फ्राँस के मार्सिले शहर में आप्रवासियों का एक दृश्य, 21.09.2023 फ्राँस के मार्सिले शहर में आप्रवासियों का एक दृश्य, 21.09.2023  (AFP or licensors)

मार्सिले में सन्त पापा फ्राँसिस की यात्रा की पृष्ठभूमि

यूरोप में निरन्तर जारी आप्रवास संकट की चुनौतियों के प्रति विश्व का ध्यान आकर्षित करने के लिये सन्त पापा फ्रांसिस शुक्रवार को फ्राँस के बंदरगाह शहर मार्सिले में महज़ 30 घण्टों की एक शानदार यात्रा के लिए रोम से रवाना हुए।

वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 22 सितम्बर 2023 (रेई, रॉयटर्स, वाटिकन रेडियो): यूरोप में निरन्तर जारी आप्रवास संकट की चुनौतियों के प्रति विश्व का ध्यान आकर्षित करने के लिये सन्त पापा फ्रांसिस शुक्रवार को फ्राँस के बंदरगाह शहर मार्सिले में महज़ 30 घण्टों की एक शानदार यात्रा के लिए रोम से रवाना हुए।

भूमध्यसागरीय संकट

भूमध्यसागरीय क्षेत्र के काथलिक युवाओं और धर्माध्यक्षों की हाल में सम्पन्न एक बैठक के समापन पर बताया गया कि सन्त पापा फ्राँसिस की उक्त यात्रा की योजना कई महीनों से चल रही थी। हालांकि इटली के सिसली द्वीप स्थित लामपेदूज़ा में पिछले सप्ताह हजारों आप्रवासियों के आगमन की एक नई वृद्धि के मद्देनज़र इस यात्रा को एक नवीन दृष्टिकोण से देखा जा रहा है। ख़तरनाक छोटी-छोटी नावों पर सवार आप्रवासियों का यूरोपीय समुद्री तटों पर आगमन का सिलसिला दशकों से चलता आ रहा है, जिसने इस वर्ष विकराल रूप ले लिया है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस साल अब तक लगभग 130,000 प्रवासी इटली पहुंचे हैं, जो 2022 की समान अवधि की तुलना में लगभग दोगुना है।

इटली की दक्षिण पंथी सरकार के लिये इटली, माल्टा और स्पेन जैसे समुद्री तट से संलग्न अग्रिम पंक्ति के देशों के लिये आप्रवास संकट एक महान बोझ है। इसी प्रकार, यूरोप की दक्षिण पंथी राजनैतिक पार्टियाँ किसी भी प्रकार के आप्रवास का विरोध करती रही हैं, जबकि सन्त पापा फ्राँसिस स्वागत-सत्कार, एकात्मता एवं एकीकरण की पैरवी करते रहे हैं।    

फ्राँस में दक्षिण पंथी नेता मारी लेपेन की राष्ट्रवादी पार्टी के समन्वयकर्त्ता जिल्स पेनेल्ले ने पत्रकारों से कहा, "सन्त पापा फ्राँसिस एक राजनीतिज्ञ अथवा किसी ग़ैरसरकारी संस्था के अध्यक्ष जैसा व्यवहार करते हैं, कलीसिया के शीर्ष के सदृश नहीं।" उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि ख्रीस्तीय संदेश व्यक्तिगत स्तर पर स्वागत योग्य है, लेकिन आप्रवास कोई व्यक्तिगत नहीं अपितु एक बड़ी राजनीतिक समस्या है और प्रवासियों का स्वागत करना है या नहीं, यह राजनेताओं को तय करना चाहिये।"

बहादुरों, पीड़ितों को श्रद्धान्जलि

सन्त पापा फ्राँसिस ने इस बात को रेखांकित किया है कि 22 और 23 सितम्बर को उनकी यात्रा मार्सिले की यात्रा है, फ्राँस की नहीं और उनके कार्यक्रम का सर्वप्रथम पड़ाव शुक्रवार शाम को समुद्र के बहादुरों और पीड़ितों के स्मारक की भेंट होगा।

सन्त पापा फ्राँसिस की मार्सिले यात्रा में अवश्य ही 2013 में लामपेदूज़ा में सम्पन्न यात्रा की प्रतिध्वनि मिलेगी, जहाँ उन्होंने समुद्र में मारे गए आप्रवासियों को श्रद्धांजलि देते हुए "उदासीनता के वैश्वीकरण" की निंदा की थी।

फ्राँस के काथलिक धर्माध्यक्षों ने अपनी एक साप्ताहिक बैठकों के लिये जानबूझकर मार्सिले शहर को चुना जिसमें  "भूमध्यसागरीय साक्षात्कार" शीर्षक के अन्तर्गत आप्रवास संकट पर विशद विचार विमर्श किया गया। शहर के वर्तमान महाधर्माध्यक्ष, अल्जीरियाई मूल के फ्रांसीसी कार्डिनल जाँ मार्क एवेलिन ने बताया कि बैठकों में विविध सामाजिक मुद्दों, आर्थिक असमानताओं, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन पर भी चर्चाएं हुई।

मार्सिले की बहुविध संस्कृति

बन्दरगाही शहर मार्सिले का भी एक लम्बा आप्रवासीय इतिहास रहा है, जहाँ यूरोप के विभिन्न क्षेत्रों, मध्यपूर्वी देशों एवं उत्तरी अफ्रीका के लाखों शरणार्थियों ने पनाह ली है। आज भी मार्सिले की गलियों में बहुमुखी संस्कृतियों के प्रभावों को आसानी से देखा जा सकता है।  

मार्सिले विश्विद्यालय में समाजशास्त्र के एक प्राध्यापक ने पत्रकारों से कहा, "मार्सिले एक महानगरीय शहर है जिसने फ्रांसीसी गणतंत्रीय विचार को पूरी तरह से नहीं अपनाया है, इसीलिये यहाँ कई लोग अपनी दोहरी-तिहरी पहचान रखते हैं।"

मार्सिले एक दुर्लभ फ्रांसीसी शहर है जहां की आप्रवासी आबादी इसका केंद्र है। दरअसल, शहर के एक पूर्व धर्माध्यक्ष जूल्स वर्ने के उपन्यास के शीर्षक को उद्धृत करते हुए कहा करते थे: "मार्सिले में आप 80 घण्टों में सम्पूर्ण विश्व का चक्कर लगा सकते हैं, इसके लिये 80 दिनों की ज़रूरत नहीं।"

मार्सिले यात्रा के दौरान फ्रांस के राष्ट्रपति एमानुएल माकारॉन दो अवसरों पर सन्त पापा फ्राँसिस से मुलाकात करेंगे और शनिवार को सन्त पापा द्वारा अर्पित ख्रीस्तयाग समारोह में भी उनके भाग लेने का अनुमान है, जिसने वामपंथी आलोचकों में प्रतिक्रियाएँ शुरु कर दी हैं। आलोचकों का कहना है कि यह राज्य और विश्वास एवं धर्मपालन के सख्त अलगाव का उल्लंघन है।

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

22 September 2023, 11:13