धर्मान्धता एवं कट्टरपंथ के विरुद्ध धार्मिक संवाद का आग्रह
वाटिकन सिटी
ऊलानबतार, रविवार, 3 सितम्बर 2023 (रेई, रॉयटर्स): मंगोलिया की राजधानी ऊलानबतार के हून थियेटर में रविवार को एक अन्तरधार्मिक सभा में सन्त पापा फ्राँसिस ने ख़ुद को प्राचीन प्रज्ञा पाठशालाओं के "विनम्र उत्तराधिकारियों" में से एक बताते हुए सभी धर्मों के बीच सद्भाव को बढ़ाने तथा हिंसा को प्रश्रय देने वाले वैचारिक कट्टरवाद को दूर करने का आग्रह किया।
कोई राजनीतिक एजेंडा नहीं
इस समय सन्त पापा फ्राँसिस मंगोलिया की चार दिवसीय प्रेरितिक यात्रा पर हैं। 31 अगस्त को शुरु हुई यह यात्रा सोमवार चार सितम्बर को समाप्त होगी। मंगोलिया में किसी काथलिक परमाध्यक्ष की यह पहली यात्रा थी और इटली से बाहर सन्त पापा फ्राँसिस की यह 43 वीं विदेश यात्रा है, जिसका उद्देश्य बौद्ध धर्मानुयायी बहुल देश के 1,400 सदस्यों वाले छोटे से काथलिक समुदाय की भेंट कर उसके विश्वास को सुदृढ़ करना था।
चीन मंगोलिया की सीमा से संलग्न है, और सन्त पापा फ्राँसिस ने अपनी इस यात्रा का उपयोग बैजिंग को एक स्पष्ट संदेश भेजने के लिए किया है कि सरकारों को काथलिक कलीसिया से डरने की कोई ज़रूरत नहीं है क्योंकि कलीसिया का कोई राजनीतिक एजेंडा नहीं है। मानवाधिकार समूहों ने कई मौकों पर चीन पर धार्मिक स्वतंत्रता के दमन का आरोप लगाया है और इसी के चलते वाटिकन के साथ उसके सम्बन्ध कठिन हो चले हैं।
धर्मों का लक्ष्य
अपनी यात्रा शुरू करने के बाद से, सन्त पापा फ्रांसिस ने मंगोलिया में धार्मिक स्वतंत्रता की कई मौकों पर प्रशंसा की है, जिसे सोवियत संघीय शासन के प्रभाव के अन्तर्गत गंभीर रूप से दबा दिया गया था। संयोगवश, इस तथ्य का उल्लेख रविवार को सन्त पापा को संबोधित करने वाले एक बौद्ध नेता ने भी किया।
उन्होंने कहा, अतीत में चली राजनीतिक विचारधारा के प्रभाव के कारण बौद्ध धर्म को बुरी तरह कुचल दिया गया था। लेकिन 1992 में अपनाए गए राष्ट्रीय संविधान के बाद, लोगों को धार्मिक स्वतंत्रता प्राप्त हुई है जिसका लाभ दया, सहिष्णुता, क्षमा एवं प्रेमपूर्ण सेवा के मूल्यों की शिक्षा देने के द्वारा उठाया जाना चाहिये।
उन्होंने कहा की हालाँकि हिन्दू, ख्रीस्तीय, इस्लाम एवं बौद्ध जैसे विश्व के महान धर्म अपने-अपने वैश्विक दृष्टिकोण में एक दूसरे से दार्शनिक रूप से भिन्न हैं, हमारी प्रार्थनाएँ और गतिविधियाँ एक ही उद्देश्य से संचालित होती हैं और वह है, मानवता का कल्याण।
कट्टरपंथ की आलोचना
सन्त पापा फ्राँसिस ने अन्तरधार्मिक सभा के नेताओं से कहा, "धर्मों से मांग की जाती है वे विश्व में मैत्री एवं सद्भाव को प्रोत्साहित करने के लिये प्रयासरत रहें। ये वे मूल्य हैं जिन्हें केवल तकनीकी प्रगति सिंचित नहीं कर सकती है।"
रूढ़िवाद और कट्टरपंथ की आलोचना करते हुए सन्त पापा ने "संकीर्णता, एकतरफा थोपे जाने वाले कट्टरवाद और वैचारिक बाधा" की निंदा की और कहा कि ये नकारात्मक विचार भाईचारे को नष्ट करते, लोगों के बीच तनावों को बढ़ाते तथा शांति के मूल्यों से समझौता करते हैं। धर्म और हिंसा के बीच किसी भी प्रकार मेल का खण्डन करते हुए उन्होंने कहा, "धार्मिक विश्वासों और हिंसा, पवित्रता और उत्पीड़न, धार्मिक परंपराओं और सांप्रदायिकता का कोई मिश्रण नहीं हो सकता है।"
साक्षात्कार, आशा का संकेत
सन्त पापा ने कहा, "हम सब प्राचीन काल की प्रज्ञा पाठशालाओं के विनम्र उत्ताराधिकारी हैं और अपने इस साक्षात्कार के द्वारा हम उस महान और अनमोल कोष को साझा करना चाहते हैं जो हमें विरासत में मिला है, ताकि उस मानवता को समृद्ध कर सकें जो प्रायः लाभ और भौतिक आराम की अदूरदर्शी तलाश के कारण अपनी यात्रा में भटक जाती है।"
गौतम बुद्ध के एक लेख को उद्धृत कर सन्त पापा ने कहा, "बुद्धिमान व्यक्ति देने में आनंदित होता है।" उन्होंने कहा कि यह कथन प्रभु येसु मसीह के कथन के सदृश है जिन्होंने कहा है कि "प्राप्त करने की तुलना में देना अधिक धन्य है"।
सन्त पापा ने मानव प्रतिष्ठा के संवर्धन हेतु धर्मों की भूमिका को स्वीकार करते हुए कहा कि विभिन्न धर्मों के नेताओं का आज एक साथ मिलकर सम्वाद करना आशा का संकेत है। उन्होंने कहा, "हमारा आज यहां एक साथ आना एक स्पष्ट संकेत है कि आशा संभव है।"
काथलिक ग़ैर-लाभकारी संगठन एड टू द चर्च इन नीड के आंकड़ों के अनुसार, मंगोलिया की कुल आबादी लगभग 35 लाख है जिनमें 53% बौद्ध धर्मानुयायी, 39% नास्तिक, 3% मुस्लिम, 3% शमन और 2% ईसाई लोग हैं।
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