संत पापा- वैश्विक शांति प्रतिबद्धता हेतु मंगोलिया की प्रशंसा
वाटिकन सिटी
संत पापा फ्रांसिस ने मंगोलिया की अपनी प्रेरितिक यात्रा के दूसरे दिन उलानबातर में मंगोलिया के राजनायिकों से मुलाकात करते हुए विश्व शांति में मंगोलिया की सहयोगिता हेतु उनकी प्रशंसा की।
संत पापा ने मंगोलियाई अधिकारियों के स्वागत हेतु कृतज्ञता के भाव व्यक्त करते हुए कहा कि एक मित्र स्वरुप आपके देश की तीर्थयात्रा करना मेरे हृदय को आनंद से भर देता है।
मित्रता की परंपरा
उन्होंने मंगोलिया और वाटिकन के बीच सात 777 वर्षीय पुराने राजनायिक संबंधों की चर्चा करते हुए कहा कि जब हम मित्रों के घरों में प्रवेश करते तो हम अपनी श्रेष्ठ परंपरा के अनुसार उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं। “सन 1246 में पियान देल कारपीने के पुरोहित जोन ने संत पापा के संदेशवाहक स्वरुप तृतीय मंगोली सम्राट गुयुग से भेंट करते हुए संत पापा इनोसेंट चतुर्थ का अधिकारिक संदेश पत्र प्रदान किया।” इसके तुरंत बाद महान खान की मोहर अंकित पारंपरिक मंगोली पत्र प्रत्युत्तर स्वरूप लिखा गया जिसे विभिन्न भाषाओं में अनुवाद किया गया। संत पापा ने इसे प्राचीन मित्रता की एक निशानी कही जो सदैव विकसित और नवीन होती है।
मंगोलिया की प्रथा जहाँ गांव के बच्चे अपने गेर (घर) के द्वार पर खड़े होकर अपने पशुओं के सिरों की गिनती करते और उनकी संख्या को अपने अभिभावकों को बलताते हैं, संत पापा ने कहा कि उसी प्रकार हम अपनी विस्तृत वैश्विक क्षितिज को निहारते हैं जिसकी शिक्षा गेरों से मिलती है। उन्होंने मंगोलिया की भौगोलिक और प्राकृतिक समृद्ध सुन्दर छटा की प्रंशसा की जो स्वतः ही लोगों को अपनी ओर आने का निमंत्रण देती है। “आप हमें ईश्वरीय सृष्टि की प्रंशसा और उसकी देख-रेख करने में मदद करते हैं जैसे की ख्रीस्तीय विश्वास करते हैं।” बौधिक दर्शनशास्त्र से मिला दर्शन मंगोलियाई शैमानकि परंपरा पृथ्वी की रक्षा हेतु सहयोग करती है।
गेर का सार
गेर्स के बारे में जिक्र करते हुए संत पापा ने कहा कि यह ग्रमीण और शहरी दोनों क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करता है जो पारंपरिक और आधुनिक विवाह का मूल्यवान साक्ष्य है जहाँ बुजुर्गो और युवाओं के मिलन में हम मंगोलियाई समुदाय का निर्माण होता पाते हैं। वर्तमान सदियों में मंगोलिया का वृहृद वैश्विक विकास और लोकतंत्र हेतु चुनौती की परिस्थिति में भी हम देशवासियों को अपनी जड़ों से जुड़ा पाते हैं। इस देश का विश्व के अन्य देशों के संग राजनायिक संबंध इसे एशिया महादेश और अंतरराष्ट्रीय मानचित्र के केन्द्र-विन्दु पर स्थापित करता है। संत पापा ने कहा, “मंगोलिया एक लोकतंत्र देश है जो एक शांतिमय विदेशी नीति का अनुकरण करता और साथ ही विश्व शांति हेतु महत्वपूर्ण जिम्मेदारी अदा करता है। इसकी न्यायप्रणाली में हम मृत्युदंड को नहीं पाते हैं।”
शांति की कामना
चंगेज खाँ की 860वीं वर्षगाँठ के अवसर पर, मंगोलिया की इस यात्रा को संत पापा ने महत्वपूर्ण बतलाते हुए कहा कि वे एक कुशल शासक थे हमें उनके गुणों को जनसामान्य की भलाई और विकास हेतु उपयोग करने की जरुरत है। मंगोलियाई कहावत, “बदल छट जाते हैं लेकिन आसमान रह जाता है” को उद्धित करते हुए उन्होंने कहा कि युद्ध के बादल हमारे बीच से छट जायें और हम वार्ता के जरिये एक भातृत्वमय विश्व का निर्माण कर सकें जहाँ सभों के मूलभूत अधिकारों का सम्मान होता है। हम ईश्वर से शांतिमय भविष्य के लिए प्रार्थना करें।
आध्यात्मिकता विकास की नींव
परांपरगत गेर में निवास करने की बात करते हुए संत पापा ने आंखों को नीले आकाश की ओर उठाये रखने का आहृवान किया जिसका अर्थ विनम्रता के मनोभाव को धारण करते हुए धार्मिक शिक्षा हेतु खुला रहना है। यह मंगोलिया की सांस्कृतिक विरासत है जो धार्मिक स्वतंत्रता को व्यक्त करता है। संत पापा ने कहा कि यहां के लोगों ने उत्तम आध्यात्मिकता के मनोभाव को अपने में विकसित किया है जो आंतरिक शांति की ओर हमारा ध्यान इंगित कराता है। उन्होंने असंख्य मंगोलियाई प्राकृतिक छटा की प्रंशसा की जो आश्चर्य के भाव उत्पन्न करते हैं जो लोगों में सरलता और अल्पता के भाव लाते हैं। इस संदर्भ में उन्होंने भौतिकतावाद की ओर ध्यान आकर्षित कराया जो बड़े अन्यायों, व्यक्तिगतवाद को जन्म देता है जिसके चलते हम दूसरों की चिंता नहीं करते हैं। धर्म का सच्ची आध्यात्मिक विरासत से जुड़े रहना विश्वासी और समृद्ध समाज का निर्माण करता है जहाँ विश्वासी गण शांतिमय सह-अस्तित्व और राजनीति दूरदर्शिता के लिए कार्य करते जो सबों की भलाई के लिए होता है। यह देश को भ्रष्टचार से बचाये रखता है जो पूरे राष्ट्र को दरिद्र कर देता है। यह वह निशानी होती जो ऊपर की ओर देखने में असफल रहती और भ्रातृत्व की क्षितिज से दूर भागती है, बदले में, यह अपने में बंद और अपनी ही चाहतों तक सीमित हो जाती है।
संत पापा ने मंगोलिया के प्राचीन नेताओं की प्रशंसा की जिन्होंने भिन्न आवाजों और अनुभवों के माध्यम देश को धार्मिक एकता में पिरोये रखा, जिसे हम पुरानी राजधानी खारखोरूम में भिन्न आराधना स्थलों के रुप में देखते हैं। इसके कारण देश में विचारों और धर्म की स्वतंत्रता हासिल की गई है जिसे देश के संविधान में अंकित किया गया है। रक्तपात के बिना नास्तिकता को खत्म करना जो विकास के मार्ग में रोड़ा उत्पन्न कर सकता थी, विभिन्न धर्मों को स्वीकारना और विश्वासियों को सम्मान देना, देश के लोगों में नैतिक और आध्यात्मिक उन्नति में योगदान दिया है।
संत पापा ख्रीस्तीय समुदाय से आशा
संत पापा ने मंगोलिया में ख्रीस्तीय अल्पसंख्य समुदाय के प्रति अपने खुशी के भाव प्रकट किये जो देश के विकास और एकतामय संस्कृति के विस्तार, वैश्विक सम्मान और अंतरधार्मिक वार्ता, जो न्याय हेतु कार्य करता है जो शांति और सामाजिक एकता के रुप में प्रकट होता है। उन्होंने इस बात की आशा व्यक्त की कि समर्पित नर और नारियों की सहायता देश के लिए जरुरी है, उन्होंने कहा कि वे मंगोलिया और वहाँ के लोगों की भलाई के लिए अपनी सेवा अर्पित करेंगे। इस संदर्भ में उन्होंने वाटिकन और मंगोलिया के बीच द्विपक्षीय सझौता की चर्चा की जो कलीसिया को शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक सहायता, शोध और सांस्कृतिक विकास में कार्य करते हेतु मददगार सिद्ध होगा। ये सारी पहल हमें येसु के सुसमाचार को सारी दुनिया प्रसारित करने को अग्रसर करता है।
अपनी प्रेरितिक यात्रा के आदर्श वाक्य “एक साथ आशा करना” की ओर ध्यान क्रेन्दित कराते हुए संत पापा ने कहा कि यह पारस्परिक, सम्मानजनक और सहयोगपूर्ण यात्रा का हाल प्रस्तुत करता है, जो सबों की भलाई हेतु है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि मंगोलिया के ख्रीस्तीय देश की समृद्धि और विकास हेतु अपना योगदान देना जारी रखेंगे।
आसमान की तरह ऊँचा हों
उन्होंने कहा कि “आसमान की तरह हो” एक प्रसिद्ध कवि के ये शब्द हमें भौतिकता से ऊपर उठने का आहृवान करते हैं और आकाश की तरह ऊंचा होने का निमंत्रण देते हैं। यात्रियों और अतिथियों के रुप यह देश विश्व को बहुत कुछ दे सकता है हम इसे स्वीकारते हुए करूणा, वार्ता और भविष्य के लिए योजना स्वरुप अपने में ठोस बनायें। मंगोलिया का समाज विश्व को सुन्दर चीजें देने हेतु प्रतिबद्ध रहे जैसे कि आप की पंरापरिक लीपी, “सीधी” है।
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