पर्यावरण के ह्रास के प्रति सन्त पापा फ्राँसिस ने किया सचेत
वाटिकन सिटी
ऊलानबतार, शनिवार, 2 सितम्बर 2023 (रेई, एपी): मंगोलिया में अपनी यात्रा दौरान सन्त पापा फ्राँसिस ने पर्यावरण के ह्रास के प्रति एक बार फिर विश्व का ध्यान आकर्षित कराया। शनिवार को ऊलानबतार के राज्यमहल में प्रभाषण करते हुए उन्होंने कहा कि मूल मंगोलियाई खानाबदोश परम्पराएं प्रकृति के नाज़ुक संतुलन का सम्मान करती रही हैं लेकिन आज पर्यावरण पर हो रहे "मानव विनाश के प्रभावों का मुकाबला करने" की नितान्त आवश्यकता है।
मंगोलिया में पर्यावरण संकट
मंगोलिया जलवायु परिवर्तन से सर्वाधिक प्रभावित देशों में से एक है, जहाँ 1940 के बाद से औसतन तापमान 2 डिग्री सेल्सियस से अधिक बढ़ गया है तथा ऊलानबतार दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में से एक बताया गया है, जिसका मुख्य कारण सर्दियों में कोयला जलाना है।
लंबे समय से वर्षा की कमी के कारण मंगोलिया की लगभग तीन-चौथाई भूमि मरुस्थलीकरण और सूखे से ग्रस्त हो गई है, तथा 1980 के बाद से 200 से अधिक छोटी-छोटी झीलें सूख गई हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, अत्यधिक चराई से पारिस्थितिक समस्याएं बढ़ गई हैं तथा लगभग 8 करोड़ जानवर उत्तरजीविता की कोशिश कर रहे हैं। इसके अलावा, खनिज संसाधनों को अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के एकमात्र तरीकों में से एक माना जाता है, किन्तु इन खनिजों के अत्यधिक दोहन ने दुर्लभ जल आपूर्ति पर भी दबाव डाला है।
सन्त पापा फ्रांसिस ने इस सप्ताह बुधवार को घोषणा की थी कि वे प्रकृति की सुरक्षा के प्रति लोगों को सचेत करने के लिये 2015 में प्रकाशित अपने ऐतिहासिक विश्व पत्र लाओदातो सी का दूसरा भाग जल्द ही जारी करेंगे।
धार्मिक स्वतंत्रता
ऊलानबतार में शनिवार को सन्त पेत्रुस एवं सन्त पौलुस को समर्पित महागिरजाघर में सन्त पापा फ्राँसिस ने मंगोलिया के लघु काथलिक समुदाय के धर्माध्यक्षों, पुरोहितों, धर्मसमाजियों, धर्मसंघियों एवं प्रेरितिक कार्यकर्त्ताओं का साक्षात्कार कर उन्हें अपना सन्देश दिया।
विश्व के इस क्षेत्र में हालाँकि ईसाई धर्म सैकड़ों वर्षों से मौजूद है, तथापि, काथलिक कलीसिया की मंगोलिया में केवल 1992 से स्वीकृत उपस्थिति है, जब देश ने अपनी सोवियत-सहयोगी कम्युनिस्ट सरकार को छोड़ दिया था और अपने संविधान में धार्मिक स्वतंत्रता को पुनः स्थापित किया था। अपनी टिप्पणी में, सन्त पापा फ्रांसिस ने मंगोलिया की धार्मिक स्वतंत्रता की परंपरा की सराहना की और इस तथ्य के प्रति ध्यान आकर्षित कराया कि ऐसी सहिष्णुता दुनिया के अधिकांश हिस्सों में मंगोलियाई साम्राज्य के विशाल विस्तार के दौरान भी मौजूद थी।
अपने चरम पर, मंगोलियाई साम्राज्य पश्चिम में हंगरी तक फैला हुआ था और विश्व इतिहास में सबसे बड़ा सन्निहित भूमि साम्राज्य बन गया था।
रूस और चीन के बीच फँसे बौद्ध बहुल देश मंगोलिया के तिब्बत और विशेष रूप से दलाई लामा के साथ पारम्परिक सम्बन्धों के सन्दर्भ में सन्त पापा ने सरकारी अधिकारियों एवं राजनयिकों के समक्ष राज्यमहल में किये प्रभाषण में कहा, "यह तथ्य कि साम्राज्य सदियों से इतनी दूर और विविध भूमि का आलिंगन कर सकता था, आपके पूर्वजों की अपने विशाल क्षेत्र में मौजूद लोगों के उत्कृष्ट गुणों को स्वीकार करने और उन गुणों को एक सामान्य विकास की सेवा में लगाने की उल्लेखनीय क्षमता का गवाह है।"
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