विश्व दरिद्रता दिवस में संत पापा का प्रवचन विश्व दरिद्रता दिवस में संत पापा का प्रवचन  (ANSA)

संत पापाः हमारे जीवन के उपहार दूसरों की मदद हेतु हैं

संत पापा फ्रांसिस ने विश्व दरिद्रता दिवस के अवसर पर यूखारिस्तीय बलिदान के दौरान मानव को ईश्वर के द्वारा मिले उपहारों की चर्चा करते हुए उन्हें प्रेम में दूसरों के संग बांटने का आहृवान किया।

वाटिकन सिटी

संत पापा फ्रांसिस ने वर्ष के 33वें रविवार को विश्व दरिद्रता दिवस के अवसर पर संत पेत्रुस के महागिरजाघर में यूख्रारिस्तीय बलिदान अर्पित किया।

उन्होंने अशर्फियों के दृष्टांत पर चिंतन करते हुए अपने प्रवचन में कहा,कि तीन व्यक्तियों को बहुत धन दिया गया था, इसके लिए स्वामी को धन्यवाद देते हैं , वह अपनी एक लम्बी यात्रा में जाते हैं। वह स्वामी एक दिन लौट कर आयेगा औऱ अपने सेवकों को बुलायेगा इस बात पर भरोसा करते हुए कि वह उनके संग आनंद में सहभागी होगा क्योंकि उन्होंने मिले धन का सही उपयोग कर उसकी बढ़ोतरी की होगी और उसे फलप्रद बनाया है। यह दृष्टांत हमें दो यात्राओं- येसु की यात्रा और हमारे जीवन की यात्रा पर चिंतन करने को आमंत्रित करता है।

येसु की यात्रा

येसु की यात्रा पर प्रकाश डालते हुए संत पापा ने कहा कि दृष्टांत के शुरू में येसु एक व्यक्ति का जिक्र करते हैं जो अपनी यात्रा में जाने को है, वह अपने सेवकों को बुलाता और अपनी संपत्ति सौंपता है। यह हमें येसु ख्रीस्त की “यात्रा” की याद दिलाती है, जिसे हम उनके शरीरधारण, पुनरूत्थान औऱ स्वर्गारोहण के रुप में पाते हैं। य़ेसु पिता की ओर से हमारे बीच रहने आये, अपनी मृत्यु द्वारा उन्होंने मृत्यु का नाश किया और पुनरूत्थान के बाद अपने पिता के पास लौटते हैं। पृथ्वी पर अपनी प्रेरिताई की यात्रा खत्म कर वे अपने पिता के पास लौटते हैं। अपनी यात्रा शुरू करने के पूर्व वे हमारे लिए अपने सच्चे “मूलधन” को छोड़ जाते हैं। वे यूख्रारीस्त में अपने को देते हैं। वे अपने जीवनदायी शब्दों, अपनी पवित्र माता को हमारी माता के रुप में, और पवित्र आत्मा के उपहारों को हमें प्रदान करते हैं जिससे हम उनके कार्यों को पृथ्वी पर जारी रख सकें। सुसमाचार हमें कहता है कि ये धन “हर किसी की योग्यताओं के अनुरूप” दी गई हैं जो व्यक्तिगत रुप में हमारी प्रेरिताई से संबंधित हैं जिसे हम दैनिक जीवन, कलीसिया और समाज में करते हैं। संत पौलुस भी इसकी चर्चा करते हुए कहते हैं कि हर किसी को उसकी योग्यता के अनुरूप येसु ख्रीस्त से उपहार प्राप्त हुए हैं।

येसु सेवक बनें

संत पापा ने कहा कि हम पुनः येसु की ओर देखें जिन्हें पिता की ओऱ से हर चीजे मिलीं लेकिन उन्होंने उन्हें अपने तक सीमित नहीं रखा। उन्होंने ईश्वर के रुप में नहीं बल्कि हमारे लिए सेवक के रुप में रहे। उन्होंने मानवता की कमजोरियों को अपने में वहन किया। भले समारी की भांति उन्होंने हमारे घावों पर अंगूरी उड़ेला। हमें धनी बनाने हेतु वे गरीब बनें और क्रूस पर ठोंके गये। हमारे पापों के खातिर ईश्वर ने उन्हें पाप का शिकार होने दिया जो बेदाग थे। येसु ने हमारे खातिर अपना जीवन जीया। पिता के पास वापस लौटने के पूर्व यही उनके जीवन का उद्देश्य था।

सेवकों का उत्तरदायित्व

संत पापा ने कहा कि आज का सुसमाचार हमें बतलाता है कि स्वामी लौट कर अपने सेवकों से हिसाब लेते हैं। पहली यात्रा के उपरांत दुनिया के अंत में, येसु की महिमामय दूसरी यात्रा होगी, जहाँ वे हमसे मिलेंगे और हमारे इतिहास का हिसाब मांगते हुए हमें अपनी अनंत खुशी में शामिल करेंगे। हम अपने में पूछें, “वे लौटने पर हमें किस स्थिति में पायेंगेॽ मैं निर्धारित समय में उनके सामने कैसे प्रस्तुत होऊंगाॽ”

हमारे मार्ग कैसे हैं

ये सवाल हमें चिंतन के दूसरे भाग में ले चलते हैं जो हमारी यात्रा है। हम कौन-से मार्ग का चुनाव करते हैं, येसु का मार्ग जो उपहार था या स्वार्थ का मार्गॽ क्या हम खुले हाथों से दूसरों को देते या अपने हाथों को बंद रखते हैं। दृष्टांत हमें बतलाता है कि हमें अपनी योग्यताओं औऱ संभावनाओं के अनुरूप “वरदान” मिले हैं। अतः हमें यह अनुभव करने की आवश्यकता है कि वे हमारी योग्यताएं नहीं हैं अपितु ईश्वर के उपहार हैं जिसे उन्होंने अपने पिता से पास लौटने के पूर्व हमारे लिए छोड़ा है। उन उपहारों से साथ उन्होंने हमें पवित्र आत्मा प्रदान किया है, जो हमें ईश्वरीय संतान बनाता है और जिसके कारण हम ईश राज्य की स्थापना हेतु कार्य करते हैं। ईश्वर का बहुमूल्य “निधि” हमारे लिए उनका प्रेम है जो हमारे जीवन का आधार और जीवन यात्रा हेतु शक्ति का स्रोत है।

अतः हमें अपने में पूछने की जरुरत है कि मैं अपनी जीवन यात्रा में इस “उपहार” का क्या कर रहा हूँॽ दृष्टांत हमें कहता है कि पहले दो सेवकों ने अपने उपहारों की बृद्धि की जबकि तीसरे ने स्वामी में भरोसा करने के बदले उसके भय से ग्रस्ति था। जोखिम लेते हुए कार्य करने के बदले उनसे अपने उपहारों को दफन कर दिया। यह हमारे लिए सटीक बैठता है। हम ईश्वर से मिले धन को विकास कर सकते हैं और हमारे जीवन को दूसरों के लिए प्रेम का कारण बना सकते हैं। या हम ईश्वर की गलत छवि से प्रभावित अपने में भय के कारण उन्हें छुपा सकते हैं, दूसरों की चिंता किये बिना, हम केवल अपनी चिंता कर करते हुए केवल अपनी ही सुख-सुविधा और चाहतों में निष्ठाहीन और कार्यविहीन हो सकते हैं। यहाँ सवाल हमारे लिए स्पष्ट है हम अपने जीवन में क्या करते हैं।

उपहारों का उपयोग करें

संत पापा ने कहा विश्व दरिद्र दिवस में उपहारों का यह दृष्टांत हमें अपनी जीवन यात्रा में प्रेरणा की जांच करने का आहृवान करता है। हमने ईश्वर के प्रेम उपहार को पाया है और हमें दूसरों के लिए एक उपहार बनने को कहा जाता है। येसु का प्रेम, उनकी दया का मलहम और करूणा जिसके द्वारा उन्होंने हमारे घावों की देख-रेख की है, पवित्र आत्मा की ज्वाला से उन्होंने हमारे हृदयों में खुशी और आशा को भर दिया  है – हम इन्हें अपने लिए नहीं रख सकते हैं, केवल अपने लिए उपयोग नहीं कर सकते हैं या जमीन में छिपा नहीं सकते हैं। कृपा से पोषित हम दूसरों के लिए एक कृपा बनने हेतु बुलाये जाते हैं। यदि हम अपने चारों ओर प्रेम प्रसारित नहीं करते तो हमारा जीवन अंधेरे की ओर झुक जाता है, यदि हम अपने उपहारों का उचित उपयोग नहीं करते तो हमारा जीवन मिट्टी में दबे रहने की भांति होता है, मानो हम मरे हुए हैं।

दुनिया की दरिद्रता को देखें

संत पापा ने कहा कि आइए हम उन भौतिक, संस्कृतिक और आध्यात्मिक रुपों में व्याप्त गरीबी पर विचार करें जो दुनिया में व्याप्त हैं। हमारे शहरों की पीड़ाओं, गरीबों की रूदन जो सामान्य उदासीनता और अपने में खोये रहने के कारण सुनाई नहीं देती हैं। हम उनके बारे में विचार करें जो प्रताड़ना के शिकार हैं, जो हाशिए में हैं, युद्धों से प्रभावित हैं जिन्हें अपने जीवन को जोखिम में डालते हुए मातृभूमि छोड़ने को विवश होना पड़ा रहा है, वे जो भूखे  रहते हैं, जे श्रम के बिना और आशाहीन जीवन व्यतीत करते हैं। हमारे बीच में असंख्य गरीबी के बारे में सोचना हमारे लिए सुसमाचार में मिलने वाले आज के संदेश को स्पष्ट करता है- हम ईश्वर के धन को न दबायें। हम करूणा के धन को बांटें, अपनी रोटी और प्रेम को साझा करें। दरिद्रता एक अपमान है। ईश्वर अपने वापस लौटने पर हम से हिसाब मांगेंगे जैसे कि संत अम्बोस कहते हैं, “वे कहेंगे, क्यों तुमने इतने सारे गरीबों को मरने दिया जब कि तुम्हारे पास गरीबों के लिए भोजन खरीदने को सोना था।” क्यों इतने लोग गुलामी में बेचे और दुराचार का शिकार हुए जबकि उन्हें छुड़ाने के लिए किसी ने कोई प्रयास नहीं कियाॽ”

संत पापा ने कहा कि हम सब प्रार्थना करें, ईश्वरीय उपहार में हमें प्रेरिताई का जो कार्य मिला है, हम करूणा के कार्यों द्वारा फल उत्पन्न कर सकें और गरीबों के निकट आयें। हम प्रार्थना करें कि अपनी जीवन यात्रा के अंत में येसु को अपने भाई-बहनों में स्वागत करते हुए, हम भी अपने लिए इन वचनों को सुन सकें, शाबाश भले और ईमानदार सेवक, अपने स्वामी के आनंद में शामिल हो। 

गरीबों के लिए संत पापा का मिस्सा- 19 नवम्बर 2023

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

19 November 2023, 17:25