलग्न लोगों का धन्यवाद करते हैं जो पवित्र आत्मा से पोषित, सुन्दर बीजों को हमारे बीच बोते हैं। वचन हमें सदैव विश्वास के केन्द्र-बिन्दु में लेकर आता है, हमें ईश्वर के द्वार प्रेम किये जाने देता और इसके बदले में हमारा जीवन प्रेम का उपहार बनता है। क्योंकि केवल प्रेम ही सही अर्थ में हमारी प्यास को बुझाता है।

पेत्रुस के मनोभाव

इसी बात को येसु आज के सुसमाचार में पेत्रुस से कहते हैं। पेत्रुस इस सच्चाई को नहीं स्वीकारते हैं कि येसु दुःख भोगें, जनता के नेताओं द्वारा प्रताड़ित किये जायें, दुःख सहें औऱ क्रूस पर मर जायें। पेत्रुस इसका विरोध करते, प्रतिक्रिया दिखलाते और येसु को इस बात का विश्वास दिलाना चाहते हैं कि यह गलत है क्योंकि उसके मन में- साथ ही हम इसे अपने मन में भी पाते हैं कि मसीह अपने में कभी असफल नहीं होंगे, वे क्रूस पर एक अपराधी की तरह, ईश्वर द्वारा तिरस्कृत नहीं हो सकते हैं। येसु पेत्रुस को फटकराते हैं क्योंकि उसकी सोच ईश्वर की इच्छा के अनुरूप नहीं अपितु दुनियावी है। यदि हम सोचते हैं कि सफलता, शक्ति या भौतिक चीजें हमारे जीवन की प्यास बुझती है तो हम दुनियावी सोच के ग्रस्ति हैं। यह दुनियावी सोच हमें कहीं का नहीं छोड़ती है, वास्तव में,यह हमें पहले से और भी अधिक प्यासा छोड़ देती है। येसु हमें इसके बदले एक मार्ग दिखलाते हैं, “यदि कोई मेरा अनुसरण करना चाहता हैं तो वह अपना आत्म-त्याग करें और अपना क्रूस उठाकर मेरे पीछे हो लें। जो मेरे कारण अपना जीवन खो देता है वह उसे प्राप्त करता है।”

प्रेम की शक्ति

संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि  यह हमारे लिए निश्चित तरीका है, जहाँ हम ख्रीस्त के क्रूस का आलिंगन करने हेतु बुलाये जाते हैं। ख्रीस्तीयता के हृदय में हम एक आश्चर्यजनक और अतिविशिष्ट संदेश को पाते हैं। यदि हम अपना जीवन खो देते, यदि हम इसे उदारता में अर्पित करते, यदि आप प्रेम का बदला प्रेम से देते, यदि आप इसे दूसरे के लिए स्वतंत्र उपहार बनाते हैं, तो यह आप के पास बहुतायत में लौट कर आता है, यह आप को आपार खुशी से भर देता है,आप अपने हृदय में शांति और आंतरिक शक्ति और सहारा का अनुभव करते हैं।

यह वह सच्चाई है जिसे येसु हमें खोजने को कहते हैं, इसे वे मंगोलिया के लोगों के लिए प्रकट करना चाहते हैं। आप को खुश होने के लिए प्रसिद्ध, धनी या शक्तिशाली होने की जरुरत नहीं है। केवल प्रेम हमारे हृदय की प्यास को बुझाता है केवल प्रेम हमारे घावों को चंगाई प्रदान करता है, केवल प्रेम हमारे लिए सच्ची खुशी लाता है। येसु हमें इसी बात को बतलाते हैं यही वह मार्ग है जिसे उन्होंने हमारे लिए खोला है।

येसु का अनुसरण

हम इस बात पर ध्यान दें जिसे येसु ने पेत्रुस के लिए कहा, “हट जाओ,शैतान” दूसरे अर्थ में तुम मेरे शिष्य बनो, मेरे मार्ग का अनुसरण करो और दुनिया की तरह सोचना छोड़ो। यदि हम ऐसा करते हैं तो हम येसु ख्रीस्त औऱ पवित्र आत्मा की शक्ति से, प्रेम के मार्ग में चलने को सक्षम होंगे। यहाँ तक कि जब प्रेम हमें अपना परित्याग करने की मांग करेगा, हमारे व्यक्तिगत स्वार्थ औऱ दुनियावी बातों का तिरस्कार करने को कहेगा, हम भ्रातृमय प्रेम के अनुरूप जीवन जीने के योग्य होंगे। यह सच्चा है ये सारी चीजें, क्रूस ढ़ोना हमसे प्रयास और त्याग की मांग करती है, यह सत्य है कि सुसमाचार के लिए अपने जीवन को खोने में हम येसु से दोगुना पाते हैं जो हमें प्रेम, खुशी और अनंत जीवन से भर देते हैं।

मंगोलिया में संत पापा का यूखारिस्तीय बलिदान

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03 September 2023, 12:14