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संत पापाः जोसे ग्रेगोरियो “गरीबों के चिकित्सक” थे

संत पापा फ्रांसिस ने बुधवारीय आमदर्शन समारोह में लातीनी अमेरीका के धन्य जोसे ग्रेगोरियो हर्नांडेज़ सिस्नेरोस के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला जिनमें सुसमाचार के प्रति उत्साह कूट-कूट कर भरा हुआ था।

वाटिकन सिटी

संत पापा फ्रांसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में एकत्रित सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को संबोधित करते हुए कहा, प्रिय भाइयों एवं बहनो, सुप्रभात। 

सुसमाचार प्रचार हेतु उत्साह पर अपनी धर्मशिक्षा माला में हम प्रेरितिक जुनून का साक्ष्य पाते हैं। हम याद रखें कि यह धर्मशिक्षा माला की एक श्रृंखला है, जहाँ हम प्रेरितिक उत्साह के संबंध में इच्छाशक्ति को पाते हैं जो सुसमाचार को आगे बढ़ाने के लिए आंतरिक उत्साह को व्यक्त करता है। आज हम लातीनी अमेरीका की ओर पलायन करते हैं, विशेष रुप से वेनेजुवेला की ओर जिससे हम एक लोकधर्मी धन्य, जोसे ग्रेगोरियो हर्नांडेज़ सिस्नेरोस के व्यक्तित्व को जान सकें। उनका जन्म सन् 1864 में हुआ और उन्होंने अपनी माता से अपने विश्वास को पाया जैसे कि वे कहते हैं, “मेरी माता ने छोटपन से ही मुझे गुणों में बढ़ना सिखाया, मुझे ईश्वर का ज्ञान दिया और करूणा को मेरे लिए दिशा निर्देशक स्वरुप प्रस्तुत किया।” संत पापा ने विश्वास के विकास में माताओं के विशेष योगदान की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि हम इस बात पर ध्यान दें कि ये माताएं हैं जो हममें विश्वास के बीज बोती हैं। विश्वास का संचार स्थानी भाषा में किया जाता है अर्थात मातृ भाषा में, जिसे माताएं अपने बच्चों के संग बोलना जानती हैं।

व्यक्तित्व के धनी जोसे ग्रेगोरियो

संत पापा ने कहा कि सचमुच में करूणा वह सितारा रहा जिस पर धन्य जोसे ग्रेगोरियो ने अपने जीवन को व्यवस्थित किया। वे एक अच्छे और चमकदार व्यक्तित्व वाले हंसमुख व्यक्ति थे, उन्हें बैद्धिक क्षमता विरासत में मिली थी, वे चिकित्सक, महाविद्यालय के प्रध्यापक और वैज्ञानिक रहे। वे मुख्य रुप से सर्वप्रथम एक चिकित्सक थे जो अति कमजोर व्यक्तियों के निकट रहे, इतने करीब की अपने गृहनगर में वे “गरीबों के चिकित्सक” स्वरुप प्रसिद्ध मिली। वे सदैव गरीबों की देख-रेख किया करते थे। धन को प्राथमिकता देने के बदले उन्होंने सुसमाचार की समृद्धि को ध्यान में रखा और अपने जीवन को जरूरतमंदों की सेवा हेतु समर्पित कर दिया। गरीबों, बीमारों, प्रवासियों और दुःखियों में जोसे ने येसु को देखा। वे दुनिया की निगाहों में सफलता की चाह नहीं रखते थे लेकिन वह उन्हें मिलती गई, वे निरंतर सफलता हुए और लोगों ने उन्हें “लोगों का संत”, “करूणा का संत”, “आशा का प्रेरित” कहा।  

जीवन की जीवटता

संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि जोसे ग्रेगोरियो एक नम्र, दीन और सहायतापूर्ण व्यक्ति थे। इसके साथ ही उनका हृदय ईश्वर और पड़ोसियों की सेवा की चाह से उदीप्त होता था। इस लालसा से भरे उन्होंने कई बार धर्मसंघी और पुरोहित बनने की कोशिश की लेकिन स्वास्थ्य संबंधी तकलीफें उनके लिए अचड़न बनीं। शारीरिक रूप में कमजोर होना उन्हें अपने में किसी तरह बंद नहीं किया बल्कि वे चिकित्सक बने जिससे वे और अधिक संवेदनशीलों की आवश्यकताओं का ख्याल कर सकें। उन्होंने ईश्वर की दिव्य कृपा का आलिंगन किया जो उनकी आत्मा में गढ़ गयी अतः उन्होंने उन कार्यो को पूरा किया जो और भी अधिक महत्वपूर्ण थे। यह उनका प्रेरितिक उत्साह था जिसके परिणाम स्वरुप उन्होंने अपनी इच्छाओं का अनुसरण नहीं किया बल्कि वे ईश्वर की योजनाओं हेतु खुले रहे। अतः उन्होंने इस बात को समझा कि बीमारों की सेवा करते हुए, दुःखियों को दिलासा, गरीबों की आशा बनते हुए, अपने विश्वास का साक्ष्य शब्दों में नहीं बल्कि उदाहरण के माध्यम वे ईश्वर की इच्छा पूरी करेंगे। अतः उन्होंने दवाई को एक पुरोहिताई के रुप में स्वीकार किया जो उनका आंतरिक मार्ग रहा- “मानव दर्द की पुरोहिताई”। दुःखों को उदासीनता में नहीं बल्कि धर्मग्रंथ के अनुसार सहन करना कितना महत्वपूर्ण है, ईश्वर की सेवा में सारी चीजों को एक अच्छे मनोभाव से करना (कलो.3.23)।

प्रेरणा के स्रोत

संत पापा ने कहा कि हम अपने लिए यह सावल पूछें कि जोसे ग्रेगोरियो में यह उत्साह, इन सारी प्रेरणाओं को कहाँ से प्राप्त कियाॽ यह उनके लिए एक निश्चितता और एक शक्ति से आयी जो और कुछ नहीं बल्कि ईश्वर की कृपा थी। उन्होंने लिखा,“यदि दुनिया में अच्छे और बुरे लोग हैं, तो बुरे लोगों का होना उनकी स्वयं की बुराई का कारण है, वहीं अच्छे लोग ईश्वर की सहायता से हैं।” उन्होंने अपने लिए सर्वप्रथम ईश्वर की कृपा का अनुभव किया, अपने लिए ईश्वर के प्रेम की चाह की। इस शक्ति को उन्होंने ईश्वर के संग अपने गहरे संबंध में प्राप्त किया। वे एक प्रार्थनामय व्यक्ति थे जिसके फलस्वरुप उन्होंने ईश्वर की कृपा औऱ निकटता का अनुभव किया। वे प्रार्थना करते और यूख्रारिस्तीय बलिदान में भाग लेते थे।

सेवा का जीवन

संत पापा ने कहा कि येसु के साथ मिलन जहाँ वे अपने को हम सभों के लिए वेदी में देते हैं, जोसे ने अपने जीवन को शांति के लिए समर्पित करने की पुकार सुनी। उस समय प्रथम विश्व युद्ध चल रहा था। 29 जून 1919 को एक मित्र उनसे मिलने आये और उन्हें अति प्रसन्न पाया। जोसे ग्रेगोरियो को, वास्तव में, इस बात का पता चला कि युद्ध समाप्ति हेतु दस्तावेजों पर हस्ताक्षर हो चुके हैं। उनके समर्पण को स्वीकार कर लिया गया है मानो वे यह देख रहा हों कि दुनिया में उनके कार्य पूरे हो गये हैं। उस सुबह, दिनचर्या के अनुसार,वे मिस्सा पूजा में गये थे, और अब वे एक बीमार व्यक्ति के लिए दवाई लाने हेतु सड़क पार कर रहे थे कि एक वाहन ने उन्हें धक्का मार दिया। वे अस्पताल लिये गये जहाँ उन्होंने माता मरियम के नाम को उच्चरित करते हुए प्राण त्याग दिये। इस भांति पृथ्वी पर उनकी जीवन यात्रा करूणा के कार्य करते हुए, अस्पलात में समाप्त हुई, जहाँ एक चिकित्सक के रुप में उन्होंने उत्कृष्ट कार्य किये थे।

ख्रीस्तीय बुलाहट

प्रिय भाइयो एवं बहनो, संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि इस साक्ष्य के सम्मुख हम अपने आप से पूछें, मैं ईश्वर की उपस्थिति में, गरीबों को किस तरह देखता हूँ, जिन्हें वे दुनिया में मेरे लिए, अपने को प्रकट करते हैं। जोसे ग्रेगोरियो के उदाहरण मुझे कैसे प्रभावित करते हैंॽ वे हमें आज की सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक रूप में निष्ठावान होने को प्रेरित करते हैं। बहुत से लोग इसके बारे में बातें करते और इसकी शिकायतें करते हुए कहते हैं कि हर चीज बुरी है। लेकिन ख्रीस्तीय ऐसी चीजों में अपने को संलग्न करने हेतु नहीं बल्कि उनका सामना करते हुए कार्य करने अपने हाथों को गंदा करने के लिए बुलाये गये हैं- सर्वप्रथम जैसे कि संत पौलुस हमें कहते हैं कि हमें प्रार्थना करने की जरुरत है और तब हमें व्यर्थ के बकवास में शामिल नहीं होना है अपितु अच्छाई को बढ़ावा देते हुए शांति और सच्चाई में न्याय की स्थापना करनी है। यह भी अपने में एक प्रेरितिक उत्साह है, यह सुसमाचार की घोषणा करना है जो ख्रीस्तीय के लिए धन्य वचन हैं,“धन्य हैं वे जो मेल कराते हैं”। उन्होंने कहा कि हम धन्य ग्रेगोरियो के मार्ग में आगे बढ़ें, एक लोकधर्मी, एक चिकित्सक, एक दैनिक कार्य करने वाला व्यक्ति जिनके प्रेरितिक उत्साह ने उन्हें जीवन भर करूणा के कार्य करने को प्रेरित किया। 

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13 September 2023, 13:55