खोज

2023.07.12 फ्राँसिस की अर्थव्यवस्था की डायरी 2023.07.12 फ्राँसिस की अर्थव्यवस्था की डायरी 

ईओएफ: संत पापा ने समावेशी व देखभाल वाली अर्थव्यवस्था हेतु रास्ता बताया

संत पापा फ्राँसिस ने इस वर्ष ऑनलाइन आयोजित वार्षिक "फ्राँसिस की अर्थव्यवस्था" बैठक में भाग लेने वाले युवा अर्थशास्त्रियों को एक संदेश भेजा और समाज को समावेशी एवं न्यायपूर्ण बनाने के लिए परिवर्तन करने के उनके प्रयासों को प्रोत्साहित किया है।

वाटिकन न्यूज

वाटिकन सिटी, शनिवार 7 अक्टूबर 2023 (वाटिकन न्यूज) : युवा अर्थशास्त्री एक ऐसी अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य के लिए "फ्राँसिस की अर्थव्यवस्था" आंदोलन को अपनाया है, जो किसी को भी पीछे नहीं छोड़ती है। युवा अर्थशास्त्रियों को भेजे गये अपने संदेश में संत पापा फ्राँसिस ने आर्थिक परिदृश्य को नया आकार देने की तलाश में विरोधाभासों और विविध दृष्टिकोणों को संबोधित किया।

विरोधों की एकता

विरोधों की एकता की अवधारणा पर टिप्पणी करते हुए, संत पापा इस तथ्य पर विचार किया कि वास्तविकता अक्सर बड़े और छोटे, अनुग्रह और स्वतंत्रता, न्याय और प्रेम जैसी विरोधी ताकतों से बनी होती है।

एक पक्ष को चुनने और दूसरे को ख़त्म करने के बजाय, वह संश्लेषण की तलाश करने के विकल्प को बरकरार रखता है, एक उच्च स्तर जहां तनाव बना रहता है। उनका कहना है कि यह धारणा हमें आर्थिक विरोधाभासों के सामने सामान्य जमीन खोजने की चुनौती देती है।

ऐसी दुनिया में जहां असमानताएं बढ़ रही हैं, यह दृष्टिकोण संतुलन, सहयोग और इस मान्यता की मांग करता है कि दोनों पक्ष आम भलाई के लिए सह-अस्तित्व में रह सकते हैं।

शामिल करने का आग्रह

संत पापा ने युवा अर्थशास्त्रियों से अपने दृष्टिकोण का विस्तार करने और विविध आवाजों के लिए जगह बनाने का आग्रह किया, विशेष रूप से उन लोगों के लिए जिन्हें लंबे समय से बाहर रखा गया है। उन्होंने महिलाओं और हाशिए पर रहने वाले लोगों के दृष्टिकोण को ध्यान देने के महत्व पर जोर दिया।

उनका कहना है कि उनकी अनूठी अंतर्दृष्टि, हमारा ध्यान भौतिक संपत्तियों से सार्थक रिश्तों की ओर, धन संचय से न्यायसंगत वितरण की ओर और अमूर्तता से मूर्त वास्तविकताओं की ओर स्थानांतरित कर सकती है।

उनका मानना है कि आर्थिक सिद्धांत और व्यवहार में, यह समावेशिता की ओर गहन बदलाव की मांग करता है, जहां सभी आवाजों को महत्व दिया जाता है और सुना जाता है।

यात्रा की अर्थव्यवस्था

येसु और उनके शिष्यों के अनुभवों से प्रेरणा लेते हुए, संत पापा फ्राँसिस ने "यात्रा की अर्थव्यवस्था" के महत्व पर प्रकाश डाला। वे कहते हैं कि यह अवधारणा रास्ते में विश्वास, भेद्यता और दूसरों पर निर्भरता पर जोर देती है।

यह हमें याद दिलाता है कि अर्थशास्त्र अलग-थलग नहीं है, बल्कि अन्य विषयों के साथ जुड़ा हुआ है और इसके लिए व्यावहारिक भागीदारी की आवश्यकता होती है। संत पापा कहते हैं कि जिस प्रकार एक तीर्थयात्री की यात्रा चुनौतियों और धूल से चिह्नित होती है, उसी तरह सामान्य भलाई की खोज में अपने हाथों को गंदा करना आवश्यक है। वे आगे कहते हैं, एक तीर्थयात्री की यात्रा शांतिदूत बनने और आर्थिक क्षेत्र में न्याय की वकालत करने के लिए एक प्रोत्साहन भी है।

धैर्य और दृढ़ता

संत पापा अपने संदेश को समाप्त करते हुए कहते हैं कि यह स्पष्ट है कि बदलाव लाने में समय लगता है और संसाधनों की आवश्यकता होती है। नए आर्थिक दृष्टिकोणों को मौजूदा प्रणालियों में तुरंत एकीकृत करना संभव नहीं हो सकता है, लेकिन इससे हमें हतोत्साहित नहीं होना चाहिए।

हमारे पास अपने प्रयासों को धीरे-धीरे विकसित होने देने और स्थायी संबंध स्थापित करने के दृढ़ संकल्प को विकसित करने का धैर्य होना चाहिए। जैसा कि हम एक अधिक न्यायपूर्ण और समावेशी आर्थिक दुनिया के लिए प्रयास करते हैं और इसके लिए दृढ़ता और लचीलापन, आवश्यक गुण हैं।

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

07 October 2023, 16:45