देवदूत प्रार्थना में पोप : माता मरियम हमें कृतज्ञ होने में मदद दें
वाटिकन न्यूज
वाटिकन सिटी, रविवार, 8 अक्टूबर 2023 (रेई) : वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 8 अक्टूबर को संत पापा फ्रांसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया जिसके पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।
आज, सुसमाचार पाठ हमें एक नाटकीय दृष्टांत प्रस्तुत करता है जिसका एक दुखद अंत होता है। (मती. 21,33-43) किसी भूमिधर ने दाखबारी लगवायी और उसकी खूब देखभाल की। तब उसे असामियों को पट्टे पर देकर चला गया। जब फसल का समय आया, तब उसने फसल का हिस्सा वसूलने के लिए असामियों के पास अपने नौकरों को भेजा। किन्तु असामियों ने उनके नौकरों को पकड़कर उनमें से कुछ को मारा पीटा, किसी की हत्या कर दी और किसी को पत्थरों से मार डाला। संत पापा ने कहा “क्यों ऐसा किया गया? क्या गलत हुआ?”
भूमिधर ने प्यार से सब कुछ अच्छा किया था। उसने दाखबारी लगाने के लिये खुद ही परिश्रम किया; उसकी सुरक्षा के लिये उसके चारों ओर घेरा लगवाया; उसमें रस का कुंड खुदवाया और पक्का मचान बनवाया।(33) फिर उसने अपने अंगूर के बगीचे को कुछ किरायेदारों को सौंप दिया, और अपनी बेशकीमती संपत्ति उन्हें पट्टे पर दे दी, इस प्रकार उनके साथ एक समान व्यवहार किया ताकि उसके अंगूर के बगीचे में अच्छी तरह से खेती हो सके और फल प्राप्त कर सके।
इन परिस्थितियों को देखते हुए, उत्सव के माहौल में, सभी की संतुष्टि के लिए उपज के उचित विभाजन के साथ, फसल अच्छा होना चाहिए था।
कृतघ्नता हिंसा की ओर ले जाती है
इसके बजाय, किरायेदारों के मन में कृतघ्न और लालची विचार घर कर गए और उन्होंने कहा, “हमें मालिक को कुछ भी देने की जरूरत नहीं है। हमारे काम का उत्पाद केवल हमारा है। हमें किसी को हिसाब देने की जरूरत नहीं। संत पापा ने कहा, लेकिन “यह सच नहीं है : उन्होंने जो कुछ ग्रहण किया था और जैसा व्यवहार पाया था उसके लिए उन्हें कृतज्ञ होना चाहिए था। इसके विपरीत, कृतध्नता लालच को जन्म देती है और उनके भीतर विद्रोह की भावना पैदा होती है, जिससे वे स्थिति को विकृत तरीके से देखते हैं, उन्हें लगता है कि मालिक उनके कर्ज में है, न कि वे उस मालिक के कर्ज में हैं जिसने उन्हें काम दिया था। जब उन्होंने बेटे को देखा, तो उन्होंने कहा: “यह तो वारिस है। आओ, हम उसे मार डालें और उसकी विरासत पर कब्ज़ा कर लें!” (38) और किरायेदार से वे हत्यारे बन जाते हैं।
धन्यवाद कहने सीखना
इस दृष्टांत के साथ, येसु हमें याद दिलाते हैं कि क्या होता है जब कोई व्यक्ति यह सोचकर खुद को धोखा देता है कि वह अपना काम खुद कर सकता है, और आभारी होना भूल जाता है, जीवन के वास्तविक आधार को भूल जाता है, कि अच्छाई ईश्वर की कृपा से आती है, उसके मुफ्त वरदान से। यदि कोई इसे भूल जाता है, तो वह खुद अपनी परिस्थिति का सामना करने लगता है और उनकी अपनी सीमाएँ अब प्यार और बचाये जाने की अनुभूति की खुशी से नहीं, बल्कि प्रेम या उद्धार की आवश्यकता न होने के दुखद भ्रम में हैं।
वह व्यक्ति खुद को प्यार किया जाना बंद कर देता है एवं अपने ही लालच में खुद को कैद पाता है और दूसरों से अधिक पाने की लालसा करता है, और दूसरों से ऊपर होने की कोशिश करता है। यह बदले में असंतोष और आरोप-प्रत्यारोपों, गलतफहमियों और ईर्ष्या की भावनाओं को जन्म देता है; और, आक्रोश से प्रेरित होकर, व्यक्ति हिंसा के चक्र में पड़ सकता है।
संत पापा ने कहा कि कृतघ्नता हिंसा उत्पन्न करती है, जबकि एक साधारण "धन्यवाद" शब्द शांति वापस ला सकता है!
चिंतन
संत पापा ने चिंतन हेतु प्रेरित करते हुए कहा, आइए, हम अपने आप से पूछें: क्या मैं जानता हूँ कि जीवन और विश्वास मुझे मिले उपहार हैं, और मैं स्वयं एक उपहार हूँ? क्या में मानता हूँ कि सब कुछ ईश्वर की कृपा से आता है? क्या मैं समझता हूँ कि योग्यता के बिना, मैं इन चीजों का लाभार्थी हूँ कि मुझे प्यार किया जाता है और मुफ्त में बचाया जाता है? और सबसे बढ़कर, कृपा के लिए, क्या मैं "धन्यवाद" कहना जानता हूँ? यही शब्द है जिसकी उम्मीद ईश्वर और हमारे भाई-बहन हर दिन करते हैं।
संत पापा ने आत्म जाँच करने हेतु प्रेरित करते हुए कहा कि क्या धन्यवाद शब्द हमारे जीवन में है?
तब माता मरियम से प्रार्थना करते हुए कहा, “माता मरियम जिनकी आत्मा प्रभु का गुणगान करती है, हमें उस प्रकाश के लिए कृतज्ञता व्यक्त करने में मदद दे जिसका हर दिन हमारे हृदय में उदय होता है।”
इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।
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