पोप ने की ख्रीस्तीय एकता विशेषज्ञों के कार्यों की सराहना
वाटिकन न्यूज
वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 14 सितम्बर 2023 (रेई) : संत पापा ने बृहस्पतिवार को संत पौलुस के पत्रों के लिए समर्पित विशेषज्ञों के एक ख्रीस्तीय एकता दल के कार्यों की सराहना की और कहा कि उनका “बड़ा सहयोग” ख्रीस्तियों के बीच आपसी मुलाकात है जो भिन्न होते हुए भी संत पौलुस की शिक्षा की प्रज्ञा से एक हैं।
पौलाईन ख्रीस्तीय एकता संगोष्ठी की शुरूआत द्वितीय वाटिकन महासभा के तुरन्त बाद करीब 10 देशों के विशेषज्ञों एवं विभिन्न ख्रीस्तीय परम्पराओं के द्वारा हुई थी। इस वर्ष की संगोष्ठी इसका 26वाँ संस्करण है।
संगोष्ठी के प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए, संत पापा ने शिक्षाविदों के बीच "ठोस और विद्वतापूर्ण व्याख्यात्मक आदान-प्रदान" पर भी जोर दिया, जो "प्रेरितों के पत्रों की सुंदरता और ख्रीस्तीय एवं कलीसियाई जीवन के लिए उनके महत्व" को उभरने देता है।
एक साहसिक एवं नबी की पहल
संत पापा ने पहल को “बचाव के घेरे” से बाहर आने का साहसिक कदम और एकता की पूर्णता एवं "स्वस्थ" 'भावना की अधीरता' की गवाही देने की प्रतिबद्धता के लिए बढ़ावा देने की भविष्यवाणी कहा।
उन्होंने कहा, “यदि पूरे इतिहास में विभाजन दुःख का कारण रहा है, तो आज हमें अपने आपको उल्टे क्रम में प्रतिबद्ध करने की जरूरत है, एकता और भाईचारा के रास्ते पर आगे बढ़ना है, जो खासकर, प्रार्थना, अध्ययन और एक साथ कार्य करने से शुरू हुआ है।
ईश्वर अपनी प्रतिज्ञा में कभी असफल नहीं होते
इस बात पर गौर करते हुए कि संगोष्ठी के प्रतिभागी रोमियों के नाम संत पौलुस के अध्याय 9-11 पर प्रकाश डाल रहे हैं, पोप ने रोमियों 11:29 में वर्णित ईश्वर के "अपरिवर्तनीय" वरदानों और आह्वान पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा, “यहाँ संत पौलुस हमें एक महत्वपूर्ण संदेश देते हैं : ईश्वर मुक्ति की अपनी प्रतिज्ञा से विफल नहीं होते और अप्रत्याशित एवं आश्चर्यजनक तरीकों से भी उन्हें धैर्यपूर्वक पूरा करते हैं।
पोप फ्राँसिस ने कहा कि संगोष्ठी के काम के लिए उनका समर्थन "ईश्वर की दया और प्रतिज्ञा" में हमारे विश्वास की नींव पर आधारित है।
उन्हें अपने भाईचारे और शैक्षणिक संवाद को जारी रखने के लिए प्रोत्साहित करते हुए, पोप ने उन्हें, "सबसे बढ़कर," खुद को "संत पौलुस के पत्रों में निहित अनगिनत आध्यात्मिक वरदानों से आश्चर्यचकित होने देने के लिए आमंत्रित किया, ताकि ख्रीस्तीय समुदायों को 'नए शब्द' पाने, पिता की करुणावान भलाई, ख्रीस्त की मुक्ति की नवीनता और आत्मा की नवीकृत आशा का संचार करने में सक्षम होने में मदद दिया जा सकें।”
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