संत पापाः कलीसिया एक नारी है, हम इसे “पुरुषविहीन” करें
वाटिकन सिटी
संत पापा फ्रांसिस ने वाटिकन के प्रेरितिक आवास में अंतरराष्ट्रीय धर्मशास्त्र आयोग के सदस्यों से भेंट की और उन्हें अपने संदेश में कहा, “कलीसिया एक नारी है। और हमने इसे पुरूष बनाकर एक बड़ा पाप किया है।” हमें इसे “पुरूषविहीन” करने की आवश्यकता है और हम इसे ईशशास्त्र के शुरू कर सकते हैं।
महिलाओं में धार्मिक चिंतन की क्षमता
फेफड़ों की सूजन की स्थिति में संत पापा ने अपने लिखित संबोधन की ओर इंगित करते हुए कहा, “यह धार्मिक बातों के साथ एक अच्छा संबोधन है, लेकिन मेरी स्थिति के अनुसार इसे न पढ़ना ही बेहतर है।” उन्होंने धार्मिक चिंतन के महत्व को दुहराने और आयोग के कार्यों हेतु कृतज्ञता के भाव प्रकट किये। उन्होंने ईमानदारी से अपनी बातों रखने के लिए क्षमा की याचना करते हुए कहा कि धर्मशास्त्र आयोग में नारियों की संख्या कम है हमें इसे बढ़ाने की आवश्य़कता है।
संत पापा ने “एक जर्मन लेखिका हना-बारबरा गेरल की रोमानो गार्डिनी की किताबों की याद करते हुए कहा, “महिला में हम पुरुषों से अलग धार्मिक चिंतन की क्षमता है। उसने उस इतिहास का अध्ययन किया था और उस महिला का धर्मशास्त्र बहुत गहरा नहीं है, लेकिन यह सुंदर और रचनात्मक है।”
पेट्रिन और मैरियन सिद्धांत
संत पापा ने महिला पुरोहिताई के संदर्भ में कह कि हम इसे आयोग के स्तर पर हल नहीं कर सकते हैं। उन्होंने कहा, “इसे रहस्यमय तरीके से, वास्तविक तरीके से हल किया जा सकता है।” उन्होंने बाल्थासेरियन मूल के “पेट्रिन सिद्धांत और मैरियन सिद्धांत” की चर्चा की जिससे वे अपने को “आलोकित” पाते हैं। “आप इसके बारे में बहस कर सकते हैं, जिसमें दो सिद्धांत मौजूद हैं। मैरियन पेट्रिन से अधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि कलीसिया दुल्हन के रूप में है, कलीसिया महिला के रूप में है, जो पुरूषत्व को स्थापित नहीं करती है।”
एक धर्मप्रचार हेतु धर्मशास्त्र
संत पापा ने कहा, “आज हम कलीसिया की प्रेरिताई के संबंध में रूपांतरण लाते हुए पूरे दिल और दिमाग की पूरी ऊर्जा के साथ स्वयं अर्पित करने हेतु बुलाये गये हैं।” यह “सुसमाचार प्रचार के लिए येसु के आह्वान का प्रत्युत्तर है, जिसे द्वितीय वाटिकन परिषद ने अपना बनाया और जो अभी भी हमारी कलीसियाई यात्रा में मार्गदर्शन करती है।”
उन्होंने आगे कहा कि अंतरराष्ट्रीय धर्मशास्त्र आयोग को “सोचने का एक तरीक” खोजने के लिए नेतृत्व करने का बुलाया मिला है, जो ईश्वरीय सच्चाई को दृढ़ता से साझा करना जानती है। “एक ख्रीस्तीय धर्मशास्त्र को प्रस्तावित करना, दुनिया की संस्कृति के संग बातचीत को बढ़ावा देना है।” उन्होंने कहा कि यह ईश प्रजा के संग सद्भाव में किया जाना चाहिए, इसमें “गरीबों और साधारण लोगों को एक विशेषाधिकार प्राप्त स्थान दिया जाये”, वहीं हमें ईश्वर के समक्ष प्रार्थना और आराधना में आने की भी जरुरत है।
निसिया धर्मसभा की वर्षगांठ
इसके बाद संत पापा ने मानवशास्त्रीय और पारिस्थितिक प्रश्नों पर आयोग के काम का उल्लेख किया, जबकि विशेष रूप से उनके "निसिया द्वारा स्वीकार किए गए त्रियेक ईश्वर और ईसाई धर्म की स्थायी प्रासंगिकता पर अध्ययन और गहन चिंतन” पर ध्यान केंद्रित किया, जहाँ प्रथम विश्वव्यापी धर्मसभा की 1700वीं वर्षगांठ मनाने की तैयारी की जा रही है।
संत पापा फ्रांसिस ने निसिया धर्मसभा की आध्यात्मिक, कलीसियाई और अंतरधार्मिक वार्ता के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “ धर्मशास्त्रियों को कलीसिया के घर और दुनिया के अंधेरे में ख्रीस्त की दिव्य रोशनी को नये और आश्चर्यजनक चमक को फैलाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।”
निसिया और सिनोडलिटी
संत पापा ने सिनोडलिटी पर जोर दिया, “यह हमारे मनोभावों में एकता और एकता की प्रकिया का अनुसरण करना है जो कि त्रियेक ईश्वरीय आयाम है, जहाँ हम ईश्वर को पुत्र के माध्यम पवित्र आत्मा की सांसों में मानवता में सहभागी होता पाते हैं” वहीं ईशशास्त्र का उत्तरदायित्व इस अद्भुत 'मानवीकरण ऊर्जा' की समृद्धि को उजागर करना है।
एक पास्का महोत्सव
अंत में, संत पिता ने कलीसिया की प्रथम धर्मसभा की सालगिरह को याद करते हुए कहा, कि येसु “ख्रीस्त के सभी शिष्य” निसिया के धर्मसार को घोषित करते हैं। उन्होंने कहा कि 2025 हमारे लिए सालगिरह का वर्ष है, जहाँ सभी ख्रीस्तीय एक ही तारीख को पास्का पर्व मनाएंगे। उन्होंने उपस्थित लोगों को “इस सपने को अपने दिल में रखने और आत्मा की रचनात्मकता का आह्वान करने हेतु आमंत्रित किया, ताकि सुसमाचार और एकता की रोशनी और अधिक उज्ज्वल रूप से चमक सके।”
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