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2023.09.26 संत पापा फ्राँसिस आभासी संवाद में "बिल्डिंग ब्रिजेस" पहल के तहत दक्षिण एशिया के विद्यार्थियों के साथ  2023.09.26 संत पापा फ्राँसिस आभासी संवाद में "बिल्डिंग ब्रिजेस" पहल के तहत दक्षिण एशिया के विद्यार्थियों के साथ  

संत पापा एशिया के युवाओं से : विचारधाराओं के विरुद्ध सद्भाव के साक्षी बनें

भारत, नेपाल और पाकिस्तान के काथलिक विश्वविद्यालयों के बारह छात्रों के साथ संत पापा फ्राँसिस का आभासी संवाद, लैटिन अमेरिका के लिए पोंटिफिकल कमीशन और शिकागो के लोयोला विश्वविद्यालय की "बिल्डिंग ब्रिजेस" पहल के तहत की गई। धार्मिक स्वतंत्रता और गवाही, बदमाशी और युवा आत्महत्या, सामाजिक नेटवर्क और मीडिया साक्षरता पर चर्चा थी। "हमें मतभेदों की सुंदरता में पाए जाने वाले सामंजस्य की आवश्यकता है जिसे आप एशिया में बहुत अच्छी तरह से बनाना जानते हैं"

वाटिकन न्यूज

वाटिकन सिटी, बुधवार 27  सितंबर 2023 (वाटिकन न्यूज) : मंगलवार 26 सितंबर को दक्षिण एशिया में तीन काथलिक विश्वविद्यालय के छात्रः भारत में दिल्ली से फ्लोरिना, नेपाल से न्यारा और पाकिस्तान से शेरिल ज़ूम के माध्यम से एक गहन संवाद में, संत पापा फ्राँसिस को अंग्रेजी में सांप्रदायिक और कभी-कभी कट्टरपंथी समाजों द्वारा भेदभाव, पूर्वाग्रह और उत्पीड़न के बारे में बताया। उन्होंने उन्हें बेहतर भविष्य के अपने सपने, अपने विश्वास को व्यक्त करने के लिए स्वतंत्र न होने की कठिनाई और हताशा और इसे लड़खड़ाते देखने के डर के बारे में बताया। यह एक दूरस्थ, आभासी बैठक है, जो "बिल्डिंग ब्रिजेस" पहल की तीसरी कड़ी है, जो लैटिन अमेरिका के लिए पोंटिफ़िकल कमीशन और शिकागो के लोयोला विश्वविद्यालय के वैश्विक और सामुदायिक जुड़ाव कार्यालय के साथ प्रेरितिक अध्ययन संस्थान के बीच सहयोग से पैदा हुई है। फरवरी 2022 में अमेरिका और पिछले साल नवंबर में अफ्रीका के बाद धर्मसभा की पूर्व संध्या पर दक्षिण एशिया के युवाओं ने संत पापा से बातें की।

डर से पैदा हुई कट्टरता की शिकार आसिया बीबी

संत पापा मुस्कुराते हुए स्पानी भाषा में जवाब देते हुए कहते हैं कि तीन युवाओं की गवाही "मेरे दिल को छूती है" और पाकिस्तानी आसिया बीबी की "शहादत" को याद दिलाती है, जो मतभेदों के "भय से पैदा हुई कट्टरता" की निर्दोष शिकार थी। जो भाईचारा विरोधी भेदभाव पैदा करता है। इसका कारण "सामाजिक मूल्यों का विचारों में कम होना" है और जो कोई भी मेरी तरह नहीं सोचता मैं एक अपराधी, दोषी व्यक्ति और फिर शहीद में बदल जाता हूँ। लेकिन इस तरह हम अपनी सांस्कृतिक आत्महत्या के विचारक बन जाते हैं।" इतनी अधिक धर्मनिरपेक्षता के सामने संत पापा कहते हैं कि ईश्वर के पास हम प्रत्येक के लिए एक योजना है"। आपके पिताओं ने मुक्तिदाता के रुप में येसु को पहचाना और आप सपना देखें कि हम अलग-अलग दृष्टिकोणों के साथ हाथ फैलाकर जी सकते हैं। इससे सबका विकास होता है। हाथ फैलाये, सदैव क्षमा करते हुए अपने जीवन में गवाही देते हुए आगे बढ़ें।"

संत पापा फ्राँसिस आभासी संवाद में छात्रों से बातें करते हुए
संत पापा फ्राँसिस आभासी संवाद में छात्रों से बातें करते हुए

बदमाशी को ना, सद्भाव में सुंदरता को पहचानें

तीन अन्य युवा विश्वविद्यालय छात्र सामाजिक नेटवर्क और युवा आत्महत्या सहित बदमाशी के मुद्दों को संबोधित करते हैं। बैंगलोर में रसायन विज्ञान की छात्रा मेरिलिन रोज़ ने कहा कि एक युवा लड़की के रूप में उसका उपहास किया गया था क्योंकि उसका शरीर समाज के सौंदर्य के मानकों के अनुरूप नहीं था। संत पापा फ्राँसिस ने यह कहते हुए जवाब दिया कि बचपन में उसकी कक्षा में एक बहुत मोटा लड़का था। एक बार वह फर्श पर गिर गया और हम सभी सहपाठी उस पर हंसे। लेकिन जब मेरे पिता को पता चला, तो उन्होंने मुझे उससे माफ़ी मांगने के लिए उसके घर भेजा"। वर्षों बाद संत पापा उनसे मिले वे पुरोहित बन गये। संत पापा ने कहा कि उसका सहपाठी "बदमाशी के आघात पर काबू पाकर एक पुरोहित बन गया। हर किसी की अपनी सुंदरता होती है, आपको बस यह जानना होगा कि आंतरिक और बाहरी सामंजस्य में इसे कैसे पहचाना जाए।" उन्होंने आगे कहा, एशिया में आप जानते हैं कि मतभेदों की सुंदरता कैसे बनाई जाती है, "हर चीज को एकीकृत करने के प्रलोभन में न पड़ें।"

भारत, नेपाल और पाकिस्तान में धार्मिक स्वतंत्रता और गवाही पर चर्चा
भारत, नेपाल और पाकिस्तान में धार्मिक स्वतंत्रता और गवाही पर चर्चा

युवाओं को असफलता से उबरने में मदद करना

संत पापा ने आगे कहा कि एक युवक आत्महत्या कर लेता है, "जब उसे कोई क्षितिज नहीं दिखता, वह अपने सपनों के दरवाजे बंद कर देता है। उसे असफलता से उबरने में मदद करनी चाहिए।" और याद रखें कि "यदि देवदूत गिरते हैं और उठ नहीं पाते हैं, परंतु ईश्वर ने हम मनुष्यों को लचीला होने की क्षमता दी है।" जैसा कि अल्पाइन सैनिक गाते हैं, नहीं गिरना महत्वपूर्ण बात नहीं है, लेकिन गिरकर उठना सबसे बड़ी बात है और किसी ऐसे व्यक्ति को ढूंढना है जो हमें उठने में मदद करता है। संत पापा ने सलाह दी कि वे अपना विनोदी स्वभाव कभी न खोएं।

एशिया में वेब को एक बेहतर स्थान बनाना

जोसेफ, जो केरल में भौतिकी का अध्ययन करते हैं, और मेरी लाविना, जो बैंगलोर में कानून की पढ़ाई कर रही हैं, एशिया में इंटरनेट की चुनौती और युवा लोगों के लिए मीडिया साक्षरता के महत्व के बारे में बात करते हैं। वे वेब की खूबियों और खतरों पर प्रकाश डालते हैं, जिसने कई लोगों को व्यापक जानकारी तक पहुंच दी है, लेकिन धार्मिक और जातीय तनाव और राजनीतिक ध्रुवीकरण भी बढ़ाया है। जिन लोगों के पास डिजिटल प्रौद्योगिकियों तक पहुंच है और जिनके पास नहीं है, उनके बीच अंतर को कम करने और चुनौती जीतने के बारे में संत पापा ने कहा, "हमें मन, हृदय और हाथों की भाषा की और ढेर सारी रचनात्मकता की आवश्यकता है, क्योंकि हममें से प्रत्येक एक कविता है। विचारधारा मस्तिष्क को छोटा कर देती है, हृदय को छोटा और हाथों को पंगु बना देती है। विचारधाराओं से दूर रहें और प्रौद्योगिकियों तक पहुंच में समानता लाने का प्रयास करें। इससे इंटरनेट एक बेहतर जगह बन जाएगा। बहुत अधिक विशेषज्ञता न करें: "विशेषज्ञता उपयोगी है, लेकिन समग्रता के साथ संबंध और सद्भाव के साथ संबंध खोए बिना। मुख्य शब्द सद्भाव है।"

मुलाकात का एक और क्षण
मुलाकात का एक और क्षण

तथ्यों के प्रति निष्ठा और "बढ़े हुए हाथ का रहस्य"

संचार पर, फिर, संत पापा ने "आधे सच" के खतरे को रेखांकित किया: समाचार को काट-छांट नहीं किया जा सकता है, लेकिन सभी को पेश किया जाना चाहिए। हमें समाचारों और तथ्यों के प्रति निष्ठा की आवश्यकता है!  कभी-कभी वे नकली समाचार बन जाते हैं, "ऐसी खबरें जो दानव पैदा करती हैं, असत्यता की ओर बढ़ती हैं।"। संत पापा ने आगे कहा कि सच्चा लोकतंत्र बातचीत की अपेक्षा रखता है, "लेकिन समझौते की आवश्यकता है, जो एक बहुत ही मानवीय बात है। अलगाव की भाषा गलत है, अगर हम दोनों अलग-अलग सोचते हैं तो हमें आगे बढ़ने के लिए क्या समझौता कर सकते हैं, इसके बारे में भी सोचना होगा। यही फैले हुए हाथ का रहस्य है।"

शिक्षा का व्यावसायीकरण नहीं

छात्रों का चौथा और अंतिम समूह कट्टरपंथी विचारधारा और नास्तिकता से उत्पन्न चुनौती के विषय को संबोधित करता है, जो केरल के भारतीय समाज में बढ़ रही है, और फिर शिक्षा के व्यावसायीकरण का खतरा है। सागरिका रेखांकित करती हैं कि भारत में दो मिलियन से अधिक स्नातक बिना काम के हैं और काथलिक शिक्षा प्रणाली, जो बहुत अच्छी है, को हमेशा नौकरी बाजार के साथ बने रहने का प्रयास करना चाहिए। पाकिस्तानी तानिया बताती हैं कि उनके देश में, विशेषकर ग्रामीण इलाकों में, सभी ईसाई साक्षर नहीं हैं, और बहुत कम स्नातक हैं। “मेरे कई दोस्त हैं जिनके पास हाई स्कूल में दाखिला लेने का साधन नहीं है, विश्वविद्यालय तो दूर की बात है। उनके लिए छात्रवृत्ति की आवश्यकता होगी।” संत पापा फ्राँसिस सरकारों द्वारा छात्रवृत्ति की व्यवस्था के प्रस्ताव से सहमत हैं "जो लोग सबसे अधिक सक्षम हैं वे विश्वविद्यालयों में अध्ययन कर सकते हैं, भले ही उनके पास आर्थिक साधन न हों। अन्यथा, यदि केवल वे ही अध्ययन कर सकते हैं जो भुगतान कर सकते हैं, तो एक बौद्धिक जाति का निर्माण होता है जो हमेशा यह नहीं जानता कि अपने देश के लिए विकास नीति प्रस्ताव कैसे बनाएं।"

तीन छात्राएँ शिक्षा और कट्टरवाद पर संत पापा के साथ बातचीत करती हैं
तीन छात्राएँ शिक्षा और कट्टरवाद पर संत पापा के साथ बातचीत करती हैं

संवाद के लिए साहस की आवश्यकता होती है, लेकिन इससे भाईचारा बनता है

संत पापा के अनुसार, "शिक्षा के व्यावसायीकरण" से लड़ना चाहिए। यह हमेशा स्वतंत्र और मुक्त होना चाहिए और इसे सभी राजनीतिक कार्यक्रमों में शामिल किया जाना चाहिए, क्योंकि यह किसी देश के विकास को दर्शाता है। अंत में, शिक्षक को सबसे पहले अपने छात्रों में आत्म-सम्मान पैदा करना चाहिए, जो किसी भी विषय पर चर्चा करने में सक्षम होने के योग्य महसूस करें। कट्टरवाद पर, संत पापा फ्राँसिस ने रेखांकित किया कि कुछ "वैचारिक चरमपंथी" ख्रीस्तीय भी हैं जो सुसमाचार को एक विचारधारा में बदल देते हैं। "जबकि संवाद के लिए दूसरे के प्रस्ताव को सुनने और प्रतिक्रिया देने के लिए साहस की आवश्यकता होती है: इससे भाईचारा पैदा होता है।"

 

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27 September 2023, 15:49