खोज

ऊलानबतार स्थित प्रेरितिक राजदूतावास में सन्त पापा का स्वागत, 01.09.2023 ऊलानबतार स्थित प्रेरितिक राजदूतावास में सन्त पापा का स्वागत, 01.09.2023  (ANSA)

मंगोलिया की कलीसिया, एक झलक

काथलिक कलीसिया के परमधर्मगुरु सन्त पापा फ्राँसिस ने अपनी 43वीं प्रेरितिक यात्रा के लिये पूर्वी एशियाई देश मंगोलिया को चुना है, जो, कज़ाकिस्तान के बाद, दुनिया का सर्वाधिक विशाल भूमि से घिरा हुआ देश है। इसकी छोटी सी, पारंपरिक रूप से खानाबदोश आबादी, लगभग 35 लाख है जिनमें दो प्रतिशत जनता ख्रीस्तीय धर्मानुयायी है।

वाटिकन सिटी

ऊलानबतार, शुक्रवार, 1 सितम्बर 2023 (रेई, वाटिकन रेडियो): काथलिक कलीसिया के परमधर्मगुरु सन्त पापा फ्राँसिस ने अपनी 43वीं प्रेरितिक यात्रा के लिये पूर्वी एशियाई देश मंगोलिया को चुना है, जो, कज़ाकिस्तान के बाद, दुनिया का सर्वाधिक विशाल भूमि से घिरा हुआ देश है। इसकी छोटी सी, पारंपरिक रूप से खानाबदोश आबादी, लगभग 35 लाख है जिनमें दो प्रतिशत जनता ख्रीस्तीय धर्मानुयायी है।

मंगोलिया पृष्ठभूमि

70 वर्षों के साम्यवादी शासन के बाद, पूर्व सोवियत संघ का एक उपग्रह राष्ट्र, मंगोलिया में 1990 में एक शांतिपूर्ण क्रांति के बाद एक बहुदलीय लोकतंत्र की स्थापना हुई। एक नये संविधान को अपनाया गया जो सभी नागरिकों को  धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है।

1990 की क्राँति के बाद ही मंगोलिया में काथलिक मिशनरियों का भी पुनर्रागमन हुआ जिन्हें सोवियत साम्यवादी शासन के दौरान निष्काषित कर दिया गया था। आज मंगोलिया में 28 काथलिक पल्लियाँ हैं जो यहाँ के कार्डिनल जोर्जो मेरेंगो के नेतृत्व में लगभग 1,400 काथलिकों की प्रेरिताई में संलग्न हैं। कार्डिनल जोर्जों मेरेंगो को सन्त पापा फ्राँसिस ने 2022 के अगस्त माह में कार्डिनल नियुक्त कर कलीसिया के राजकुमार के पद से प्रतिष्ठित किया था।  

काथलिक कलीसियाई कल्याणकारी, शिक्षा एवं चिकित्सा केन्द्रों का मंगोलिया सरकार द्वारा स्वागत किया जाता है तथा उनके कार्यों की सरकार द्वारा सराहना भी की जाती है, इसलिये कि ये कार्य विशेष रूप से युवाओं को शिक्षित करने और साथ ही निर्धनों, वयोवृद्धों  एवं विकलाँगों तथा अलग तरह से सक्षम लोगों की सेवा पर केन्द्रित हैं।  

वीज़ा का प्रश्न

सन्त पापा फ्राँसिस की मंगोलिया यात्रा से यहाँ देश में सेवारत काथलिक मिशनरियों के मन में आशा जगी है कि सन्त पापा अवश्य ही मंगोलिया सरकार के साथ वीज़ा का प्रश्न उठायेंगे जो मंगोलिया में वैध रूप से रहने और अपने सेवाकार्यों को आगे बढ़ाने के लिये अति आवश्यक है।

सामाजिक सेवाओं के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के बावजूद, मिशनरियों को अल्पकालिक वीजा ही मिलता है, हालाँकि कई मिशनरियों ने वर्षों के अन्तराल में देश में काम किया है और यहाँ की भाषा सीखी है। विदेशियों को, यह जाने बिना कि उन्हें वापस आने की अनुमति दी जाएगी या नहीं, हर तीन महीने विदेश जाना पड़ता है। इसके अलावा, सरकार ने शर्त रखी है कि प्रत्येक वीज़ा के लिये मिशनरियों को अपनी संस्थाओं में पाँच स्थानीय लोगों को नौकरी देनी होगी।

पर्यावरण चुनौती

सन्त पापा फ्राँसिस की मंगोलिया यात्रा तब हो रही है जब वे अपने विश्वपत्र, लाओदातो सी': ऑन केयर फॉर अवर कॉमन होम' के दूसरे भाग का प्रारूप तैयार कर रहे हैं, और मंगोलिया को समय की पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना करने के लिये एक महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है।

एक ओर, इसे विदेशी समूहों द्वारा शोषित खनन उद्योग के कारण होने वाली गंभीर प्रदूषण की समस्याओं से तत्काल निपटना होगा। इस उद्योग के तेज़ी से बढ़ने के कारण कई ग़रीब खानाबदोश लोग ऊलानबतार की ओर आ गये हैं, जहाँ मंगोलिया की आधी से अधिक आबादी निवास करती है। ठंड के महीनों के दौरान अपने पारंपरिक तम्बुओं में रहनेवाले खानाबदोश लोग कोयला और प्लास्टिक जलाने के लिये मजबूर हैं, जिसके परिणामस्वरूप हवा की गुणवत्ता बेहद ख़राब, प्रदूषित और खतरनाक हो गई है।

दूसरी ओर, मंगोलिया से मांग की जा रही है कि वह अपने अद्वितीय और बहुमूल्य पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा करे, इसलिये कि यूरोप और एशिया के चौराहे पर खड़े इस विशाल देश का कब्ज़ा छह अलग-अलग पारिस्थितिक क्षेत्रों पर है।

मंगोलियाई लोग अपनी पैतृक भूमि को "ग्रह का दूसरा फेफड़ा" मानते हैं, उनका कहना है कि जैसे एमाज़ोन  वर्षावन दुनिया के कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को अवशोषित करता है, उसी प्रकार मध्य एशिया उस पानी को फ़िल्टर करता है जो शेष एशिया को सिंचित करता है।

मंगोलियाई अधिकारी इन मुद्दों से अच्छी तरह वाकिफ हैं और धारणीय विकास कार्यक्रमों को लागू करने के लिए विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ सह-साझीदार हैं।

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

01 September 2023, 11:49