कलीसिया और विश्व में विचारधाराओं के खिलाफ पोप फ्राँसिस की चेतावनी
वाटिकन न्यूज
विमान, मंगलवार, 5 सितंबर 2023 (रेई): सोमवार को पोप फ्राँसिस ने मंगोलिया से रोम लौटते हुए, विमान में अपने साथ यात्रा कर रहे पत्रकारों के साथ अपनी पारंपरिक हवाई प्रेस कॉन्फ्रेंस की।
प्रेस कॉन्फ्रेंस की शुरूआत 43वीं प्रेरितिक यात्रा के मेजबान देश मंगोलिया के पत्रकार के सवाल से हुई।
जरगलसाईखन डमबदरजा (द देफक्तो गजेट)
बहुत- बहुत धन्यवाद, संत पापा आपकी मंगोलिया यात्रा के लिए। मेरा सवाल है : इस यात्रा में आपका क्या मुख्य उद्देश्य था और क्या आप इसके परिणाम से संतुष्ट हैं?
पोप फ्राँसिस : मंगोलिया की यात्रा करने का विचार मेरे मन में तब आया जब मैं छोटे काथलिक समुदायों के बारे सोच रहा था। मैं ये यात्राएँ काथलिक समुदायों से मुलाकात करने के लिए करता हूँ और साथ ही लोगों के इतिहास एवं संस्कृति तथा उनके रहस्यवाद के साथ वार्ता में प्रवेश करने के लिए करता हूँ।
यह महत्वपूर्ण है ताकि सुसमाचार प्रचार को धर्मांतरण के रूप में न लिया जाए। धर्मांतरण हमेशा प्रतिबंध लगाता है। पोप बेनेडिक्ट ने कहा था कि विश्वास धर्मांतरण से नहीं बढ़ता लेकिन आकर्षण से बढ़ता है। सुसमाचार की घोषणा संस्कृति के साथ संवाद में प्रवेश करता है। उसमें संस्कृति का प्रचार-प्रसार है और साथ ही, सुसमाचार का सांस्कृतिक समन्वय भी, क्योंकि ख्रीस्तीय भी अपने ख्रीस्तीय मूल्यों की अभिव्यक्ति अपने ही लोगों की संस्कृति के माध्यम से करते हैं। यह धार्मिक उपनिवेशीकरण के विपरीत है।
मेरे लिए, यह यात्रा मंगोलिया के लोगों को जानना था, उनके साथ वार्ता करना था, उनकी संस्कृति को ग्रहण करना और कलीसिया को उसके एवं उसकी संस्कृति के प्रति अधिक सम्मान के साथ यात्रा में साथ देना था।
उलामबद्रख मारखाखू (यू एल एस सूल्ड टीवी)
आज लोगों के बीच तनाव सिर्फ वार्ता के द्वारा हल किया जा सकता है जैसा कि खुद आपने कहा है। क्या उलानबातर यूरोप और एशिया के बीच अंतराष्ट्रीय वार्ता के लिए एक मंच दे सकता है?
मैं ऐसा सोचता हूँ। आपके पास बहुत रोचक बात है जो वार्ता से संबंधित है – मैं इसे “तीसरा पड़ोसी रहस्य” कहता हूँ। आप सोचते हैं कि उलानबातर एक ऐसे देश की राजधानी है जो समुद्र से दूर है और हम कह सकते हैं कि यह भूमि दो शक्तियों; रूस और चीन के बीच में है।
यही कारण है कि आपके रहस्य की कोशिश है अपने “तीसरे पड़ोसी” से भी संवाद करना : इन दोनों के तिरस्कार से नहीं, क्योंकि दोनों के साथ आपके अच्छे संबंध हैं लेकिन सार्वभौमिकता की चाहत से, अपने मूल्यों को पूरी दुनिया को दिखाने के लिए, और संवाद में प्रवेश करने के लिए दूसरों से उनके मूल्यों को प्राप्त करने के लिए भी।
यह अजीब है कि पूरे इतिहास में, दूसरी भूमि की खोज में जाने को अक्सर उपनिवेशवाद से भ्रमित किया गया अथवा उसपर अधिकार करने की विचारधारा बनी ...हमेशा। लेकिन आपके इस रहस्य के तीसरे पड़ोसी के साथ आपका दर्शन खोजने जाने, वार्ता करने के लिए है। मैंने तीसरे पड़ोसी की इस अभिव्यक्ति को पसंद किया। यह आपकी समृद्धि है।
क्रिस्तीना काब्रेजस (ई एफ ई)
कल आपने चीनी लोगों को एक संदेश भेजा, काथलिकों से अच्छा नागरिक होने की अपील की, जबकि देश के अधिकारियों ने धर्माध्यक्षों को मंगोलिया जाने की अनुमति नहीं दी। चीन के साथ इस समय संबंध कैसे हैं? और कार्डिनल जूपी की बिजिंग यात्रा और यूक्रेन मिशन पर क्या कोई नई खबर है।
कार्डिनल जूप्पी का मिशन शांति का मिशन है जिसको मैंने उन्हें सौंपा है। और उन्होंने मोस्को, कीव, अमरीका और बीजिंग भी जाने की योजना बनायी है। कार्डिनल जूप्पी एक महान वार्ता एवं वैश्विक दर्शन के व्यक्ति हैं। उनकी पृष्ठभूमि में शांति की तलाश में मोज़ाम्बिक में काम करने का अनुभव शामिल है, और इसीलिए मैंने उन्हें भेजा है।
चीन के साथ संबंध बहुत सम्मान जनक है, बहुत आदरपूर्ण। मैं व्यक्तिगत रूप से चीन के लोगों की सराहना करता हूँ। धर्माध्यक्षों की नियुक्ति के मार्ग खुले हैं, एक आयोग है जो लम्बे समय से चीनी सरकार एवं वाटिकन के लिए काम करती है।
कुछ लोग हैं, काथलिक पुरोहित या काथलिक बुद्धिजीवी जिन्हें अक्सर चीनी विश्वविद्यालयों में पाठ्यक्रम पेश करने के लिए आमंत्रित किया जाता है।
मैं सोचता हूँ कि एक-दूसरे को बेहतर समझने के लिए हमें धार्मिक आयाम में आगे बढ़ना चाहिए, ताकि चीनी नागरिक यह न सोचें कि कलीसिया उनकी संस्कृति को स्वीकार नहीं करती और कि कलीसिया दूसरों पर, विदेशी शक्ति पर आश्रित है।
इस मैत्रीपूर्ण रास्ते पर आयोग के अध्यक्ष कार्डिनल परोलिन अच्छी तरह चल रहे हैं: वे अच्छा काम कर रहे हैं, उधर चीन की ओर से भी, संबंध आगे बढ़ रहा है। मुझे चीनी लोगों के प्रति बड़ा सम्मान है।
जेराल्दो ओकोन्नेल (अमेरिका मैगजीन)
आदरणीय संत पापा, वियतनाम और परमधर्मपीठ के बीच संबंध इस समय बहुत सकारात्मक है, उन्होंने हाल में एक महत्वपूर्ण कदम आगे बढ़ाया है। वियतनाम के काथलिक क्यों आग्रह कर रहे हैं कि आप उनसे मुलाकात करें, जैसा आपने मंगोलिया में किया। क्या अभी वियतनाम यात्रा करने की कोई संभावना है। क्या सरकार की ओर से कोई निमंत्रण है? और आप किन दूसरी यात्राओं की योजना बना रहे हैं?
वियतनाम उनमें से एक है जिनसे वार्ता का बहुत अच्छा अनुभव रहा है, जैसा कि इन दिनों कलीसिया में है। मैं कहूँगा कि वार्ता में यह एक आपसी सहानुभूति है। दोनों ओर से एक-दूसरे को समझने की तत्परता है और दोनों आगे बढ़ने का रास्ता देख रहे हैं। समस्याएँ रही हैं लेकिन वियतनाम में मैं देखता हूँ कि कभी न कभी ये हल हो जाती हैं।
अभी कुछ समय पहले वियतनाम के राष्ट्रपति से हमारी खुलकर बात हुई। मैं वियतनाम के साथ संबंधों को लेकर बहुत सकारात्मक हूँ; सालों से अच्छा काम चल रहा है।
मुझे याद है चार साल पहले, वियतनामी सांसदों का एक समूह मिलने आया था: उनके साथ बहुत अच्छी बातचीत हुई थी, बहुत सम्मानजनक। जब कोई संस्कृति खुली होती है, तो संवाद की संभावना होती है; अगर कोई बंद है या संदेह है, तो बातचीत बहुत मुश्किल है। वियतनाम के साथ, बातचीत खुली है, इसके फायदे और नुकसान हैं, लेकिन यह खुला है और धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है। कुछ दिक्कतें आई हैं, लेकिन उनका समाधान कर लिया गया है।'
वियतनाम की यात्रा पर, यदि मैं नहीं गया, तो जॉन 24वें आवश्य जायेंगे। वहाँ (एक यात्रा) जरूर होगी।, यह एक ऐसी भूमि है जो विकास के योग्य है एवं उसपर मेरी सहानुभूति है।
जहां तक अन्य यात्राओं की बात है, मार्सिले है; और फिर यूरोप में एक छोटा सा देश है, और हम देख रहे हैं कि क्या हम इसे कर पायेंगे। लेकिन सच कहूंँ तो मेरे लिए अब यात्रा पर जाना उतना आसान नहीं है जितना शुरुआत में था। चलने में कुछ दिक्कतें हैं और वे मुझे सीमित करती हैं। लेकिन हम देखेंगे।
फौस्तो गासपारोनी (एएनएसए)
संत पापा, "महान रूस माता" में पीटर द ग्रेट और कैथरीन द्वितीय जैसी हस्तियों की विरासत के बारे में युवा रूसी काथलिकों के लिए आपकी हालिया टिप्पणियों ने कुछ बहस को प्रेरित किया है। इन टिप्पणियों ने, उदाहरण के लिए, यूक्रेन के लोगों को बहुत परेशान किया है, इसके कूटनीतिक परिणाम भी हुए हैं, और कुछ हद तक इन्हें रूसी साम्राज्यवाद के उत्थान और यहाँ तक कि पुतिन की नीतियों के समर्थन के रूप में भी देखा गया है। मैं आपसे पूछना चाहता हूँ: आपको ये टिप्पणियाँ करने की आवश्यकता क्यों महसूस हुई, यदि आप इसपर विचार किये होते तो क्या आप इसे दोहराते? और साथ ही, सिर्फ चीजों को स्पष्ट करने के लिए। क्या आप हमें बता सकते हैं कि आप साम्राज्यवाद और विशेषकर रूसी साम्राज्यवाद के बारे में क्या सोचते हैं?
आइये, हम पृष्टभूमि पर बात करें : यह रूसी युवाओं के साथ बातचीत थी। और बातचीत के अंत में मैंने उन्हें एक संदेश दिया, संदेश जिसको मैं हमेशा दुहराता हूँ : अपनी विरासत को लेने की जिम्मेदारी। पहला बिन्दु : विरासत को लेना। मैं एक ही चीज सभी जगह दुहराता हूँ। और इसको मन में रखकर मैं दादा-दादी और पोते- पोतियों के बीच संवाद बढ़ाने की कोशिश करता हूँ कि पोते-पोतियाँ अपनी विरासत को आगे बढ़ायें। मैं इसे हर जगह कहता हूँ और यही मेरा संदेश था।
दूसरा बिन्दु, विरासत करने का अर्थ : मैंने महान रूस के विचारधारा का जिक्र किया क्योंकि रूस की विरासत बहुत अच्छी है, यह बहुत खूबसूरत है। साहित्य, संगीत के क्षेत्र के बारे में सोचें, दोस्तोवस्की के समय के बारे में सोचें, जो आज हमसे परिपक्व मानवतावाद की बात करते हैं। (रूस) ने इस मानवतावाद का कार्यभार संभाला, जो कला और साहित्य में विकसित हुआ। जब मैं विरासत की बात करूंगा तो यह दूसरा पहलू होगा, है ना?
तीसरा बिंदु, शायद, उचित नहीं था, लेकिन महान रूस के बारे में भौगोलिक अर्थ में नहीं, बल्कि सांस्कृतिक अर्थ में बोलते हुए, मुझे याद आया जो हमें स्कूल में सिखाया गया था: पीटर I, कैथरीन II, और यह तीसरा (बिंदु, संस्करण) सामने आया, जो शायद बिल्कुल सही नहीं था। मुझे नहीं पता। इतिहासकार हमें बताएँ। लेकिन यह एक अतिरिक्त बात थी जो मेरे दिमाग में आयी क्योंकि मैंने स्कूल में इसका अध्ययन किया था।
मैंने युवा रूसियों से जो कहा, वह यह है कि वे अपनी विरासत की जिम्मेदारी लें, अपनी विरासत को संभालें, जिसका मतलब है कि इसे कहीं और से न खरीदें। अपनी विरासत संभालें। और महान रूस ने कौन सी विरासत छोड़ी? रूसी संस्कृति अत्यंत सुंदरता और गहराई वाली है, और इसे राजनीतिक मुद्दों के कारण रद्द नहीं किया जाना चाहिए। रूस में कई अंधकारमय वर्ष रहे हैं, लेकिन इसकी विरासत हमेशा अक्षुण्ण रही है।
तब आपने साम्राज्यवाद के बारे में बात की थी, और जब मैंने ऐसा कहा था तो मैं साम्राज्यवाद के बारे में नहीं सोच रहा था। मैंने संस्कृति की बात की, और संस्कृति का प्रसारण कभी भी शाही नहीं होता, कभी नहीं। यह हमेशा संवाद होता है, और मैं उसी के बारे में बात कर रहा था।
यह सच है कि साम्राज्यवाद है जो अपनी विचारधारा थोपना चाहता है। मैं यहीं रुकूंगा: जब संस्कृति को बदला जाता है और यह विचारधारा में बदल जाती है, तब यह जहर है। संस्कृति का उपयोग किया जाता है, लेकिन विचारधारा में बदलकर। हमें किसी व्यक्ति की संस्कृति को उन विचारधाराओं से अलग करना चाहिए जो उस व्यक्ति के किसी दार्शनिक, किसी राजनेता से प्रकट होती हैं। और मैं यह हर किसी के लिए कहता हूँ, कलीसिया के लिए भी।
कलीसिया के भीतर अक्सर ऐसी विचारधाराएँ होती हैं, जो कलीसिया को उस जीवन से अलग करती हैं जो जड़ से आता है और ऊपर की ओर जाता है। वे कलीसिया को पवित्र आत्मा के प्रभाव से अलग करते हैं।
एक विचारधारा अवतार लेने में असमर्थ है; यह केवल एक विचार है। लेकिन जब विचारधारा ताकत हासिल करती है और राजनीति बन जाती है, तो यह आमतौर पर तानाशाह बन जाती है, है ना? यह संवाद करने, संस्कृतियों के साथ आगे बढ़ने में असमर्थ बन जाती है। और साम्राज्यवाद ऐसा करता है। साम्राज्यवाद हमेशा एक विचारधारा से शुरू होकर संगठित होता है।
कलीसिया में भी हमें सिद्धांत को विचारधारा से अलग करना चाहिए: सच्चा सिद्धांत कभी भी वैचारिक नहीं होता, कभी नहीं। यह ईश्वर की पवित्र प्रजा में निहित है। इसके बजाय, विचारधारा वास्तविकता से अलग है, लोगों से अलग है... मुझे नहीं पता कि मैंने आपके प्रश्न का उत्तर दिया है या नहीं।
रोबर्ट मेस्सनर (डीपीए)
शुभ प्रभात। लौदातो सी' के आपके अपडेट के संबंध में एक प्रश्न: क्या इसे "द लास्ट जेनरेशन" जैसे पर्यावरण कार्यकर्ताओं के प्रति सहानुभूति के प्रदर्शन के रूप में समझा जा सकता है, जो अत्यधिक प्रदर्शनकारी विरोध प्रदर्शन आयोजित करते हैं? हो सकता है कि इस अपडेट में सड़कों पर उतरनेवाले युवा कार्यकर्ताओं के लिए भी कोई संदेश हो?
सामान्यतया, मैं इन चरमपंथियों पर बात नहीं करता। लेकिन युवा चिंतित हैं। एक अच्छे इताली वैज्ञानिक - हमारी अकादमी (साइंसेज, संस्करण) में एक बैठक हुई - ने एक अच्छा भाषण दिया और यह कहते हुए निष्कर्ष निकाला: "मैं नहीं चाहूँगा कि मेरी पोती, जो कल पैदा हुई, तीस साल में इतनी बदसूरत दुनिया में जिंदगी जीये।"
युवा भविष्य के बारे में सोचते हैं। और उस अर्थ में, मुझे यह पसंद है कि वे अच्छी तरह लड़ते हैं। लेकिन जब इसमें विचारधारा शामिल होती है, या राजनीतिक दबाव शामिल होता है या इसका इस्तेमाल इसके लिए किया जाता है, तो यह विफल हो जाता है।
मेरा प्रेरितिक प्रबोधन 4 अक्टूबर को संत फ्राँसिस के पर्व पर जारी किया जाएगा, और यह पेरिस में सीओपी के बाद से जो कुछ हुआ है उसकी समीक्षा है, जो शायद अब तक का सबसे उपयोगी चीज रहा है। कुछ सीओपी के बारे में और कुछ ऐसी चीज़ों के बारे में खबरें हैं जिनका अभी तक समाधान नहीं हुआ है, और उन्हें हल करने की तत्काल आवश्यकता है। यह 'लौदातो सी' के समान बड़ा नहीं है, लेकिन नई चीजों पर 'लौदातो सी' की निरंतरता है, और स्थिति का विश्लेषण भी।
एटिने लॉरेलेरे (केटीओ टीवी)
आप मंगोलिया और दुनिया भर में एक सिनॉडल कलीसिया चाहेंगे। अक्टूबर की सभा पहले से ही ईश प्रजा के काम का फल है। दुनिया भर से बपतिस्मा प्राप्त लोग इस चरण में कैसे शामिल हो सकते हैं? वैचारिक ध्रुवीकरण से कैसे बचा जा सकता है? और क्या प्रतिभागी अपने साथ मिलकर चलने के लिए जो अनुभव कर रहे हैं उसे सार्वजनिक रूप से बोलने और साझा करने में सक्षम होंगे? या पूरी प्रक्रिया निजी होगी?
आपने वैचारिक दबाव से बचने के बारे में बताया। धर्मसभा में विचारधारा के लिए कोई जगह नहीं है, क्योंकि यह एक अलग गतिशीलता है। धर्मसभा बातचीत के बारे में है: बपतिस्मा प्राप्त लोगों के बीच, कलीसिया के सदस्यों के बीच, कलीसिया के जीवन पर, दुनिया के साथ बातचीत पर, उन समस्याओं पर जो आज मानवता को प्रभावित करती हैं।
लेकिन जब कोई वैचारिक मार्ग अपनाने के बारे में सोचता है, तो धर्मसभा समाप्त हो जाती है। धर्मसभा में विचारधारा के लिए कोई जगह नहीं है, संवाद के लिए जगह है। भाइयों और बहनों के रूप में एक-दूसरे से बात करना और कलीसिया के सिद्धांत पर चर्चा करना है। आगे बढ़ते हुए।
फिर मैं यह रेखांकित करना चाहता हूँ कि धर्मसभा मेरा आविष्कार नहीं है: ये पोप पॉल षष्ठम थे। जब द्वितीय वाटिकन महासभा समाप्त हुई, तो उन्हें एहसास हुआ कि पश्चिम में कलीसिया ने धर्मसभा का आयाम खो दिया है; पूर्वी कलीसियाओं के पास अभी भी यह बाकी है। इस कारण से, उन्होंने धर्माध्यक्षों की धर्मसभा का सचिवालय बनाया, जिसने इन साठ वर्षों में सिनॉडल रास्ता में निरंतर प्रगति के रूप में चिंतन को आगे बढ़ाया है।
जब संत पापा पॉल छटवें के इस निर्णय की पचासवीं वर्षगांठ थी, तो मैंने धर्मसभा क्या है और यह कैसे आगे बढ़ी है, इस पर एक दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर किया और प्रकाशित किया। और अब यह आगे बढ़ गया है; यह और अधिक परिपक्व हो गया है, और इस कारण से मैंने सोचा कि सिनॉडालिटी पर एक धर्मसभा का होना बहुत अच्छा होगा, जो कि एक प्रवृत्ति नहीं है; यह एक प्राचीन वास्तविकता है; पूर्वी कलीसिया के पास यह हमेशा से रहा है।
लेकिन हम धर्मसभा को कैसे जीते हैं, और इसे ख्रीस्तियों के रूप में कैसे जीया जाता है, जैसा कि मैंने पहले कहा था, विचारधाराओं के आगे झुके बिना।
सभा की प्रक्रिया पर: एक चीज है जिसकी हमें रक्षा करनी चाहिए, वह है धर्मसभा का माहौल। यह कोई टेलीविजन शो नहीं है जहां आप हर चीज के बारे में बात करते हैं। नहीं, एक धार्मिक क्षण है; धार्मिक आदान-प्रदान का क्षण है।
धर्मसभा के परिचय में, वे प्रत्येक तीन से चार मिनट तक बोलेंगे: तीन (भाषण, संस्करण) और फिर प्रार्थना के लिए तीन से चार मिनट का मौन रखा जाएगा। फिर तीन और प्रार्थना होगी। प्रार्थना की इस भावना के बिना कोई धर्मसभा नहीं है; यह राजनीति और संसदवाद बन जाता है। धर्मसभा कोई संसद नहीं है।
चर्चाओं की गोपनीयता के संबंध में: डॉ. रफ़िनी की अध्यक्षता में एक विभाग है, जो यहां हैं, और जो धर्मसभा की प्रगति के संबंध में प्रेस विज्ञप्ति जारी करेंगे। धर्मसभा में धार्मिकता की रक्षा करना और बोलनेवालों की स्वतंत्रता की रक्षा करना आवश्यक है। इसके लिए डॉ. रफ़िनी की अध्यक्षता में एक आयोग होगा, जो धर्मसभा की प्रगति की जानकारी देगा।
एंटोनियो पेलेयो (विडा नुएवा)
संत पापा, आपने अभी धर्मसभा के बारे में बात की है और हम सभी आपसे सहमत हैं कि इस धर्मसभा ने बहुत जिज्ञासा और बहुत रुचि पैदा की है। दुर्भाग्य से, इसने काथलिक वास्तविकताओं की बहुत आलोचना भी सामने ला दी है। मैं (अब) कार्डिनल बर्क की प्रस्तावना वाली एक पुस्तक का उल्लेख करता हूँ जो कहती है कि धर्मसभा एक पैंडोरा (आभूषण निर्माता) का बॉक्स है जिसमें से कलीसिया के लिए सभी विपत्तियाँ आएंगी। आप इस पद के बारे में क्या सोचते हैं? क्या आपको लगता है कि इसे वास्तविकता से दूर कर लिया जाएगा या (यह दृष्टिकोण) धर्मसभा को प्रभावित कर सकता है?
मुझे नहीं पता कि क्या मैंने यह पहले भी कहा है। कुछ महीने पहले, मैंने एक कार्मेलाइट धर्मबहन को फोन किया था। "धर्मबहनें कैसी हैं, मदर सुपीरियर?" वह एक गैर-इतालवी कार्मेलाइट हैं। और प्रधान ने मुझे उत्तर दिया। और उसने अंततः मुझसे कहा: "संत पापा, हम इस धर्मसभा से डरते हैं।" "अब क्या हो रहा है?" मैंने मजाक में कहा। "क्या आप धर्मसभा में एक बहन भेजना चाहती हैं?" "नहीं, हमें डर है कि आप सिद्धांत बदल देंगे।" और वह यही कह रही थी, यह उसका विचार है...
लेकिन अगर आप इन विचारों की जड़ में जाएंगे तो आपको विचारधाराएँ मिलेंगी। हमेशा, जब कोई कलीसिया में एकता के मार्ग से अलग होना चाहता है, तो जो चीज उसे हमेशा अलग करती है वह है विचारधारा। और वे कलीसिया पर यह या वह आरोप लगाते हैं, लेकिन वे कभी भी उस बात का आरोप नहीं लगाते जो सच है: (यह पापियों से बना है)। वे कभी पाप के बारे में बात नहीं करते... वे एक "सिद्धांत" का बचाव करते हैं, आसुत जल जैसा एक सिद्धांत जिसका कोई स्वाद नहीं है और यह सच्चा काथलिक सिद्धांत नहीं है, जो कि पंथ में है। और वह अक्सर ठोकर देता है। यह विचार कितना अधिक ठोकर देता है कि ईश्वर देहधारी हुए, कि ईश्वर मनुष्य बने, कि हमारी माता मरियम ने अपना कौमार्य बनाए रखा? यह ठोकर है।
सिंडी वुडन (सीएनएस)
सुप्रभात, परम आदरणीय संत पापा, मैं धर्मसभा और जानकारी के बारे में अपने फ्राँसीसी सहयोगी के प्रश्न पर आगे बढ़ना चाहूंगा। बहुत से विश्वासियों ने इतना समय, प्रार्थना, बोलने, सुनने में भागीदारी दी है। वे जानना चाहते हैं कि धर्मसभा, सम्मेलन के दौरान क्या हो रहा है। और आपने धार्मिक धर्मसभा के अपने अनुभव के बारे में बात की, जिसके दौरान कुछ लोगों ने कहा था, "यह मत डालिये...", "आप यह नहीं कह सकते..." हम पत्रकारों को सभा और सामान्य सत्र तक पहुंच भी नहीं है। हम यह कैसे सुनिश्चित कर सकते हैं कि जो हमें "ग्रेल" (पका भोजन) के रूप में दिया गया है वह सच है? क्या पत्रकारों के साथ थोड़ा और खुला होने की संभावना नहीं है?
लेकिन [यह] बहुत खुला है, प्रिय; यह बहुत खुला है! [पाओलो] रूफ़िनी [वाटिकन के संचार विभाग के अध्यक्ष] की अध्यक्षता में एक आयोग है जो हर दिन समाचार देगा, लेकिन अधिक खुला, मुझे नहीं पता, अधिक खुला, मुझे नहीं पता.. .
यह अच्छा है कि यह आयोग सभी के भाषणों का बहुत सम्मान करेगा और बकवास करने की कोशिश नहीं करेगा, बल्कि धर्मसभा की प्रगति पर सटीक बातें कहने की कोशिश करेगा, जो कलीसिया के लिए रचनात्मक हैं। यदि आप चाहते हैं, यदि कोई चाहता है कि समाचार ऐसा हो, "इस व्यक्ति ने इस या उस कारण से उस व्यक्ति पर इसका प्रभाव डाला है," तो यह राजनीतिक गपशप है।
समिति के लिए यह कहना आसान काम नहीं है: "आज चिंतन इस ओर गया, यह उस ओर गया," और कलीसिया की भावना को व्यक्त करना, न कि राजनीतिक भावना को व्यक्त करना। एक संसद, एक धर्मसभा से भिन्न होती है। यह मत भूलो कि धर्मसभा का नायक पवित्र आत्मा है। और इसे कैसे प्रसारित किया जा सकता है? यही कारण है कि कलीसियाई प्रगति को संप्रेषित किया जाना चाहिए।
विंचेंसो रोमियो (आरएआई टीजी 2)
सुप्रभात, संत पापा। आप परिधियों (सुदूर बस्ती) के पोप हैं, और परिधियाँ, विशेष रूप से इटली में, बहुत पीड़ित हैं। हमारे सामने हिंसा, पतन के कुछ चिंताजनक प्रसंग आए हैं... उदाहरण के लिए, नेपल्स के पास, एक पल्ली पुरोहित, डॉन [मौरित्सियो] पेट्रीचेलो [कैवानो में पल्ली पुरोहित, आदि] ने आपको वहां जाने के लिए आमंत्रित भी किया, फिर पलेर्मो [सिसिली में]। क्या किया जा सकता है? आपने बोयनोस आयरेस में "विला मिसेरियास" का दौरा किया, इसलिए आपके पास इसका अनुभव है। हमारे प्रधानमंत्री ने भी इनमें से एक परिधि का दौरा किया। खूब चर्चा हो रही है। क्या किया जा सकता है, कलीसिया और राज्य की संस्थाएँ इस गिरावट को दूर करने और दूर की बस्तियों को वास्तव में देश का हिस्सा बनाने के लिए क्या कर सकती हैं?
आप झुग्गियों की तरह परिधियों के बारे में बात करते हैं: आपको आगे बढ़ना है, आपको वहाँ जाना है और वहां काम करना चाहिए, जैसा कि बोयनोस आयरेस में काम करनेवाले पुरोहित करते थे - पुरोहितों की एक टीम थी जिनके ऊपर एक सहायक धर्माध्यक्ष होते थे - और आप वहां काम करते हैं। हमें इसके लिए खुला होना चाहिए, सरकारें खुली होनी चाहिए, दुनिया की सभी सरकारें, लेकिन कुछ बस्तियाँ ऐसी भी हैं जो दुखद हैं।
मैं एक निंदनीय बस्ती पर वापस आता हूँ जिसे लोग छिपाने की कोशिश करते हैं: रोहिंग्या की। रोहिंग्या पीड़ित हैं. वे ईसाई नहीं हैं; वे मुसलमान हैं, लेकिन वे पीड़ित हैं क्योंकि उन्हें एक दूर की बस्ती में परिवर्तित कर दिया गया है; उन्हें बाहर कर दिया गया है। हमें विभिन्न प्रकार के कस्बों को देखना होगा और यह भी सीखना होगा कि परिधि वह है जहां मानवीय वास्तविकता अधिक स्पष्ट और कम जटिल है - [वहां] बुरे क्षण भी हैं, मैं आदर्श नहीं बनाना चाहता - लेकिन इसे बेहतर माना जाता है।
एक दार्शनिक ने एक बार कुछ ऐसा कहा था जिसने मुझे बहुत प्रभावित किया: "वास्तविकता को परिधियों (दूर की बस्ती) से सबसे अच्छी तरह समझा जाता है।" हमें परिधियों से बात करनी चाहिए, और सरकारों को वास्तविक सामाजिक न्याय, वास्तविक सामाजिक न्याय करना चाहिए, विभिन्न सामाजिक परिधियों के साथ और वैचारिक परिधियों के साथ भी, उन्हें बात करने के लिए प्रेरित करना चाहिए, क्योंकि कई बार कुछ अति सुंदर वैचारिक परिधि होती हैं जो सामाजिक परिधियों को भड़काती है। परिधियों की दुनिया आसान नहीं है। धन्यवाद।
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