बेनेडिक्टिन ओब्लेट्स की पांचवीं विश्व कांग्रेस में प्रतिभागियों के साथ संत पापा फ्राँसिस बेनेडिक्टिन ओब्लेट्स की पांचवीं विश्व कांग्रेस में प्रतिभागियों के साथ संत पापा फ्राँसिस  (ANSA)

संत पापा: बेनेडिक्टिन भावना की विशेषता प्रेम से विस्तारित हृदय है

बेनेडिक्टिन ओब्लेट्स के साथ बात करते हुए, संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि बेनेडिक्टिन भावना की विशेषता "प्रेम की अकथनीय मिठास से विस्तारित हृदय" है।

वाटिकन न्यूज

वाटिकन सिटी, शनिवार 16 सितंबर 2023 (वाटिकन न्यूज, रेई) : बेनेडिक्टिन ओब्लेट्स के करिश्मे को "संत बेनेडिक्ट की सुंदर अभिव्यक्ति में संक्षेपित किया जा सकता है, जिन्होंने अपने अनुयायियों को 'प्रेम की अकथनीय मिठास से विस्तारित हृदय' के लिए आमंत्रित किया।" संत पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार को बेनेडिक्टिन ओब्लेट्स को एक संबोधन में कहा जो अपने धर्मसंघ की पांचवीं विश्व कांग्रेस में भाग ले रहे हैं।

उन्होंने कहा, एक "विस्तारित हृदय" सदियों से अनुग्रह का एक करिश्माई अग्रदूत रहा है, क्योंकि "इसकी जड़ें मजबूत होने के कारण पेड़ अच्छी तरह से बढ़ता है और समय की मार झेलता है साथ ही सुसमाचार के स्वादिष्ट फलों को उत्पन्न करता है।”

इस अवसर पर संत पापा ने "विस्तारित हृदय" के तीन पहलुओं पर विचार किया: ईश्वर की खोज, सुसमाचार के लिए उत्साह और आतिथ्य।

ईश्वर की खोज

संत पोप ने कहा, "बेनेडिक्टिन जीवन सबसे पहले ईश्वर, उसकी इच्छा और उसके द्वारा किए जाने वाले चमत्कारों की निरंतर खोज से चिह्नित होता है।" जबकि यह "मुख्यतः" ईश्वर के वचन से शुरू होता है, विशेष रूप से ईश वचन पर चिंतन किया जाता है, यह सृष्टि पर चिंतन, दैनिक जीवन की चुनौतियों, प्रार्थना के रूप में काम के अनुभव और विशेष रूप से अन्य लोगों के माध्यम से भी किया जाता है।

सुसमाचार के प्रति उत्साह

बेनेडिक्टिन मठवासियों का उदाहरण देते हुए संत पापा ने कहा, कि बेनेडिक्टिन ओब्लेट का जीवन और करिश्मा भी "सुसमाचार के लिए उत्साह" है। "मठवासी उन स्थानों को फलदायी बनाते हैं जहां वे रहते हैं और अपने दैनिक कार्यों को बड़ी मेहनत के साथ करते है। संत पापा ने कहा, “जहां कहीं भी आप रहते हैं, आप  कौशल और जिम्मेदारी के साथ, साथ ही सौम्यता और करुणा के साथ आटे में खमीर के रूप में अपना दैनिक कार्य करने के लिए बुलाये गये हैं।"

वही उत्साह जिसने शास्त्रीय दुनिया से मध्ययुगीन समाज में परिवर्तन को चिह्नित किया, उसे आज बेनेडिक्टिन मठवासियों को भी चिह्नित करना चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आधुनिक दुनिया में, "उंगलियां उठाने वाले ख्रीस्तियों की नहीं, बल्कि सुसमाचार फैलाने वाले उत्साही गवाहों की जरूरत है।"

आतिथ्य

अंत में,संत  पापा फ्राँसिस ने "आतिथि सत्कार" की विशेषता पर विचार किया। बेनेडिक्टिन नियम में, संस्थापक ने मठवासियों को मठ में मेहमानों - विशेष रूप से तीर्थयात्रियों और गरीबों – का उसी तरह स्वागत करने के लिए कहा जैसा कि वे स्वयं येसु का स्वागत कर रहे हैं।

संत पापा ने आगे कहा कि ओब्लेट्स के रूप में, , "आपका मठ ही आपके लिए दुनिया, शहर और कार्यस्थल है, क्योंकि आप अपने दरवाजे पर दस्तक देने वाले हर व्यक्ति का स्वागत करने और गरीबों के प्रति प्रेम में मॉडल बनने के लिए बुलाये गये हैं।"  साथ ही, संत पापा ने उन्हें अपने आप में बंद रहने के खिलाफ चेतावनी दी और विशेष रूप से दूसरों के बारे में बुरा बोलने के प्रलोभन से बचने को कहा।

प्रेम की तलाश करना, गवाही देना और स्वागत करना

अंत में, संत पापा फ्राँसिस ने बेनेडिक्टिन ओब्लेट्स को यह कहते आमंत्रित किया, "अपने दिल का विस्तार करते रहें और इसे हर दिन ईश्वर के प्यार को सौंप दें, इसकी तलाश करना कभी बंद न करें, उत्साह के साथ उनके प्रेम की गवाही दें और सबसे गरीब लोगों में प्रभु का स्वागत करें।”

 

 

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16 September 2023, 15:07