मार्सिले में पोप : कलीसिया, यूरोप को विश्वास में उछलने की जरूरत
वाटिकन न्यूज
मार्सिले, रविवार, 24 सितम्बर 2023 (रेई) : संत पापा ने कहा, “धर्मग्रंथ हमें बतलाता है कि अपने राज्य की स्थापना के बाद राजा दाऊद ने संधि की मंजूषा को येरूसालेम में स्थानांतरित करने का निश्चय किया।”
लोगों को जमा करने के बाद, वे उठे और मंजूषा को लाने के लिए निकले। रास्ते पर वे तथा उनके लोगों ने नृत्य किया। प्रभु के सामने खुशी मनाया (2 सामुएल 6:1-15) इस दृश्य की पृष्ठभूमि में सुसमाचार लेखक लूकस मरियम की अपनी कुटुम्बनी एलिजाबेथ से मुलाकात का वर्णन करते हैं।
बच्चा गर्भ में आनन्द के मारे उछल पड़ा
मरियम भी उठी और येरूसालेम के प्रांत की ओर चल दी। जैसे ही उसने एलिजाबेथ के घर में प्रवेश किया, गर्भ में पल रहा बच्चा ख्रीस्त को पहचान लिया, और आनन्द के मारे उछल पड़ा और उसी तरह नाचने लगा जिस तरह दाऊद ने नृत्य किया था। (लूक.1:39-45)
इस तरह मरियम, संधि की मंजूषा की तरह प्रस्तुत हुईँ, और दुनिया को शरीरधारी प्रभु का परिचय दिया। एक जवान कुँवारी, एक बांझ बुजूर्ग महिला से मिलने जाती है, एवं येसु को लाने के द्वारा ईश्वर के मुलाकात का चिन्ह बन जाती है जो हर प्रकार के बांझपन से ऊपर उठाती हैं। वे एक माँ हैं जो यूदा की पहाड़ी पर जाती है, यह बतलाने के लिए कि ईश्वर अपने प्रेम से हमें खोजने आ रहे हैं ताकि हम आनन्द मना सकें।
इन दो महिलाओ, मरियम और एलिजाबेथ में ईश्वर की मानव जाति से मुलाकात प्रकट होती है। एक जवान और दूसरी बुजूर्ग, एक कुँवारी और दूसरी बांझ, फिर भी दोनों असंभव तरीके से गर्भवती हैं। यह हमारे जीवन में ईश्वर का कार्य है। वे उस बात को भी संभव बना सकते हैं जो असंभव प्रतीत होता है, वे बांझपन में भी जीवन ला सकते हैं।
संत पापा ने कहा, “प्यारे भाइयो एवं बहनो, हम अपने आपसे, अपने दिल से ईमानदारी से पूछें : क्या हम विश्वास करते हैं कि ईश्वर हमारे जीवन में क्रियाशील हैं? क्या हम मानते हैं कि प्रभु छिपे और अक्सर अप्रत्याशित तरीके से इतिहास में कार्य करते एवं चमत्कार दिखाते हैं। क्या आप विश्वास करते हैं कि वे हमारे समाज में कार्य कर रहे हैं जो सांसारिकता और एक प्रकार की धार्मिक उदासीनता से चिन्हित है?
आत्मजाँच करने के लिए एक रास्ता है कि क्या हम प्रभु पर भरोसा रखते हैं अथवा नहीं। सुसमाचार कहता है, जैसे ही एलिजाबेथ ने मरियम का अभिवादन सुना, बच्चा उसके गर्भ में उछल पड़ा। (41) यह आनन्द से उछलने का चिन्ह है। जो व्यक्ति विश्वास करता है, जो प्रार्थना करता है, और जो प्रभु का स्वागत करता है वह आत्मा में उछलता है और महसूस करता है कि अंदर कुछ हो रहा है तथा खुशी से नाचता है।
प्रभु और लोगों की ओर उछलना
संत पापा ने विश्वास के उछाल पर चिंतन किया। विश्वास का अनुभव, सबसे बढ़कर, जीवन के सामने एक निश्चित उछाल है। उछलने का अर्थ है अंदर से स्पर्श किया गया, अंदर से कंपन महसूस करना, हृदय में कुछ सक्रियता महसूस करना। इसके विपरीत, एक सपाट, ठंढ़ा दिल है, जो शांत जीवन का आदी है, जो उदासीनता से घिरा है और अभेद्य हो जाता है। ऐसा हृदय कठोर हो जाता और सब कुछ से उदासीन रहता है यहाँ तक कि मानव जीवन को भी दुखद रूप से अस्वीकार कर देता है। जो आज आप्रवासियों को बहिष्कार, असंख्या अजन्मे बच्चों एवं परित्यक्त बुजूर्गों में दिखाई दे रहा है। एक ठंडा, सपाट हृदय, जीवन को आंत्रिक रूप से बिना किसी जुनून, बिना प्रेरणा, बिना इच्छा के घसीटता रहता है। हमारे यूरोपीय समाज में, एक व्यक्ति इन सब से बीमार हो सकता है और संशयवाद, मोहभंग, त्यागपत्र, अनिश्चितता और समग्र दुःख से पीड़ित हो सकता है। किसी ने इसे उदास जहर कहा है और यह उन लोगों में पाया जाता है जो जीवन के सामने नहीं उछलते।
दूसरी ओर, जो लोग विश्वास से जन्मे हैं वे एलिजाबेथ के गर्भ में बच्चे की तरह प्रभु की उपस्थिति को पहचानते हैं। वे उनके कार्य को हर दिन पहचानते एवं सच्चाई को देखने के लिए नई दृष्टि प्राप्त करते हैं। कठिनाइयों, समस्याओं और पीड़ा के बीच भी वे प्रभु के आगमन को देख पाते हैं। और उनके द्वारा साथ एवं सहयोग को महसूस करते हैं। जीवन के रहस्य और समाज की चुनौतियों का सामना करते हुए, जो लोग विश्वास करते हैं, उनके कदमों में बहार आती है, एक उत्साह, हासिल करने का एक सपना, एक रूचि जागती है जो उन्हें व्यक्तिगत रूप से प्रेरित करती है कि वे अपने आप को समर्पित करें।
वे जानते हैं कि हर चीज में प्रभु उपस्थित हैं, और उन्हें विनम्रता से सुसमाचार का साक्ष्य देने के लिए निमंत्रण दे रहे हैं ताकि एक नये विश्व का निर्माण किया जा सके।
हमें जीवन का सामना करने में सक्षम बनाने के अलावा, विश्वास का अनुभव हमें अपने पड़ोसी की ओर छलांग लगाने के लिए भी प्रेरित करता है। निश्चय ही, मुलाकात के रहस्य में हम ईश्वर की मुलाकात को देखते हैं जो असाधारण, बड़ी घटनाओं में नहीं, बल्कि एक साधारण मुलाकात में प्रकट होती है। ईश्वर एक परिवार के द्वार पर आते हैं, दो महिलाओं के बीच कोमल आलिंगन में, आश्चर्य और आशा से भरी दो गर्भवती लोगों के बीच। वहां हम मरियम के अभिवादन, एलिजाबेथ के आश्चर्य और उसे बांटने की खुशी देखते हैं।
विश्वास, उदारता और आशा की एक नई उछाल
संत पापा ने कहा, “आइये, हम इसे कलीसिया में हमेशा याद रखें : ईश्वर अक्सर मनुष्यों के द्वारा मुलाकात करते हैं, जब हम खुला होना जानते, जब हमारे भीतर उन लोगों के पक्ष में एक "उत्तेजना" होती है जो हर दिन हमारे पास से गुजरते हैं, और जब हमारे दिल नाजुक लोगों के घावों के सामने भावहीन और असंवेदनशील नहीं रहते। हमारे बड़े शहर और फ्रांस के समान अनेक यूरोपीय देश, जहाँ विभिन्न संस्कृति और धार्मिक सहअस्तित्व है, अकेलेपन और पीड़ा को जन्म देनेवाले व्यक्तिवाद, स्वार्थ और अस्वीकृति की ज्यादतियों के खिलाफ एक मजबूत शक्ति हैं।
आइये, हम येसु से अपने आसपास के लोगों को मदद देना सीखें। आइए हम उनसे सीखें जो थकी हुई भीड़ के सामने करुणा से भर जाते हैं (मार. 6:34) और घायल लोगों से मिलने पर दया से द्रवित हो जाते हैं। जैसा कि महान संत भिंसेन्ट दी पौल आह्वान करते हैं, “हम अपना हृदय कोमल बनाये और हमारे पड़ोसियों की पीड़ा एवं दुःखों के प्रति सजग हों। हम ईश्वर से याचना करें कि वे हमें करुणा की भावना प्रदान करें जो खुद ईश्वर की भावना है।
संत पापा ने कहा, “भाइयो और बहनो, मैं पवित्रता और संस्कृति से समृद्ध इतिहास वाले फ्रांस के भीतर कई "हलचलों" के बारे में सोचता हूँ; कलाकार और विचारकों के साथ जिन्होंने कई पीढ़ियों को प्रेरित किया है। आज भी हमारे जीवन और कलीसिया के जीवन को, फ्रांस और यूरोप को आगे बढ़ने की कृपा, विश्वास, प्रेम और आशा में एक नई छलांग की आवश्यकता है। हमारे उत्साह और जोश को पुनः प्रज्वलित करना है, भाईचारा के लिए हमारी प्रतिबद्धता की चाह को पुनः जागृत करना है। हमें एक बार फिर अपने परिवारों से प्यार करने का जोखिम उठाना होगा और सबसे कमजोर लोगों से प्यार करने का साहस करना होगा, और सुसमाचार में उस परिवर्तनकारी अनुग्रह को फिर से खोजना होगा जो जीवन को सुंदर बनाता है।”
आइए, हम मरियम की ओर देखें, जो यात्रा पर निकलकर खुद को कष्ट देती हैं और जो हमें सिखाती है कि यह ईश्वर का मार्ग है: जो हमें असुविधा पहुँचाते, गति प्रदान करते और एलिजाबेथ के अनुभव के समान हमें "उछलने" के लिए प्रेरित करते हैं।
प्रार्थना में ईश्वर से और प्रेम में भाईयों से मुलाकात
अतः हम ऐसे ख्रीस्तीय बनें जो प्रार्थना में ईश्वर से मुलाकात करते और प्रेम से अपने भाइयों एवं बहनों से मिलते हैं। ख्रीस्तीय जो उछलते हैं, स्पंदित होते, और पवित्र आत्मा की अग्नि प्राप्त करते हैं और अपने आप को हमारे समय के सवालों से, भूमध्यसागर की चुनौतियों से, गरीबों के रूदन से - और बंधुत्व एवं शांति के सपने से प्रभावित होने देते हैं जो साकार होने की प्रतीक्षा कर रहा है।
संत पापा ने सुरक्षा की हमारी माता मरियम से प्रार्थना की कि वे हमारे जीवन की देखभाल करें, फ्राँस एवं यूरोप की रक्षा करें और हमें आत्मा में उछलने में सहायता दें। संत पौल क्लौदेल के शब्दों में संत पापा ने प्रार्थना करते हुए कहा, “मैं गिरजाघर को खुला देखता हूँ...मेरे पास देने के लिए कुछ नहीं है और न मांगने के लिए कुछ है। माँ मैं सिर्फ आपको देखने आया हूँ। आपको देखकर, खुशी से रोने, यह जानते हुए कि मैं आपका बेटा हूँ, और आप उपस्थित हैं…। इस स्थान पर जहां आप हैं आपके साथ रहने के लिए, …। क्योंकि आप यहाँ हमेशा मौजूद हैं, हमेशा... सिर्फ इसलिए कि आप मरियम हैं... सिर्फ इसलिए कि आप मौजूद हैं... येसु की माँ, आपका धन्यवाद।
पोप की रोम वापसी
मिस्सा के उपरांत संत पापा ने फ्रांस के अधिकारियों एवं सभी लोगों को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा, मैं मार्सिले की पूरी कलीसिया, इसकी पलि्लयों और धर्मसमाजी समुदायों, इसके कई शैक्षणिक संस्थानों और इसके उदार संगठनों को गले लगाता हूँ।
"प्रिय भाइयों और बहनों, मैं इन दिनों की मुलाकातों को अपने दिल में रखूंगा। सुरक्षा की माता मरिया इस शहर पर नजर रखें।" इन्हीं शब्दों के साथ संत पापा ने फ्रांस के लोगों से विदा ली।
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